Tuesday, December 22, 2009

ख्वाब सजाये इन पलकों में

ख्वाब सजाये इन पलकों में, तेरी यादों के सहारे चल दिए,
मंजिलों के काफी करीब, तुमसे काफी दूर चल दिए,
ये न सोचना सनम, हम वफ़ा न कर सके,
तेरी चाहत पाने के लिए ही, तुमसे दूर चल दिए ....
लौटकर आऊंगा तेरे पास जिस दिन, डोली में बिठाकर सपनो के आशियाने में ले जाऊंगा,
छट गए है बादल नाकामी के, रुसवाई अब न कर सकेगा जमाना,
सजेगी मेहंदी तेरे हाथों में, घोड़ी चढ़ बारात तेरे आँगन लेकर आऊंगा,
भरकर मांग तेरी, अपने आशियाने ले जाऊंगा.....

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