कर दिया इज़हारे-इश्क हमने मोबाईल पर,
लाख रूपये की बात थी, दो रूपये में हो गई
*****
और भी चीज़ें बहुत सी लुट चुकीं हैं दिल के साथ,
ये बताया दोस्तों ने इश्क फ़रमाने के बाद,
इसलिये कमरे की एक-एक चीज़ 'चैक' करता हूँ,
एक तेरे आने से पहले एक तेरे आने के बाद
*****
खिड़की खुली जुल्फ़ें बिखरी, दिल ने कहा दिलदार निकला,
पर हाय रे मेरी फूटी किस्मत, नहाया हुआ सरदार निकला
*****
कहते हैं कि इश्क में नींद उड़ जाती है,
कोई हमसे भी इश्क करे,
कमबख्त नींद बहुत आती है
*****
प्यार के ज़ाम को ऐसे ना पियो कि,
आधा पिया और आधा छोड़ दिया,
यारों ये प्यार है प्यार, नही कोई विम बार,
जो थोड़ा सा लगाया और बस हो गया
*****
इधर खुदा है, उधर खुदा है,
जिधर देखो उधर खुदा है,
इधर-उधर बस खुदा ही खुदा है,
जिधर नही खुदा है, उधर कल खुदेगा
*****
तुमसा कोई दूसरा ज़मीं पर हुआ,
तो रब से शिकायत होगी,
एक तो झेला नही जाता,
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी
*****
दुरख्त के पैमानें पर चिल्मन-ए-हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना,
दुरख्त के पैमानें पर चिल्मन-ए-हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना,
ये 'लाईन' समझ में आये तो मुझे ज़रूर बताना
*****
तेरे घर पे सनम हज़ार बार आयेंगे,
तेरे घर पे सनम हज़ार बार आयेंगे,
घंटी बजायेंगे और भाग जायेंगे,
*****
क्यों अपनी कब्र खुद ही खोद रहा है ग़ालिब,
क्यों अपनी कब्र खुद ही खोद रहा है ग़ालिब,
ला, फवड़ा मुझे दे
Wednesday, March 26, 2008
Tuesday, March 25, 2008
apki salaamti ki dua karenge
Dosti se aaj zamana sharmaaya hai
Teri chaahat ne kuch aisa ghazab dikhaaya hai
Khuda se kya tujhe maange Kashi
Vo toh aaj khud mujhse aap jaisa dost maangne aaya hai
Door hokar bhi mere paas hai AAP
Meri saanso mein basa ek ehsaas hai AAP
Aap ko yeh ehsaas ho na ho
Par mere liye bohat khaas hai AAP
I hide my tears when I say your name,
But the pain in my heart is same,
Though a smile seems care free,
There is no one who misses you more than me
Saatho aasmano ki sair hum kar aaye
Har ek taare se dosti kar aaye
Ek taara khaas tha jisse hum saath le aaye
Varna aap hi sochiye
Aap is zameen pe kaise aaye
Ae dost tujh pe nichaavar meri har khushi
dua hai meri aaye na koi gham teri raah mein kabhi
milley tumhe tumhara pyar har keemat pe
aankh nam na ho kisi bhi vajah se teri
HUM NE JAB BHI KOI KHUSHI MEHSOOS KI.
HAR KADAM PE AAP KI KAMI MEHSOOS KI.
DOOR REH KAR BHI AAP KI MOHABBAT KAM NA HUI.
YE BAAT HUM NE DIL SE MEHSOOS KI.
Apne dard E DIL ka Humdard Hume hi Paoge,
In tanhayon me saath hume hi paoge,
Door hain tum say to kya huwa,
In dooriyon me sabse kareeb hume hi paoge.
Bina dard ke aansoo bahaaye nahin jate
Bina pyar ke rishte nibhaaye nahin jate
Ae dost ek baat yaad rakhna bina DIL diye
DIL paaye bhi nahin jate
Kabhi dost kahte ho,kabhi dua dete ho.
kabhu bewaqt neend se jagaa dete ho.
par jab bhi hame shayari likhte ho,
zindagi ka ek pal badha dete ho.
Har aahat ehsaas hamara dilaayegi.,
Har hawa khushbu hamari laayegi.;
Hum dosti aisi nibhaayengey yaara!
Ki hum na honge aur humhari yaad tumhe sataayegi.
Har baar apki salaamti ki dua karenge
teri aarzoo mein apni hasti fanaah karenge
tum chahe daaman bachaalo humse lekin....
hum marte dam tak aapse wafa karenge
Teri dosti ke naam apni zindagi kar di
teri hansi ke nam apni har khushi kar di
tere aane se jeene ki vajah mil gayi hamein ae dost
dua maangi rab se toh rab ne meri umar lambi kardi
Teri chaahat ne kuch aisa ghazab dikhaaya hai
Khuda se kya tujhe maange Kashi
Vo toh aaj khud mujhse aap jaisa dost maangne aaya hai
Door hokar bhi mere paas hai AAP
Meri saanso mein basa ek ehsaas hai AAP
Aap ko yeh ehsaas ho na ho
Par mere liye bohat khaas hai AAP
I hide my tears when I say your name,
But the pain in my heart is same,
Though a smile seems care free,
There is no one who misses you more than me
Saatho aasmano ki sair hum kar aaye
Har ek taare se dosti kar aaye
Ek taara khaas tha jisse hum saath le aaye
Varna aap hi sochiye
Aap is zameen pe kaise aaye
Ae dost tujh pe nichaavar meri har khushi
dua hai meri aaye na koi gham teri raah mein kabhi
milley tumhe tumhara pyar har keemat pe
aankh nam na ho kisi bhi vajah se teri
HUM NE JAB BHI KOI KHUSHI MEHSOOS KI.
HAR KADAM PE AAP KI KAMI MEHSOOS KI.
DOOR REH KAR BHI AAP KI MOHABBAT KAM NA HUI.
YE BAAT HUM NE DIL SE MEHSOOS KI.
Apne dard E DIL ka Humdard Hume hi Paoge,
In tanhayon me saath hume hi paoge,
Door hain tum say to kya huwa,
In dooriyon me sabse kareeb hume hi paoge.
Bina dard ke aansoo bahaaye nahin jate
Bina pyar ke rishte nibhaaye nahin jate
Ae dost ek baat yaad rakhna bina DIL diye
DIL paaye bhi nahin jate
Kabhi dost kahte ho,kabhi dua dete ho.
kabhu bewaqt neend se jagaa dete ho.
par jab bhi hame shayari likhte ho,
zindagi ka ek pal badha dete ho.
Har aahat ehsaas hamara dilaayegi.,
Har hawa khushbu hamari laayegi.;
Hum dosti aisi nibhaayengey yaara!
Ki hum na honge aur humhari yaad tumhe sataayegi.
Har baar apki salaamti ki dua karenge
teri aarzoo mein apni hasti fanaah karenge
tum chahe daaman bachaalo humse lekin....
hum marte dam tak aapse wafa karenge
Teri dosti ke naam apni zindagi kar di
teri hansi ke nam apni har khushi kar di
tere aane se jeene ki vajah mil gayi hamein ae dost
dua maangi rab se toh rab ne meri umar lambi kardi
नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना,
नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना,
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर.........
ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,
तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,
मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,
आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर.........
ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,
तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,
मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,
आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है
अभी अभी तो प्यार का PC किया है चालु
अभी अभी तो प्यार का PC किया है चालु
अपने दिल के Hard Disk पे और कितनी Files डालु
अपने चेहरे से रूसवाई की Error तो हटाओ
ऐ जानेमन अपने दिल का Password तो बताओ
वो तो हम है जो आप की चाहत दिल मॆं रखते है
वरना आप जैसे कितने Softwares तो बाज़ार में बिकते है
रोज़ रात आप मेरे सपने में आते हो
मेरे प्यार को Mouse बना के उंगलियों पे नचाते हो
तेरे प्यार का Email मेरे दिल को लुभाता है
पर बीच में तेरे बाप का Virus आ जाता है
और करवाओगे हमसे कितना इन्तजार
हमारे दिल की साईट पे कभी Enter तो मारो यार
आपके कई नखरे अपने दिल पे बैंग हो गये
दो PC जुड़ते जुड़ते Hang हो गये
आप जैसो के लिये दिल को Cut किया करते है
वरना बाकी केसेस में तो Copy Paste किया करते हैं
आपक हँसना आप क चलना आप की वो स्टाईल
आपकी अदाओं की हमने Save कर ली है File
जो सदीयों से होता आया है वो रीपीट कर दुंगा
तु ना मिली तो तुझे Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
लड़कीयां सुन्दर हैं और लोनली हैं
प्रोब्लम है कि बस वो Read Only हैं
अपने दिल के Hard Disk पे और कितनी Files डालु
अपने चेहरे से रूसवाई की Error तो हटाओ
ऐ जानेमन अपने दिल का Password तो बताओ
वो तो हम है जो आप की चाहत दिल मॆं रखते है
वरना आप जैसे कितने Softwares तो बाज़ार में बिकते है
रोज़ रात आप मेरे सपने में आते हो
मेरे प्यार को Mouse बना के उंगलियों पे नचाते हो
तेरे प्यार का Email मेरे दिल को लुभाता है
पर बीच में तेरे बाप का Virus आ जाता है
और करवाओगे हमसे कितना इन्तजार
हमारे दिल की साईट पे कभी Enter तो मारो यार
आपके कई नखरे अपने दिल पे बैंग हो गये
दो PC जुड़ते जुड़ते Hang हो गये
आप जैसो के लिये दिल को Cut किया करते है
वरना बाकी केसेस में तो Copy Paste किया करते हैं
आपक हँसना आप क चलना आप की वो स्टाईल
आपकी अदाओं की हमने Save कर ली है File
जो सदीयों से होता आया है वो रीपीट कर दुंगा
तु ना मिली तो तुझे Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
लड़कीयां सुन्दर हैं और लोनली हैं
प्रोब्लम है कि बस वो Read Only हैं
शेरो शायरी
दोस्तों, प्यार वो हसीन ज़ज़्बा है जो ज़िन्दगी को ख़ूबसूरत बनाता है। निगाहों से उतरके जब कोई चेहरा दिल में समा जाता है, तो सच मानिए प्यार हो जाता है। जब प्यार हो जाए किसी से तो दिल की धड़कनों को जीने का सबब मिल जाता है।
दिल की दुनिया के कुछ ऐसे ही हसीन ज़ज़्बात शायरी में पिरोकर पेश-ए-खिद्मत करता हूँ। आशा है आप इसे सराहेंगे और अपने अमूल्य प्यार से सुशोभित करेंगे।
‘धन्यवाद’
राज
1.
अपनी शर्तों पे
ज़िन्दगी जीना
कोई काम नहीं आसां
ये बात और है
हुस्न की शर्तों पे
जान लुटा देते हैं दिलवाले।
2.
अगर मैं उसे
चाँद से मिलाऊँ
तो सच कहता हूँ
चाँद अपनी रोशनी छोड़कर
उसके साथ
अँधेरे में खो जाए।
3.
आज चौदहवीं का चाँद
जब निशा को जलाएगा
तेरे हुस्न की किरणों में
भीगकर रह जाएगा
4.
आज सोएगी शायरी मेरे साथ
शाम को जब जागेंगे अरमा
खींच लाएँगे तेरे
होठों की मदिरा को
तेरी ज़ुल्फ़ के प्याले में।
5.
इस क़दर बला की ख़ूबसूरत
देखी न जमाने में कहीं
बेदर्द हसीं सितमगर
एक नज़र इधर भी डालो।
6.
इन्हीं बेजां गीतों में अक्सर
तेरे हुस्न से जाँ डालने की
कोशिश करता हूँ
कभी तो बोलेंगे ये
तेरे शबाब की दास्तां
नहीं तो खुद ही
शबाब में भीगकर तेरे
दास्तां बन जाएँगे।
7.
इन नजारों से पूछो
किस साँचे में ढला है
मेरी महबूबा का बदन
ये जब-जब बतलाएँगे
खुद इश्क़ में पड़ जाएँगे।
8.
उतर आई वो
स्वर्ग के जीनों से इस क़दर
जैसे दिल बिछा हो
मेरा जमीं पर।
9.
ए-जानेमन यूँ न देख
नशीली आँखों के पैमाने से
टूट जाएँगे दिल कई
हुस्न के सितम उठाने से।
10.
एक शाम जब
इन्हीं ओस की बूँदों में
तेरा भीगा चेहरा नज़र आया
सच कहूँ
मौसम की बेबाक शरारत पर
मुझे कुछ-कुछ तरस आया।
11.
क्यूँ तड़प बढ़ी
कसूर दिल का सही
पर दिल तो तुम्हारा है
तुम यूँ न मुस्काती
तो कयामत ठहर जाती
कसूर कयामत का नहीं
कयामत तो तुम हो
लब कुछ कह रहे हैं
ये प्यार का इज़हार है
कसूर लबों का नहीं
लबों में तुम हो।
12.
