किसी की खोज में फिर खो गया कौन
गली में रोते-रोते सो गया कौन
बड़ी मुद्दत से तनहा थे मिरे दुख
खुदाया, मेरे आँसू रो गया कौन
जला आयी थी मैं तो आस्तीं तक
लहू से मेरा दामन धो गया कौन
जिधर देखूँ खड़ी है फ़स्ल-ए-गिरिया1
मिरे शहरों में आँसू बो गया कौन
अभी तक भाइयों में दुश्मनी थी
ये माँ के खूँ का प्यासा हो गया कौन
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