Saturday, September 26, 2009

हिन्दी एस एम् एस-फूल बनकर

फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी हैं !
मुस्कुराके गम भुलाना जिंदगी हैं !!
मिल कर खुश हुवे तो क्या हुवे !
बिना मिले रिश्ते निभाना जिंदगी हैं !!

शेरो-शायरी--बाद मुद्दत के मुस्कुराने

बाद मुद्दत के मुस्कुराने की रात आयी है,
हर एक वादा निभाने की रात आयी है,
वह जो दूर रहा करते थे साये से भी कभी,
सीने से उनको लगाने की रात आई हैं।


तुम्हे जब मुझ से ज्यादा गैर प्यारें हैं,
फिर मेरी याद मे तुम तडपती क्यो हो,
तुमने ही पावंदी लगाई है मुलाकातो पर,
फिर अब राहें मेरी तुम तकती क्यों हो।

मैने पहले पहल जब देखा था तुम्हे,
तो मह्सूस हुआ था जिंदगी तुम हो,
फिज़ूल भटका फिरा हँ मै आज तक,
हकीकत मे तो मेरी बंदगी तुम हो।


तुम रहो उदास् यह मै सह नही सकता,
मज़बूर हँ इसलिए कुछ भी कह नही सकता,
तुमने दामन बचा लिया रस्मे वफा से वरना,
मै एक पल भी तुम बिन रह नही सकता।


कोई एक तो वादा निभा दिया होता,
मेरी वफाओ का कुछ तो सिला दिया होता,
तबाह करना था अगर प्यार मे मुझको,
खुद अपने हाथो से मुझे मिटा दिया होता


कोई गम नही एक तेरी जुदाई के सिवा,
मेरे हिस्से मे क्या आया तन्हाई के सिवा,
मिलन की रातें मिली, यूँ तो बेशुमार,
प्यार मे सबकुछ मिला शहनाई के सिवा

पत्थर से दिल लगा कर

पत्थर से दिल लगा कर बर्बाद हो गए,
दिल शाद था मगर अब नाशाद हो गाए,
जिनके वफाओं पर ऐतबार था राज ,
करके हमे तबाह वह खुद आबाद हो गए।

शेरो-शायरी--4

मेरे प्यारे दोस्तों,

पेश-ऐ-खिदमत है चंद शे'र! उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएंगे!-
१- किसका चमकता चेहरा मांगें किस सूरज से लायें धूप,
घोर अँधेरा छा जाता है खल्वत-ऐ-दिल में शाम हुए!
एक से एक जुनूं का मारा इस बस्ती में रहता है,
एक हमीं हुशियार थे यारों एक हमीं बदनाम हुए!!

२ राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ऐ-आम तक आएगा,
जीं का दाग उजागर होकर सूरज को शर्मायेगा!
दीदा-ओ-दिल ने दर्द की अपनी बात भी की तो किससे की,
वो तो दर्द का पानी ठहरा वो क्या दर्द बंताएगा!!

३ दर्द का साथ है तो जीते हैं, वरना भीतर से हम भी रीते है,
अपनापन सिर्फ़ एक छलावा है अपने मतलब को लोग जीते हैं!
गम वो चादर फटी पुरानी सी, जिसको आंसू से रोज़ सीते हैं,
कैसे पहचान अपनी बतलाएं हम भी मिटटी के ही पलीते हैं!!

४ दर्द में डूबे हुए नगमे हज़ारों है लेकिन, साज़-ऐ-दिल टूट गया हो तो बजायें कैसे!
बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते, ज़िन्दगी बिझ बनी हो तो उठाएं कैसे!!

५ गम के घर तक न जाने की कोशिश करो, जाने किस मोड़ पर मुस्कुराना पड़े!
आग ऐसी लगाने से क्या फायदा, जिसके शोलों को ख़ुद ही बुझाना पड़े!!

६ भर चले थे ज़ख्म जो फ़िर से लगे मुँह खोलने, कुछ पुरानी याद लेकर आई है ताज़ा हवा!
हम तो अपनी खाना-वीरानी का मातम कर चुके, देख जाकर अब तू कोई और दरवाज़ा हवा!!

७ जब दहर के गम से अमां ना मिली,
हम लोगों ने इश्क ईजाद किया,
कभी शहर-ऐ-बुतां में ख़राब फिरे,
कभी दस्त-ऐ-जुनूं आबाद किया!

८ एक दीवाना के सच कहने की आदत थी जिसे,
शहर वालों ने उसे शहर में रहने न दिया!
हम न सुकरात न शरमद न थे ईशा तशीर,
फ़िर भी दुनिया ने हमें चैन से जीने न दिया!!

९ हम तेरी धुन में मुहब्बत का सहारा लेकर,
यास के उजड़े दयारों से गुज़र जायेंगे!
तुम न दोगे हमें आवाज़ अगर साहिल से,
हम भी खामोश किनारों से गुज़र जायेंगे!!

