Sunday, March 21, 2010

दोस्तों की कमी को पहचानते हैं हम

दोस्तों की कमी को पहचानते हैं हम
दुनिया के गमो को भी जानते हैं हम
आप जैसे दोस्तों का सहारा है
तभी तो आज भी हँसकर जीना जानते हैं हम


आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी
जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी
कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने
तब शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी


कोई दौलत पर नाज़ करते हैं
कोई शोहरत पर नाज़ करते हैं
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो
वो अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं


हर खुशी दिल के करीब नहीं होती
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती
इस दोस्ती को संभाल कर रखना
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती


रेत पर नाम लिखते नहीं
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं
लोग कहते हैं पत्थर दिल हैं हम
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं


दिल से दिल की दूरी नहीं होती
काश कोई मज़बूरी नहीं होती
आपसे अभी मिलाने की तमन्ना है
लेकिन कहते हैं हर तमन्ना पुरी नहीं होती


फूलों से हसीं मुस्कान हो आपकी
चाँद सितारों से ज्यादा शान हो आपकी
ज़िंदगी का सिर्फ़ एक मकसद हो आपका
कि आंसमा से ऊँची उड़ान हो आपकी


वक्त के पन्ने पलटकर
फ़िर वो हसीं लम्हे जीने को दिल चाहता है
कभी मुशाकराते थे सभी दोस्त मिलकर
अब उन्हें साथ देखने को दिल तरस जाता है

रहीम दास के दोहें

जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
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बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
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दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
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छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
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खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
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एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
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आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
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जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥
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खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥
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रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
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जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
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दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥
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बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
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रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥
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माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥
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मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥
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रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥
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रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥
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बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
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रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥
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वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
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बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
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रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥

जाने किस फूल की तमन्ना थी

हम यूँ महदूद हो लिये घर में
हँस लिये घर में, रो लिये घर में

जाने किस फूल की तमन्ना थी
ख़ार ही ख़ार बो लिये घर में

जिससे हासिल सबक़ करें बच्चे
इस सलीक़े से बोलिए घर में

वो समझते हैं दिन अमन के हैं
एक मुद्दत जो सो लिये घर में

चारागर पूछता सबब जिनके
हमने वो ज़ख़्म धो लिये घर में

हिन्दी एस एम् एस--5

शामको जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं


किसीको घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई


उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए.


है ज़िन्दगी कमीज़ का टूटा हुआ बटन
बिँधती हैं उँगलियाँ भी जिसे टाँकते हुए.


एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज
पिघला हुआ रगों में इक आतिश-फ़िशाँ है आज


कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है

रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है





आ के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही

कौन मानेगा के हम में बेवफ़ा कोई नहीं






हमारे ऐब हमें उन्गलियों पे गिनवाओ,

हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो






हमारी ज़िन्दगी का इस तरह हरसाल कटता है
कभी गाड़ी पलटती है, कभी तिरपाल कटता है
दिखाते हैं पड़ौसी मुल्क़ आँखें, तो दिखाने दो
कभी बच्चों के बोसे से भी माँ का गाल कटता है





सरक़े का कोई शेर ग़ज़ल में नहीं रक्खा

हमने किसी लौंडी को महल में नहीं रक्खा

मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले

मिट्टी को किसी ताजमहल में नहीं रक्खा

अजब तेरी अदा देखी.

करम देखे ,वफ़ा देखी, सितम देखे , जफ़ा देखी
अजब अंदाज़ थे तेरे अजब तेरी अदा देखी.

न जाने कब तुझे पाया न जाने कब तुझे खोया
न हमने इब्तिदा देखी न हमने इंतिहा देखी.

तुम्हारी बज़्म मे जब हम न थे तो क्या कहें तुम से
अजब सूना समां देखा अजब सू्नी फ़ज़ा देखी.

इधर हम सर-ब-सिजदा थे तुम्हारी राह मे जानां
उधर गै़रों की आँखों मे हवस देखी हवा देखी.

अजब बुत है कि हर जानिब हज़ारों चाँद रौशन हैं
ख़ुदा शाहिद है हम ने आज तनवीरे-ख़दा देखी

फ़ना का वक्त था फिर भी बका़ के गीत गाता था
तुम्हारे कै़स कि कल शब अनोखी ही अदा देखी.

देख तेरे दीवाने की अब

देख तेरे दीवाने की अब जान पे क्या बन आई है
चुप साधें तो दम घुटता है बोलें तो रुसवाई है.

बस्ती-बस्ती, जंगल-जंगल, सहरा-सहरा घूमे हैं
हमने तेरी खोज मे अब तक कितनी खाक उड़ाई है.

दिल अपना सुनसान नगर है, फिर भी कितनी रौनक है
सपनो की बारात सजी है, यादों की शहनाई है.

यूँ तो सब कुछ हार चुके हैं, फिर भी माला-माल है हम
बातें करने को सन्नाटा, सोहबत को तनहाई है.

मेरे दिल का चौंक सा जाना, इक मामूली जज़्बा है
वो तो तेरी शोख नज़र थी, जिसने बात बढ़ाई है.

यूँ तो तेरे मयखाने मे, रंगा-रंग शराबे हैं
आज वही ऊंड़ेल जो तेरी, आँखों ने छलकाई है.

आज तो मय का इक-इक कतरा, झूम रहा है मस्ती मे
शायद मेरे ज़ाम से कोई, खास नज़र टकराई है.

आज समंदर की लहरें, ऊँची भी हैं जोशीली भी
या पानी की बेचैनी है , या तेरी अंगड़ाई है.

पहलू-पहलू दर्द उठा है, करवट-करवट रोये हैं
तुझ को क्या मालूम कि हमने ,कैसे रात बिताई है.

मोड़ -मोड़ पर बिजली लपकी, मंज़िल-मंज़िल तीर गिरे
मर-मर कर इस राह मे हमने, अपनी जान बचाई है.

देखने वाले ध्यान से देखें ,हुस्न नही है जादू है
या तो इसका मंत्र ढूँढें ,या फिर शामत आई है.

कहने को तो वस्ल की दावत ,लेके कोई आया है
हो न हो मेरी तनहाई ,भेस बदल कर आई है.

सारी सखियाँ पूछ रहीं हैं ,आज हमारी राधा से
तेरे मन के बरिंदावन मे ,किसने रास रचाई है.

