Monday, August 17, 2009
हिन्दी एस एम् एस
बीच भवर में हम है फसे और लहरें भी हुवी बेवफा
फासले ऐसे में साहिल से हर पल हो रहे है जियादा
कही इतनी दुरी न हो जाए,के देख सके न हमे कोई
तन्हाई में मिट के रहेगी वरना इस जिंदगी की दास्ताँ
२-चैन से ये भी न गुजरेगा जो वक्त बचा है जरासा जिंदगी का
जी ते जी कितनी बार उठेगा और अब जनाजा जिंदगी का
एक लम्हा भी हासिल न हुवा कभी, नाज कर लेते जिस पे
ऐ खुदा रहने दे,बहोत हो चुका अब ये तमाशा जिंदगी का
३-बड़े नाज़ से सजाई है हमने,महफिल में तुम आओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे,अपना दिल लाओगे क्या
कबसे तरस रही मेरी हसरते,हकीकत में बदल जाने को
ख्वाब से सजी इस जिंदगी को,हकीकत बनाओगे क्या
४--सिमट के रह गयी ये जिंदगी बस उनकी चाहत में
और कोई दास्ता नही मेरी किताब-ऐ-हसरत में
तस्वीर उनकी निगाहों में,और कोई नजारा नही
जरा हमसे पूछो तो जानो,क्या नशा है मोहब्बत में
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