Monday, November 8, 2010

बेवफाई शेरो – शायरी

उठाये जिस के लिए गम मैंने,यह वो ख़ुशी तो नही
छुपाके अश्क मुस्कुराये,मगर यह वो हसी तो नही
निकला था कहा जाने को और पोह्चा हू किस मंजिल पे
जिसके लिए इस दुनिया मे आया,यह वो जिन्दगी तो नही

तनहाई के सागर मे उठती है यादो कि लहरे
पल पल हुवे जाते है दिल के जख्म गहरे
ए खुदा अब कुछ ऐसा कर तू मेरे लिए
या तो मिट जाये सारे गम या फिर ये जिंदगी ठहरे


पता दे मुझको साकी किसी और मैखाने का
के तेरे पास कि ख़त्म हो रही और होश अब भी मेरा बाकी है

सबब और न बन सकेंगे जीने के अब तेरी यादो के सहारे
अब के इस दिल ने है ठानी या तू नही या फिर मैं नही

क्या बताये तुमसे बिछड़ के हम, हम ना रहे
एक तो गम-ए-हिज्र रहा और कोई गम ना रहे
दूर गुलजारो मे फूल रहे मुर्जाये हुवे
और दामन मे मेरे काटे भी कम ना रहे


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