कभी-कभी दिखती है चाँदनी
सड़कों पर बिखरी
सफेद टी-शर्ट नीले-स्कर्ट में
और सितारे हो लेते हैं पीछे
13.
क्या होता गर
तुम देख लेतीं
पलट के इक नज़र
मर जाते हम
आहें सर्द भरकर
या फिर जीते
मर-मर कर।
14.
ज़ुल्फ़ों में लिपटी
ये तेरी हँसी
कयामत को बुलाती है
और तेरा इस क़दर
दिल को तड़पाना
दीवाने को मौत आती है।
15.
काइनात पे भी
बिजली गिराते हो तुम
खुदा को इस क़दर
तड़पाते हो तुम
मुस्करा के दिल चुरा के
क्या खूब सितम
ढाते हो तुम।
16.
कुछ ये शायर अजब
और कुछ हुस्नवाले जवाँ
वो कर गए हर शै बयां
ज़ुल्फ़ से पाँव तक मेरी जाँ
17.
कुछ कुछ खुला है
जालिम की अदाओं का दायरा
कल तक मारती थीं ज़ुल्फ़ें
आज तिरछी नज़र मारती है।
18.
कल शाम मिलूँगा तुमसे
तुम करना मेरा इंतिज़ार
आहट मेरे कदमों की
करेगी तुम्हें बेकरार
सुगन्धि में भिगोकर तुम्हें
फूलों से सजाऊँगा
अंग-अंग महकाऊँगा
प्रेम-पत्र पहनाऊँगा।
19.
खुद से पूछा करता हूँ
अक्सर यही
तेरे दीवानों में कहीं
मैं भी तो नहीं।
20.
खो गए हैं मेरे कुछ लम्हे
तेरी घनेरी काली ज़ुल्फ़ों में
लो आओ पास मेरे
बैठ जाओ सिर गोदी में रखकर
अपने हाथों से इन
ज़ुल्फ़ों को सहला दूँ
खोए हुए लम्हे यहीं-कहीं
तुम्हारी आँखों में
तुम्हारे गालों पे
या फिर लबों पे
नहीं मैं नहीं ढूँढूँगा
तुम बैठी रहो पास मेरे।
21.
गिला हुस्न से
न करना कभी
कि हम दीवानों का
वो खुदा है।
22.
गिरेबां में झाँकते हैं जालिम
दिल तलाशते हैं
ये नहीं सोचते गोया
टुकड़े जोड़ लें।
23.
गर तुझे चलना ही था
मेरे दिल की जमीं पर
तो नंगे पाँव चली आती
यूँ ऊँची हील के
सैंडिल पहन कर
मेरा दिल तो न दुखाती।
24.
गर कोई हसीन
किसी हसीं शाम को
अपने हसीं लबों से
मेरे हसीं शेर पेश करे
तो सच कहता हूँ
ऐ-दिलवाले दोस्तों
उस हसीं शाम को
हसीन के लबों की खैर नहीं।
25.
गर मेरी दीवानगी पर
इस क़दर यकीं था
तो दिल के आइने की
जरूरत न थी हुजूर
बस तेरा इक मुस्कराना काफी था
कत्ल-ए-यार के वास्ते।
26.
घर में छिपे रहते हैं
हुस्नवाले कई ये सोचकर
गर दर से निकले बाहर
तो दीवाने पीछा न छोड़ेंगे
27.
चाँदनी की डोली में
तारों के पथ से
झीने प्रकाश में नहाती
आस्मां का आँचल ओढ़े
मेरी दिलरुबा, प्यार की मिसाल
बेइंतिहा तड़प को देने करार
आएगी जरूर आएगी
तुम देखना
देख नहीं पाओगे।
28.
चलूँगा गर तो तेरे ही पीछे
तुम झटक दो दामन चाहे
थाम लूँगा मगर
दिल भी दामन भी
हाँ गर तुम यूँ चल दी
सब कुछ लुटा दूँगा।
29.
चौराहे पर जा अटकी
जाँ मेरी हसीं की ज़ुल्फ़ों में
अब दिल को सँभालूँ
या जाँ को निकालूँ
इस कशमकश में कहीं
हसीं चली न जाए
पहले उसे थाम लूँ
फिर दिल-ओ-जाँ का
देखूँगा मैं हाल।
30.
छलकाए जा हुस्न-ए-दीवानगी
निगाहों के पैमाने से
ये नाज़-ओ-अन्दाज
प्यास और बढ़ाएँगे।
31.
जानेमन ने ज़ुल्फ़ों की
जंजीर को उलझाते हुए कहा
लिपटी हुई है जान तेरी इनमें
छुड़ा के दिखा तो जानूँ।
32.
भावनाओं की बस्ती में
जाने-तमन्ना तेरी याद चली आई
बेवफ़ा मुझे इस क़दर तड़पाया
तू ख़्वाब बन जो पलकों में समाई।
33.
ज़ुल्फ़ों तले बनाए हमने
आश्-याँ इस दिल की
तमन्नाओं के
हमें न थी ये खबर
कि ज़ुल्फ़ें इस क़दर
उड़ा करती हैं बेदर्द।
34.
जब तक सोऊँगा नहीं
ये शेर तड़पाएँगे मुझे
ख़्वाबों की तरह
गर मैं सो गया
तो ख़्वाब छोड़ेंगे नहीं।
35.
जाते-जाते बहार
बाग-ए-दिल में यूँ आई
जब हसीना पथ पे
पलट के हौले से मुस्कराई।
36.
जो कहा मुस्कराकर उसने
क्या मेरे हो तुम
हमने कहा ऐ-जान
दिल चीरकर देख लो।
37.
जब तुम यूँ देखती हो
कुछ तिरछी नज़र से इतरा के
या फिर हुस्न पे अपने शरमा के
सच कहूँ जाने-जिन्दगानी
कुछ कह नहीं पाता हूँ।
38.
नीली आँखें, गोरे गाल और खुले बाल
देख तुझे बिगड़े कितनों के हाल
यूँ बैठी हो फर्श-ए-आसमां पे
जमीं की रौनक चुरा के।
39.
तुम्हारी आँखें आस-मां
तुम्हारी ज़ुल्फ़ें निशा
तुम्हारे गाल समाँ
तुम्हारे लब महक
तुम्हारी काया चाँदनी
और तुम मेरी प्रेयसी।
40.
तू श्वेत इतनी जैसे
हिम हो पर्वतों की
और तेरे केश इतने घने
जैसे आस्-मां पर निशा उतर आए
तेरी आँखें तारों का समूह
तेरा मुखमण्डल चन्द्र-सा
और तू स्वयं ही
एक अप्सरा की भाँति।
41.
तुम सदा दिखना
इस पथ पर
लबों पे बहार सजा के
मैं कुछ फूल
चुरा लूँगा हर बार
तुम्हारे हसीं लबों से।
42.
तुम पूछोगी क्यूँ कर
प्यार आता है तुम पर
हम भी हाल-ए-दिल कहेंगे
हर हसीं शै पै आता है
43.
तलाश-ए-मुकद्दर को मैं निकला
हर शै ख़ूबसूरत देख मैं फिसला
मिली जो वो घनेरी ज़ुल्फ़ें
देख मैं उलझा, देख दिल उलझा।
44.
तमन्ना है छिपा लूँ
हर ख़ूबसूरत शै
तुम्हारी गहरी नीली आँखों में
और तुम्हें भी
इस जिगर की परतों में।
45. तुम जो बहार चुराके
गालों पे सजाती हो
हम फूलों के बहाने
तुम्हारा चुम्बन लेते हैं।
46
तौहीन हुस्न की
तौबा-ए-दिल
वो खुदा हमारा
सिर झुकाते हैं।
47
तेरी हर अदा को
घूँट-घूँट नज़रों से पिऊँ
तू जो चले अदा से
तेरे खुले बालों की कसम
होश को मेरे
फिर होश न रहे।
48.
बहुत नाज़ था
जिस हुस्न पर तुम्हें
चार दिन में ढल के रह गया
चाँदनी की तरह।
49.
दर्द इस जिगर का
छिपाए नहीं बनता
और जब हों वो पास
तो जताए नहीं बनता।
दिल की दुनिया के कुछ ऐसे ही हसीन ज़ज़्बात शायरी में पिरोकर पेश-ए-खिद्मत करता हूँ। आशा है आप इसे सराहेंगे और अपने अमूल्य प्यार से सुशोभित करेंगे।
‘धन्यवाद’
राज
1.
अपनी शर्तों पे
ज़िन्दगी जीना
कोई काम नहीं आसां
ये बात और है
हुस्न की शर्तों पे
जान लुटा देते हैं दिलवाले।
2.
अगर मैं उसे
चाँद से मिलाऊँ
तो सच कहता हूँ
चाँद अपनी रोशनी छोड़कर
उसके साथ
अँधेरे में खो जाए।
3.
आज चौदहवीं का चाँद
जब निशा को जलाएगा
तेरे हुस्न की किरणों में
भीगकर रह जाएगा
4.
आज सोएगी शायरी मेरे साथ
शाम को जब जागेंगे अरमा
खींच लाएँगे तेरे
होठों की मदिरा को
तेरी ज़ुल्फ़ के प्याले में।
5.
इस क़दर बला की ख़ूबसूरत
देखी न जमाने में कहीं
बेदर्द हसीं सितमगर
एक नज़र इधर भी डालो।
6.
इन्हीं बेजां गीतों में अक्सर
तेरे हुस्न से जाँ डालने की
कोशिश करता हूँ
कभी तो बोलेंगे ये
तेरे शबाब की दास्तां
नहीं तो खुद ही
शबाब में भीगकर तेरे
दास्तां बन जाएँगे।
7.
इन नजारों से पूछो
किस साँचे में ढला है
मेरी महबूबा का बदन
ये जब-जब बतलाएँगे
खुद इश्क़ में पड़ जाएँगे।
8.
उतर आई वो
स्वर्ग के जीनों से इस क़दर
जैसे दिल बिछा हो
मेरा जमीं पर।
9.
ए-जानेमन यूँ न देख
नशीली आँखों के पैमाने से
टूट जाएँगे दिल कई
हुस्न के सितम उठाने से।
10.
एक शाम जब
इन्हीं ओस की बूँदों में
तेरा भीगा चेहरा नज़र आया
सच कहूँ
मौसम की बेबाक शरारत पर
मुझे कुछ-कुछ तरस आया।
11.
क्यूँ तड़प बढ़ी
कसूर दिल का सही
पर दिल तो तुम्हारा है
तुम यूँ न मुस्काती
तो कयामत ठहर जाती
कसूर कयामत का नहीं
कयामत तो तुम हो
लब कुछ कह रहे हैं
ये प्यार का इज़हार है
कसूर लबों का नहीं
लबों में तुम हो।
12.
कभी-कभी दिखती है चाँदनी
सड़कों पर बिखरी
सफेद टी-शर्ट नीले-स्कर्ट में
और सितारे हो लेते हैं पीछे
13.
क्या होता गर
तुम देख लेतीं
पलट के इक नज़र
मर जाते हम
आहें सर्द भरकर
या फिर जीते
मर-मर कर।
14.
ज़ुल्फ़ों में लिपटी
ये तेरी हँसी
कयामत को बुलाती है
और तेरा इस क़दर
दिल को तड़पाना
दीवाने को मौत आती है।
15.
काइनात पे भी
बिजली गिराते हो तुम
खुदा को इस क़दर
तड़पाते हो तुम
मुस्करा के दिल चुरा के
क्या खूब सितम
ढाते हो तुम।
16.
कुछ ये शायर अजब
और कुछ हुस्नवाले जवाँ
वो कर गए हर शै बयां
ज़ुल्फ़ से पाँव तक मेरी जाँ
17.
कुछ कुछ खुला है
जालिम की अदाओं का दायरा
कल तक मारती थीं ज़ुल्फ़ें
आज तिरछी नज़र मारती है।
18.
कल शाम मिलूँगा तुमसे
तुम करना मेरा इंतिज़ार
आहट मेरे कदमों की
करेगी तुम्हें बेकरार
सुगन्धि में भिगोकर तुम्हें
फूलों से सजाऊँगा
अंग-अंग महकाऊँगा
प्रेम-पत्र पहनाऊँगा।
19.
खुद से पूछा करता हूँ
अक्सर यही
तेरे दीवानों में कहीं
मैं भी तो नहीं।
20.
खो गए हैं मेरे कुछ लम्हे
तेरी घनेरी काली ज़ुल्फ़ों में
लो आओ पास मेरे
बैठ जाओ सिर गोदी में रखकर
अपने हाथों से इन
ज़ुल्फ़ों को सहला दूँ
खोए हुए लम्हे यहीं-कहीं
तुम्हारी आँखों में
तुम्हारे गालों पे
या फिर लबों पे
नहीं मैं नहीं ढूँढूँगा
तुम बैठी रहो पास मेरे।
21.
