Sunday, April 6, 2008

तेनालीराम बने ‘महामूर्ख’

तेनाली राम के बारे में...
1520 ई. में दक्षिण भारत के विजयनगर राज्य में राजा कृष्णदेव राय हुआ करते थे। तेनालीराम उनके दरबार में अपने हास-परिहास से लोगों का मनोरंजन किया करते थे। उनकी खासियत थी कि गम्भीर से गम्भीर विषय को भी वह हंसते-हंसते हल कर देते थे।
विजयनगर के राजा के पास नौकरी पाने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। कई बार उन्हें और उनके परिवार को भूखा भी रहना पड़ा, पर उन्होंने हार नहीं मानी और कृष्णदेव राय के पास नौकरी पा ही ली। तेनालीराम की गिनती राजा कृष्णदेव राय के आठ दिग्गजों में होती है।)

तेनालीराम बने ‘महामूर्ख’

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय होली का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाते थे। इस अवसर पर हास्य-मनोरंजन के कई कार्यक्रम होते थे। हर कार्यक्रम के सफल कलाकार को पुरस्कार भी दिया जाता था। सबसे बड़ा पुरस्कार ‘महामूर्ख’ की उपाधि पाने वाले को दिया जाता था।

कृष्णदेव राय के दरबार में तेनालीराम सब का मनोरंजन करते थे। वह बहुत तेज दिमाग के थे। उन्हें हर साल का सर्वश्रेष्ठ हास्य-कलाकर का पुरस्कार तो मिलता ही था, ‘महामूर्ख’ का खिताब भी हर साल वही जीत ले जाते। दरबारी इस कारण से उनसे जलते थे। उन्होंने एक बार मिलकर तेनालीराम को हराने की युक्ति निकाली।

इस बार होली के दिन उन्होंने तेनालीराम को खूब छककर भंग पिलवा दी। होली के दिन तेनालीराम भंग के नशे में देर तक सोते रहे। उनकी नींद खुली तो उन्होंने देखा दोपहर हो रही थी। वह भागते हुए दरबार पहुंचे। आधे कार्यक्रम खत्म हो चुके थे।

कृष्णदेव राय उन्हें देखते ही डपटकर पूछ बैठे, “अरे मूर्ख तेनालीराम जी, आज के दिन भी भंग पीकर सो गए?”

राजा ने तेनालीराम को मूर्ख कहा, यह सुनकर सारे दरबारी खुश हो गए। उन्होंने भी राजा की हां में हां मिलाई और कहा, “आपने बिल्कुल ठीक कहा, तेनालीराम मूर्ख ही नहीं महामूर्ख है।”

जब तेनालीराम ने सब के मुंह से यह बात सुनी तो वे मुस्कराते हुए राजा से बोले, “धन्यवाद महाराज, आपने अपने मुंह से मुझे महामूर्ख घोषित कर आज के दिन का सबसे बड़ा पुरस्कार दे दिया।”

तेनालीराम की यह बात सुनकर दरबारियों को अपनी भूल का पता चल गया, पर अब वे कर भी क्या सकते थे? क्योंकि वे खुद ही अपने मुंह से तेनालीराम को महामूर्ख ठहरा चुके थे। हर साल की तरह इस साल भी तेनालीराम ‘महामूर्ख’ का पुरस्कार जीत ले गए।

No comments:

Post a Comment

1