Friday, March 19, 2010

==== Hindi SMS ====01

जो हुकुम करता है वो इल्तजा भी करता है

ये आसमां भी जाके कहीं झुकता है,
तू अगर बेवफा है तो ये भी सुन ले,
मेरा इंतजार कोई और भी करता है
Jo hukum karta he wo ilteja bi karta he

Ye Asma bi jake kahi jhukta he,

Tu agar bewafa he to ye bhi sun le,

Mera intzar koi aur bi karta hai

==== Hindi SMS ====

संता: यार तुमने स्कूल आना क्यों छोड़ दिया?
बंता: यार अक्चुअली मेरे
डैड कह रहे थे के एक जगह बार-बार जाने से
इज्ज़त कम हो जाती है!!

Santa: Yaar tumne school Ana kyu chhod diya?

Banta: Yaar actually mere

Dad keh rahe the ke ek hi jagah bar-bar jane se

izzat kam ho jati hai!!

==== Hindi SMS ====

ये हंस्ते मुस्कुराते मौसम जहाँ होंगे
ए दोस्त जानलो हम वहां होंगे
अब आओ हम ये जिंदगी जी लें
कल न जाने तुम कहां और हम कहां होंगे.

Ye Haste Muskurate Mousam Jahan Honge

A Dost Janlo Hum Wahan Honge

Ab Aao Hum Ye Zindgi jee Len

Kal na Jane tum Kahan aur Hum Kahan Honge.

==== Hindi SMS ====

जितना आज़माना है हमे आज़मालो,
शिकवा तुझसे हम कभी न करेंगे,
तुम्हे कल भी चाहते थे आज भी चाहते है,
तुझसे हर दम वफ़ा हम करेंगे.

Jitna aazmana hai hume aazmalo,

Shikwa tujhse hum kabhi na karenge,

Tumhe kal bhi chahte the aaj bhi chahte hai,

Tujhse har dam wafa hum karenge.

==== Hindi SMS ====

मस्जिद की नमाज़ या मंदिर की दुआ हो तुम,
हो खुदा का तोहफा या खुद खुदा हो तुम,
ऐ मेरे रब खुद ही करो फैसला,
दिल में रहते हो तुम या दिल की जगह हो तुम.

Masjid ki namaz ya mandir ki dua ho tum,

Ho khuda ka tohfa ya khud khuda ho tum,

Ae mere Rab khud hi karo faisla,

Dil mein rehte ho tum ya dil ki jagah ho tum.

हम तो खिड़की पर रूके थे चॉद बनके

हम तो खिड़की पर रूके थे चॉद बनके
क्यों रोए थे आप मुझे याद कर के

आपको देखता रहा था शब भर "पूजा"
"आवेग" दिल का निकला क्यों ऑसू बनके

मैं मचल रहा था जज्बातों के मेले में
ख्वाहिशें टूट पड़ीं क्यों तब ऑसू बनके

मैं पूछता हूँ क्या हुआ है पूजा
क्यों खनक रही हो गज़ल बनके

बेबसी मोहब्बत का पैग़ाम होती है
ऑखों में छलकती है अंजाम बनके

हौसला,हिम्मत और हसरत रखिए
अब ऑसू चमकेंगे मोती बनके.



Hum to khidaki par ruke the chand banke
Kyon roye the aap mujhe yaad kar ke

Aapko dekhata rahe tha shab bhar "pooja"
"Aaweg" dil ka kyon nikala aansoo ban ke

Main machal raha tha jajbaton ke mele mein
Khwahishein toot padin kyon tab aansoo ban ke

Main poochchata hoon kya huwa pooja
Kyon khanak rahi ho ghazal ban ke

Bebasi mohabbat ka paigham hoti hai
Aankhon mein chchalkati hai anjaam ban ke

Hausla. himmat aur hasrat rakhiye
Ab aansoo chamkeinge moti ban ke.

मेरी बेबस सी ये ज़ुबान क्या कहे तुम से,

मेरी बेबस सी ये ज़ुबान क्या कहे तुम से,
मगर बहुत रोए रात हम तुझे याद कर के…

वो दीवानगी मेरी, और वो बेबाकपन मेरा,
बस हँसते रहे हम आँखों मे आँसू भर के…

जाने क्यों ना समझे तुम मेरे ज़ज़्बातों को,
हमने तो रख दी हर ख़्वाहिश बे-लिबास कर के…

ये पूछते है लोग, क्या हुआ है तुम्हे “पूजा”,
क्यों जी रही हो इस तरह तुम हर रोज़ मर के…

मगर बेबस है ज़ुबान हम क्या कहे तुमसे,
कैसे कहे की रोए है तुम्हे याद कर के…
*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*



Meri bebas si ye zuban kya kahe tumse,
Magar bahut roye raat hum tujhe yaad karke

Wo deewangi meri aur wo bebaakpan mera
Bas hanste rahe hum ankho me aanshu bhar ke

Jaane kyo na samjhe tum mere jajbaato ko,
Humne to rakh di har khwahish be-libas karke

Ye poochte hai log kya hua hai tumhe "Pooja"
Kyo jee rahi ho is tarah tum roz mar ke

Magar bebas hai zuban hum kya kahe tumse
Kaise kahe ki roye hain tumhe yaad kar ke

Adalat mere husn ki hogi

Adalat mere husn ki hogi
Mukadama tera ishq hoga

Gawahi mere dil ki hogi
Mujarim tera pyar hoga

Wakalat kareingi nigahein
Juban per pahredar hoga

Chahtein sunegi mukadama
Iradon ka na shumar hoga

Husn ki aag hi baat hogi
Pyar ki raah ka karar hoga

Husn jab ada dikhayega
Soch tab kya yaar hoga

Husn ko maan ki shaan hai
Pyar ka uspar na adhikar hoga

Adalat bhi samjh na paye kabhi
Ishq ki aag me bus gubar hoga.

अक्ल बङी या भैंस

महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस

अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई

मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा

कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये

भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ

मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये

अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे

भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये

शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने

जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये

मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते
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http://fun-mazza-masti.blogspot.com/

Monday, March 15, 2010

Lagta nahi hai dil mera

Lagta nahi hai dil mera ujjre dayaar mein

kiski bani hai aalm-a-napayedaar mein

bulbul ko bhagban se na sayyad se gila

kismt mein qaid thi likhi fasl-a- bahar mein

keh do in hasrton se kahin aur ja basein

itni jagah kahaan hai dil-a-dagdar mein

umar-a-draaz maang kar laaye thay char din

do arzoo mein kt gaye do intezar mein

उनको ये शिकायत है..

