ये शबे फिराक ये बेबसी, हैं कदम-कदम पे उदासियां ![]() |
हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया ![]() |
हर शम्आ बुझी रफ्ता रफ्ता हर ख्वाब लुटा धीरे - धीरे ![]() |
अय मौत, उन्हें भुलाए जमाने गुजर गए ![]() |
Friday, December 25, 2009
शेरो-शायरी
शेरो-शायरी
लेबल:
शेरो-शायरी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1
No comments:
Post a Comment