Sunday, February 7, 2010

बेवफाई शेरो – शायरी …………….

तेरी किताब – इ – हयात में, मेरी औकात इक सफा है,
रंगीन फसानों में दबी कहीं मेरी वफ़ा है. शिकायत उस लिखने वाले से है, तुझसे कोई गिला नहीं,
जो शायद इस कहानी में मेरे किरदार से खफा है.
किताब – इ – मुक़द्दस है मेरा प्यार, पर हार मिली,
इसमें कोई फसल ही नहीं जिसका नाम नुकसान या नफा है.
उनके दीद पर दफ्फतन निकल गया “या मेरे खुदा”
वो इसे अगर मानते हैं मेरी जफा तो मेरी जफा है.
तारीख जानता है तलवार की अज़ीयतें कलम पर,
हारी है शमशीर, कलम की फ़तेह हर दफा है.

No comments:

Post a Comment

1