Unko ye shikayat hai, mai bewafai pe nahi likhti
Aur Mai sochti hun ki mai unki ruswai pe nahi likhti

Khud apne se jyaada bura jamane me kaun hai
Mai isiliye auro ki burai pe nahi likhti

Kuch to aadat se majboor hai aur kuch fitrato ki pasand hai,
Jakham kitne bhi gahre ho, mai unki duhai pe nahi likhti

Duniya ka kya hai, Har haal me ilzaam lagati hai,
Warna kya baat ki mai kuch apni saphai pe nahi Likhti

Shaan-E-Amiri pe karu kuch Arz.. Magar ek rukawat hai,
Mere usul, Mai gunaho ki kamai pe nahi likhti

Uski taqat ka nasha, "Mantra" aur "Kalme" me barabar hai,
Mere Dosto mai majhab ki larai pe nahi likhti

Samandar ko parakhne ka mera najariya hi alag hai yaro,
Mijajo pe likhti hu mai, uski gaharai pe nahi likhti

Paraye Dard ko mai ghajlo me mahsus karti hu,
Ye sach hai mai sajar se phal ki judai pe nahi likhti

Tajurba teri mohabbat ka na likhne ki wajah bas ye
Ki shaya ishq me khud apne tabahi pe nahi likhti.



उनको ये शिकायत है.. मैं बेवफ़ाई पे नही लिखती,
और मैं सोचती हूँ कि मैं उनकी रुसवाई पे नही लिखती.'

'ख़ुद अपने से ज़्यादा बुरा, ज़माने में कौन है ??
मैं इसलिए औरों की.. बुराई पे नही लिखती.'

'कुछ तो आदत से मज़बूर हैं और कुछ फ़ितरतों की पसंद है ,
ज़ख़्म कितने भी गहरे हों?? मैं उनकी दुहाई पे नही लिखती.'

'दुनिया का क्या है हर हाल में, इल्ज़ाम लगाती है,
वरना क्या बात?? कि मैं कुछ अपनी.. सफ़ाई पे नही लिखती.'

'शान-ए-अमीरी पे करू कुछ अर्ज़.. मगर एक रुकावट है,
मेरे उसूल, मैं गुनाहों की.. कमाई पे नही लिखती.'

'उसकी ताक़त का नशा.. "मंत्र और कलमे" में बराबर है !!
मेरे दोस्तों!! मैं मज़हब की, लड़ाई पे नही लिखती.'

'समंदर को परखने का मेरा, नज़रिया ही अलग है यारों!!
मिज़ाज़ों पे लिखती हूँ मैं उसकी.. गहराई पे नही लिखती.'

'पराए दर्द को , मैं ग़ज़लों में महसूस करती हूँ ,
ये सच है मैं शज़र से फल की, जुदाई पे नही लिखती.'

'तजुर्बा तेरी मोहब्बत का'.. ना लिखने की वजह बस ये!!
क़ि 'शायर' इश्क़ में ख़ुद अपनी, तबाही पे नही लिखती...!!!"