गिला हुस्न से
न करना कभी
कि हम दीवानों का
वो खुदा है।
22.
गिरेबां में झाँकते हैं जालिम
दिल तलाशते हैं
ये नहीं सोचते गोया
टुकड़े जोड़ लें।
23.
गर तुझे चलना ही था
मेरे दिल की जमीं पर
तो नंगे पाँव चली आती
यूँ ऊँची हील के
सैंडिल पहन कर
मेरा दिल तो न दुखाती।
24.
गर कोई हसीन
किसी हसीं शाम को
अपने हसीं लबों से
मेरे हसीं शेर पेश करे
तो सच कहता हूँ
ऐ-दिलवाले दोस्तों
उस हसीं शाम को
हसीन के लबों की खैर नहीं।
25.
गर मेरी दीवानगी पर
इस क़दर यकीं था
तो दिल के आइने की
जरूरत न थी हुजूर
बस तेरा इक मुस्कराना काफी था
कत्ल-ए-यार के वास्ते।
26.
घर में छिपे रहते हैं
हुस्नवाले कई ये सोचकर
गर दर से निकले बाहर
तो दीवाने पीछा न छोड़ेंगे
27.
चाँदनी की डोली में
तारों के पथ से
झीने प्रकाश में नहाती
आस्मां का आँचल ओढ़े
मेरी दिलरुबा, प्यार की मिसाल
बेइंतिहा तड़प को देने करार
आएगी जरूर आएगी
तुम देखना
देख नहीं पाओगे।
28.
चलूँगा गर तो तेरे ही पीछे
तुम झटक दो दामन चाहे
थाम लूँगा मगर
दिल भी दामन भी
हाँ गर तुम यूँ चल दी
सब कुछ लुटा दूँगा।
29.
चौराहे पर जा अटकी
जाँ मेरी हसीं की ज़ुल्फ़ों में
अब दिल को सँभालूँ
या जाँ को निकालूँ
इस कशमकश में कहीं
हसीं चली न जाए
पहले उसे थाम लूँ
फिर दिल-ओ-जाँ का
देखूँगा मैं हाल।
30.
छलकाए जा हुस्न-ए-दीवानगी
निगाहों के पैमाने से
ये नाज़-ओ-अन्दाज
प्यास और बढ़ाएँगे।
31.
जानेमन ने ज़ुल्फ़ों की
जंजीर को उलझाते हुए कहा
लिपटी हुई है जान तेरी इनमें
छुड़ा के दिखा तो जानूँ।
32.
भावनाओं की बस्ती में
जाने-तमन्ना तेरी याद चली आई
बेवफ़ा मुझे इस क़दर तड़पाया
तू ख़्वाब बन जो पलकों में समाई।
33.
ज़ुल्फ़ों तले बनाए हमने
आश्-याँ इस दिल की
तमन्नाओं के
हमें न थी ये खबर
कि ज़ुल्फ़ें इस क़दर
उड़ा करती हैं बेदर्द।
34.
जब तक सोऊँगा नहीं
ये शेर तड़पाएँगे मुझे
ख़्वाबों की तरह
गर मैं सो गया
तो ख़्वाब छोड़ेंगे नहीं।
35.
जाते-जाते बहार
बाग-ए-दिल में यूँ आई
जब हसीना पथ पे
पलट के हौले से मुस्कराई।
36.
जो कहा मुस्कराकर उसने
क्या मेरे हो तुम
हमने कहा ऐ-जान
दिल चीरकर देख लो।
37.
जब तुम यूँ देखती हो
कुछ तिरछी नज़र से इतरा के
या फिर हुस्न पे अपने शरमा के
सच कहूँ जाने-जिन्दगानी
कुछ कह नहीं पाता हूँ।
38.
नीली आँखें, गोरे गाल और खुले बाल
देख तुझे बिगड़े कितनों के हाल
यूँ बैठी हो फर्श-ए-आसमां पे
जमीं की रौनक चुरा के।
39.
तुम्हारी आँखें आस-मां
तुम्हारी ज़ुल्फ़ें निशा
तुम्हारे गाल समाँ
तुम्हारे लब महक
तुम्हारी काया चाँदनी
और तुम मेरी प्रेयसी।
40.
तू श्वेत इतनी जैसे
हिम हो पर्वतों की
और तेरे केश इतने घने
जैसे आस्-मां पर निशा उतर आए
तेरी आँखें तारों का समूह
तेरा मुखमण्डल चन्द्र-सा
और तू स्वयं ही
एक अप्सरा की भाँति।
41.
तुम सदा दिखना
इस पथ पर
लबों पे बहार सजा के
मैं कुछ फूल
चुरा लूँगा हर बार
तुम्हारे हसीं लबों से।
42.
तुम पूछोगी क्यूँ कर
प्यार आता है तुम पर
हम भी हाल-ए-दिल कहेंगे
हर हसीं शै पै आता है
43.
तलाश-ए-मुकद्दर को मैं निकला
हर शै ख़ूबसूरत देख मैं फिसला
मिली जो वो घनेरी ज़ुल्फ़ें
देख मैं उलझा, देख दिल उलझा।
44.
तमन्ना है छिपा लूँ
हर ख़ूबसूरत शै
तुम्हारी गहरी नीली आँखों में
और तुम्हें भी
इस जिगर की परतों में।
45. तुम जो बहार चुराके
गालों पे सजाती हो
हम फूलों के बहाने
तुम्हारा चुम्बन लेते हैं।
46
तौहीन हुस्न की
तौबा-ए-दिल
वो खुदा हमारा
सिर झुकाते हैं।
47
तेरी हर अदा को
घूँट-घूँट नज़रों से पिऊँ
तू जो चले अदा से
तेरे खुले बालों की कसम
होश को मेरे
फिर होश न रहे।
48.
बहुत नाज़ था
जिस हुस्न पर तुम्हें
चार दिन में ढल के रह गया
चाँदनी की तरह।
49.
दर्द इस जिगर का
छिपाए नहीं बनता
और जब हों वो पास
तो जताए नहीं बनता।
शायरी
दर्द भी कोई किसी का, लय में कभी उठता है क्या
मात्राएं गिनकर कोई गीत कभी लिखता है क्या
दर्द पहले आया यहां या पहले व्याकरण आई
ज़ख्म जिसने न गिने हों, वो शब्दों को गिनता है क्या
जो लिखते हैं सलीके से, उनको भी मिलता है क्या
तारीफ और कुछ तालियों से, दुख कभी मिटता है क्या
छोड़िये क्या बात करनी कायदे और कानून की
काग़ज़ों के फूल पर भंवरा कोई मिलता है क्या
दिल की बात सीधी ही दिल तक पहुंचनी चाहिए
इनाम और ये नाम कभी, जग में कहीं टिकता है क्या
गीत-ग़ज़ल के पारखी कुछ कह कर दम लेंगे
प्यासे के दिल से पूछिए, उसे पानी में दिखता है क्या
************ *****
लोग कहते हैं हमें लिखना नहीं आता
ग़ज़ल उठाने का, सलीका नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
माना कि दर्द कहना भी होती है एक कला
हूं नहीं कलाकार मैं, मुझे अभिनय नहीं आता
कहीं रदीफ गड़बड़ है, तो कहीं काफिया गुम है
छांट कर खुद को लुगत में लिखना नहीं आता
बात तर्क की नहीं, खुद से वफ़ा की है
महफिल में अपने दर्द को गाना नहीं आता
न उतरती हो खरी, ये कायदे की नज़र में
काग़ज़ों में सिमटने का हमें हुनर नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
************ *****
दर्द को दफनाने की मोहलत नहीं मिली
चैन से मरने की भी फुर्सत नहीं मिली
आंखों में मेरे इस कदर छाए रहे आंसू
कि आईने में अपनी ही सूरत नहीं मिली
हर मोड़ पर ली जिंदगी ने इतनी तलाशी
कि इम्तहान देने की फुर्सत नहीं मिली
अपनों के लगते रहे मुझ पर इल्जाम इतने
कि खुद को जिंदा रखने की वजह नहीं मिली
सुकून से लेते रहे सांसें मेरे आंसू
मेरे ही जिस्म से मुझे राहत नहीं मिली
************ *****
तुझे अपना न मैं कहूं तो और क्या कहूं
एक साथ इतने गम कोई गैर नहीं देता
तुझसे न मैं पूछूं, तो फिर किससे मैं पूछूं
तू ही तो है जो बातों के उत्तर नहीं देता
हो सके तो भूलकर न आना तू सामने
देखकर फेरूं नजर, मुझे शोभा नहीं देता
कितना भला तू वास्ता दे अपनी शराफत का
पीछे का मेरा वक्त आगे बढ़ने नहीं देता
************ *****
आएगी जब भी बात कभी इंसाफ की देखना
कर ना पाओगे अलग, सही गलत को देखना
बातें जो करनी पड़े कभी अपने आप से
ये एक शब्द भी न निकलेगा होंठों से देखना
सच-झूठ को गिनोगे जिस दिन हाथों से अपने
अफसोस हाथ आएगा उंगलियों को देखना
किसका था कसूर और, था कौन जिम्मेदार
सब समझ आ जाएगा, किसी का होकर देखना
आसान सी बातें सभी, बन जाएंगी मुश्किल
मेरी जगह खुद को कभी तुम रखकर देखना
************ *****
कौन है जो साथ उसके रहता है सदा
फिरता है अकेला पर लगता नहीं तन्हा
खोया है किसकी याद में, इतनी बुरी तरह
गर बैठ जाए एक बार तो उठना नहीं जरा
किसकी फिक्र में हुई है उसकी ये हालत
कि जल रहा है याद में, बुझता नहीं जरा
आ रहा है क्या मजा उसे ऐसे जीने में
सीने में उसके सांस है पर लेता नहीं जरा
************ *****
किसी को तन्हा रहने का दुख है
हमको साथ सहने का दुख है
सोचा था साथ में बंट जाएंगे दुख
पर हमको खुद के बंटने का दुख है
होती हैं यूं तो बातें, रोज बीच में हमारे
पर बातें ही बची हैं, इस बात का दुख है
ऐसा नहीं वो पूछते हों, मुझसे मेरा हाल
ये हाल है उनकी वजह से, इस बात का दुख है
है पता, उसको मुझे क्या चाहिए उससे
करता है पर अपने मन की, इस बात का दुख है
************ ****
लौटकर आती रहीं तारीखें बारी-बारी
पर आज तक वापस कभी, वो वक्त नहीं आया
दबे पांव आती रहीं यादे सब तुम्हारी
एक बार भी यादों के संग, तू नहीं आया
उगता रहा हर रोज सूरज अपने ठिकाने से
एक बार भी पर रोशनी लेकर नहीं आया
कई बार सरकी है नमी, दिल की दरारों से
पर आज तक इन आंखों में, पानी नहीं आया
वक्त ने भी करके देखी मेहरबानी हम पे
पर तुमको ही मुझ पर कभी तरस नहीं आया
प्यार में होता है सबका हाल एक सा
क्यों हाल उसको मेरे दिल का समझ नहीं आया
************ *****
दुनिया समझती है इसे दुख नहीं होता
रोने का एक सपना है वो सच नहीं होता
बस एक ही मलाल है, इस उम्र से हमें
क्यों आंखों का खुलकर कभी बहना नहीं होता
पूछते हैं अपने दिल से, हम भी यही सवाल
क्यों दिल की बात करके दिल हलका नहीं होता
आंखों की एक जिद है जो पूरी नहीं होती
वक्त पर रोएंगे, रोज का रोना नहीं होता
करती है खर्च जिंदगी, मुझ पर कई सांसें
इन सांसों का मुझ पर कोई असर नहीं होता
यह सोचकर सपनों को, नहीं होने दी खबर
कि देखा हुआ सपना हमेशा, सच नहीं होता
************ *****
गीत गाती पंक्तियों का हर शब्द गूंगा हो गया
भेजा हुआ हर खत तुम्हारा, आज काग़ज हो गया
संभालने थे कागज तो, रद्दी ही क्या बुरी थी
बेवजह कोने में दिल के, तू भी जमा हो गया
किताबों में छुपाकर, रखा था जिसे उम्र भर
वक्त की तह में वो खुद, पु्र्जा-पुर्जा हो गया
अब कतरनों को जोड़ कर, तुम्हें इसमें क्या खोजूं
सामने है सब नतीजा, जो होना था हो गया
गिन के तेरे खतों को अब एहसास होता है
कैसे तेरे काग़ज़ों पर एतबार मुझे हो गया
