Monday, March 15, 2010

मेरे दिल की आग को भड़काया है..

मेरे दिल की आग को भड़काया है..
देखती होगी जब भी आईना खुद पे इतराती तो होगी...
महबूब की बाँहों में समाने को ये जवानी बल खाती तो होगी..
ख्वाब में ही सही मुझसे मिलने पर ये नजरें चुराती तो होगी..
तेरा दीवाना है सोच के मन ही मन तुम मुस्कराती तो होगी..
महबूब के पहले चुम्बन की महक तेरे दिल को गुदगुदाती तो होगी..
मधुर मिलन की तड़पन तेरे दिल की आग भड़काती तो होगी..
अपने दिल का हाल किससे कहुँ ये सोच के कसमसाती तो होगी..
कुछ ऐसा ही हाल है इधर जब से तुने इस दिल को धड़काया है..
सागर में भी था प्यासा इस बात का एहसास मुझे कराया है..
है इश्क आग का इक दरिया तो उस पार तेरा प्यार का बसाया है..
जानता हूँ तू सुबह की मखमली धूप और मुझपर रात का साया है..
जल जाऊँगा इस इश्क की आग में क्योंकि इसे तूने जो लगाया है..
हुस्न की आग और इश्क के परवाने की ये मोहब्बत तेरे सदके फरमाया है..
क्योंकि तेरे दिल की आहट ने ही मेरे दिल की आग को भड़काया है..



Dekhti hogi jab bhi aaina, khud pe itrati to hogi
mehboob ki banho me samane ko ye jawani bal khati to hogi
khwab me hi sahi, mujhase milne par ye nazare churati to hogi
Tera diwaana hai ye soch ke man hi man tum muskurati to hogi
Mehbub ke pehale chumban ki mehak tere dil ko gudgudati to hogi
Madhur milan ki tadapan tere dil ki aag bhadkati to hogi
Apne dil ka haal kisase kahun, ye soch kar kasmasati to hogi
Kuch aisa hi hai haal idhar, jab se tumne is dil ko dhadkaya hai
Sagar me bhi tha pyaasa. Is bat ka ahsas mujhe karaya hai
Hai ishq aag ka ek dariya to us paar tere pyaar ka basaya hai
Janta hoon tu subah ki makhmali dhoop aur mujh par raat ka saya hai
Jal Jaunga is ishq ki aag me, kyoki ise tune jo lagaya hai..
Husn ki aag aur ishq ke parwane ki mohabbat tere sadke farmaya hai
Kyoki tere dil ki ahat ne hi mere dil ki aag ko bhadkaya hai

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