Kabhi zid mein hi teri ho gayii

Kabhi zid mein hi teri ho gayii
Kabhi khud hi tujh si ho gayi,

Mujhe jis wafaa ki talaash thi
Woh kisi pehlu-e-gair ki ho gayi

Tujhe dil se apne bana ke main
Jahan mein akelii si ho gayi

Tere pyaar ki khaatir sanam
main beganii sabse hi ho gayi

Ro-ro ke bewaffa teri yaad mein
surkh aankh hain meri ho gayi

Tu meri haqikat to na ban saka
"Pooja" dil hi dil mein teri ho gayi

~~~Akele To Hum Pehle Bhi Jee Rahe The,
Kyu Tanha-Se Ho Gaye Hai Tere Jane Ke Baad....~~~

क्योँ इश्क की आग में जली ज़िन्दगी

Kyon Ishq Ki Aag Mein Jali Zindagi

क्योँ इश्क की आग में जली ज़िन्दगी
क्योँ हर पल गमों के संग पली ज़िन्दगी,

हम तुम तो मुसाफिर थे एक ही कारवां के
क्योँ मुश्किलों में तन्हा चली ज़िन्दगी,

शिकायत है मुझे इस पत्थर दिल ज़माने से
क्योँ रात दिन अश्कों में पिघली ज़िन्दगी,

शायद कोई फूल हमारी किस्मत मे था ही नहीं
क्योँ काटों से इस कदर खिली ज़िन्दगी,

ऐसी ज़िन्दगी जी कर क्या करे, जिसमे तू नहीं
क्योँराजको ऐसी बेवफा मिली ज़िन्दगी !!


Log Chaman Ki Shaan Mein Na Jane

Log Chaman Ki Shaan Mein Na Jane,
Kitne Kaside Padhte Rahate Hain.
Unse Poochho Phoolon Ki Chubhan,
Jinki Basar Hi Chaman Mein Hoti Hai.


Suna Hai Sitaron Ke Aage Bhi Jahan Hai

Suna Hai Sitaron Ke Aage Bhi Jahan Hai,
Mujhe To Apne Hi Jahan Ki Khabar Nahin.
Insaan Insaan Ka Bairi Ho Chalaa Hai,
Kaleje Ko Chhue Aisi Koe Nazar Nahin.


Sabkuch Loot Chaley Humse

Karke Milne Ka Wada, Wo Bichad Chale Humse,
Dikhake Aankh Mein Aansoon, Kitne Dhoke Kiye Humse,
Humne Socha Surat Bholi Hai, To Seerat Bhi Bholi Hogi,
Dikhakr Surat Ye Bholi, Sabkuch Loot Chaley Humse.


Meri Shikaayat Phoolon Se Nahin

Meri Shikaayat Phoolon Se Nahin,
En Phoolon Ke Rakhwalon Se Hai.
Lakh Bachate Hue Haath Badhata Hoon,
Par Anguli Dhayal Hue Jaati Hai.


Mein Bhi Ek Pal Ke Liye Jindagi Dedu

Girl: Ek Din Ke Liye Duniya De Deti Itani Mohabbat Hai.
Boy: Agar Tum De Sakti Ho Ek Din Ke Liye Duniya,
To Mein Bhi Ek Pal Ke Liye Jindagi Dedu,
Bass Itani Mohabbat Hai.


Apne Pyaar Ka Ezhaar

Apne Pyaar Ka Ezhaar,
Karoon To Kaise Karoon.
Ye Bhi Koe Kehane Ki,
Baat Hai Jo Jake Kahoon.

चरण रज/Charan Raj

औरत हूँ आज की कहें वो सबसे
कहें सिर्फ गुलों की आहट नहीं हूँ
दुनिया को जीतने का हौसला जिसमे
कहें चरण रज बराबर भी नहीं हूँ

इनकी कविताओं से निकलते हैं शोले

कहें अगन की तपन भी नहीं हूँ
इससे उम्दा कहाँ औरत है दुनिया में
कहें चरण रज बराबर भी नहीं हूँ

सख्त इतनी की हवा भी मांगे इजाज़त

कहें मिलूँ ना सबसे ऐसी भी नहीं हूँ
नज़र के तेज से पिघल जाये लोहा भी
कहें चरण रज बराबर भी नहीं हूँ

यह भारत है यहाँ की नारी ऐसी है

कहें पडूँ भारी ऐसी भी नहीं हूँ
इनके सामने तुतलाने लगती है जुबानें
कहें चरण रज बराबर भी नहीं हूँ

यह कैसा रूप जिसका है पुरकश असर

कहें मांगूं बसर ऐसी भी नहीं हूँ
जिनके बिना ना बन सका कोई भी घर
कहें चरण रज बराबर भी नहीं हूँ

औरत हौसला है, फैसला है जिंदगी की

कहें मैं किसी की जिंदगी नहीं हूँ
झुक जाता है जिस मोहब्बत के आगे सर
कहें चरण रज बराबर भी नहीं हूँ .



Aurat hoon aaj ki kahein wo sabse
Kahein sirf gulon ki aahat nahin hoon
Duniya ko jitane ka hausla jisame
Kahein charan raj barabar bhi nahin hoon

Inaki kavitaon se nikalte hain sholey
Kahein agan ki tapan bhi nahin hoon
Isase umda kahan aurat hai duniya me
Kahein charan raj barabar bhi nahin hoon

Sakht itani ki hawa bhi maange ijajat
Kahein miloon na sabse aisi bhi nahin hoon
Najar ke tej se pighal jaye loha bhi
Kahein charan raj barabar bhi nahin hoon

Yeh bharat hai yahan ki nari aisi hai
Kahein padoon bhari aisi bhi nahin hoon
Inake samne tutlane lagati hai jubanein
Kahein charan raj barabar bhi nahin hoon

Yeh kaisa roop jiska hai purkash asar
Kahein mangun basar aisi bhi nahin hoon
Jinake bina na ban saka koi bhi ghar
Kahein charan raj barabar bhi nahin hoon

Aurat hausla hai, faisla hai jindagi ki
Kahein main kisi ki jindagi nahin hoon
Jhuk jata hai jis mohaabbat ke aage sir
Kahein charan raj barabar bhi nahin hoon.

चाँद का द्वार /Chand Ka Dwaar

चाहत सूई सी बदन में चुभ जाती है
हरकतें ज़माने की नज़रों से छुप जाती है
एक चुभन छीन लेती है चैन रातों की
ख़ामोशी बोलती भी है, गुनगुनाती है

एक धागे से जुड़ जाती हैं दो धड़कने
ख्वाब के कदमो संग धुप गुनगुनाती है
दहकते सूरज, तपती जमीं पर चले कदम
मिलन की ख्वाहिश क्या-क्या कर जाती है

एक शरारत , एक इशारे को बेकरार मन
तन कसमसाता है रूह बिखर जाती है
खोयी-खोयी सी खुद में डूबती जवानी
एक बंधन की तमन्ना में निखर जाती है

कभी बातें, कभी लहजा, शरारतें भी कभी
भरी महफिल में अदाओं से बोल जाती हैं
