Thursday, June 10, 2010

हसीन अदाओ का जब जाल बिछ जायेगा

पहला तीज त्यौहार मना कर आयीं है
दुरिया दिल में तूफान भर के लायी है
कुछ तो पटाने में वक़्त लग जायेगा
वरना इस लेखनी का दिवाला निकल जायेगा
दो वक़्त उन्हें अपनी हसीना के प्रेम रस पान का
वरना एक प्यारा दोस्त, कलियों का प्रेमी
जंजीरों में जकड़ जायेगा
मुझे न कहना याद नही दिलाया था
दीपक बुझने से क्यूँ नहीं बचाया था
जलने दो उसको भी अपनी प्रेमिका के प्यार में
बिखरने दो उसके अहसास को हसीन तूफान में
भाटा उतर जायेगा, उपस्थिति दर्ज करा जायेगा




हसीन अदाओ का जब जाल बिछ जायेगा
तेरा पूरा वजूद जलवों के जाल में फस जायेगा
कातिल निगाहों का जादू काली घटा बन कर
तेरी अखियों के रस्ते तेरी रग-रग में असीम नशा भर जायेगा
बाहों की सलाखों का मखमली पिंजरा जब बदन पे कब्जा जमायेगा
शरीर का कतरा-कतरा भूकम्प के झटके खायेगा
तू लाख कोशिश कर ले मर्दानगी का हर जज्बा दम तोड़ जायेगा
हर लम्हा अरे पगले वही दफन हो जायेगा
कब्र में दफन एहसास को केवल यही याद आयेगा
जान मेरी कर दो रहम इस बीमार पर
ये उबलता ज्वालामुखी बिना फटे नही रह पायेगा
जिन्दगी वीरान है बिन तेरे
हूँ गुलाम तेरे प्रेम का तेरे अहसासों के सजदे करता चला जायेगा




कातिल हुस्न निसार अपने यार पर
फिर भी यार का दम निकले हुस्न के दीदार पर
मांगी निशानी दिली हसरते निकालकर
सजा आशियाना मेरा तेरी मुस्कराहटो पर
देना साथ दो कांटे भी चुभे मेरे होटो पर
भर निकाल बूंद, गुलाब खुशबु फुल के लिहाफ पर
काफी मेरी सांसे महकाने को तेरे पास आने तक
नशा बनकर तेरा एहसास मुझे भिगो जायेगी
तड़पती प्रेम अगन को कुछ राहत दे जायेगी







शब्दों में अहंकार की बू आती है
हर लफ्ज पे ताकत, घमंड बन जाती है
क्या कलियों की खुशबु लेगा,
सोच पे मदिरा का कुहास नजर आती है
वासना जहर बन नसों में भर गयी है
प्रेम की गरिमा, अंधकार में खो गयी है
कर ले कोशिश लाख मगर,
गुलशन भी गुल में मुरझाये बिना नही रह पायेगा
प्रेम की एक किरन है काफी,
पूरा गुलिस्ता दिलो की घाटी में महक जायेगा






नाम है तितली, पंख फड़फड़ाने देना
नाजुक बदन है कहीं बिखरा न देना
हजार रंग भरे, ये पंख जिन्दगी रंगीन कर देंगे
गलती से भी इन्हें संगदिल हाथो में न पंहुचा देना
गर एसा हुआ बाग उजड़ जायेगा
लाख कोशिक करके भी
कोई माली आबाद नही कर पायेगा
पंख विहीन तितली मुरझा जायेगी
फूलो की खुशबु बिन तितली के खो जायेगी
फिर भंवरा केसे पुष्प रस पान कर पायेगा
बिन खुशबु के, बर्बाद हो जायेगा

इसलिए मेरे प्यारे

तितली के पंखो का रंग बनाये रखना
फूलो में खुशबु बरकरार रखना
गलती से भी मुफ्त में लुटा मत देना
प्यार से इनके रंग को अपने में भर लो
ज्न्दिंगी हसीं रंगीन हो जायेगी
हर खुशबु नशीली हो जायेगी
धीरे धीरे कलि पुष्प बना देना
चारो तरफ उसकी महक धीरे-धीरे फेला देना
भवरा उसपे निछावर हो जायेगा
गलती से किसी भी तितली को फूल से जुदा मत करना

