Saturday, April 5, 2008

ऐसे भी हैं दुनिया में जिन्हें गम नहीं होता

ऐसे भी हैं दुनिया में जिन्हें गम नहीं होता
एक हम हैं हमारा गम कभी कम नहीं होता

मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे
मेरे साकी तू रहे आबाद मैखाना रहे

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा

>गर मर्ज हो दवा करे कोई
मरने वाले का क्या करे कोई

क्या क्या हुआ हम से जुनूं में न पूछिए
उलझे कभी जमीं से कभी आसमां से हम


तुम और फरेब खाओ बयान-ए-रकीब से
तुम से तो कम गिला है जियादा नसीब से


बदलते वक्त का इक सिलसिला सा लगता है
कि जब भी देखो उसे दूसरा सा लगता है


पूछते हो तो सुनो, कैसे बसर होती है
रात खैरात की, सदके की सहर होती है


अक्ल पे हम को नाज बहुत था लेकिन ये कब सोचा था
इश्क के हाथों ये भी होगा लोग हमें समझायेंगे


क्यूंकर हुआ है फाश जमाने पे क्या कहें
वो राज-ए-दिल जो कह न सके राजदां से हम


नींद इस सोच से टूटी अक्सर
किस तरह कटती हैं रातें उसकी


ऐसे मौसम भी गुजारे हम ने
सुबहें जब अपनी थीं शामें उसकी

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