उससे हम क्यों भला छेड़खानी करें
उससे हम क्यों भला छेड़खानी करें
जिसके भाई सभी पहलवानी करें
माना उससे कोई ख़ूबसूरत नही
है कोई दिल कि जिसमें वो मूरत नहीं
पसलियाँ एक हो जाएँ जिस प्यार में
मुझको उस प्यार की अब ज़रूरत नहीं
उसपे क़ुर्बान क्यों ये जवानी करें...
जिसके भाई...
हाथ पैरों से मोहताज़ हो जाऊँ मैं
एक टूटा हुआ साज़ हो जाऊँ मैं
इश्क़ के इस झमेले में क्यों ख़ामख़ा
आई एम से आई वाज़ हो जाऊँ
मुफ़्त में क्यों फ़ना ज़िंदगानी करें...
जिसके भाई...
क्यों कहूँ झूठ मैं उनसे डरता नहीं
ऐसी हिम्मत का दावा मैं करता नहीं
उसके भाई कहीं ना मुझे देख लें
उस मोहल्ले से भी मैं ग़ुज़रता नहीं
उनके जूते मेरी मान-हानी करें...
जिसके भाई...
जिस पे ख़तरा हो उसपे क्यों ट्राई करें
सबसे पिटते फिरें जग हँसाई करें
उसके भाई जो ठोकें सो ठोकें मगर
राह चलते भी मेरी ठुकाई करें
अपनी काया से क्यों बे-ईमानी करें...
जिसके भाई...
बात करने का भी है नहीं हौसला
बेहतरी है सुरक्षित रखें फ़ासला
भाइयों कि पिटाई झिलेगी नहीं
बस यही सोच के कर लिया फ़ैसला
ख़त्म अपनी यहीं पर कहानी करें...
जिसके भाई...
जिसके भाई सभी पहलवानी करें
माना उससे कोई ख़ूबसूरत नही
है कोई दिल कि जिसमें वो मूरत नहीं
पसलियाँ एक हो जाएँ जिस प्यार में
मुझको उस प्यार की अब ज़रूरत नहीं
उसपे क़ुर्बान क्यों ये जवानी करें...
जिसके भाई...
हाथ पैरों से मोहताज़ हो जाऊँ मैं
एक टूटा हुआ साज़ हो जाऊँ मैं
इश्क़ के इस झमेले में क्यों ख़ामख़ा
आई एम से आई वाज़ हो जाऊँ
मुफ़्त में क्यों फ़ना ज़िंदगानी करें...
जिसके भाई...
क्यों कहूँ झूठ मैं उनसे डरता नहीं
ऐसी हिम्मत का दावा मैं करता नहीं
उसके भाई कहीं ना मुझे देख लें
उस मोहल्ले से भी मैं ग़ुज़रता नहीं
उनके जूते मेरी मान-हानी करें...
जिसके भाई...
जिस पे ख़तरा हो उसपे क्यों ट्राई करें
सबसे पिटते फिरें जग हँसाई करें
उसके भाई जो ठोकें सो ठोकें मगर
राह चलते भी मेरी ठुकाई करें
अपनी काया से क्यों बे-ईमानी करें...
जिसके भाई...
बात करने का भी है नहीं हौसला
बेहतरी है सुरक्षित रखें फ़ासला
भाइयों कि पिटाई झिलेगी नहीं
बस यही सोच के कर लिया फ़ैसला
ख़त्म अपनी यहीं पर कहानी करें...
जिसके भाई...
us se ham kyon bhala chhedkhani karein
jiske bhai sabhi pehalwani karein
mana us se koi khoobsurat nahi
hai koi dil jismein wo murat nahi
pasliyan ek ho jayen jis pyar mein
mujhe us pyar ki ab zaroorat nahi
us pe kurban kyon ye jawani karein
jiske bhai.......
hath pairon se mohataj ho jaun main
ek tuta hua saz ho jaun main
ishq ke is jhamele mein kyon khamakhwaa
I am se I was ho jaun
muft mein kyon fana zindagani karein...
jiske bhai...
kyon kahun jhuth main unse darta nahin
aisi himmat ka dava main karta nahin
uske bhai kahin na mujhe dekh lein
us mohalle se bhi main guzarata nahin
unake jute meri maan-hani karein...
jisake bhai...
jis pe khatra ho uspe kyon try karein
sabse pit te phiren jag hansai karein
uske bhai jo thokein so thokein magar
rah chalte bhi meri thukai karein
apni kaya se kyon be-imani karein...
jiske bhai...
bat karne ka bhi hai nahin housala
behatari hai surakshit rakhein fasala
bhaiyon ki pitai jhilegi nahin
bas yahi soch ke kar liya faisla
khatm apni yahin par kahani karein...
jiske bhai...
adorable.........
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