Monday, November 8, 2010

तेरा सहारा भी नही....

शीशे ने मुझको अक्स मेरे दिखाए झूठे
काश तेरी निगाह में देख लेता ख़ुद को
तुम भी तो लेकिन आखे चुराए बैठे हो
पाउ कैसे अब मेरे खोये हुवे वजूद को

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