महक उठती है रातरानी बहकी-बहकी सी
चाँद का द्वार चांदनी खोल जाती है .



Chahat sooyi si badan me chubh jati hai
Harkatein jamane ki najaron me chhup jati hai
Ek chubhan cheen leti hai chain raton ki
Khamoshi bolati bhi hai, khilkhilati hai

Ek dhage se jud jati hain do dhadkane
Khwab ke kadamo sang dhoop gungunati hai
Dahakte sooraj, tapati zamin par chale kadam
Milan ki khwahishein kya-kya kar jati hain

Ek shararat, ek ishare ko bekrar man
Tan kasmasaata hai, rooh bikhar jati hai
Khoyi-khoyi si khud me doobati jawani
Ek bandhan ki tamanna me nikhar jati hai

Kabhi baatein, kabhi lehaja, shararatein bhi kabhi
Bhari mehafil me adaon se bol jati hain
Mehak uthati hai raatrani bahaki-bahaki si
Chaand ka dwaar chandani khol jati hai.

हम सचमुच अधूरे थे आज तक

हवाएं झूम उठी लचकती टहनियों सी
गुलाब भी पहुँच गया हुस्न की आब तक
आईना गुनगुनाते आ खड़ा हुआ करीब, लगा
हम सचमुच अधूरे थे आज तक
रू-ब-रू होने का अंज़ाम भी नायाब रहा
धड़कनें चलने लगीं मिलने नए राग तक
गूंजने लगी नई गज़लें, बंदिशें नई कई
हम सचमुच अधूरे थे आज तक
एक मुद्दत के बाद जो देखा नाम वही
पैग़ाम दौड़ पड़े फिर उसी मुकाम तक
अबकी अमराईयों में झूलेंगे साथ झूला
हम सचमुच अधूरे थे आज तक
शब्द भी कर उठे वाह! फिर वही नगमे
तरन्नुम मचल चली नए ताल तक
सजने लगी हैं वादियॉ सज-धजकर फिर
हम सचमुच अधूरे थे आज तक.

Hawayein jhoom uthin lachakti tehanio si
Gulab bhi pahunch gaya husn ki aab tak
Aaina gungunate aa kareeb khada huwa, laga
Hum sachmuch adhure the aaj tak
Ru-b-ru hone ka anjam bhi nayab raha
Dhadkane chalne legi milane naye raag tak
Goonjane lagi nayi ghazalein, bandishein nayi kayi
Hum sachmuch adhure the aaj tak
Ek muddat ke baad jo dekha naam wahi
Paigham daud pade fir usi mukaam tak
Abki amrayiyon me jhulenge saath jhula
Hum sachmuch adhure the aaj tak
Shabd bhi kar uthe aah! fir wahi nagame
Tarannum machal chali naye raag tak
Sajane lagi hai wadiyan saj-dhajkar fir
Hum sachmuch adhure the aaj tak

मेरे दिल की आग को भड़काया है..

मेरे दिल की आग को भड़काया है..
देखती होगी जब भी आईना खुद पे इतराती तो होगी...
महबूब की बाँहों में समाने को ये जवानी बल खाती तो होगी..
ख्वाब में ही सही मुझसे मिलने पर ये नजरें चुराती तो होगी..
तेरा दीवाना है सोच के मन ही मन तुम मुस्कराती तो होगी..
महबूब के पहले चुम्बन की महक तेरे दिल को गुदगुदाती तो होगी..
मधुर मिलन की तड़पन तेरे दिल की आग भड़काती तो होगी..
अपने दिल का हाल किससे कहुँ ये सोच के कसमसाती तो होगी..
कुछ ऐसा ही हाल है इधर जब से तुने इस दिल को धड़काया है..
सागर में भी था प्यासा इस बात का एहसास मुझे कराया है..
है इश्क आग का इक दरिया तो उस पार तेरा प्यार का बसाया है..
जानता हूँ तू सुबह की मखमली धूप और मुझपर रात का साया है..
जल जाऊँगा इस इश्क की आग में क्योंकि इसे तूने जो लगाया है..
हुस्न की आग और इश्क के परवाने की ये मोहब्बत तेरे सदके फरमाया है..
क्योंकि तेरे दिल की आहट ने ही मेरे दिल की आग को भड़काया है..



Dekhti hogi jab bhi aaina, khud pe itrati to hogi
mehboob ki banho me samane ko ye jawani bal khati to hogi
khwab me hi sahi, mujhase milne par ye nazare churati to hogi
Tera diwaana hai ye soch ke man hi man tum muskurati to hogi
Mehbub ke pehale chumban ki mehak tere dil ko gudgudati to hogi
Madhur milan ki tadapan tere dil ki aag bhadkati to hogi
Apne dil ka haal kisase kahun, ye soch kar kasmasati to hogi
Kuch aisa hi hai haal idhar, jab se tumne is dil ko dhadkaya hai
Sagar me bhi tha pyaasa. Is bat ka ahsas mujhe karaya hai
Hai ishq aag ka ek dariya to us paar tere pyaar ka basaya hai
Janta hoon tu subah ki makhmali dhoop aur mujh par raat ka saya hai
Jal Jaunga is ishq ki aag me, kyoki ise tune jo lagaya hai..
Husn ki aag aur ishq ke parwane ki mohabbat tere sadke farmaya hai
Kyoki tere dil ki ahat ne hi mere dil ki aag ko bhadkaya hai

Saturday, March 13, 2010

अंगुलियाँ कुछ नहीं लिखती .

अंगुलियाँ चाह कर भी खुद-ब-खुद नहीं लिखती
दिल के धडकनों के बिना कलम कुछ नहीं लिखती

वक़्त की धुन पर थिरकते हैं कदम सबके यहाँ
तड़पन हो ना मन में तो उम्र कुछ नहीं लिखती

छुपाने से छुप ना सका कुछ भी जहाँ में
बतलाने के खातिर तमन्नाएं कुछ नहीं लिखती

सोच कर लिख ना सका है ना लिख पायेगा कोई भी
स्याह दीवारों पर कोशिशें कुछ नहीं लिखती

पराये दर्द में जब तक ना हो अपनी कशिश भी
कीबोर्ड चलते रहता है अंगुलियाँ कुछ नहीं लिखती .



Aunguliyan chaah kar bhi khud-b-khud nahin likhati
Dil ke dhadkano ke bina kalam kuchh nahin likhatai

Waqt ki dhun par thirkate hain kadam sabake yahan
Tadpan ho na man me to umar kuchh nahin likhati

Chhupane se chhup na saka kuchh bhi jahan me
