Friday, December 25, 2009

मेरी आँखों से तेरी आँखों तक

मेरी आँखों से तेरी आँखों तक
प्यार की जब हो गुपचुप बात
होठ सिले हों, आँखें नम हो
मौसम बजा रहा हो साज
दूर कही शहनाई बजे और
बागों में खिल उठे गुलाब
स्पर्श तुम्हारा बजे तरंग बन
दूर कहीं जलती हो आग,
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद.......




Meri ankhon se teri ankhon tak
Pyar ki jab ho gupchup bat
Honth sile hon, ankhen nam ho
Mausam baja raha ho saz
Door kahin shahnai baje aur
Bagon mein khil uthe gulab
Sparsh tumhara baje tarang ban
Door kahin jalti ho aag,
Ek duje ko jane ham jab
Mook hamare ho samvad.........

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