Tuesday, March 25, 2008

जानिए इश्क के बारे में इश्क क्या है?



ND ND
दो दिलों के धड़कने का नाम है इश्क, जज्बातों की आंधी है इश्क, एक-दूसरे की चाहत में कुछ कर गुजरने का जज्बा है इश्क। इश्क सिर्फ इश्क है और जब इश्क हो जाता है तो आशिक इसके बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं रखते सिवाय इश्क के। क्योंकि मोहब्बत ऐसे भावनात्मक जुड़ाव का नाम है जो दो दिलों के बीच पैदा होता है। यह वो जज्बा है जो आशिकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है, जहाँ ऊँच-नीच, अमीर-गरीब या किसी और के लिए कोई जगह नहीं होती, यहाँ अगर कुछ है तो सिर्फ प्रेम, प्रेम और प्रेम...।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हसीन दुनिया में कदम रखने के पहले आपको किन स्तरों से गुजरना होता है। चाहे आप इस बारे में जानें या न जानें लेकिन इतना जरूर है कि इस खूबसूरत एहसास को महसूस करने के लिए हर वो रास्ता हसीन होगा, जहाँ से गुजरकर प्रेम की दुनिया में जाया जाए। आइए हम यहां बात करते हैं उन स्थितियों के बारे में, जो आपके प्यार को स्थायित्व देने आपकी मददगार होंगी।

आकर्षण : प्यार में सबसे पहली स्थिति होती है आकर्षण और ये आकर्षण दो तरीकों से हो सकता है, शारीरिक या फिर भावनात्मक। हमारे रोजमर्रा के जीवन में या अचानक मिलने वाले लोगों में कोई एक ऐसा होता है, जिससे मिलने, बात करने और दोस्ती करने के लिए आपका दिल हमेशा बेताब रहता है। आप हमेशा इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि किसी तरह से उनसे बातचीत का सिलसिला शुरू हो। और जब आप उनसे दोस्ती कर चुके होते हैं तो धीरे-धीरे आपके बीच भावनात्मक लगाव पैदा होने लगता है। आपकी रुचियां, आपके विचार आदि मिलने लगते हैं। आपके बीच होने वाली बातचीत, बहस का मुद्दा भी अक्सर समान ही रहता है। इस तरह आप उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ने लगते हैं, जिसकी परिणति प्यार के रूप में होती है।

रोमांस : जब दो लोगों के बीच पैदा हुआ आकर्षण प्यार में तब्दील हो जाता है तो एक-दूसरे के लिए कुछ कर गुजरने की चाह उत्पन्न हो जाती है। आप हरदम उन्हें प्रभावित करने की कोई न कोई जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं। हो सकता है आप उनसे कुछ पाने के लिए उन्हें प्रभावित करना चाहते हों, जैसे कोई गिफ्ट या कुछ और लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आप उन्हें खुश करने के लिए, उन्हें इस बात का अहसास कराने के लिए कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं, उनके पसंदीदा कार्य करने लगते हैं। इसके पीछे आपकी कुछ पाने की लालसा नहीं होती, आप जो कुछ करते हैं, सिर्फ उनके लिए, उनकी खुशी की खातिर करते हैं।

धैर्य : प्यार हुआ, इकरार हुआ, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल...। शायद इसलिए कि हो सकता है भावनाओं की रौ में बहकर आप वो सब
जब दो लोगों के बीच पैदा हुआ आकर्षण प्यार में तब्दील हो जाता है तो एक-दूसरे के लिए कुछ कर गुजरने की चाह उत्पन्न हो जाती है। आप हरदम उन्हें प्रभावित करने की कोई न कोई जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं
कर जाएँ, जो उचित नहीं है। इन्हीं भावनाओं को वश में करने के लिए आवश्यकता है धैर्य की। क्योंकि धैर्य से काम लेकर ही आप अपने प्यार को एक लंबी जिंदगी दे सकते हैं।

अंतरंगता : यह वो स्थिति है, जब आप अपने प्रिय के इतने करीब होते हैं कि आप दोनों के बीच एक विशिष्ट प्रकार का सामंजस्य पैदा हो जाता है। ऐसा सामंजस्य या कहें कि ऐसा रिश्ता जिसमें आप अपना सोच, अपने विचार, अपनी अनुभूतियां एक-दूसरे के साथ बांटते हैं और कई बार तो बिना कुछ कहे ही एक-दूसरे के दिल की बात जान जाते हैं। अंतरंगता एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और जैसे-जैसे आपका रिश्ता प्रगाढ़ होता जाता है, ये बढ़ती जाती है।

वादा : यदि आप अपने प्यार की लंबी जिंदगी चाहते हैं तो कभी भी ऐसा वादा न करें, जो आप पूरा न कर पाएँ अन्यथा ये आपके संबंधों में दरार डाल सकता है। जब आपका समय अच्छा हो तो आप किसी भी तरह का कोई वादा कर लेते हैं लेकिन हो सकता है कि आप जो वादा अपने प्रिय से कर रहे हैं, किसी कारण से उसे पूरा न कर पाएँ। इसलिए जहां तक हो सके वादा न ही करें।

और फिर प्यार तो प्यार है, खुदा की सबसे बड़ी नेमत...यहाँ कहाँ किसी वादे या वादाखिलाफी के लिए कोई जगह है। अगर यहाँ कुछ है तो सिर्फ मोहब्बत....।

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