Tuesday, December 21, 2010

कच्चा-पक्का मकान था अपना

कच्चा-पक्का मकान था अपना
फिर भी कुछ तो निशान था अपना
अपना तुमको समझ लिया हमने
तुम भी लेते समझ हमें अपना
वो भी गैरों‍-सी बात करने लगे
जिनके होंठों पे नाम था अपना
है पीपल ना पेड़ बेरी का
ये शहर है, वो गांव था अपना
इससे आगे तो रास्ता ही नहीं
शायद ये ही मुकाम था अपना

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