Wednesday, June 4, 2008

हिन्दी एस एम् एस

1- तुम अपने दोस्तों के जरा नाम तो बता दो,
मै अपने दुश्मनो की तदाद तो समझ लूं ।

2- दिल के हर ज़ख्म से आती है वफा की खुश्बु,
ज़ख्म छुप जाऐगे खुश्बु को छुपाऊ कैसे ।

3-- जो के जुनुन का आज मुझे मिल गया सिला,
अच्छा हुआ जो तुमने भी दिवानी कह दिया ।

4-- मै उसकी हर बात को किस तरह न मानूं,
वह कुछ भी बोले वो सच लगता है ।

5- हम यूं तमाम उम्र रहे ज़िन्दगी के साथ,
जैसे हर गम को गवारा हर खुशी के साथ ।

6- शमा ने इस वहम मे जान ली परवाने की,
कि सुबह कहीं आम न हो जाए, बात रात की ।

7- रोज़ करती थी ना जाऊगी अब कभी घर उसके,
लेकिन रोज नया काम निकल आता है कुचे मे उस के ।

8- क्या हुस्न है क्या रंग हौ क्या ज्माल है ,
वो भीड मे भी जाऐं तो तन्हां दिखाई देते हैं ।

9- मै तो यूं ही फेर रहा था राख पर उंगलियां,
ध्यान से देखा तो तेरी तस्वीर बन गई ।

10- आप ही के नाम पर पाई है हमने ज़िन्दगी,
खत्म होगा ये किस्सा आप ही के नाम पे ।

11 क्या फला मुझको परखने का नतीजा निकला,
ज़ख्मे दिल आपकी नज़रों से भी गहरा निकला।

12 दीदार की प्यासी आखें अब भी ढूंढती है,
उन्हे जो भूल चुके हैं हमारा ठिकाना ।

13 दुनिया हज़ार जुल्म करे उसका गम नही होता,
मारा जो तुमने फूल तो वो पत्थर से कम नही होता।

14 किश्ती बह जाती है तूफान चले जाते है,
यादें रही जाती हैं इन्सान चले जाते हैं।

15 वो हम से खफा हैं हम उन से खफा है,
मगर बात करने को जी चाहता है।

16 दिल से शिकवा साज़ से नगमें निकल पडे,
पूछा किसी ने हाल तो आंसू निकल पडे।

17 फिर वही आलम फिर वही तन्हाई है,
तुम खयालों मे तो चले आओ के रात तो कटे।

18 सज़ाएं खूब मिली उनसे दिल लगाने की,
वो क्या बदल गए बदली नज़र जमाने की।

19 खामोश ज़िन्दगी को क्यो आवाज़ दे रही हो,
इस टूटे दिल को क्यों सज़ा दे रही हो।

20 हमे भी याद रखे जब लिखें तारीफ गुलशन की,
हमने भी लुटाया है चमन मे आशिया अपना ।

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