Tuesday, August 9, 2011

गीत कोइ प्यार के बस गुनगुनाता तू चलाजा।

आदमी है, आदमी से मिल मिलाता तू चलाजा।
गीत कोइ प्यार के बस गुनगुनाता तू चलाजा।


गर तुझे अँधियारा राहों में मिले तो याद रख़,
हर जगह दीपक उजाले के जलाता तू चलाजा।


जो तुझे चूभ जायें काँटे, राह में हो बेखबर,
अपने हाथों से हटा कर, गुल बिछाता तू चलाजा।


सामने तेरे ख़डी है जिंदगानी देख ले,
बीती यादों को सदा दिल से मिटाता तू चलाजा।

राज़ हम आये हैं दुनिया में ही ज़ीने के लिये।
हँस के जी ले प्यार से और मुस्कुराता  तू चलाजा।

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