हो गई क्यों आंखें गीली, इन सूखे शब्दों से
कैसे कहूं एक जख्म था, पढ़कर हरा हो गया
खाते में तो खत ही आए, हमको तो उसके
लिखने वाला इन खतों को कब का अक्षर हो गया
************ *****
मैं देखने की चीज हूं मेरी आरजू न कर
बदनाम हूं बहुत मैं बरबाद यूं न कर
किसकी नहीं टिकी है इन आंखों पर निगाहें
आंखों को आंख रहने दे इन्हें झील यूं न कर
जी भर के देख मुझको और तन्हा छोड़ दे
होगा क्या उसके बाद इसकी फिक्र तू न कर
मत पूछ तू मर्जी मेरी न सुकून के ठिकाने
जो आज तक नहीं उठा वो सवाल तू न कर
तू भी तो रुक जाएगा साथ दो कदम चल के
दुनिया के इस रिवाज पे एतराज तू न कर
दे कोई इल्जाम मुझको, बन जाने दे तमाशा
बना के अपनी आबरू, नीलाम यूं न कर
तू नहीं तो और कोई, मुझे तोड़ ही देगा
मांग कर दुआ में अपनी, मेरा कत्ल यूं न कर
कतरन ही रहने दे मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दे
जोड़कर इन कतरनों को, अखबार यूं न कर
मुझको तो अपना इल्म है, जग का भी है पता
फिर बेवजह झूठी मेरी तारीफ यूं न कर
जीने नहीं देगी तुझे दुनिया ‘शशि’ के संग
खुद को अगर-मगर में, जाया तो यूं न कर
************ *****
वो मिल गया है फिर भी क्यों राहत नहीं मिलती
क्या चाहिए इस दिल को तसल्ली नहीं मिलती
कहने को जितना पास है, वो है करीब उतना
मौजूदगी में उसके वो हकीकत नहीं मिलती
कहता है लौटकर आया हूं, मैं छोड़कर सबको
उसके ही चेहरे से उसी की शक्ल नहीं मिलती
अजीब सी एक जिद है जो परखती है उसी को
धूप में जिसकी उसे छाया नहीं मिलती
होते ही जिसका जिक्र महक उठती थी सांसें
आज उसके नाम से ही खुशी नहीं मिलती
किस्सा ही कुछ ऐसा है दोनों के बीच का
साथ रहकर भी कोई कहानी नहीं मिलती
************ *****
मेरा दर्द मेरा सिर्फ खुदा जानता है
फिर तुझे कैसे कह दूं, तू खुदा तो नहीं
माना तू बंदा है मेरे खुदा का
तू हिस्सा है उसका, पर उस सा नहीं
************ *****
मुझको भी हंसना पड़ता है
साथ लोगों के चलना पड़ता है
मुश्किल और तब बढ़ जाती है
जब ‘खुश हूं मैं’ कहना पड़ता है।
***
छोटा समझ के किसी को यूं नकारा नहीं करते
बीज को आकार से उसके नापा नहीं करते
हो हकीकत कितनी भी किताब में किसी की
आंख से पढ़ने को ही पढ़ना नहीं कहते
***
लगा के इल्ज़ाम कोई वो मुझको छोड़ जाता
तन्हाई काटने का कोई इंतजाम कर जाता
चुभते ही रहते भले, मुझे अल्फाज ही उसके
पर मुझसे थी उम्मीद उसको, ये अंदाजा लग जाता
***
उलझें रहेंगे आप सदा, एक सवाल में
छिड़ेगी जब भी बात कभी मेरे बारे में
दिल भी बहुत दुखेगा, आंखें भी रोएंगी
जब भी करोगे फैसला, तुम अपने बारे में
***
साथ देने को मन करता है, उसको तन्हा देखकर
रुलाने को जी करता है, उसकी आंखें देखकर
बह जाए गर खुलके तो, इस जी को तसल्ली हो
कैसे खुले में घूमता है, वो खुद को समेटकर
शाख में कांटे कितने भी हों
पर छांव कभी चुभती नहीं है
कोशिश जारी कितनी भी हो
आरी से पानी कटता नहीं है
***
मुश्किल नहीं है जवाब देना, बातों का उसकी
पर होंठों पर उसके कोई सवाल भी तो हो
तोड़ दूं रिवाज में उसकी तन्हाई का
कम्बख्त को मुझसे कोई शिकायत भी तो हो
***
कुछ इस कदर वो मुझे निहारता रहा
बोले बिना एक शब्द के पुकारता रहा
देता रहा दावत मुझे वो आंखों से अपनी
थी खता उसकी सजा मैं भोगता रहा
***
पीठ करके बैठा रहा, मुझे निहारने वाला
उखड़ा हुआ बैठा रहा, मुझे जोड़ने वाला
खंगालता रहा मैं अपनी, यादों के पुलिंदे
फारिग वो बैठा रहा, मसरूफ करने वाला
***
तारीफ कर रहे हैं सब, मेरी इस जहान में
क्या जानते नहीं हैं वो, अभी मैं नहीं मरा
निभा रहे हैं सब रिवाज जीते जी मेरे
जिंदा दफन करके क्या उनका, दिल नहीं भरा
***
तिनके को बहाना बनाया है
कभी आँखों में पानी मारकर
कभी रोने का शोर छुपाया है
नहाते में नलका खोलकर
***
आज लौटा है तो, वो मांगने सामान अपना
हाल पूछा भी तो, सुना के फैसला अपना
बात भी क्या हुई सिर्फ सवाल हुए
सफाई देने में किस्सा तमाम हुआ अपना
***
कतरन ही रहने दो मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दो
ऐसा न हो जुड़ने से मैं, कहीं पढ़ने में आ जाऊं
मत बिछाओ पलकों को तुम इंतजार में मेरी
ऐसा न हो मैं आंसू बनकर, आंखों में आ जाऊं
***
ज्यादा लिखा मैंने अगर, तो बनकर किताब रह जाऊंगा
आया नहीं हूं हाथ अब तक, फिर एक बार में आ जाऊंगा
रख देगा फिर गुलाब कोई सूखने को मुझमें
या बनके मैं संग्रह किसी का, अलमारी में रह जाऊंगा
***
अपने बारे में कहूंगा तो कईयों का जिक्र हो जाएगा
मानते हो जिनको भला वो भी बुरा हो जाएगा
छोड़िये क्या छेड़नी बातें मेरे जहन की
मेरे बयां से मेरा कोई अपना खफा हो जाएगा
मात्राएं गिनकर कोई गीत कभी लिखता है क्या
दर्द पहले आया यहां या पहले व्याकरण आई
ज़ख्म जिसने न गिने हों, वो शब्दों को गिनता है क्या
जो लिखते हैं सलीके से, उनको भी मिलता है क्या
तारीफ और कुछ तालियों से, दुख कभी मिटता है क्या
छोड़िये क्या बात करनी कायदे और कानून की
काग़ज़ों के फूल पर भंवरा कोई मिलता है क्या
दिल की बात सीधी ही दिल तक पहुंचनी चाहिए
इनाम और ये नाम कभी, जग में कहीं टिकता है क्या
गीत-ग़ज़ल के पारखी कुछ कह कर दम लेंगे
प्यासे के दिल से पूछिए, उसे पानी में दिखता है क्या
************ *****
लोग कहते हैं हमें लिखना नहीं आता
ग़ज़ल उठाने का, सलीका नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
माना कि दर्द कहना भी होती है एक कला
हूं नहीं कलाकार मैं, मुझे अभिनय नहीं आता
कहीं रदीफ गड़बड़ है, तो कहीं काफिया गुम है
छांट कर खुद को लुगत में लिखना नहीं आता
बात तर्क की नहीं, खुद से वफ़ा की है
महफिल में अपने दर्द को गाना नहीं आता
न उतरती हो खरी, ये कायदे की नज़र में
काग़ज़ों में सिमटने का हमें हुनर नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
************ *****
दर्द को दफनाने की मोहलत नहीं मिली
चैन से मरने की भी फुर्सत नहीं मिली
आंखों में मेरे इस कदर छाए रहे आंसू
कि आईने में अपनी ही सूरत नहीं मिली
हर मोड़ पर ली जिंदगी ने इतनी तलाशी
कि इम्तहान देने की फुर्सत नहीं मिली
अपनों के लगते रहे मुझ पर इल्जाम इतने
कि खुद को जिंदा रखने की वजह नहीं मिली
सुकून से लेते रहे सांसें मेरे आंसू
मेरे ही जिस्म से मुझे राहत नहीं मिली
************ *****
तुझे अपना न मैं कहूं तो और क्या कहूं
एक साथ इतने गम कोई गैर नहीं देता
तुझसे न मैं पूछूं, तो फिर किससे मैं पूछूं
तू ही तो है जो बातों के उत्तर नहीं देता
हो सके तो भूलकर न आना तू सामने
देखकर फेरूं नजर, मुझे शोभा नहीं देता
कितना भला तू वास्ता दे अपनी शराफत का
पीछे का मेरा वक्त आगे बढ़ने नहीं देता
************ *****
आएगी जब भी बात कभी इंसाफ की देखना
कर ना पाओगे अलग, सही गलत को देखना
बातें जो करनी पड़े कभी अपने आप से
ये एक शब्द भी न निकलेगा होंठों से देखना
सच-झूठ को गिनोगे जिस दिन हाथों से अपने
अफसोस हाथ आएगा उंगलियों को देखना
किसका था कसूर और, था कौन जिम्मेदार
सब समझ आ जाएगा, किसी का होकर देखना
आसान सी बातें सभी, बन जाएंगी मुश्किल
मेरी जगह खुद को कभी तुम रखकर देखना
************ *****
कौन है जो साथ उसके रहता है सदा
फिरता है अकेला पर लगता नहीं तन्हा
खोया है किसकी याद में, इतनी बुरी तरह
गर बैठ जाए एक बार तो उठना नहीं जरा
किसकी फिक्र में हुई है उसकी ये हालत
कि जल रहा है याद में, बुझता नहीं जरा
आ रहा है क्या मजा उसे ऐसे जीने में
सीने में उसके सांस है पर लेता नहीं जरा
************ *****
किसी को तन्हा रहने का दुख है
हमको साथ सहने का दुख है
सोचा था साथ में बंट जाएंगे दुख
पर हमको खुद के बंटने का दुख है
होती हैं यूं तो बातें, रोज बीच में हमारे
पर बातें ही बची हैं, इस बात का दुख है
ऐसा नहीं वो पूछते हों, मुझसे मेरा हाल
ये हाल है उनकी वजह से, इस बात का दुख है
है पता, उसको मुझे क्या चाहिए उससे
करता है पर अपने मन की, इस बात का दुख है
************ ****
लौटकर आती रहीं तारीखें बारी-बारी
पर आज तक वापस कभी, वो वक्त नहीं आया
दबे पांव आती रहीं यादे सब तुम्हारी
एक बार भी यादों के संग, तू नहीं आया
उगता रहा हर रोज सूरज अपने ठिकाने से
एक बार भी पर रोशनी लेकर नहीं आया
कई बार सरकी है नमी, दिल की दरारों से
पर आज तक इन आंखों में, पानी नहीं आया
वक्त ने भी करके देखी मेहरबानी हम पे
पर तुमको ही मुझ पर कभी तरस नहीं आया
प्यार में होता है सबका हाल एक सा
क्यों हाल उसको मेरे दिल का समझ नहीं आया
************ *****
दुनिया समझती है इसे दुख नहीं होता
रोने का एक सपना है वो सच नहीं होता
बस एक ही मलाल है, इस उम्र से हमें
क्यों आंखों का खुलकर कभी बहना नहीं होता
पूछते हैं अपने दिल से, हम भी यही सवाल
क्यों दिल की बात करके दिल हलका नहीं होता
आंखों की एक जिद है जो पूरी नहीं होती
