Friday, August 28, 2009

हसीन शायरी”



हसीन शायरी”

तू कातिल तेरा दिल कातिल

तेरे गोरे गाल पे कला तिल कातिल हुम्हे तोह डर है जालिम

आपस में लड़ न बेठे तू कातिल में कातिल……॥



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दोस्त तो बहुत मिलते हैं ज़माने में

पर हर मोड़ पर साचा यार नहीं मिलता

यार तो बहुत होते हैं

दिल लगाने की

पर हर यार से सचा प्यार नहीं मिलता

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दूऊऊऊओर् से देखा तो बारिश हो रही थी,

पाआआआअस् जाकर देखा तो “भींग गए”.

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शाह जहाँ ने ताज महल की हर दीवार को देखा,

चार मीनार को देखा और कहा “माँ कसम कितना खर्चा हो गया”.

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फूलों से क्या दोस्ती करते हो वह तो मुरझा जाते हैं,

करना है तो कांटो से दोस्ती करो जो चुभ कर भी याद आते हैं















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