दरबार में ठंडी बयार
गर्मी का मौसम था। राजा कृष्णदेव राय के महल में भी काफी गर्मी थी। दरबारी भी बहुत परेशान थे। जब उनकी सहनशीलता जवाब दे गई तो उन्होंने दरबार में भी, सवेरे की ठंडी हवा लाने की इच्छा जाहिर की।
दरबारियों की यह बात सुनकर राजा कृष्णदेव राय ने उनसे पूछा, “आप में से जो कोई दरबार में ठंडी हवा ला देंगे उन्हें पुरस्कार मिलेगा।”
राजा की बात सुनकर सभी दरबारी चुप गए। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि दरबार में ठंडी हवा लाई कैसे लाई जाए।
दूसरे दिन जब सभी दरबारी, दरबार में आए तो राजा ने उनसे कल के काम के बारे में पूछा। सभी दरबारियों का चेहरा उतरा हुआ था। तभी तेनाली राम ने कहा कि वह दरबार में ठंडी बयार लाने की व्यवस्था कर देगा।
तेनालीराम की जवाब सुनकर सभी दरबारी हैरान रह गए। राजा की आज्ञा होने पर, तेनाली राम ने बाहर खड़े लोगों को बुलवाया। सभी के हाथ में खसखस के भींगे हुए पंखे थे। तेनाली राम का इशारा पाते ही सभी खसखस के पंखों से दरबार में हवा झेलने लगे। थोड़ी ही देर में सारा दरबार ठंडी हवा और खुशबू से महक उठा।
राजा और दरबारी बड़े प्रसन्न हुए। राजा मन ही मन तेनाली राम की बुद्धिमत्ता से बड़े प्रभावित हुए। महाराज ने तेनाली राम को पुरस्कार में एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दीं। सभी दरबारी इस बार भी देखते रह गए।
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