वक्त पर रोएंगे, रोज का रोना नहीं होता
करती है खर्च जिंदगी, मुझ पर कई सांसें
इन सांसों का मुझ पर कोई असर नहीं होता
यह सोचकर सपनों को, नहीं होने दी खबर
कि देखा हुआ सपना हमेशा, सच नहीं होता
************ *****
गीत गाती पंक्तियों का हर शब्द गूंगा हो गया
भेजा हुआ हर खत तुम्हारा, आज काग़ज हो गया
संभालने थे कागज तो, रद्दी ही क्या बुरी थी
बेवजह कोने में दिल के, तू भी जमा हो गया
किताबों में छुपाकर, रखा था जिसे उम्र भर
वक्त की तह में वो खुद, पु्र्जा-पुर्जा हो गया
अब कतरनों को जोड़ कर, तुम्हें इसमें क्या खोजूं
सामने है सब नतीजा, जो होना था हो गया
गिन के तेरे खतों को अब एहसास होता है
कैसे तेरे काग़ज़ों पर एतबार मुझे हो गया
हो गई क्यों आंखें गीली, इन सूखे शब्दों से
कैसे कहूं एक जख्म था, पढ़कर हरा हो गया
खाते में तो खत ही आए, हमको तो उसके
लिखने वाला इन खतों को कब का अक्षर हो गया
************ *****
मैं देखने की चीज हूं मेरी आरजू न कर
बदनाम हूं बहुत मैं बरबाद यूं न कर
किसकी नहीं टिकी है इन आंखों पर निगाहें
आंखों को आंख रहने दे इन्हें झील यूं न कर
जी भर के देख मुझको और तन्हा छोड़ दे
होगा क्या उसके बाद इसकी फिक्र तू न कर
मत पूछ तू मर्जी मेरी न सुकून के ठिकाने
जो आज तक नहीं उठा वो सवाल तू न कर
तू भी तो रुक जाएगा साथ दो कदम चल के
दुनिया के इस रिवाज पे एतराज तू न कर
दे कोई इल्जाम मुझको, बन जाने दे तमाशा
बना के अपनी आबरू, नीलाम यूं न कर
तू नहीं तो और कोई, मुझे तोड़ ही देगा
मांग कर दुआ में अपनी, मेरा कत्ल यूं न कर
कतरन ही रहने दे मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दे
जोड़कर इन कतरनों को, अखबार यूं न कर
मुझको तो अपना इल्म है, जग का भी है पता
फिर बेवजह झूठी मेरी तारीफ यूं न कर
जीने नहीं देगी तुझे दुनिया ‘शशि’ के संग
खुद को अगर-मगर में, जाया तो यूं न कर
************ *****
वो मिल गया है फिर भी क्यों राहत नहीं मिलती
क्या चाहिए इस दिल को तसल्ली नहीं मिलती
कहने को जितना पास है, वो है करीब उतना
मौजूदगी में उसके वो हकीकत नहीं मिलती
कहता है लौटकर आया हूं, मैं छोड़कर सबको
उसके ही चेहरे से उसी की शक्ल नहीं मिलती
अजीब सी एक जिद है जो परखती है उसी को
धूप में जिसकी उसे छाया नहीं मिलती
होते ही जिसका जिक्र महक उठती थी सांसें
आज उसके नाम से ही खुशी नहीं मिलती
किस्सा ही कुछ ऐसा है दोनों के बीच का
साथ रहकर भी कोई कहानी नहीं मिलती
************ *****
मेरा दर्द मेरा सिर्फ खुदा जानता है
फिर तुझे कैसे कह दूं, तू खुदा तो नहीं
माना तू बंदा है मेरे खुदा का
तू हिस्सा है उसका, पर उस सा नहीं
************ *****
मुझको भी हंसना पड़ता है
साथ लोगों के चलना पड़ता है
मुश्किल और तब बढ़ जाती है
जब ‘खुश हूं मैं’ कहना पड़ता है।
***
छोटा समझ के किसी को यूं नकारा नहीं करते
बीज को आकार से उसके नापा नहीं करते
हो हकीकत कितनी भी किताब में किसी की
आंख से पढ़ने को ही पढ़ना नहीं कहते
***
लगा के इल्ज़ाम कोई वो मुझको छोड़ जाता
तन्हाई काटने का कोई इंतजाम कर जाता
चुभते ही रहते भले, मुझे अल्फाज ही उसके
पर मुझसे थी उम्मीद उसको, ये अंदाजा लग जाता
***
उलझें रहेंगे आप सदा, एक सवाल में
छिड़ेगी जब भी बात कभी मेरे बारे में
दिल भी बहुत दुखेगा, आंखें भी रोएंगी
जब भी करोगे फैसला, तुम अपने बारे में
***
साथ देने को मन करता है, उसको तन्हा देखकर
रुलाने को जी करता है, उसकी आंखें देखकर
बह जाए गर खुलके तो, इस जी को तसल्ली हो
कैसे खुले में घूमता है, वो खुद को समेटकर
शाख में कांटे कितने भी हों
पर छांव कभी चुभती नहीं है
कोशिश जारी कितनी भी हो
आरी से पानी कटता नहीं है
***
मुश्किल नहीं है जवाब देना, बातों का उसकी
पर होंठों पर उसके कोई सवाल भी तो हो
तोड़ दूं रिवाज में उसकी तन्हाई का
कम्बख्त को मुझसे कोई शिकायत भी तो हो
***
कुछ इस कदर वो मुझे निहारता रहा
बोले बिना एक शब्द के पुकारता रहा
देता रहा दावत मुझे वो आंखों से अपनी
थी खता उसकी सजा मैं भोगता रहा
***
पीठ करके बैठा रहा, मुझे निहारने वाला
उखड़ा हुआ बैठा रहा, मुझे जोड़ने वाला
खंगालता रहा मैं अपनी, यादों के पुलिंदे
फारिग वो बैठा रहा, मसरूफ करने वाला
***
तारीफ कर रहे हैं सब, मेरी इस जहान में
क्या जानते नहीं हैं वो, अभी मैं नहीं मरा
निभा रहे हैं सब रिवाज जीते जी मेरे
जिंदा दफन करके क्या उनका, दिल नहीं भरा
***
तिनके को बहाना बनाया है
कभी आँखों में पानी मारकर
कभी रोने का शोर छुपाया है
नहाते में नलका खोलकर
***
आज लौटा है तो, वो मांगने सामान अपना
हाल पूछा भी तो, सुना के फैसला अपना
बात भी क्या हुई सिर्फ सवाल हुए
सफाई देने में किस्सा तमाम हुआ अपना
***
कतरन ही रहने दो मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दो
ऐसा न हो जुड़ने से मैं, कहीं पढ़ने में आ जाऊं
मत बिछाओ पलकों को तुम इंतजार में मेरी
ऐसा न हो मैं आंसू बनकर, आंखों में आ जाऊं
***
ज्यादा लिखा मैंने अगर, तो बनकर किताब रह जाऊंगा
आया नहीं हूं हाथ अब तक, फिर एक बार में आ जाऊंगा
रख देगा फिर गुलाब कोई सूखने को मुझमें
या बनके मैं संग्रह किसी का, अलमारी में रह जाऊंगा
***
अपने बारे में कहूंगा तो कईयों का जिक्र हो जाएगा
मानते हो जिनको भला वो भी बुरा हो जाएगा
छोड़िये क्या छेड़नी बातें मेरे जहन की
मेरे बयां से मेरा कोई अपना खफा हो जाएगा
ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीक़त
ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीक़त
कौन हो तुम बतलाओ
देर से कितनी दूर खड़ी हो
और करीब आ जाओ
सुबह पे जिस तरह, शाम का हो खुमार - (2)
ज़ुल्फों में एक चेहरा, कुछ ज़ाहिर कुछ निहार
धड़कनों ने सुनी, एक सदा पाँव की - (2)
और दिल पे लहराई, आँचल की छाँव सी
मिल ही जाती हो तुम, मुझको हर मोड़ पे - (2)
चल देती हो कितने, अफसाने छोड़ के
फिर पुकारो मुझे, फिर मेरा नाम लो - (2)
गिरता हूँ फिर अपनी, बाँहों में थाम लो।
तुम रहे साथ मेरे..
तुम रहे साथ मेरे, जब मैं खो गई।
तुम रहे साथ मेरे, जब हर शै पराई हो गई
तुम रहे साथ मेरे, घनघोर बारिश में
तुम रहे साथ मेरे, दर्द की खलिश में
तुम रहे साथ मेरे, जख्मों पर मरहम की तरह
तुम रहे साथ मेरे, मेरे हमदम की तरह
तुम रहे साथ मेरे, एक देवदूत की तरह
तुम रहे साथ मेरे, प्रेम के वजूद की तरह...।
किसी ने उसको समझाया तो होता
किसी ने उसको समझाया तो होता,
कोई याँ तक उसे लाया तो होता।
मज़ा रखता है ज़ख्मे-ख़ंजरे-इश्क,
कभी ऐ बुल-हवस खाया तो होता।
यह नख़्ले-आह, होता बेद ही काश,
न होता तो समर, साया तो होता।
जो कुछ होता सो होता तूने तक़दीर,
वहाँ तक मुझको पहुँचाया तो होता।
किया किस जुर्म में तूने मुझे क़त्ल,
ज़रा तू दिल में शर्माया तो होता।
दिल उसकी जुल्फ़ में उलझा है कब से,
'ज़फ़र' इक रोज़ सुलझाया तो होता।
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए,
जोशे-क़दह से बज़्म, चिराग़ाँ किए हुए।
फिर बज़्म-ए-एहतियात के रुकने लगा है दम,
बरसों हुए हैं, चाक गरेबाँ किए हुए।
दिल फिर तबाफ़े-कूए-मलामत को जाए है,
पिन्दार का सनम-कदा वीराँ किए हुए।
माँगे है फिर किसी को लबे-बाम पर हवस,
जुल्फ़ें-नियाह रुख पे परेशाँ किए हुए।
इक नौ-बहारे-नाज़ को ताके है फिर निगाह,
चेहरा फ़रोग़े मय से गुलिस्तां किए हुए।
फिर जी में है कि दर पे किसी के पड़े रहें,
सर ज़ेरे-बारे-मिन्नतें-दरबाँ किए हुए।
जी ढ़ूँढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात-दिन,
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए।
'ग़ालिब' हमें न छेड़ कि हम जोशे-अश्क से,
बैठे हैं फिर तहैया-ए-तूफाँ किए हुए।
हम परेशाँ होते गए
तेरा गाफिल अदा से देखना,
मिज्शगाँ झुका के देखना,
क्या-क्या नियाज-ए-इश्क के हाय,
गुमाँ होते गए।
दिल-ओ-जान तुमको किया,
हमजबां तुमको किया एजाज लगता था,
जो तुम संग-ए-आश्ताँ होते गए।
शिरीन तेरा हर लब्ज है,
दिल्सिताँ कर लब्ज है,
पैमान-ए-वफा तेरें हैं,
ऐसे हम सरगिराँ होते गए।
हर लालाकारी खो गई दिल की,
खुमारी खो गई,
बस तू ही तू है हर तलक,
दर सब निहाँ होते गए।
तू परीरूख हम कहाँ,
तू रंग-ओ-गुल और हम कहाँ,
बरू तेरे आए जो,
हम बस पशेमाँ होते गए।
तगाफुल वो करना देखकर,
होश गुल वो करना देखकर
राज-ए-इश्क की परदादारी
हम परेशाँ होते गए।
कौन हो तुम बतलाओ
देर से कितनी दूर खड़ी हो
और करीब आ जाओ
सुबह पे जिस तरह, शाम का हो खुमार - (2)
ज़ुल्फों में एक चेहरा, कुछ ज़ाहिर कुछ निहार
धड़कनों ने सुनी, एक सदा पाँव की - (2)
और दिल पे लहराई, आँचल की छाँव सी
मिल ही जाती हो तुम, मुझको हर मोड़ पे - (2)
चल देती हो कितने, अफसाने छोड़ के
फिर पुकारो मुझे, फिर मेरा नाम लो - (2)
गिरता हूँ फिर अपनी, बाँहों में थाम लो।
तुम रहे साथ मेरे..
