| पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइए फिर जो निगाह-ए-यार कहे, मान जाइए - कतील शिफाई

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| कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है - शकील बदायूंनी

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| ये आरजू ही रही कोई आरजू करते खुद अपनी आग में जलते जिगर लहू करते - हिमायत अली शायर

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| हम रातों को उठ-उठ के जिनके लिए रोते हैं वो गैर की बाहों में आराम से सोते हैं - हसरत जयपुरी

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