Saturday, March 15, 2008

main tera saath nibha sakun

मैं तेरा साथ निभा सकूं,ये बस में नहीं है मेरे बात । हमारे रास्ते हैं जुदा जुदा , ना मैं चल सकूंगा तेरे साथ। फिर भी दिल की ये आरज़ू है कि ,कभी तुम को अपना बना सकें। काश ये तमन्ना हो पूरी,तम्हें सदके दिल के अपना सकें। तेरे सहारे कुछ गुज़ारें वक्त ,कहें दिल की बातें बेधडक । कोई डर हो ना हो खौफ,खुला आशियां हो और हो फलक। ऊंची हमारी उडान हो,चाँद को छू कर देख लें । मरने से पहले एक दफा ,जीने का मतलब सीख लें । मर के भी ये एहसास होके तुम मेरे पास हो। मंज़िल को पाने का मज़ा ही क्या?,जो हमसफर ना साथ हो। लेकिन.........तेरा साथ मैं निभा सकूं ये बस में नहीं है मेरे बातउल्फत -ऐ॒ मोहब्बत का क्या पता?टूट जाए तुम्हें पाने के बाद

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