Batlane ke khatir tamannayein kuchh nahin likhati

Soch kar likh na saka hai naa likh payega koi bhi
Syaah deewaron par koshishein kuchh nahin likhati

Paraye dard me jab tak na ho apani kashish bhi
Keyboard chalte rahataa hai anguliyan kuchh nahin likhati.

Friday, March 12, 2010

aapki baat karte hai,

Bahane bahane se aapki baat karte hai,
Har pal aapko mehsus karte hai,
Itni baar to aap saans bhi nahi lete honge,
Jitni baar hum aaapko yaad karte hai….
`
Yakeen to humein sir tum pe hai
Varna na jaane yahan kitne chehre hai
Hum to wada karte hain dosti kaa
Bas aap se bhi dost kehlane ki aas hai
`
Aapki dosti pe hai humein aeitbaar
Samne honge aapke
Aap dil se bula ke to dekho humein ek baar
`
Dosti naam hai sukh dukh ki kahani ka
Dosti naam hai sada muskurany ka
Ye koi pal bhar ki pehchan nahi
Dosti naam hai sada sath nibhana ka
`
Jahan judai ho wahan milan ka alag mazaa hai
Mehboob bewafaa ho to zindagi ek sazaa hai
Aap jaisa dost agar har kisiko naseeb ho
Ye to bas khuda ki razaa hai
`
Sham ki tanhai mein kho na jaana,
Kisi ki masti mein doob na janaa,
Milengi zarur manzilein tumhe,
Unhe pakar hum jaise doston ko bhool na jana…

Monday, March 8, 2010

ज़ख्म सदियों फलक पर इतने पुराने किसके थे

ज़ख्म सदियों फलक पर इतने पुराने किसके थे
तहरीर अश्कों ने लिखी थी वो अफसाने किसके थे

नमी एक शनाश सी महसूस होती थी अक्सर (शनाश – परिचित)
गुनगुनाता रहा है वक़्त दर्द के तराने किसके थे

हर आहात के पीछे चले मील दो मील आबला पा
आवारा उम्मीद के पुर्जे वो न जाने किसके थे
(आबला पा – घायल पैर)

रात जाने कैसी हिचकियों से टूटी थी नींद मेरी
सुबह खवाब कुछ सोये मेरे सिरहाने किसके थे

लिखा था कभी अश्कों से धोकर काग़ज़ पर
सोचता हूँ मेरे नाम वो ख़त पुराने किसके थे

महफ़िल में यूं हुमसे मिले वो अजनबी की तरह
सोचते हैं भला हम आखिर दीवाने किसके थे

खुद अपनी ही आग से जलते रहे हैं तमाम उम्र
रो पड़ी देख शमा आखिर ये परवाने किसके थे

वीरान कितना उजाड़ कर दिया है शकील तुमने बताओ
खुशबु आतीं हैं दिल से आज भी जाने ठिकाने किसके थे

बेवजह दुनिया की सुन ग़मों पर तुम मुस्कुराने निकले

तमाम दर्द के किस्से अश्कों के फ़साने निकले
महफ़िल में जब हम फन अपना आजमाने निकले

ज़ब्त ने रोक रखा था शायद क़सम देकर इन्हें
खूने दिल महफ़िल में जो अश्कों के बहाने निकले

साये शनाश से नज़र आते हैं दीवारों पर जब कभी
मेज़ पर रखी किताबों से तेरे जो ख़त पुराने निकले

लिए जाता है शौक़ महफ़िल में उसी ज़ालिम की मुझे
वक़्त के साथ माजी के किस्से फिर दोहराने निकले (माजी- इतिहास)

ज़र्द सी एक फिजा ता उम्र रही साथ मेरे मैं जहाँ गया
दिल को दर्द और हुआ जब हम दिल बहलाने निकले

दर्द होंठों से बिखरने लगे इधर के उधर शकील
बेवजह दुनिया की सुन ग़मों पर तुम मुस्कुराने निकले

काश मिला होता ये रंग उनकी महकती मेहँदी के साथ

है जो गम मिला शायद है मिला ज़िन्दगी के साथ
वरना ऐसी कोई अनबन न थी कभी ख़ुशी के साथ

रो पड़ा है दर्द भी देखकर ज़ख्मी सीना मेरा ए खुदा
मिला यूं था कोई हमसे गले कभी दोस्ती के साथ

गुलाब से सुर्ख होंठों पर बाबुल से तेज़ हर्फ़ तौबा
बातें करना उनका रह गया मुझसे बेरुखी के साथ

न कोई रहनुमा न मंजिल न रास्ता ही था क्या कहें
तय किया उम्र का तन्हा सफ़र हमने आवारगी के साथ

हालात वो नहीं थे के दवा से होता इलाजे गम दोस्तों
तो बीतने लगीं हैं शामे साकी और मैक़शी के साथ

है चाँद अब भी मुझसे सुना है नाराज़ बहुत इनदिनों
पहले कभी रही थी जो रगबत हमे चांदनी के साथ

टूटे हुए ख्वाब लिए बैठे हैं देहलीज़ पर ज़िन्दगी की
क्या करता है ज़ुल्म इश्क यही हर किसी के साथ

बहा भी लहू आँखों से तो बेमकसद ही बहा शकील
काश मिला होता ये रंग उनकी महकती मेहँदी के साथ

SMS Holi Special !!!!!!

SMS Holi Special !!!!!!

Makki ki Roti, Nimbu ka Aachar,

Makki ki Roti, Nimbu ka Aachar,
Suraj Ki Kirne, Khushiyo ki Bahar,
Chand Ki Chandi, Apno ka Pyar,
Mubarak Ho Aapko, HOLI ka Tyohar


Rango Ke Tyohar Me

Rango Ke Tyohar Me Sabhi Rango Ki Ho Bharmar,
Sunhari Dhup Barsat ke Bad
thodi Si Hashi Har Bat ke Bad
Usi Tarah Ho Mubarak App Ko Ye Nayi Subah
Kal rat Ke Bad Happy Holi.


May god gift u all the color

May god gift u all the colors of life,
colors of joy, colors of happiness, colors of friendship,
colors of luv n all other colors u want to paint in ur life.
Happy Holi.

पिया संग खेलब होरी ।

सखि ऊ दिन अब कब अइहैं,
पिया संग खेलब होरी ।

बिसरत नाहिं सखी मन बसिया
केसर घोरि कमोरी ।
हेरि हिये मारी पिचकारी
मली कपोलन रोरी ।
पीत मुख अरुन भयो री -
पिया संग खेलब होरी ।

अलक लाल भइ पलक लाल भइ
तन-मन लाल भयो री ।
चुनरी सेज सबै अरु नारी
लाल ही लाल छयौ री ।
आन कोउ रंग न रह्यौ री -
पिया संग खेलब होरी ।

भ्रमित भई तब भरि अँकवरिया
धरि अँगुरिन की पोरी ।
पंकिल गुन-गुन गावन लागे
