Sunday, February 7, 2010

कुछ बिंदास कुछ ख़ास...फनी शायरी

कभी हौंसला भी आजमाना चाहिए
बुरे वक़्त मे भी मुश्काराना चाहिए
जब दस दिनों मे खुज़ली ना मिटे
तो ग्याराहवे दिन नहाना चाहिए



सारे धोबी मारे मारे फ़िर रहे हैं
क्यूंकि उनके गधे नहीं मिल रहे हैं
गुप्त सूत्रों से पता लगा है कि
सारे गधे एस एम् एस पड़ रहे हैं



खुश रहे सदा ये दुआ है मेरी
तेरी प्रेमिका ही बन जाए भाभी तेरी



हाथी ने कहा जाकर हथिनी की कबर पर
सदके जाऊँ तेरी पतली कमर पर




तेरे इंतज़ार मे इस कदर वक्त बिता रहे हैं
तेरे इंतज़ार मे इस कदर वक्त बिता रहे हैं
कभी पिज्जा तो कभी आइसक्रीम खा रहे हैं



वो आज भी हमे देखकर मुस्कराते हैं
वो आज भी हमे देखकर मुस्कराते हैं
वो तो उनके बच्चे ही कमीने हैं
जो हमे मामा मामा कहकर बुलाते हैं



यूं देखा ना करो हमे हँसते हँसते
यूं देखा ना करो हमे हँसते हँसते
मेरे दोस्त बहुत ख़राब हैं
कह देंगे भाभीजी नमस्ते



बोतलें छुपा लो कबर मे
कब्रिस्तान मे पीया करना
जब मांगे हिसाब खुदा तो
पैग बना के दिया करना



आशिक पागल हो जाते हैं प्यार मे
जो कसार रह जाते है वो
पुरी हो जाती है इंतज़ार मे
मगर यह उनकी दिलरुबा नहीं समझती
वो बैठकर चली जाती है किसी और की कार मे



रामचन्द्रजी कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा
दोनों तरफ़ से एस एम् एस होंगे फोन कोई नहीं लगायेगा



अपने हुस्न पर नाज़ ना कर पगली
हमे पता है कि तू रोज़ लगाती है फेयर एंड लवली

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