Monday, December 29, 2008

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं

मेरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जानो ईमां हैं
निगाहें मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं

फ़िराक़ अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं

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