तुम रहे साथ मेरे, जब मैं खो गई।
तुम रहे साथ मेरे, जब हर शै पराई हो गई
तुम रहे साथ मेरे, घनघोर बारिश में
तुम रहे साथ मेरे, दर्द की खलिश में
तुम रहे साथ मेरे, जख्मों पर मरहम की तरह
तुम रहे साथ मेरे, मेरे हमदम की तरह
तुम रहे साथ मेरे, एक देवदूत की तरह
तुम रहे साथ मेरे, प्रेम के वजूद की तरह...।
किसी ने उसको समझाया तो होता
किसी ने उसको समझाया तो होता,
कोई याँ तक उसे लाया तो होता।
मज़ा रखता है ज़ख्मे-ख़ंजरे-इश्क,
कभी ऐ बुल-हवस खाया तो होता।
यह नख़्ले-आह, होता बेद ही काश,
न होता तो समर, साया तो होता।
जो कुछ होता सो होता तूने तक़दीर,
वहाँ तक मुझको पहुँचाया तो होता।
किया किस जुर्म में तूने मुझे क़त्ल,
ज़रा तू दिल में शर्माया तो होता।
दिल उसकी जुल्फ़ में उलझा है कब से,
'ज़फ़र' इक रोज़ सुलझाया तो होता।
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए,
जोशे-क़दह से बज़्म, चिराग़ाँ किए हुए।
फिर बज़्म-ए-एहतियात के रुकने लगा है दम,
बरसों हुए हैं, चाक गरेबाँ किए हुए।
दिल फिर तबाफ़े-कूए-मलामत को जाए है,
पिन्दार का सनम-कदा वीराँ किए हुए।
माँगे है फिर किसी को लबे-बाम पर हवस,
जुल्फ़ें-नियाह रुख पे परेशाँ किए हुए।
इक नौ-बहारे-नाज़ को ताके है फिर निगाह,
चेहरा फ़रोग़े मय से गुलिस्तां किए हुए।
फिर जी में है कि दर पे किसी के पड़े रहें,
सर ज़ेरे-बारे-मिन्नतें-दरबाँ किए हुए।
जी ढ़ूँढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात-दिन,
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए।
'ग़ालिब' हमें न छेड़ कि हम जोशे-अश्क से,
बैठे हैं फिर तहैया-ए-तूफाँ किए हुए।
हम परेशाँ होते गए
तेरा गाफिल अदा से देखना,
मिज्शगाँ झुका के देखना,
क्या-क्या नियाज-ए-इश्क के हाय,
गुमाँ होते गए।
दिल-ओ-जान तुमको किया,
हमजबां तुमको किया एजाज लगता था,
जो तुम संग-ए-आश्ताँ होते गए।
शिरीन तेरा हर लब्ज है,
दिल्सिताँ कर लब्ज है,
पैमान-ए-वफा तेरें हैं,
ऐसे हम सरगिराँ होते गए।
हर लालाकारी खो गई दिल की,
खुमारी खो गई,
बस तू ही तू है हर तलक,
दर सब निहाँ होते गए।
तू परीरूख हम कहाँ,
तू रंग-ओ-गुल और हम कहाँ,
बरू तेरे आए जो,
हम बस पशेमाँ होते गए।
तगाफुल वो करना देखकर,
होश गुल वो करना देखकर
राज-ए-इश्क की परदादारी
हम परेशाँ होते गए।
जानिए उनकी पसंद
अपने लव की पसंद के बारे में जानना रोमांस में बहुत ही जरुरी है। इससे संबंध मजबूत होते हैं और एक-दूसरे को समझने में भी मदद मिलती है। साथ यदि आपका लव आपसे रूठ गया है तो ये जानकारी बड़ी काम आती है उन्हें मनाने के लिए। इसलिए आप वो कीजिए जो उन्हें पसंद हो। अजी प्यार में ये तो होता ही है कि 'जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे...।' खैर, तो अब उनकी पसंदगी की वो बातें जो आपको याद रखना हैं-
उनका पसंदीदा रंग
भाग्यशाली अंक
पसंदीदा फूल
उन्हें आपसे क्या सुनना पसंद है
पसंदीदा गीत, गायक/गायिका और संगीतकार
पसंदीदा रेस्टोरेंट, भोजन, आइसक्रीम, स्नेक्स, चॉकलेट आदि
मनपसंद पत्रिका
पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री
उनका शौक
ऐसा पसंदीदा स्थान जहाँ वो एकांत में समय बिताना चाहती हों
मनपसंद परफ्यूम और मेकअप ब्रांड
मनपसंद लेखक/साहित्यकार
सैर-सपाटा के लिए मनपसंद जगह
मनपसंद सॉफ्ट ड्रिंक, बीयर, शैम्पेन, वाईन आदि
मनपसंद ड्रेस
मनपसंद खेल और खिलाड़ी
ये और इनके जैसी कुछ और बातों को जानकर आप उन्हें जल्दी से मना सकते हैं। और फिर ये तो है ही कि 'तुम रूठी रहो, मैं मनाता रहूं....।'
कैसे जानें उनकी चाहत के बारें में?
'फूल खिलते हैं, बहारों का समा होता है
ऐसे मौसम में ही तो प्यार जवां होता है
दिल की बात लबों से नहीं कहते
ये अफसाना तो निगाहों से बयां होता है'
जी हां, वैसे बात तो बिलकुल सही है कि प्यार का अफसाना निगाहें बयां करती हैं लेकिन यदि ये भाषा स्पष्ट न हो तो....? अमूमन होता ये है कि कोई आपको बहुत-बहुत चाहता है और आप ही से इस बात को छुपाना भी चाहता है, फिर आप कैसे जानेंगे उसके मन की बात?
आइए हम यहां आपके लिए कुछ टिप्स दे देते हैं, जो आपको ये जानने में मदद करेंगी कि आप जिन्हें चाहते हैं, वो आपके बारे में क्या सोचते हैं -
हर व्यक्ति का अपना एक दायरा होता है, जिसमें वह किसी को आने नहीं देना चाहता लेकिन जब आप किसी की चाहत में डूबे हों तो इस तरह के दायरे अपने आप सिमटने लगते हैं। दिल चाहता है वो इस दायरे को तोड़कर आपके करीब, बिलकुल करीब आ जाएं। और उनके मन की बात जानने के लिए आपको इसी दायरे का सहारा लेना है। उनके बिलकुल करीब जाकर उन्हें अनजाने में छूने की कोशिश कीजिए और उनकी प्रतिक्रिया पर गौर करें यदि वो आपको चाहते हैं तो उन्हें आपकी ये हरकत अच्छी लगेगी अन्यथा वे आपसे दूर होने की कोशिश करेंगे।
उनके हावभाव, शारीरिक प्रतिक्रिया आदि पर ध्यान दें। यदि उनके मन में आपके लिए कुछ है तो वो आपको किसी न किसी बहाने छूने की कोशिश करेंगे, आपको देखते ही उनकी आंखों में चमक आ जाएगी, वो हमेशा आपका साथ पाने की कोशिश में लगे रहेंगे। ये ऐसी बातें हैं, जिन पर आप आसानी से उनके दिल की बात जान सकते हैं।
उनकी चाहत के बारे में पता करने का एक और तरीका यह है कि आप किसी न किसी तरह से उनका हाथ अपने हाथों में लेने की कोशिश करें। जैसे यदि उन्हें आपसे कोई चीज चाहिए तो उसे इस तरह से पकड़ें कि वो आपका हाथ पकड़े बगैर उसे ले ही न पाएं। उनकी प्रतिक्रिया पर गौर करें। यदि वो आपका हाथ पकड़ने से कतराते हैं तो फिर उन्हें पटाने की आपकी कोशिश बेकार है।
किसी रैलिंग या टेबल या कहीं और अपना हाथ उनके हाथ के करीब रखें यदि वो आपको चाहते हैं तो जरूर आपका हाथ छूने की कोशिश करेंगे।
उनके व्यवहार का अध्ययन करें। क्या आपके सामने आते ही उनके हाथ कांपने लगते हैं और उन्हें पसीना आने लगता है? क्या वो बात-बेबात आपकी तारीफों के पुल बांधने लगते हैं? आपसे मिलने और बात करने के बहाने ढूंढते हैं? यदि हां तो ये बात सही है कि वो आपको चाहते हैं।
ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनसे आप अंदाज लगा सकते हैं कि आपके दिल में जिसके प्रति प्यार उमड़ रहा है, वह आपको कितना चाहता है। तो फिर तैयार रहें...।
उनका पसंदीदा रंग
भाग्यशाली अंक
पसंदीदा फूल
उन्हें आपसे क्या सुनना पसंद है
पसंदीदा गीत, गायक/गायिका और संगीतकार
पसंदीदा रेस्टोरेंट, भोजन, आइसक्रीम, स्नेक्स, चॉकलेट आदि
मनपसंद पत्रिका
पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री
उनका शौक
ऐसा पसंदीदा स्थान जहाँ वो एकांत में समय बिताना चाहती हों
मनपसंद परफ्यूम और मेकअप ब्रांड
मनपसंद लेखक/साहित्यकार
सैर-सपाटा के लिए मनपसंद जगह
मनपसंद सॉफ्ट ड्रिंक, बीयर, शैम्पेन, वाईन आदि
मनपसंद ड्रेस
मनपसंद खेल और खिलाड़ी
ये और इनके जैसी कुछ और बातों को जानकर आप उन्हें जल्दी से मना सकते हैं। और फिर ये तो है ही कि 'तुम रूठी रहो, मैं मनाता रहूं....।'
कैसे जानें उनकी चाहत के बारें में?
'फूल खिलते हैं, बहारों का समा होता है
ऐसे मौसम में ही तो प्यार जवां होता है
दिल की बात लबों से नहीं कहते
ये अफसाना तो निगाहों से बयां होता है'
जी हां, वैसे बात तो बिलकुल सही है कि प्यार का अफसाना निगाहें बयां करती हैं लेकिन यदि ये भाषा स्पष्ट न हो तो....? अमूमन होता ये है कि कोई आपको बहुत-बहुत चाहता है और आप ही से इस बात को छुपाना भी चाहता है, फिर आप कैसे जानेंगे उसके मन की बात?
आइए हम यहां आपके लिए कुछ टिप्स दे देते हैं, जो आपको ये जानने में मदद करेंगी कि आप जिन्हें चाहते हैं, वो आपके बारे में क्या सोचते हैं -
हर व्यक्ति का अपना एक दायरा होता है, जिसमें वह किसी को आने नहीं देना चाहता लेकिन जब आप किसी की चाहत में डूबे हों तो इस तरह के दायरे अपने आप सिमटने लगते हैं। दिल चाहता है वो इस दायरे को तोड़कर आपके करीब, बिलकुल करीब आ जाएं। और उनके मन की बात जानने के लिए आपको इसी दायरे का सहारा लेना है। उनके बिलकुल करीब जाकर उन्हें अनजाने में छूने की कोशिश कीजिए और उनकी प्रतिक्रिया पर गौर करें यदि वो आपको चाहते हैं तो उन्हें आपकी ये हरकत अच्छी लगेगी अन्यथा वे आपसे दूर होने की कोशिश करेंगे।
उनके हावभाव, शारीरिक प्रतिक्रिया आदि पर ध्यान दें। यदि उनके मन में आपके लिए कुछ है तो वो आपको किसी न किसी बहाने छूने की कोशिश करेंगे, आपको देखते ही उनकी आंखों में चमक आ जाएगी, वो हमेशा आपका साथ पाने की कोशिश में लगे रहेंगे। ये ऐसी बातें हैं, जिन पर आप आसानी से उनके दिल की बात जान सकते हैं।
उनकी चाहत के बारे में पता करने का एक और तरीका यह है कि आप किसी न किसी तरह से उनका हाथ अपने हाथों में लेने की कोशिश करें। जैसे यदि उन्हें आपसे कोई चीज चाहिए तो उसे इस तरह से पकड़ें कि वो आपका हाथ पकड़े बगैर उसे ले ही न पाएं। उनकी प्रतिक्रिया पर गौर करें। यदि वो आपका हाथ पकड़ने से कतराते हैं तो फिर उन्हें पटाने की आपकी कोशिश बेकार है।
किसी रैलिंग या टेबल या कहीं और अपना हाथ उनके हाथ के करीब रखें यदि वो आपको चाहते हैं तो जरूर आपका हाथ छूने की कोशिश करेंगे।
उनके व्यवहार का अध्ययन करें। क्या आपके सामने आते ही उनके हाथ कांपने लगते हैं और उन्हें पसीना आने लगता है? क्या वो बात-बेबात आपकी तारीफों के पुल बांधने लगते हैं? आपसे मिलने और बात करने के बहाने ढूंढते हैं? यदि हां तो ये बात सही है कि वो आपको चाहते हैं।
ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनसे आप अंदाज लगा सकते हैं कि आपके दिल में जिसके प्रति प्यार उमड़ रहा है, वह आपको कितना चाहता है। तो फिर तैयार रहें...।
उफ..कैसे करें प्रपोज
प्यार करना आसान है पर प्यार का इजहार करना बड़ा ही मुश्किल है। मौका मिलता है पर आप चूक जाते हैं सोचते हैं फिर कभी सही। कहीं ऐसा न हो कि आपकी महबूबा किसी और की होकर चली जाए और आप हाथ मलते रह जाएँ। नहीं नहीं ऐसा आपके साथ नहीं होगा। क्योंकि हम बता रहे हैं आप को कुछ रोमांचक टिप्स बिल्कुल लीक से हटकर-
1. यदि आपकी गर्लफ्रेंड को रोमांच भरे खेल पसंद हैं जैसे रॉक क्लाइंबिंग और अंडर वाटर डाइविंग तो रॉक क्लाइंबिंग के बाद पहाड़ी के सबसे ऊपरी चोटी पर पहुँच कर आप अपने प्यार का इज़हार कर सकते हैं। या समुद्र की गहराई में मछलियों के बीच शादी के लिए पूछ सकते हैं।
2. आप ज्यादा हिम्मती हैं और कुछ बड़ा काम करना चाहते हैं तो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फिल्म देखने का प्लान करें और फिल्म के अंतराल में अपना वीडियो प्ले करने की व्यवस्था करें जिसमें आप अपनी गर्लफ्रेंड से जीवन भर साथ देने का सवाल पूछ रहे हों।
