एक वृध्द सज्जन गंभीर रूप से बीमार पड़े । जब उन्होंने यह जान लिया कि अब मृत्यु का समय नजदीक है तो उन्होंने अपने वकील को बुलाया और कहा - वकील साहब, आपको शायद पता नहीं होगा कि मैंने भी कभी वकालत की परीक्षा पास की थी। पर चूंकि वकालत को पेशे के रूप में अपनाने का मेरा कोई इरादा नहीं था इसलिए मैंने वकील के रूप में अपना पंजीयन नहीं कराया। अब मैं अपना पंजीयन कराना चाहता हूं। कृपया बताइए कि एक-दो दिन में ही इस काम को कराने में कितना खर्च होगा।
- लगभग 25000 रु. । परन्तु अब जब आप मृत्यु शैया पर हैं, वकील क्यों बनना चाहते हैं ?
वकील साहब ने हैरान होते हुए पूछा ।
- आपको उससे कोई मतलब नहीं। आप रुपये ले जाइए और मेरा वकालत का पंजीयन करवाइए।
तीन दिन के भीतर वकील साहब ने उनका पंजीयन करवा दिया।
चौथे दिन वृध्द सज्जन को खांसी का दौरा पड़ा। लगा कि अब प्राण निकलने ही वाले हैं। वकील साहब पास ही खड़े थे। उन्होंने धीरे से पूछा - जाने के पहले कृपया बताइए कि आप वकील बनने के लिए इतने आतुर क्यों थे ? आखिर इतने पैसे खर्च करने से आपको क्या लाभ हुआ ?
वृध्द सज्जन ने फूलती हुई सांसों को काबू करते हुए कहा - अब मेरे मरने से दुनिया में कम से कम एक वकील तो कम होगा ..............
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........raj.........
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