Wednesday, June 4, 2008

आशिक-माशूक के शायरी

ये सब कहने की बातें हैं कि उन को छोड बैठे हैं।
जब आंखें चार होती हैं मौहबत आ ही जाती है ।।

बाहों मे मेरी झूलकर, गर नजरों से पिलाओगी तुम।
हम तो होश गवा देंगें,जन्नत् मे पहुच जाओगी तुम॥

क्या जवाब दोगे, तुम सनम खुदा के दरबार मे।
जब पूछेगा वह, क्या क्या गुल खिलाए प्यार मे॥


वीरान हो गई जिन्दगी दिल खण्डहर बन गया।
हलचल मची थी ऎसे बवन्डर आ गया ॥

मोहबत के लिए कुछ खास दिल महसूस होते हैं।
यह वह नगमा है जो हर साज पे गाया नही जाता॥

यह इश्क नही आसां , इतना ही समझ लिजिए
इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है ॥

इतनी बेदर्दी से दिल को मेरे वो तोड देगी,
ये मालूम न था मुझे अकेले वो छोड देगी ।

ऎ मेरे मासूम दिल, तू तन्हाई से प्यार कर ले,
बेवफा भी अब वफा का साथ छोड देगी ॥

नींद कैसे आयेगी , जब हसीना बैठी हो सामने।
आदत ऎसी डाल दी, सनम, पागल दिल को अपने॥

ऎ नाजनीना ! ना देख, तू हमे इतने प्यार से ।
याद आयेंगें वह दिन, जव नजरें मिली थी प्यार से॥

तेरे इस रुप ने जानी मुझे पागल बनाया है।
तुझे देखा तो यह सोचा जमीं पे चांद आ गया है॥

सनम बैठे हो पैहलू मे मेरे, फिर भी मुझे सता रहे हो ।
यू मिलाओ इन होठों से होंठ, लगे जाम साकी पिला रहे हो ॥

जब अदायें दिखाती हुई, गुजरती है हसीना सामने से।
याद उनकी आ जाती है, और आहें निकलती है इस दिल से॥

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