3. यदि आप अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फ्लाइट में कहीं जा रहे हों तो इंटरकॉम से भी उसको प्रोपोज कर सकते हैं।
4. जिस रास्ते आपकी गर्लफ्रेंड रोज़ जाती है, उस रास्ते के एक होर्डिंग पर किराए पर लेकर उस पर आप यह लिखवा सकते हैं-'सपना, विल यू मैरी मी?' आपका यह अंदाज आपकी प्रिय को ज़रूर पसंद आएगा।
5. बरसात के मौसम में अपनी गर्लफ्रेंड को रिमझिम बारिश में एक लाँग ड्राइव पर ले जाएँ। और उस रोमांटिक माहौल में उसे शादी के लिए प्रपोज कर
1. यदि आपकी गर्लफ्रेंड को रोमांच भरे खेल पसंद हैं जैसे रॉक क्लाइंबिंग और अंडर वाटर डाइविंग तो रॉक क्लाइंबिंग के बाद पहाड़ी के सबसे ऊपरी चोटी पर पहुँच कर आप अपने प्यार का इज़हार कर सकते हैं। या समुद्र की गहराई में मछलियों के बीच शादी के लिए पूछ सकते हैं।
2. आप ज्यादा हिम्मती हैं और कुछ बड़ा काम करना चाहते हैं तो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फिल्म देखने का प्लान करें और फिल्म के अंतराल में अपना वीडियो प्ले करने की व्यवस्था करें जिसमें आप अपनी गर्लफ्रेंड से जीवन भर साथ देने का सवाल पूछ रहे हों।
3. यदि आप अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फ्लाइट में कहीं जा रहे हों तो इंटरकॉम से भी उसको प्रोपोज कर सकते हैं।
4. जिस रास्ते आपकी गर्लफ्रेंड रोज़ जाती है, उस रास्ते के एक होर्डिंग पर किराए पर लेकर उस पर आप यह लिखवा सकते हैं-'सपना, विल यू मैरी मी?' आपका यह अंदाज आपकी प्रिय को ज़रूर पसंद आएगा।
5. बरसात के मौसम में अपनी गर्लफ्रेंड को रिमझिम बारिश में एक लाँग ड्राइव पर ले जाएँ। और उस रोमांटिक माहौल में उसे शादी के लिए प्रपोज कर
सचमुच एक नशा है चुंबन
चुंबन सचमुच एक नशा है। यह कुदरत के सबसे हसीन तोहफे- मुहब्बत- में प्रेम की पहली सीढ़ी है। इस नशे में इंसान को मदहोश कर देने की अपार क्षमता है। इसीलिए लोग विभिन्न मंचों पर कभी स्वार्थ की खातिर तो कभी परमार्थ के उद्देश्य से इसका विविध रूप से प्रयोग करते पाए जाते हैं।
चुंबन एक खूबसूरत एहसास है, जिसका एहसास हमें जिंदगी के मायने सिखाता है, जीने के काबिल बनाता है जिंदगी को। और प्यार जताने के तरीके को और भी खूबसूरत बना देता है।
हर रिश्ते, हर व्यक्ति के लिए चुंबन का अपना अलग महत्व होता है। जैसे मां का ममता भरा चुंबन जहां रोते बच्चों को हंसा देता है, वहीं दफ्तर से थक कर आए माता-पिता अपनी बेटे-बिटिया की प्यार भरी पप्पी पाकर सारी थकान, गुस्सा, तनाव भूल जाते हैं। और प्रेमी-प्रेमिकाओं का चुंबन तो उनकी इस मुलाकात को गुलाबी रंगत दे जाता है यानी चुंबन का अपना अलग-अलग जगह पर अलग-अलग महत्व होता है।
पुराने समय से चले आ रहे प्रेम के प्रतीक चुंबन को लेकर कई किंवदंतियां आज भी मशहूर हैं। जैसे कि आप सभी को ज्ञात होगा कि ईस्वी सन् 1774 में फ्रांस ने अचानक ही इंग्लैंड पर हमला कर दिया था। उस समय इंग्लैंड उस युद्ध के लिए तैयार नहीं था। अपनी सीमित सैन्य शक्ति के कारण इंग्लैंड में खलबली-सी मच गई। इंग्लैंड का यह हाल था कि न तो वह युद्ध कर सकता था और न ही पीछे हट सकता था।
ऐसी ऊहापोह की स्थिति में वहाँ के युवकों को सेना में भर्ती होने के लिए आह्वान किया गया। लेकिन वहां के युवाओं की ओर से अपेक्षित
चुंबन सचमुच एक नशा है। यह कुदरत के सबसे हसीन तोहफे- मुहब्बत- में प्रेम की पहली सीढ़ी है
परिणाम न आता देख वहां की एक सुंदरी मिस डवेच, जिसके रूप की चर्चा पूरे देश में व्याप्त थी और लोग उसकी एक झलक पानेके लिए सदैव उतावले रहते थे, ने घोषणा करवाई कि सेना में भर्ती होने वाले हर युवक का स्वागत वह अपने रस भरे चुंबन से करेंगी। बस..... उसका यह ऐलान करना ही था, कि वहाँ पर सेना में भर्ती होने के लिए युवकों की भीड़ जमा हो गई।
फिल्मी दुनिया ने भी इस बात को अच्छी तरह ताड़ लिया था कि चुंबन और अंग प्रदर्शन एक नशा है और यह नशा बहुत ऊँचे दामों पर बिक सकता है, इसलिए लगभग सभी या यूँ कहें कि हर संभव फिल्मों में खुलेआम चुंबन के साथ-साथ अंग प्रदर्शनों के दृश्यों को दिखाने का प्रयास किया जाता है। इतना ही नहीं, इसका एहसास करवाने के लिए कभी फूलों का एक-दूसरे से स्पर्श, तो कभी पक्षियों को आपस में चोंच लड़ाते दिखाना आदि दृश्य भी हमें इस बात से सरोबार करते हैं कि फिल्मी दुनिया में भी चुंबन का कितना महत्व है।
बहुतों का तो दावा है कि चुंबन लेना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पूरे शरीर में एक प्रकार की सनसनी-सी फैल जाती है। जिससे शरीर की लगभग सारी माँसपेशियाँ तन जाती हैं और रक्त संचार तेज होने लगता है। इससे एक प्रकार की मदहोशी-सी छाई दिखाई देती है और उस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वे पंछी की तरह आकाश की सैर कर रहे हैं।
इस संदर्भ में कुछेक वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि चुंबन से ऐसे हारर्मोंस सक्रिय होते हैं, जो पति-पत्नी के परस्पर प्रेम को बढ़ाने में
बहुतों का तो दावा है कि चुंबनलेना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पूरे शरीर में एक प्रकार की सनसनी-सी फैल जाती है। जिससे शरीर की लगभग सारी माँसपेशियाँ तन जाती हैं
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चुंबन से शरीर का रक्तचाप बढ़ता है और फेफड़ों में कार्बन-डायऑक्साइड व ऑक्सीजन के तेजी से आने-जाने की क्रिया से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी भी घटती है।
दूसरे कुछ वैज्ञानिक इस बारे में अपनी अलग ही राय देते है। वे चुंबन को स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानते हैं। उनका कहना है कि चुंबन लेने-देने की प्रक्रिया से बहुत से लोग तनाव, कुंठा, निराशा आदि से मुक्ति पाते हैं और इससे आपसी संबंधों के बीच चल रही भावनात्मक मलिनताएँ भी मिट जाती हैं। तनावग्रस्त व्यक्ति इससे सुख का अनुभव प्राप्त करता है।
ऐसे कई उदाहरण हमें रोजमर्रा की जिंदगी में दिखाई पड़ते हैं जो पति-पत्नी के बीच होने वाली संवादहीनता से मुक्ति दिलाकर प्रेम की वर्षा करते हैं। अधिकतर प्रेमी युगल अपने प्रेम की शुरुआत चुंबन से ही करते हैं। प्रेम की प्रथम सीढ़ी चुंबन है और आखिरी पड़ाव संभोग। ऐसा मानना भी है। प्रेम का प्रतीक यह चुंबन हमें खुशहाल लम्हों के साथ-साथ असीम सुख की चरम सीमा पर पहुँचाता है।
चुंबन एक खूबसूरत एहसास है, जिसका एहसास हमें जिंदगी के मायने सिखाता है, जीने के काबिल बनाता है जिंदगी को। और प्यार जताने के तरीके को और भी खूबसूरत बना देता है।
हर रिश्ते, हर व्यक्ति के लिए चुंबन का अपना अलग महत्व होता है। जैसे मां का ममता भरा चुंबन जहां रोते बच्चों को हंसा देता है, वहीं दफ्तर से थक कर आए माता-पिता अपनी बेटे-बिटिया की प्यार भरी पप्पी पाकर सारी थकान, गुस्सा, तनाव भूल जाते हैं। और प्रेमी-प्रेमिकाओं का चुंबन तो उनकी इस मुलाकात को गुलाबी रंगत दे जाता है यानी चुंबन का अपना अलग-अलग जगह पर अलग-अलग महत्व होता है।
पुराने समय से चले आ रहे प्रेम के प्रतीक चुंबन को लेकर कई किंवदंतियां आज भी मशहूर हैं। जैसे कि आप सभी को ज्ञात होगा कि ईस्वी सन् 1774 में फ्रांस ने अचानक ही इंग्लैंड पर हमला कर दिया था। उस समय इंग्लैंड उस युद्ध के लिए तैयार नहीं था। अपनी सीमित सैन्य शक्ति के कारण इंग्लैंड में खलबली-सी मच गई। इंग्लैंड का यह हाल था कि न तो वह युद्ध कर सकता था और न ही पीछे हट सकता था।
ऐसी ऊहापोह की स्थिति में वहाँ के युवकों को सेना में भर्ती होने के लिए आह्वान किया गया। लेकिन वहां के युवाओं की ओर से अपेक्षित
चुंबन सचमुच एक नशा है। यह कुदरत के सबसे हसीन तोहफे- मुहब्बत- में प्रेम की पहली सीढ़ी है
परिणाम न आता देख वहां की एक सुंदरी मिस डवेच, जिसके रूप की चर्चा पूरे देश में व्याप्त थी और लोग उसकी एक झलक पानेके लिए सदैव उतावले रहते थे, ने घोषणा करवाई कि सेना में भर्ती होने वाले हर युवक का स्वागत वह अपने रस भरे चुंबन से करेंगी। बस..... उसका यह ऐलान करना ही था, कि वहाँ पर सेना में भर्ती होने के लिए युवकों की भीड़ जमा हो गई।
फिल्मी दुनिया ने भी इस बात को अच्छी तरह ताड़ लिया था कि चुंबन और अंग प्रदर्शन एक नशा है और यह नशा बहुत ऊँचे दामों पर बिक सकता है, इसलिए लगभग सभी या यूँ कहें कि हर संभव फिल्मों में खुलेआम चुंबन के साथ-साथ अंग प्रदर्शनों के दृश्यों को दिखाने का प्रयास किया जाता है। इतना ही नहीं, इसका एहसास करवाने के लिए कभी फूलों का एक-दूसरे से स्पर्श, तो कभी पक्षियों को आपस में चोंच लड़ाते दिखाना आदि दृश्य भी हमें इस बात से सरोबार करते हैं कि फिल्मी दुनिया में भी चुंबन का कितना महत्व है।
बहुतों का तो दावा है कि चुंबन लेना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पूरे शरीर में एक प्रकार की सनसनी-सी फैल जाती है। जिससे शरीर की लगभग सारी माँसपेशियाँ तन जाती हैं और रक्त संचार तेज होने लगता है। इससे एक प्रकार की मदहोशी-सी छाई दिखाई देती है और उस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वे पंछी की तरह आकाश की सैर कर रहे हैं।
इस संदर्भ में कुछेक वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि चुंबन से ऐसे हारर्मोंस सक्रिय होते हैं, जो पति-पत्नी के परस्पर प्रेम को बढ़ाने में
बहुतों का तो दावा है कि चुंबनलेना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पूरे शरीर में एक प्रकार की सनसनी-सी फैल जाती है। जिससे शरीर की लगभग सारी माँसपेशियाँ तन जाती हैं
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चुंबन से शरीर का रक्तचाप बढ़ता है और फेफड़ों में कार्बन-डायऑक्साइड व ऑक्सीजन के तेजी से आने-जाने की क्रिया से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी भी घटती है।
दूसरे कुछ वैज्ञानिक इस बारे में अपनी अलग ही राय देते है। वे चुंबन को स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानते हैं। उनका कहना है कि चुंबन लेने-देने की प्रक्रिया से बहुत से लोग तनाव, कुंठा, निराशा आदि से मुक्ति पाते हैं और इससे आपसी संबंधों के बीच चल रही भावनात्मक मलिनताएँ भी मिट जाती हैं। तनावग्रस्त व्यक्ति इससे सुख का अनुभव प्राप्त करता है।
ऐसे कई उदाहरण हमें रोजमर्रा की जिंदगी में दिखाई पड़ते हैं जो पति-पत्नी के बीच होने वाली संवादहीनता से मुक्ति दिलाकर प्रेम की वर्षा करते हैं। अधिकतर प्रेमी युगल अपने प्रेम की शुरुआत चुंबन से ही करते हैं। प्रेम की प्रथम सीढ़ी चुंबन है और आखिरी पड़ाव संभोग। ऐसा मानना भी है। प्रेम का प्रतीक यह चुंबन हमें खुशहाल लम्हों के साथ-साथ असीम सुख की चरम सीमा पर पहुँचाता है।
आखिर रोमांस है क्या?
