मुझको मोहब्बत की शाबाशी दे दो
दिल ओ जिस्म की तलाशी दे दो
अब तो अहसासों से खेलने लगे लोग
हो कोई मन में वो उदासी दे दो
टुकड़ों-टुकड़ों में क्या जुड़ना - पाना
शख्शियत पूरी मुझे प्यासी दे दो
जिस्म को देख लेंगे कभी हम
धड़कनें मुझको अपनी खासी दे दो
बड़े फरेब हैं इस मोहब्ब्त की नगर
मेरी तलाशी ले लो, खुद तलाशी दे दो.
आवेग सिंह.
17.11.09
Mujhako mohabbat ki shabashi de do
Dil-o jism ki talashi de do
Ab to ehasason se khelane lage log
Ho koi man mein wo udasi de do
Tukadon-tukadon mein kya milna-pana
Shakhsiyat puri mujhako pyasi de do
Jism ko kabhi dekh leingein hum
Dhadkanein mujhako apni khasi de do
Bade fareb hain ees mohabbat ke nagar
Meri talashi le lo-khud talashi de do.
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