प्रेम सुधा-रस बोरी ।
अचल सुख उदय भयो री -
पिया संग खेलब होरी ।

जले तो जलाओ गोरी

जले तो जलाओ गोरी, पीत का अलाव गोरी
अभी ना बुझाओ गोरी, अभी से बुझाओ ना ।
पीत में बिजोग भी है, कामना का सोग भी है
पीत बुरा रोग भी है लगे तो लगाओ ना ।।

गेसुओं की नागिनों से, बैरिनों अभागिनों से
जोगिनों बिरागिनों से, खेलती ही जाओ ना ।
आशिकों का हाल पूछो, करो तो ख़याल पूछो
एक दो सवाल पूछो, बात जो बढ़ाओ ना ।।

रात को उदास देखे, चाँद का निरास देखे
तुम्हें ना जो पास देखें, आओ पास आओ ना
रूप रंग मान दे दें, जी का ये मकान दे दें
कहो तुम्हें जान दे दें, माँग लो लजाओ ना

और भी हजार होंगे, जो कि दावेदार होंगे
आप पे निसार होंगे, कभी आज़माओ ना
शेर में नज़ीर ठहरे, जोग में कबीर ठहरे
कोई ये फक़ीर ठहरे, और जी लगाओ ना

जले तो जलाओ गोरी, पीत का अलाव गोरी
अभी ना बुझाओ गोरी, अभी से बुझाओ ना ।
पीत में बिजोग भी हे , कामना का सोग भी है
पीत बुरा रोग भी है लगे तो लगाओ ना ।।

होली एस एम् एस--4

ले अबीर और अरगजा भरकर रुमाल
छिड़कते हैं और उड़ाते हैं गुलाल
ज्यूं झड़ी हर सू है पिचकारी की धार
दौड़ती हैं नारियाँ बिजली की सार


आओ साकी, शराब नोश करें
शोर-सा है, जहाँ में गोश करें
आओ साकी बहार फिर आई
होली में कितनी शादियाँ लाई


अनेक रंग है इस पर्व के, अनेक रंग समेटे है ये
त्योहार है ये रंगों का, अनेक रंग समेटे है ये

पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते है,
बैर और दुश्मनी के दंभ सारे धुलते हैं,
बहता है रंग जो चहुं ओर
मित्रता के संगत बनते हैं

पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते है,
प्रीत की रीत के परि‍णय बनते हैं,
होती है मादकता हर ओर
प्रेम के मधुर पग बढ़ते हैं

पर्व ये ऐसा जब रंग सारे खिलते हैं,
जीवन पे पसरी नीरसता मिटती है,
होती है प्रसन्नता सभी ओर
नयी उमंग में सब संग बढ़ते है

अनेक रंग है इस पर्व के, अनेक रंग समेटे है ये
त्योहार है ये रंगों का, अनेक रंग समेटे है ये

होली एस एम् एस--3

जब खेली होली नंद ललन हँस हँस नंदगाँव बसैयन में।
नर नारी को आनन्द हुए ख़ुशवक्ती छोरी छैयन में।।
कुछ भीड़ हुई उन गलियों में कुछ लोग ठठ्ठ अटैयन में ।
खुशहाली झमकी चार तरफ कुछ घर-घर कुछ चौप्ययन में।।
डफ बाजे, राग और रंग हुए, होली खेलन की झमकन में।
गुलशोर गुलाल और रंग पड़े हुई धूम कदम की छैयन में।

5
जब ठहरी लपधप होरी की और चलने लगी पिचकारी भी।
कुछ सुर्खी रंग गुलालों की, कुछ केसर की जरकारी भी।।
होरी खेलें हँस हँस मनमोहन और उनसे राधा प्यारी भी।
यह भीगी सर से पाँव तलक और भीगे किशन मुरारी भी।।
डफ बाजे, राग और रंग हुए, होली खेलन की झमकन में।
गुलशोर गुलाल और रंग पड़े हुई धूम कदम की छैयन में।।


6
अगर आज भी बोली ठोली न होगी, तो होली ठिकाने की न होगी।
बडी गालियाँ देगा फागुन का मौसम, अगर आज ठट्ठा ठिठोली न होगी,
है होली का दिन दोपहर तक, किसी की ठिकाने की बोली न होगी,
उसी जेब में होगी फितने की पुडिया, जरा फिर टटोलो टटोली न होगी।

होली एस एम् एस--2

सबमें मची होली अब तुम भी ये चरचा लो
रखवाओ अबीर ऐ जां और मय को भी मंगवा लो
हम हाथ में लोटा लें तुम हाथ में लुटिया लो
हम तुमको भिगो डालें तुम हमको भिगो डालो
होली में यहीं धूमें लगती हैं बहुत भलियां
इस दम तो मियाँ हम तुम इस ऐश की ठहरावें
फ़िर रंग से हाथों से पिचकारियाँ चमकावें
कपड़ों को भिगो डालें फिर ढंग कई लावें
भीगे हुए कपड़ों से आपस में लिपट जावें
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियाँ

3
तुम रंग इधर लाओ और हम भी उधर आवें
कर ऐश की तय्यारी धुन होली की बर लावें
और रंग के छीटों की आपस में जो ठहरावें
जब खेल चुकें होली फिर सीनों से लग जावें

होली एस एम् एस--1

मुँह लाल गुलाबी आँखें हों
और हाथों में पिचकारी हो
उस रंग भरी पिचकारी को
अँगिया पर तककर मारी हो
सीनों से रंग ढलकते हों
तब देख बहारें होली की

परियों के रंग दमकते हों
खूं शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे में छकते हों
जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की

उनकी हर बात दिल लुभाती है ,

उनकी हर बात दिल लुभाती है ,

हर अदा, हर खता भी बहती है .

*****

दिल मैं मेरे ख़याल आए तो,

बात उनकी ज़ुबान पे आती है.

*****

सब मेरे हाल पर परेशान है.न

एक वह हैं की मुस्कुराती है.न.

*****

गीत मेरा लिखा ही है शायद,

वह जो हौले से गुन गुनाती है.न

*****

हाथ दीवाने के दे अल्लाह कुछ ऐसी कलम,

आस्मान पर लीख के जाऊं है उन्ही से प्यार है!

*****

ख़ास लिखा है ख़त मैं, ज़रा आहिस्ता बोलियेगा

भेज रहा हूँ दिल अपना, ज़रा आहिस्ता खोलियेगा।

*****

तू इस तरह से मेरे दिल मैं शामिल है

जहाँ भी जाऊं लगता है तेरी महफ़िल है।

*****

रस्ते मैं गीरे हैं फूल, उठता है कोई कोई

मुहब्बत करते हैं सभी, निभाता है कोई कोई

*****

ज़िंदगी एक फूल है और मोहब्बत उस का शेहेद

प्यार एक दरिया है , और मेहमूब उसकी सरहद।

*****

जुखा कर उठा न सके सर मेरे सवाल पर,

जुल्फों का नकाब गिरा है , मेरे दिल का राज़ ले कर।

Underwaterworld


आपका दोस्त
राज शर्मा
--

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj --

