Wednesday, June 4, 2008

धर्मशाला और धोबी गधा --JOKE

एक महाशय अपनी बहूँ को लाने बेटे की ससुराल जाते है,महाशय ी बहूँ को विदा कराके पैदल ही चल देते है.रास्ते मे जंगल था,रोडवेज या कोई साधन न होने के कारण पैदल ही जाना पड़ रहा था.अचानक जोरो की बारिश और तूफान आ गया.महाशय जी और उनकी बहूँ दोनों बुरी तरह भीग जाते है.चलते-चलते जंगल में एक धर्मशाला दिखाई पड़ती है,धर्मशाला में जाकर एक कोने बैठ जाते है.बारिश और तूफान बढ़ता ही जा रहा था,तभी एक आदमी गन्ने का गट्ठर लिए भीगता हुआ उसी धर्मशाला में आकर एक कोने में वह भी बैठ जाता है.कुछ ही समय बितता है एक धोबी अपने गधे को ढूँढता हुआ उसी धर्मशाला में आकर एक कोने में वह भी खड़ा हो कर तूफान के थमने का इन्तजार करने लगता है.धर्मशाला मे अँधेरा होने के कारन कोई किसी को देख नही पा रहा था.
बारिश बढ़ती ही जा रही थी तूफान और और तेज हो गया.जोरो की ठंड पड़ने लगी,ठंड के कारण महाशय जी की नियत बहूँ के ऊपर खराब हो गयी.महाशय जी ने अपना हाथ बहूँ के कंधे पर रख दीया,बहूँ की तरफ से कोई विरोध न देखकर महाशय जी का मन और बढ़ गया.बहूँ भी ठंड से काँप रही थी,बहूँ की रजामंदी मिलते ही महाशय जी सेक्स मे लीन हो गए.

तभी अचानक धर्मशाला में कुछ कट-कटाने की आवाज़ आई,बहूँ ने महाशय जी से कहा निकालो-निकालो नही तो कोई देख लेगा,इतने मे गन्ने वाला चिल्लाया एक भी गन्ना निकाला तो ख़ैर नही.बहूँ ने फिर कहा निकलों-निकलों,महाशय जी ने कहा नही निकल सकता मैं इस समय तीनो लोक देख रहा हूँ. यह बात सुन धोबी चिल्लाया महाशय आप कहा है, मैं अपने गधे को तीन दिन से ढूंढ रहा हूँ कृपा करके बता दीजिये वह कहा पे है!

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