Friday, December 25, 2009

शेरो-शायरी--1

पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइए
फिर जो निगाह-ए-यार कहे, मान जाइए
- कतील शिफाई





कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है
रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
- शकील बदायूंनी





ये आरजू ही रही कोई आरजू करते
खुद अपनी आग में जलते जिगर लहू करते
- हिमायत अली शायर





हम रातों को उठ-उठ के जिनके लिए रोते हैं
वो गैर की बाहों में आराम से सोते हैं
- हसरत जयपुरी




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