हरदम कौन ये मेरे दिल में,
सुख में, दुःख में, हर मुश्किल में,
हर्ष में मेरे, या अश्कों में,
गीत मजे से गाता है,
शब्द कहाँ से लाता है, धुन भी लेकर आता है …….
हरदम कौन ये मेरे दिल में,
गीत मजे से गाता है……..
सुख में, दुःख में, हर मुश्किल में,
हर्ष में मेरे, या अश्कों में,
गीत मजे से गाता है,
शब्द कहाँ से लाता है, धुन भी लेकर आता है …….
हरदम कौन ये मेरे दिल में,
गीत मजे से गाता है……..
कभी न समझा, न समझूंगा,
कौन है ये, क्या नाता है,
क्यूँ इसने इस मेरे दिल को अपना ही घर माना है,
इसकी क्या उम्मीद है मुझसे, मुझमे क्या ये पाता है,
जो अनजाने में अर्पित सा हर गीत उमड़ कर आता है
शब्द कहाँ से लाता है, धुन भी लेकर आता है…….
हरदम कौन ये मेरे दिल में,
गीत मजे से गाता है……..
कौन है ये, क्या नाता है,
क्यूँ इसने इस मेरे दिल को अपना ही घर माना है,
इसकी क्या उम्मीद है मुझसे, मुझमे क्या ये पाता है,
जो अनजाने में अर्पित सा हर गीत उमड़ कर आता है
शब्द कहाँ से लाता है, धुन भी लेकर आता है…….
हरदम कौन ये मेरे दिल में,
गीत मजे से गाता है……..
कहते लोग ये गीत मेरे हैं,
ये सच यारों बात नहीं,
चाहे हो ये लेखन मेरा, शब्द्सुधा ये मेरी नहीं,
मुख मेरे आयी हो कविता, पर ये गुंजन मेरा नहीं है,
मुझमे ही रहकर जो मुझसे अलग अलग सा रहता है,
वो ही सबकुछ करता है,शब्द कहाँ से लाता है, धुन भी लेकर आता है…….
हरदम कौन ये मेरे दिल में,
गीत मजे से गाता है ……..
ये सच यारों बात नहीं,
चाहे हो ये लेखन मेरा, शब्द्सुधा ये मेरी नहीं,
मुख मेरे आयी हो कविता, पर ये गुंजन मेरा नहीं है,
मुझमे ही रहकर जो मुझसे अलग अलग सा रहता है,
वो ही सबकुछ करता है,शब्द कहाँ से लाता है, धुन भी लेकर आता है…….
हरदम कौन ये मेरे दिल में,
गीत मजे से गाता है ……..
Hardam kaun ye mere dil mein,
Sukh mein, dukh mein, har mushkil mein,
Harsh mein mere, ya ashkon mein,
Geet maje se gata hai,
Shabd kahan se lata hai, dhun bhi lekar aata hai…….
Hardam kaun ye mere dil mein,
Geet maje se gata hai……..
Kabhi na samajha, na samjhoonga,
Kaun hai ye, kya nata hai,
Kyun isne mere dil ko bhee apna hee ghar mana hai,
Iski kya ummeed hai mujhse, mujhme kya ye paata hai,
Jo anjane mein arpit sa har geet umad kar aata hai
Shabd kahan se lata hai, dhun bhi lekar aata hai…….
Hardam kaun ye mere dil mein,
Geet maje se gata hai……..
Kahate log ye geet mere hain,
Ye such yaron baat nahin,
Chahe ho ye lekhan mera, shabdsudha ye meri nahin,
Mukh mere ayi ho kavita, par ye gunjan mera nahin hai,
Mujhme hee rahkar jo mujhse alag alag sa rahata hai,
Wo hee sabkuch karta hai,
Shabd kahan se lata hai, dhun bhi lekar aata hai…….
Hardam kaun ye mere dil mein,
Geet maje se gata hai……..
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