Tuesday, November 2, 2010

बेमिसाल हुस्न

फूल तुझसा न होगा कोई,जन्नत के गुलजारो में भी
उधर झलकती होगी परेशानी,खुदा के इशारो में भी

सितारे शक करते है,ये चाँद फलक पे कौन सा है
कोई और चाँद नजर आता है,जमी के नजारों में भी

कुछ पल रुक के सीखी है,शोखी तेरी अंगडाईयो से
जाके तब आई है रवानी,नदी की उदास धारों में भी

पयाम पंहुचा रहा है भवरा,इस कली से उस कली
बस चर्चे है आजकल,तेरे नाम के बहारो में भी

क्यों न समझे खुशनसीब,आख़िर ख़ुद को 'ठाकुर'
नाम अपना आया है अब तो,इश्क के मारो में भी

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