भूल गये प्यारे, पापा ने जो बतलाया था
तितली का ये विवरण क्यूँ समझाया था
आत्मा रूपी तितली उड़ने देना
जीवन रूपी नाव को अविरल बहने देना
जालिम इन्सान नहीं, उसकी कुत्सित भावनाये होती है
अच्छा न बनो फिर भी, बुराई प्रविष्ट मत होने देना
अहम जीवन को बर्बाद कर देता है
आत्म ज्योति, अंधकार में डुबो देता है
ताकत की पहचान
तितली की नाजुकता ही दे सकती है
फूलो की खुशबु,
आत्मा को प्रेम रस से भर देती है
तितलिया उन्ही के बाग की शोभा बढाती है
जिनका खून पसीना बनके सींचता है
दुसरो की खीज का अनुसरण कमजोर लोग करते है
ताकतवर इन्सान ही फूलो के मालिक बनते है





नाजुक हुस्ने, शरबती हसीना
नशीली, मस्तानी ऐ शोख अदाओ वाली
क्यूँ इतना सितम ढा रही है
तेरी जुल्फों की काली घटाओ से टपकती बुँदे
बदन पे गिर, नशे में भिगोये जा रही है
चंचल मृगनयनी आंखे
मुझे नीले सागर में डुबोये जा रही है
गालो की प्यारी, पतले रसवन्ती अधरों की लाली
अमृत पान का निमंत्रण दिए जा रही है
घाटी की गहराई मुझे निगले जा रही है
मखमली कमल पुष्प की गोलाई
मदहोश किये जा रही है
कमल पुष्प की शाखे
नश्तर बनके कलेजे को चीरे जा रही है
नाभि चितवन, कमर स्पन्दन
रह-रह कर मुझे कमजोर किये जा रही है
बाहों की अमर बेल,
जंजीर बनके जकड़े जा रही है
उफ़.. उसपे कयामत ढाती कच्ची कली
हाय मेरी जान लिए जा रही है
उसपे तेरी शोख अदाये, चंचल भंगिमाये
मेरी हसरतो में तूफान पैदा किया जा रही है
ठहर नहीं पाउँगा, रुक नही पाउँगा
प्रेम सागर में डूबके ही, शांत हो पाउँगा
हे जालिम कातिल हसीना,
मेरी मर्दानगी तुझपे निसार कर जाऊंगा
फूलो सी महकती मधु पराग कली को,
ताह उम्र ही फूल बनाऊंगा
एक-एक मुस्कान पे,
प्रेम का असीम सागर लुटाऊंगा
हर अदा के नखरे उठाऊंगा
इसे गुलामी न समझ,
तेरा पागल प्रेमी ही कहलाऊंगा
हसीन गोरा बदन हीरो से सजाऊंगा
पुष्पों की हर महक से,
कोमल तन-मन महकाऊंगा
हाँ का इंतजार है
प्रेम मेरा लुटने को बेकरार है
हसरतो का इंतजार है
दिल मेरा मरने को तैयार है
क्या अर्थी उठने का इंतजार है
सोच मत, रुक मत,
कण-कण तेरे प्रेम का तलबगार है






क्या बात है जनाब, मुरझाया भवरा इतना केसे खिल रहा है
मुझे तो दाल में काला तिनका दिख रहा है
राज हो कोई कबूल लो जानी,
पछताओगे बाद में, हो जायेगी परेशानी
है अगर बाकी, ताले खोल दो
छुपे हुए राज शब्दों में तोल दो
पता लग गया भाभी को, हो जायेगी बदनामी
तेरा क्या जायेगा प्यारे, नाक हम दोस्तों की कट जायेगी
तेरे किये की सजा सब को भुगतनी पढ़ जायेगी


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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj

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