कोई ऑखों में समा जाए तो क्या कहिए
पुकारने पर भी ना आए तो क्या कहिए
सँवरती जाती है ज़िंदगी उम्मीद की तरह
दिलों के साज़ न बज पाए तो क्या कहिए
बहुत मुश्किल है किसी के करीब जा पाना
ज़िस्म से ज़िस्म लिपट जाए तो क्या कहिए
मुहब्बत की बातें करना बहुत आसान मगर
दर्द-ए-मुहब्बत ना सहा जाए तो क्या कहिए
जो चाहा वो अक्सर नहीं मिलता है दोस्त
यूँ ही कोई मिल जाए तो क्या कहिए.
Koi aankhon mein sama jaye to kya kahiye
Pukarne per bhi na aaye to kya kahiye
Sanwarti jati hai jindagi ummeed ki tarah
Dilon ke saaz na baj paye to kya kahiye
Bahut mushkil hai kisi ke kareeb jaa pana
Jism se jism lipat jaye to kya kahiye
Muhabbat ki baatein karana asaan magar
Dard-e-muhabbat na saha jaye to kya kahiye
Jo chaha wo aksar nahin milta hai dost
Yun hi koi mil jaye to kya kahiye.
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