इश्क में हम तुम्हे क्या बतायें,किस कदर चोट खाए हुए है.
मौत ने हमको मारा है और हम ज़िंदगी के सताए हुए है.
एक आसूं ने पलकों से टपके,ये वफ़ा का तकाजा है वरना,
दोस्तों अपनी आंखों में हम भी गंगा,जमुना छुपाये हुए हैं.
देख साकी तेरे मैकदे का कितना पहुंचा हुआ रिंद हूँ मैं.
जितने आये हैं मैयत पे मेरी सब के सब ही लगाये हुए हैं.
हे लहद अपनी मिटटी से कह दे,दाग लगने न पाए कफ़न को,
आज ही हमने बदले हैं कपडे,आज ही हम नहाये हुए है.
उसने शादी का जोडा पहन कर,सिर्फ चूमा था मेरे कफ़न को,
बस उसी दिन से जन्नत में हूरें,मुझको दूल्हा बनायें हुए है.
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........raj.........
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