Wednesday, November 4, 2009

चुटकुला: मदद की अन्तिम गुहार!

चुटकुला: मदद की अन्तिम गुहार!

एक पुरूष एक स्त्री का कार ऐक्सिडेण्ट हुआ; बहुत ही भयानक ऐक्सिडेण्ट। दोनों के कार बिल्कुल चकनाचूर हो गया पर आश्चर्यजनक तरीके से दोनों में से किसी को चोट नहीं पहुँची।

जब वे दोनों कार से रेंगकर बाहर आये, तो स्त्री कहती है, “तो तुम एक मर्द हो, दिलचस्प बात है। मैं एक स्त्री हूँ। वाऊ, ज़रा हमारी कारों को देखो! कुछ भी नहीं बचा, पर सौभाग्य से हमें कुछ नहीं हुआ। ऊपरवाला शायद यह कहना चाहता है कि हमें दोस्त बन जाना चाहिए और शांतिपूर्वक साथ में जिन्दगी गुज़ारनी चाहिए।

आदमी भी तरन्त उत्तर देता है, “हाँ-हाँ, मैं तुम्हारी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ!”

इसमें अवश्य ही भगवान का कुछ इशारा छुपा हुआ है!” स्त्री आगे कहती है, “यहाँ एक और चमत्कार तो देखो। मेरी कार पूरी तरह बरबाद हो गयी, पर शराब की यह बोतल नहीं टूटी। भगवान ज़रूर ही यह चाहते हैं कि हम इस शराब को पीकर अपने सौभाग्य की खुशियाँ मनाएँ।

फिर वह बोतल आदमी के हाथ में देती है, वह भी सहमति में अपना सिर हिलता है, बोतल खोलता है और फिर आधी बोतल शराब पीकर वापस स्त्री को दे देता है।

औरत बोतल लेती है, जल्दी से ढक्कन बन्द करती है और आदमी को वापस दे देती है।

आदमी पूछता है, “क्या तुम नहीं पीओगी?”

औरत उत्तर देती है, “नहीं, मुझे लगता है कि मुझे पुलिस के आने का इन्तज़ार करना चाहिए…”

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