Sunday, February 7, 2010

मजेदार शायरी

कितनी जल्दी ये मुलाक़ात गुज़र जाती है ,
प्यास बुझती नही बरसात गुज़र जाती है,
अपनी यादों से कह दो न आया करें,
नींद आती नही और रात गुज़र जाती है.

ऐ दोस्त तेरी दोस्ती पर नाज़ करते है
हर वक्त मिलने की फरियाद करते है
हमे नही पता लेकिन घरवाले बताते है
कि हम नींद में भी आपसे बात करते हैं

चिरागों से अगर अंधेरे दूर होते तो
चांदनी की चाहत किसे होती,
कट सकती अगर ये जिंदगी अकेले तो
दोस्त नाम की चीज़ ही क्यों होती

हमे हँसने हँसाने की आदत है,
नज़रों से नज़रें मिलाने की आदत है,
पर हमारी नज़र तो उनसे है जा मिली,
जिन्हें नज़रें झुका के शर्माने की आदत है

सांसों मैं डाल कर रखना
दिल के पिंजरे मैं पाल कर रखना
टूटे दिल को सकूं देंगी ये यादें
इन यादों को सदा सम्हाल कर रखना

फिर चुपके से याद आ गया कोई,
मेरी आखों को फिर रुला गया कोई,
कैसे उसका शुक्रिया अदा करें,
मुझ नाचीज़ को शायर बना गया कोई.

यह प्यारी निगाहें याद रहेंगी,
मिल कर न मिलने की अदा याद रहेगी,
मुमकिन नही की मैं तुम्हे भुला दूँ,
क्यूंकि उमर भर तुम्हें भी मेरी याद आती रहेगी

पत्ती-पत्ती गुलाब क्या होगी,
हर कली महज ख्वाब क्या होगी !
जिसने लाखों हसीं देखे हो,
उसकी नियत ख़राब क्या होगी !!

सुनो गौर से पेप्सी वालो,
बुरी नज़र न कोक पे डालो
चाहे इतना ड्यू पिला लो,
सबसे आगे होगा नीम्बू पानी !

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