१० देख ये ज़ज्बा-ऐ-चाहत मेरे दिल का हमदम,
तेरे अंदाज़-ऐ-बयां का है अब मुझ पर साया!
दफ्फतन पांव मेरे चल पड़े कूंचे को तेरे,
वादी-ऐ-इश्क में देखा तो तुझे ही पाया!!
---------------------raj

Friday, September 18, 2009

दिल तू मुहब्बत करता क्यूँ है

दिल तू मुहब्बत करता क्यूँ है

ए दिल तू मुहब्बत करता क्यूँ है?
जो करता है तो फिर तड़पता क्यूँ है ?
जो बैठ गया है दिल में प्यार का दर्द बनके
वोह आँखों के रस्ते निकलता क्यूँ है?........... ..

आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है

दोस्त क्या खूब वफाओं का सिला देते है!
हर नए मोड़ पे एक दर्द नया देते है
तुम से तो खैर घडी भर का ताल्लुक रहा,
लोग सदियों की रफ़क़त भुला देते है!!



--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ --  raj

आंधी चलकर फिर रुक जाती है

आंधी चलकर फिर रुक जाती है
धरती हिलती नहीं भले कांपती नजर आती है.
मौसम रोज बदलते हैं
उससे तेज भागते हैं, आदमी के इरादे
पर सांसें उसकी भी
कभी न कभी उखड़ जाती हैं.
फिर भी जिंदगी वहीं खड़ी रहती है
भले अपना घर और दरवाजे बदलती जाती है.
उधार के आसरे जीने की
ख्वाहिशें अपनी ही दुश्मन बन जाती हैं.
किश्तों में मिला सुख
भला कब तक साथ निभायेगा
किश्तें ही उसे बहा ले जाती हैं.
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Andhi chalkar phir ruk jati hai
Dharti hilti nahin bhale kanpati nazar aati hai.
Mausam roz badalte hain
Us se tez bhagte hain, admi ke irade
Par sansein uski bhi
Kabhi na kabhi ukhad jati hain.
Phir bhi zindagi wahin khadi rehti hai
Bhale apna ghar aur darwaze badalti jati hai.
Udhar ke aasre jine ki
Khwahishein apni hi dushman ban jati hain.
Kishton mein mila sukh
Bhala kab tak sath nibhayega
Kishtein hi use baha le jati hain.
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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`·.¸.·´ --  raj


Friday, September 11, 2009

याद आये फिर तुम्हारे केश

याद आये फिर तुम्हारे केश
मन भुवन में फिर अँधेरा हो गया !!

पर्वतों का तन घटाओं ने छुआ
घाटियों का ब्याह फिर जल से हुआ
याद आये फिर तुम्हारे नैन
देह मछली मन मछेरा हो गया

प्राण वन में चंदनी ज्वाला जली
प्यास हिरनों की पलाशों ने छली
याद आये फिर तुम्हारे होंठ
भाल सूरज का बसेरा हो गया !!

दूर मंदिर में जगी फिर रागिनी
गंध की बहने लगी मन्दाकिनी
याद आये फिर तुम्हारे पांव
प्रार्थना हर गीत मेरा हो गया !!

याद आये फिर तुम्हारे केश............

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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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`·.¸.·´ --  raj

लोग कहते हैं मुझे,

लोग कहते हैं मुझे,
पत्थर सा दिल कर लो,
सागर सा विशाल हृदय कर लो,
चाँद-सूरज की तरह स्थिर हो जाओ,
बुरा सपना समझ सब बातें भूल जाओ,
देखो सब ठीक हो जाएगा….

 

कर लूँ मैं सब कुछ,
जो तुम इन सवालों का जवाब दे दो,

 

पत्थर तब तलक ही द्रन रहता है,
जब तलक़ हवा-पानी उसे हिलाने की ताक़त नहीं रखते,
तेंज आँधियाँ जो सौ बार आएँ,
पत्थर में भी अपने निशान छोड़ जाती हैं,
और जो ना सह पाए वो,
दरख्त की दरारें दे जाती हैं,
और जो इससे भी ज़्यादा हद पर हो जाए,
पत्थर को टुकड़े-टुकड़े कर,
कंकड़ बना देती है…


तब कहाँ वो पत्थर कठोर रह पाता है?

 

सागर तब तलक ही विशाल रहता है,
ग्रह-नक्षत्र, चाँद-तारे, उसके अनुकूल रहते हैं,
जो दिशा-दशा बदले इनकी भी,
ज्वार-भाटा, सूनामी कितने तूफान ले आते हैं,


तब कहाँ वो सागर शांत-गंभीर रह जाता है?

