Friday, February 12, 2010

मुहब्बत मूकदर है कोई ख्वाब नही।

मुहब्बत मूकदर है कोई ख्वाब नही।
वो अदा है जिसमे सब कामयाब नही।
जिन्हे इश्क की पनाह मिली वे चंद है,
जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।
तुम्हारी सूरत को देखूं तो
हीरा कोहिनूर लगती हो।
तुम कोई बडी हस्ती हो,
इस तरह मशहूर लगती हो।
चंचल,शोख अदाएं हैं तेरी,
सो जन्नत की हूर लगती हो।
पर, इस तारीफ को तुम सच्चाई न समझना,
हकीकत में तुम इनसे काफी दूर लगती हो।

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