Saturday, December 18, 2010

ताई, छोरी और ट्रेफिक हवलदार

ताई, छोरी और ट्रेफिक हवलदार



ताऊ का शहर के अस्पताल मे आपरेशन हुया था ! सो ताई
को शहर जाणा था ! सो ताई चढ ली शहर जाण आली बस मै !
बस मै घणी ठाडी भीड हो री थी ! बैठण की जगह कितै भी नही थी !
आगे आगे की सब सीटों पै कालेज जाण आले छोरे बैठे थे !
ताई को अनदेखी सी करके सारे छोरे सीटों पै जमे ही रहे !
कोई भी ना उठया ! ताई नै थोडी देर तो इन्तजार किया फिर
वहीं बस के बोनट पर बैठ गई !
थोडी देर बाद दो तीन कालेज जाण आली छोरियां अगले स्टाप
से बस मै चढी ! उन छोरीयां के चढते ही बैठे हुये लडकों ने
उनके लिये सीट खाली कर दी और अपनी सीटों पर उन छोरियों
को बैठा लिया और खुद खडे हो लिये ! ये देख कर ताई को
किम्मै छोह (गुस्सा) सा आगया ! ताई उन लडकों से तो किम्मै
ना बोली पर उन छोरियां तैं बोली - इतना इतराणै (गुरुर) क्युं
लाग री हो ? आज नही तै कल थमनै भी इसी बोनट पै आणा सै !


शहर पहुंच कै ताई बस तै उतर ली और अस्पताल की तरफ़ चाल
पडी ! रास्ते मै चोराहा पार करणा था सो ताई नै लाल पीली
लाइट का किम्मै बेरा था नही सो वो तो चाल पडी मूंह ठा के !
लाल लाइट मै चोराहा पार करते देख कै, ट्रेफ़िक होलदार सीटी
मारण लाग ग्या ! पर ताई तो सीधी ही चाली जावै थी ! फ़िर
दोड कै होलदार साब नै ताई को रोका !
और बोला- क्युं ताई मरण का सोच कै आई सै के ?
ताई- अरे बेटा मैं क्युं मरण लागी ! तैं ढंग सै नही बोल सकदा के ?
या तनै बात करण की तमीज नही सिखाई तेरे घर आला नै ?
होलदार-- ताई मैं इतनी देर तैं सीटी मारण लाग रया सूं अर तैं तो
रुकदी ही नही ?
ताई बोली-- अरे तेरी के अक्ल खराब हो राखी सै ?
इब मेरी या उम्र के तन्नै सीटी पर रुकण की दिखै सै ?
अपनै जमानै मै तो मै एक सीटी पर ही रुक जाया करै थी !
और छोह मै आके ताई नै होलदार के दो कान तले बजा दिये !

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