प्यार से नहीं रुसवाई से डरते है
मिलने की तो बहुत चाहत है
पर मिलने के बाद जुदाई से डरते है डर के बिना ज़िन्दगी क्या …
हौसला के बिना जीना क्या …
डर तो हमी भी है उससे दूर रहना का …
पर वोह डर ही क्या जब पास रहने को वोह इंसान ही नहीं रह !!!
वाह वाह नीचे 1 कीप आईटी कम्मिन
वक़्त ने वोह ख़ाक ओरई है दिल की दश से
क़फिल्लय गोज़र्तय है पर नक्श – इ -पर कोई नहीं ………
:किस दिल से तेरे पीयर की सौगात मंगू .
किस मोहब्बत से तेरे जुदाई का दर्द मंगू .
मुझे दर है तुझे खो देने का .
किस खुदा से तुझे पाने की दुआ मंगू .
किस मोहब्बत से तेरे जुदाई का दर्द मंगू .
मुझे दर है तुझे खो देने का .
किस खुदा से तुझे पाने की दुआ मंगू .
ज़िन्दगी चाहत का सिलसिला है
फिर भी जिसको चाह वो कहाँ मिला है ,
दुश्मनों से हमें कोई शिकायत नहीं
अपनों ने ही लूटा इस बात का गिला है ,
जिसको चाह वो ही दे गया दगा हमको
ज़माने में क्या येही मिलता वफ़ा का सिला है.
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