Wednesday, December 2, 2009

नींद कितनी उदास थी

आज मैंने गौर किया तो पाया
के नींद कितनी उदास थी
और आखों से कितनी दूर
अपने ही गम में कहीं गुम थी
उस के आईने पर
सपनो का अक्स था
इस लिए मैंने उसे नहीं जगाया
बस हौले से सहलाया और
ख़ुद को बहुत बेचैन पाया
क्यों कि आज मैंने गौर किया तो पाया
कि .........
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Aaj maine gour kiya to paya
Ke neend kitni udas thi
Aur akhon se kitni dur
Apne hi gam mein kahin gum thi
As ke aayine par
Sapno ka aks tha
Is liye maine use nahin jagaya
Bas houle se sehlaya aur
Khud ko bahut bechain paya
Kyon ki aj maine gour kiya to paya
Ki .........

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