 

जो चाँद सूरज की बात करते हो,
सूरज तपता रह जाता है,
चाँद घटता-बढ़ता नज़र आता है,


दोनों भी स्थिर कहाँ रह पाते है?


जब ग्रहण दोनों को लग जाता है…

सपने रातों में आते है,
नींद खुली टूट जाते है,


क्या दिल में दर्द, जिस्म में घाव देकर जाते है?

 

देखो सब ठीक हो जाएगा…
कर लूँगीं मैं सब कुछ…
जो तुम इन सवालों के…
सही जवाब मुझको दे दो …

 

ना दे पाओ तो, इतना तो समझ लो,
साधारण सा दिल और साधारण सी भावनाएँ लिए,
मैं "निधि" हूँ…
कुछ और ना बनने को कहो…

 

 

 

Log kehte hain mujhe,
Patthar sa dil kar lo,
Sagar sa vishal hriday kar lo,
Chand-suraj ki tarah sthir ho jao,
Bura sapna samajh sab batein bhool jao,
Dekho sab thik ho jayega….

 

Kar loon main sab kuchh,
Jo tum in sawalon ka jawab de do,

 

Patthar tab talak hi dran rehta hai,
Jab talak hawa-pani use hilane ki takat nahin rakhate,
Tej andhiyan jo sau bar ayein,
Patthar mein bhi apne nishan chhod jati hai,
Aur jo na seh paye wo,
Darakht ki dararein de jati hai,
Aur jo is se bhi zyada had paar ho jaye,
Patthar ko tukde-tukde kar,
Kankad bana deti hai…


Tab kahan vo patthar kathor reh pata hai?

 

Sagar tab talak hi vishal rehta hai,
Grah-Nakshatr, chand-tare, uske anukool rehte hain,
Jo disha-dasha badle inki bhi,
Jwar-bhata, tsunami kitne tufan le aate hain,


Tab kahan wo sagar shant-gambhir reh jata hai?

 

Jo chand suraj ki bat karte ho,
Suraj tapta reh jata hai,
Chand ghat ta-badhta nazar aata hai,


Dono bhi sthir kahan reh pate hain?


Jab grahan dono ko lag jata hai…

Sapne raton mein aate hain,
Neend khuli toot jaate hai,


Kya dil me dard, jism me ghav dekar jate hai?

 

Dekho sab theek ho jayega…
Kar loongi main sab kuchh…
Jo tum in sawalon ke…
Sahi jawab mujhko de do …

Na de pao to, itna to samajh lo,
Sadharan sa dil aur sadharan si bhavanayein liye,
Main "Nidhi" hoon…
Kuchh aur na ban ne ko kaho…


 



--
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`·.¸.·´ --  jai --

Wednesday, September 9, 2009

Mohabbat dil pe dastak hai!

Mohabbat dil pe dastak hai!

Badan ko rooh ka

Raasta dikhati hai

Mohabbat ik dua hai

jo!

Hamesha saath rehti hai

Mohabbat thandi chaon hai

jo!

Sehraon ke saffar main

Kaam aati hai

Mohabbat us ka pallo hai

Jahan umeed ke kuch lafz

Bandhey hain

Mohabbat us ki aankhain hain

ki!

Jin main khuwab jaagtey hain

Mohabbat uska chehra hai

ki!

Jis main dil ki teh main

Rakhi khuwahisain

Saans leyti hain

Mohabbat dil pe dastak hai!


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Tuesday, September 8, 2009






  
  Harriet  Allen.











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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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`·.¸.·´ --  raj

Wednesday, September 2, 2009

आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है

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आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है

दोस्त क्या खूब वफाओं का सिला देते है
हर नए मोड़ पे एक दर्द नया देते है
तुम से तो खैर घडी भर का ताल्लुक रहा
लोग सदियों की रफ़क़त भुला देते है
कैसे मुमकिन है धूअन भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सजा देते है
कौन होता है मुसीबत में किसी का ए दोस्त
आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है
जिन पे होता है दिल को भरोसा
वक़्त पड़ने पे वही लोग धोका भी देते है









शेरो-शायरी-- चाँद को अपनी तकदीर समझा



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चाँद को अपनी तकदीर समझा




दिल -ए-नादान था जो तुमसे प्यार कर बैठा,
खुली आँखों से तेरा ख्वाब देखा,
चाँद को अपनी तकदीर समझा ,
ऐ बेवफा , आसमान को छूने चला ….
कांटे ही न होते राहों में कभी ,
उन नाजुक को फूल कौन कहता,
मुश्किलें न होती ज़िन्दगी में कभी ,
उस इंसान को सिकंदर कौन कहता ….
प्यार करने वाले डरते नहीं ,
डरनेवाले प्यार करते नहीं ,
होते नहीं हौसले बुलंद जिनके ,
मैदान -ए -ज़ंग लड़ा करते नहीं ….










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