Monday, November 15, 2010

तुम सावन सावन लगते हो

तुम मोसम मोसम लगते हो
जो पल पल रंग बदलते हो

तुम सावन सावन लगते हो

जो बरसों बाद बरसते हो

तुम सपना सपना लगते हो

जो मुझको कम कम देखते हो

तुम पल पल मुझसे लड़ते हो

पर फिर भी अच्छे लगते हो

बात तो है शर्मीली सी

पर कहने को दिल चाहता है

लो आज तुम्हें यह कह डाला

तुम अपने अपने लगते हो।

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