Monday, March 24, 2008

पाकिस्तान की शायरी-1

दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शबे-ग़म1 गुज़ार के

वीराँ है मैकदा ख़ुमो-सागर2 उदास है
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के

इक फ़ुर्सते-गुनाह मिली, वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझसे भी दिलफ़रेब3 हैं, ग़म रोज़गार के4

भूले से मुस्करा तो दिए थे वो आज ‘फ़ैज़’
मत पूछ वलवले5 दिले नाकर्दाकार6 के
1. दुख की रात
2. शराब का मटका और प्याला
3. दिल को धोखा देने वाले
4. रोजी-रोटी की चिन्ता
5. उमंग हौसले
6. नातजुर्बेकार हृदय




दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं
जैसे बिछड़े हुए काबे में सनम आते हैं

एक-इक करके हुए जाते हैं तारे रौशन
मेरी मज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते हैं

रक़्से-मैं1 तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो
सूए-मैख़ाना2 सफ़ीराने-हरम3 आते हैं

कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग
वो तो जब आते हैं माइल-ब-करम4 आते हैं

1. मदिरा-नृत्य
2. शराबखाने की ओर
3. मस्जिद के प्रतिनिधि
4. मेहरबानी करते हुए
5. जुदाई की रात

बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते
तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा1 क्यों नहीं देते

दर्दे-शबे-हिज्राँ2 की जज़ा3 क्यों नहीं देते
ख़ूने दिले बहशी4 का सिला5 क्यों नहीं देते

मिट जाएगी मख़लूक़6 तो इंसाफ़ करोगे
मुन्सिफ़7 हो तो अब हश्र उठा क्यों नहीं देते

हाँ नुक्ता-वरो8 लाओ लबो-दिल की गवाही
हाँ नग़मागरो साज़े-सदा क्यों नहीं देते

पैमाने-जुनूँ9 हाथों को शरमाएगा कब तक
दिलवालों गिरेबाँ का पता क्यों नहीं देते

बरबादिए-दिल जब्र नहीं ‘फ़ैज़’ किसी का
वो दुश्मने-जाँ है तो भुला क्यों नहीं देते

1. रोग से छुटकारा
2. जुदाई की रात का दर्द
3. बदला
4. सिरफिरे या पागल व्यक्ति द्वारा किया गया खूनख़राबा
5. बदला या प्रतिकार
6. जीव, दुनिया
7. न्यायकर्ता
8. मीन-मेख निकालने वाले
9. पागलपन की प्रतिज्ञा

सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम1 दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता

गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल2 में
मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा3, ऐसे नहीं होता

जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें4
यहाँ पैमाने-तललीमो-रज़ा5 ऐसे नहीं होता

हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा6, ऐसे नहीं होता

रवाँ है नब्ज़े-दौराँ7, गार्दिशों में आसमाँ सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता

1. मूर्ति, पत्थर
2. हत्यास्थल
3. ख़ून के बदले का हिसाब
4. न युक्तियाँ, न सज़ाएँ
5. स्वीकृति की प्रतिज्ञा
6. प्रलय का दिन
7. युग की धड़कन
8. संकटों

हमने सब शेर में सँवारे थे
हमसे जितने सुख़न1 तुम्हारे थे

रंगों ख़ुश्बू के, हुस्नो-ख़ूबी के
तुमसे थे जितने इस्तिआरे2 थे

तेरे क़ौलो-क़रार3 से पहले
अपने कुछ और भी सहारे थे

जब वो लालो-गुहर4 हिसाब किए
जो तरे ग़म ने दिल पे वारे थे

मेरे दामन में आ गिरे सारे
जितने तश्ते-फ़लक5 में तारे थे

उम्रे-जाविदे6 की दुआ करते थे
‘फ़ैज़’ इतने वो कब हमारे थे

1. संवाद
2. रूपक
3. वचन-स्वीकृति
4. हीरे-मोती
5. आसमान की तश्तरी
6. उम्रदराज़ होने

कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हात में तेरा हात नहीं
सद-शुक्र कि अपनी रातों में, अब हिज्र1 की कोई रात नहीं

मुश्किल हैं अगर हालात वहां, दिल बेच आएँ, जाँ दे आएँ
दिल वालों कूचा-ए-जानाँ2 में क्या ऐसे भी हालात नहीं

जिस धज से कोई मक़तल में गया, वो शान सलामत रहती है
ये जान तो आनी-जानी है, इस जाँ की तो कोई बात नहीं

मैदान-वफ़ा दरबार नहीं, याँ नामो नसब3 की पूछ कहाँ
आशिक़ तो किसी का नाम नहीं, कुछ इश्क़ किसी की ज़ात नहीं

गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं


1. वियोग
2. प्रेमी की गली
3. नाम व वंशावली

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