आत्मघाती बंता
बंता आत्मघाती दस्ते में शामिल हुआ। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उसे अपने लक्ष्य पर भेजा गया। कमांडर ने उसे ढेर सारे हथियार दिए। उसके शरीर पर बमों को बांधा और बातचीत करने के लिए एक मोबाइल फोन भी दिया।
दुश्मन के शिविर के पास पहुंच कर उसने फोन किया, “जनाब यहां दो दुश्मन दिखाई पड़ रहे हैं, क्या आत्महत्या कर लूं?”
कमांडर ने हुक्म दिया, “नहीं सिर्फ दो सैनिकों के लिए नहीं, ज्यादा के आने का इंतजार करो।”
थोड़ी देर बाद बंता ने फिर फोन किया, “अब 25 आ गए हैं क्या अब करूं?”
“नहीं, अभी नहीं कुछ और के आने का इंतजार करो ”, कमांडर ने कहा।
“अब 100 की तादाद में दुश्मन आ चुके हैं, क्या आत्महत्या करूं?”
कमांडर ने उसे आगे बढ़ने को कहा, “बंता अपना मकसद पूरा करो, तुम एक शहीद कहलाओगे। अपने परिवार की चिंता मत करना, उनकी देखभाल हम करेंगे।”
बंता ने छुरा निकाला और अपनी छाती में घोंप लिया।
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