Sunday, February 7, 2010

तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते है

तमन्ना  से  नहीं  तन्हाई  से  डरते  है
प्यार  से  नहीं  रुसवाई  से  डरते  है
मिलने  की  तो  बहुत  चाहत  है
पर  मिलने  के  बाद  जुदाई  से  डरते  है डर  के  बिना  ज़िन्दगी  क्या …
हौसला के बिना  जीना  क्या …
डर  तो  हमी  भी  है  उससे  दूर  रहना  का …
पर  वोह  डर  ही  क्या  जब  पास रहने को वोह  इंसान   ही  नहीं  रह  !!!
वाह   वाह   नीचे   1 कीप   आईटी   कम्मिन
वक़्त   ने   वोह  ख़ाक  ओरई  है  दिल  की  दश  से
क़फिल्लय  गोज़र्तय  है  पर  नक्श – इ -पर  कोई  नहीं ………
:किस    दिल   से  तेरे   पीयर   की  सौगात   मंगू   .
किस  मोहब्बत  से  तेरे  जुदाई  का  दर्द  मंगू .
मुझे  दर  है  तुझे  खो  देने  का  .
किस  खुदा  से  तुझे  पाने  की  दुआ  मंगू .

ज़िन्दगी   चाहत    का   सिलसिला  है
फिर  भी  जिसको  चाह  वो  कहाँ  मिला  है ,
दुश्मनों  से  हमें  कोई  शिकायत  नहीं
अपनों  ने  ही  लूटा  इस  बात  का  गिला  है ,
जिसको  चाह  वो  ही  दे  गया  दगा  हमको
ज़माने  में  क्या  येही  मिलता  वफ़ा  का  सिला  है.

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