Saturday, March 6, 2010

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अगले जनम मोहे बेटवा न कीजो...


अगले जनम मोहे बेटवा कीजो...


अब जो किये हो दाता, ऐसा ना कीजो
अगले जनम मोहे बेटवा ना कीजो ऽऽऽऽ

अगले जनम मोहे बेटवा कीजो!!

अब के कर दिये हो, चलो कोई बात नहीं. अगली बार ऐसा मत करना माई बाप. भारी नौटंकी है बेटा होना भी. यह बात तो वो ही जान सकता है जो बेटा होता है. देखो तो क्या मजे हैं बेटियों के. १८ साल की हो गई मगर अम्मा बैठा कर खोपड़ी में तेल घिस रहीं हैं, बाल काढ़ रही हैं, चुटिया बनाई जा रही है और हमारे बाल रंगरुट की तरह इत्ते छोटे कटवा दिये गये कि कँघी फसे और अगले चार महिने कटवाना पड़े. घर में कुछ टूटे फूटे, कोई बदमाशी हो बस हमारे मथ्थे कि इसी ने की होगी. फिर क्या, पटक पटक कर पीटे जायें. पूछ भी नहीं सकते कि हम ही काहे पिटें हर बार? सिर्फ यही दोष है कि बेटवा हैं, बिटिया नहीं.

बेटा होने का खमिजियाना बहुत भुगता-कोई इज्जत से बात ही नहीं करता. जा, जरा बाजार से धनिया ले . फलाने को बता . स्टेशन चला जा, चाचा रहे हैं, ले . ये सामान भारी है, तू उठा ले. हद है यार!!

जब देखो तब, सारा फेवर लड़की को. अरे बेटा, कुछ दिन तो आराम कर ले बेचारी, फिर तो पराये घर चले जाना है. उनके लिए खुद से क्रीम पावडर सब ला ला कर रखें और वो दिन भर सजें. सिर्फ इसलिये कि कब लड़के वालों को पसंद जाये और उसके हाथ पीले किये जायें. हम जरा इत्र भी लगा लें तो दे ठसाई. पढ़ने लिखने में तो दिल लगता नहीं. बस, इत्र फुलेल लगा कर शहर भर लड़कियों के पीछे आवरागर्दी करते घूमते हो. आगे से ऐसे नजर आये तो हाथ पैर तोड़ डालूंगा-जाओ पढ़ाई करो.

बिटिया को बीए करा के पढ़ाई से फुरसत और बड़े खुश कि गुड सेकेंड डिविजन पास हो गई. हम बी एस सी मे ७०% लाकर पिट रहे हैं कि नाक कटवा दी. अब बाबू के सिवा तो क्या नौकरी मिलेगी. अभी भी मौका है थोड़ा पढ़ कर काम्पटिशन में जाओ, जिन्दगी भर हमारी सीख याद रखोगे. पक गया मैं तो बेटा होकर.

जब कहीं पार्टी वगैरह में जाओ कोई देखने वाला नहीं. कौन देखेगा, कोई लड़की तो हैं नहीं.

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लड़का लड़की को देखे तो आवारा कहलाये और कोई लड़की देखे तो उनकी नजरे इनायत.

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लड़की चलते चलते टकरा जाये तो मुस्कराते हुए सॉरी और हम टकरा जाये तो 'सूरदास है क्या बे!! देख कर नहीं चल सकता.'

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उनके बिखरे बाल, सावन की घटा और हमारे बिखरे बाल, भिखारी लगता है कोई.

-
उनके लिए हर कोई बस में जगह खाली करने को तैयार और हमें अच्छे खासे बैठे को उठा कर दस उलाहने कि जवान होकर बैठे हो और बुजुर्गों के लिए मन में कोई इज्जत है कि नहीं-कैसे संस्कार हैं तुम्हारे.

हद है भई इस दोहरी मानसिकता की. हमें तो बिटिया ही कीजो, नहीं तो ठीक नहीं होगा, बता दे रहे हैं एक जन्म पहले ही. कोई बहाना नहीं चलेगा कि देर से बताया.

ऑफिस में अगर लड़की हो तो बॉस तमीज से बात करे, कॉफी पर ले जाये और फटाफट प्रमोशन. सब बस मुस्कराते रहने का पुरुस्कार और हम डांट खा रहे हैं कि क्या ढ़ीट की तरह मुस्कराते रहते हो, शरम नहीं आती. एक तो काम समय पर नहीं करते और जब देखो तब चाय के लिए गायब. क्या करें महाराज, रोने लगें? बताओ?

अगर पति सही आईटम मिल जाये तो ऑफिस की भी जरुरत नहीं और आराम ही आराम. जब जो जी चाहे करो बाकी तो नौकर चाकर संभाल ही रहे हैं. आखिर पतिदेव आईटम जो हैं. जब मन हो सो कर उठो, चाय पिओ, नाश्ता करो और फिर ठर्रा कर बाजार घूमों, टीवी देखो, ब्लॉगिंग करो..फिर सोओ. रात के लिए क्या बनना है नौकर को बता दो, फुरसत!! क्या कमाल है, वाह. काश, हम लड़के भी यह कर पायें.

क्या क्या गिनवाऊँ, पूरी उपन्यास भर जायेगी मगर दर्द जरा भी कम होगा. रो भी नहीं सकता, वो भी लड़कियों को ही सुहाता है. उससे भी उनके ही काम बनते हैं. हम रो दें तो सब हँसे कि कैसा लड़का है? लड़का हो कर रोता है. बंद कर नौटंकी. भर पाये महाराज!!

बस प्रभु, मेरी प्रार्थना सुन लो-अगले जनम मोहे बेटवा कीजो. हाँ मगर ध्यान रखना महाराज, रंग रुप देने में कोताहि बरतना-इस बार तो लड़के थे, चला ले गये. लड़की होंगे तो तुम्हारी यह नौटंकीबाजी चल पायेगी. जरा ध्यान रखना, वर्कमैनशिप का. उपर वाली फोटू को सुपरवाईजरी ड्राईंग मानना, विश्वकर्मा जी. १९/२० चलेगा-खर्चा पानी अलग से देख लेंगे.

ब्लॉगिंग स्पेशल: अगर लड़की होऊँ तो कुछ भी लिखूँ, डर नहीं रहेगा. अभी तो नारी शब्द लिखने में हाथ काँप जाते हैं. की-बोर्ड थरथरा जाता है. हार्ड डिस्क हैंग हो जाती है कि कहीं ऐसा वैसा लिख जाये कि सब महिला ब्लॉगर तलवार खींच कर चली आयें. हालात ऐसे हो गये हैं कि नारियल तक लिखने में घबराहट होती है कि कहीं नारियल का 'यल' पढ़ने से रह गया, तो लेने के देने पड़ जायेंगे. इस चक्कर में कई खराब नारियल खा गये मगर शिकायत नहीं लिखी अपने ब्लॉग पर.

बस प्रभु, अब सुन लो इत्ती अरज हमारी...
अगले जनम में बना देईयो हमका नारी..



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