Thursday, April 24, 2008

नोमोफोबिया

हेलो क्या आपने कभी नोमोफोबिया के बारे में सुना है? आपने भले ही कभी इस शब्द के बारे में नहीं सुना हो, लेकिन इस स्थिति से दो-चार जरूर हुए होंगे। दरअसल, नोमोफोबिया से मतलब है मोबाइल फोन के डिस्कनेक्ट हो जाने का डर। नोमोफोबिया की स्थिति में लोगों को यह डर सताता रहता है कि उसका मोबाइल फोन किसी वजह से जवाब न दे दे। ऐसी स्थिति से गुजर रहे लोग अपना मोबाइल बार बार चेक करते रहते हैं और यहां तक कि बहुत देर तक कोई कॉल या एसएमएस नहीं आए, तो मान लेते हैं कि उनका हैंड सेट खराब हो गया है या फिर नेटवर्क में कोई गड़बड़ी है। ऐसे लोग अक्सर अपना मोबाइल हैंड सेट बदलते रहते हैं। मोबाइल से चिपके रहने की वजह से ऐसे लोगों के कानों में अपना रिंग टोन गूंजता रहता है और हमेशा लगता है, जैसे कोई कॉल आई हो। दरअसल, नोमोफोबिया की मुख्य वजह है लोगों की मोबाइल पर निर्भरता। बिजनेस और करियर में कम्यूनिकेशन अब सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा है। पहले जहां बिजनेस के तमाम डील्स आमने सामने की मुलाकात के बाद तय होते थे, वहीं अब मोबाइल ही सब कुछ हो गया है। जाहिर है, आज जिसका जितना बड़ा नेटवर्क है, उसका फोन दिन भर उतना ही घनघनाता रहता है। ऐसे में लोगों को मोबाइल की आदत सी हो गई है। जाहिर है, ऐसे में जब कभी घंटों किसी का फोन खामोश रहता है, तो यह स्थिति उसे खटकने लगती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई नोमोफोबिया से ग्रस्त है, तो वह खुद ही इस स्थिति से उबर सकता है, क्योंकि मोबाइल पर अपनी निर्भरता वह खुद ही कर सकता है।

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