Wednesday, December 2, 2009

निर्वस्त्र हो जाना यकायक

निर्वस्त्र हो जाना यकायक
सबको चौंकाता है
कामाग्नि के बजाए
आश्चर्य को जगाता है.
कभी किसी दिन मैं
अचानक निकाल कर अपने कपड़े
कहूँ
चलो प्यार करें तो
सच कहो तब होगी पैदा आग
जिस्म में ?
या कि बर्फ की तरह रहेगा बदन.
अचानक, यकायक भला
प्यार होता है
पर्त दर पर्त पहले उतरते हैं
मन पर छाए सारे भाव
फिर कही उतरते हैं
एक-एक कर कपड़े
और उभरता है चॉद सा मुस्कराता
जिस्म
सिमट जाती है कायनात
मौसम आहिस्ता-आहिस्ता
पिघलने लगता है.
निर्वस्त्र हो जाना यकायक
सबको चौंकाता है.

Nirvastra ho jana yakayak
Sabko chaunkata hai
kamagni ke bajaye
Aaashcharya ko jagata hai.
Kabhi kisi din main
Achanak nikal kar apne kapade
Kahoon
Chalo pyar karein to
Sach kaho tab hogi paida aag
Jism mein ?
Ya ki barf ki tarah rahega badan
Achanak, yakayak bhala
pyar hota hai
Part dar part pahale utarate hain
Man par chchaye sare bhav
Fir kahin utarte hain
Ek-Ek kar kapade
Aur ubharta hai chand sa muskrata
jism
Simat jati hai kaynaat
Mausam aahista-aahista
pighalne lagta hai.
Nirvastra ho jana yakayak
Sabko chaunkata hai.

No comments:

Post a Comment

1