Friday, December 25, 2009

यादों के सैलाबों में डूब जाना याद है ,

यादों के सैलाबों में डूब जाना याद है ,
छोटी छोटी बातों का सुनना सुनाना याद है ,
पतझड़ में भी लगता था मौसम बहारों का ,
तुम्हारे इंतजार में वक़्त बिताना याद है ..!!


थकती नहीं थीं आँखें देख देख रास्ता ,
नए बहाने बनाके देर से तुम्हारा आना याद है ,
खुशबू में हवा की ढूँढना तुम्हारी महक ,
बारिश की बूंदों में अपने आँसू मिलना याद है ..!!


कभी साथ बैठे बैठे युहीं वक़्त बिता देना ,
कभी मेरी हर बात पे तुम्हारा मुस्कराना याद है ,
कभी बिन बताये तुम्हारा सब कुछ कह देना ,
कभी कह के भी बात छुपाना याद है..!!


कुछ सुनना चाहते थे हम तुमसे ,
पर तुम्हारा न कह पाना याद है ,
अभी तो मिले भी नहीं थे रस्ते हमारे ,
यूँ एक मोड़ पे राहों का मूड जाना याद है ..!!


चाहा था एक कहानी बने हमारी ,
मगर पन्नो का अचानक बिखर जाना याद है ,
कहानी न सही अफसाना तो बन गया ,
इस अफसाने का हर एक फ़साना याद है ..!!

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