एक खूबसूरत अहसास रोमांस
WD WD
रोमांस शब्द के मायने पुराने समय से आज तक काफी बदले हैं मगर सच है कि आज भी यह शब्द एक खूबसूरत एहसास से भर देता है। रूह में एक खुशबू सी उतरती चली जाती है और सहेजकर रखे पुराने खतों को फिर से पढ़ने को जी करने लगता है। एक बहुअर्थी शब्द है रोमांस, जिसका शाब्दिक अर्थ हो सकता है कल्पना। एक प्यारी सी कोई बात, मीठी छेड़छाड़ जो तन-मन में स्पंदन जगाकर रोम-रोम पुलकित कर दे, मन में जोश और उत्साह भरकर जीने की इच्छा बढ़ा दे। यह सिर्फ एक अहसास है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। इसे सिर्फ दिल की गहराइयों से ही महसूस किया जा सकता है।
रोमांस जन्मा कैसे
रोमांस की उत्पत्ति कब और कहाँ हुई, यह कहना थोड़ा मुश्किल है। पहले-पहल इसका आम जीवन से कोई ताल्लुक नहीं था, राजा-रानियों की प्रेम कथाओं में इसका हलका-फुलका जिकर होता था। फिर लिखित साहित्य आया। उसके बाद फिल्मों में रोमांस के हर पहलू का खूब खुलकर फिल्मांकन किया गया। पहले रोमांचक कहानियाँ या उपन्यास पढ़ना, फिल्में देखना अच्छा नहीं समझा जाता था, रोमांस की तो बात ही दूर थी। यह सचमुच कल्पना ही था। इसलिए आम आदमी हमेशा हिचक के घेरे में रहा। वह रोमांस के रोमांच से अभिभूत तो रहा, मगर न तो उसे खुलकर स्वीकार सका और न महसूस कर सका।
रोमांस एक चुंबकीय आकर्षण है, इसलिए इसने इतनी जल्दी सबको अपने सम्मोहन में जकड़ लिया है। अकेलेपन की उदासियों में रोमांस ही है, जो जीवन में रंग भरने लगा है। एक तो रिश्तों की बढ़ती बरारबरी व दोस्ती के तकाजे के चलते आए खुलेपन से रोमांस की संभावनाएं बढ़ी हैं, दूसरी तरफ, जीवन की बढ़ती व्यवस्तताओं से उपजी, निराशा, ऊब, तनाव व अवसाद के चलते मनोचिकित्सकों नें भी रोमांस के महत्व को पहचना है और उसे मानवीय जीन का अनिवार्य हिस्सा बताया है।
आखिर रोमांस है क्या
रोमांस एक अहसास है जिसकी गहराई को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। किसी प्रिय से निगाहे मिलने पर दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और तन-मन में स्पंदन सा महसूस होता है, इसे ही तो रोमांस कहते हैं। रोमांस शब्दों का मोहताज नहीं है, यह आंखों और इशारों की भाषा खूब समझता है। रोमांस के बिना प्रेम का अस्तित्व नहीं होता। प्रेम की डगरिया का नाम है रोमांस। प्रेम अगर मंजिल है तो रोमांस पगडंडी, जो प्रेम की परिपक्वता प्रदान करती है। यह कोई जरूरी नहीं कि जिससे आप प्रेम करते हों वह भी आपसे उतनी शिद्दत से प्रेम करता हो। रोमांस प्रेम में तभी परिवर्तित होता है जब एक-दूसरे के प्रति रोमांस के भाव दोनों के मन में जगें वर्ना कामनाएँ सिर्फ रोमांस बनकर रह जाती हैं। रोमांस दो चाहने वालों को एक-दूसरे के करीब लाने, उनमें प्रेम जगाने का एक माध्यम है।
रोमांस का अर्थ केवल प्यार-मोहब्बत और दैहिक संसर्ग नहीं, बल्कि रोमांस का अर्थ है अपने लक्ष्य को पाने के लिए निष्ठा व प्रेम। कोई भी व्यक्ति अपने मकसद को तब तक नहीं पा सकता जब तक उसके अंतर्मन में उस काम से प्यार और उसे कर पाने की इच्छा और लगन नही होगी। रोमांस एक तड़ित तरंगित गमियता है, दीवानगी है, एक पागलपन, एक सिरफिरापन है। इसके बाद ही कलाकार व दीवानों को अपने उद्देश्य की प्राप्ति होती है।
रोमांस की बदलती परिभाषाएँ
पुराने मसय का रोमांस शायद कही अधिक रोमांटिक था, लुक-छिपकर एक-दूसरे को निहारना, लंबी सैर पर निकल जाना, कॉफी की चुस्कियां लेना और एक-दूसरे का हाथ पकड़ना आदि। स्पर्श के इस रोमांच को प्रेमी युगल कई दिनों तक नहीं, महीनों-सालों तक महसूस करते थे। रोमांस के नाम पर मन में जोश और उत्साह होता था। रोमांस का जिक्र आते ही होठों पर खिली शर्मीली मुस्कुराहट तो दिखाई दे जाती थी, लेकिन मन में फूटते लड्डुओं का अंदाजा तो चेहरे को देखकर लगाया जा सकता था।
दूसरी तरफ आधुनिक रोमांस की गति इतनी तेज है कि प्रेमी युगल के पास उसे महसूस करने के लिए, उन क्षणों को जीने के लिए समय ही नहीं है। आज का हाईटेक रोमांस भाषा-प्रधान है, जो ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस द्वारा तुरंत संचारित होता है। आज रोमांस को समय और दूरी का मुंह नहीं ताकना पड़ता। अब रोमांस का स्थान डिस्को, पार्टियों, डेटिंग आदि ने ले लिया है जहां शोरशराबें में इच्छाएँ-कामनाएँ पहले ही खत्म हो जाती हैं।
अंत में यहीं कहा जा सकता है कि रोमांस का भाव स्थायी नहीं है, बल्कि संचारी है। जो किसी विषय, वस्तु या फिर व्यक्ति विशेष के बारे में सोचते हुए तन-मन में संचारित होता है और कुछ भी पलों में गायब भी हो जाता है। प्रेम और रोमांस दोनों एक-दूसरे के पूरक है। इनके बिना जीवन ऐसे रेगिस्तान के समान है, जहाँ कभी कुछ नही खिल सकता।
नाम का पहला अक्षर और प्यार
नाम के पहले अक्षर की मदद से न सिर्फ आप स्वयं के बारे में जान सकते हैं बल्कि अपनी चाहत के बारे में भी अनुमान लगा सकते हैं तो आइए जानते हैं...
ए- यदि आपका नाम अँग्रेजी के अक्षर ए से शुरु होता है तो आप ज्यादा रोमांटिक नहीं हैं। पर आप कुछ भी कर गुजरने में विश्वास रखते हैं। आपका नज़रिया हमेशा नफे नुकसान की ओर रहता है। जैसा आप देखते हैं वैसा ही आपको चाहिए। आपके पास फ्लर्ट करने का समय नहीं है। कोई आपको लुभाने की कोशिश करे तो आप परवाह नहीं करते। आप खुलकर बात करने में विश्वास करते हैं। जब बात प्रेम की आती है तो आप का काम दबे-छिपे इशारों से नहीं बनता।
शारीरिक आकर्षण आपके लिए महत्वपूर्ण है। आप अपने मनचाहे प्रीतम को पाने के लिए कड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। आप आकर्षक और सेक्सी हैं। और जितने दिखाई देते हैं उससे कहीं अधिक हिम्मती हैं। हालाँकि आप अपने गुणों का बखान नहीं करते लेकिन आप सबसे पहले अपनी शारीरिक आवश्यकताओं पर ध्यान देते हैं।
बी- आप बहुत संवेदनशील हैं। आपको रोमांस, पार्टी जैसी बातों में बहुत मज़ा आता है। आपको अपने प्रेमी/प्रेमिका से तोहफे लेना पसंद है। आप यह चाहते हैं कि कोई आपको महत्व दे और आप भी दूसरों को महत्व देना पसंद करते हैं। आप अपने मन की बात बताने में कठिनाई महसूस करते हैं और उसे अपने तक ही रखना पसंद करते हैं। जब तक आपकी मनचाही बात हो आप तब तक खुश रहते हैं। जहाँ जरूरी हो वहाँ आप अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना जानते हैं। पर आपको नए-नए अनुभव लेने में आनंद आता है।
सी- आप बेहद सोशल हैं और आपके लिए कोई भी रिश्ता बड़े महत्व का है। आपको रिश्तों में गर्माहट और नजदीकियाँ पसंद हैं। आप सामाजिक रूप से सम्मान पाना चाहते हैं और इसके लिए हमेशा अच्छे दिखने का प्रयास करते हैं। आप अपने प्रेमी/प्रेमिका को दोस्त या अच्छे साथी के रूप में देखते हैं। आप सेक्सी और भावुक हैं और चाहते हैं कि कोई आपकी तारीफ हमेशा करता रहे। यदि ऐसा नहीं होता तो आप बिना साथी के भी रहना स्वीकार कर लेते हैं। क्योंकि आप इच्छाओं पर काबू पाने की कला जानते हैं।
डी- जब आप किसी चीज को पाना चाहते हैं तो उसे पाकर ही रहते हैं। और तन-मन से उसी में लगे रहते हैं। आप आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हैं। आप दूसरों का ख्याल रखने में खुशी महसूस करते हैं। किसी की समस्या को आप अपनी समस्या मानकर उसे हल करने में जुट जाते हैं। आप बेहद सेक्सी, आकर्षक, वफादार और रिश्तों में पूरी तरह से जुड़ जाने वाले हैं। आप को कुछ अलग हटकर हमेशा पसंद आता है। आप कभी-कभी बेहद ईर्ष्यालु और स्वार्थी हो जाते हैं। आपको खुले दिल के लोग पसंद आते हैं।
ई- बातें करना आपकी कमजोरी है। यदि आपका प्रेमी/ प्रेमिका अच्छी तरह आपकी बात पर ध्यान नहीं देता तो आपका रश्ता ही खतरे में पड़ जाता है। किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता आपको प्रभावित करती है। आपको अव्यवस्था बिल्कुल पसंद नहीं है। कभी-कभी आपको विवादग्रस्त बातों में पड़ना अच्छा लगता है। आपको फ्लर्ट करने में बहुत मजा आता है आप इसे प्रेम से भी ज्यादा महत्व देते हैं। लेकिन जब आप एक बार दिल दे देते हैं तो उसके प्रति वफादार हो जाते हैं। यदि आपको अच्छा प्रेमी नहीं मिलता तो आप किताब पढ़ते हुए सोना पसंद करते हैं। आपको अच्छे दिखने वाले व्यक्ति ही लुभाते हैं।
एफ- आप आदर्शवादी और रोमांटिक हैं। अपनी चाहत को महत्व देते हैं। आप हमेशा अच्छे से अच्छे साथी की तलाश में रहते हैं। आप फ्लर्ट हैं लेकिन अच्छा साथी पा लेते हैं तो उसके प्रति वफादार रहते हैं। आप भावुक, सेक्सी और आकर्षक हैं। लोगों के बीच आप प्रदर्शन करने में विश्वास रखते हैं। आप जन्मजात रोमांटिक हैं। और नाटकीय बातों में खोए रहना आपका पसंदीदा शगल है। आप एक अच्छे प्रेमी साबित हो सकते हैं।
जी- आपको ऐसे साथी की तलाश है जो आपके स्तर और आर्थिक स्तर को बढ़ाए। एक बार वादा करने पर आप अपने प्यार के प्रति समर्पित रहते हैं। आप अपने प्यार को तोहफा भी इंवेस्टमेंट की तरह ही देते हैं। वादा करने के पहले आप किसी पर खर्च करने में हिचकते हैं। प्रेम में पड़ने के प्रति भी आप चौकन्ने हैं। आप एक समझदार और सब्र रखने वाले प्रेमी हैं।
एच- आप बेहद संकोची और संवेदनशील हैं। आप मन ही मन प्यार करने में यकीन करते हैं लेकिन खुलकर उसे स्वीकार करने में डरते हैं। आपको अपनी इज्जत और मान सम्मान से बहुत प्यार है। किसी एक चीज से बँधकर रहना आपको पसंद है। यदि आपको प्रेरणा मिले तो आप कोई भी काम कर सकते हैं। छोटी-छोटी बातों से आप दुखी हो जाते हैं। प्रेम में किसी का दिल दुखाना आपको पसंद नहीं और नहीं चाहते कि कोई आपका दिल दुखाए।
आई- आप प्रशंसा और प्यार के दीवाने हैं। आपको लक्जरी और संवेदनशीलता पसंद आती है। आपको सोच समझकर काम करने वाले लोग पसंद आते हैं। अपने प्रेमी में आप ये गुण देखना पसंद करते हैं। आपको नासमझ लोग पसंद नहीं लेकिन वह नासमझ आपसे सलाह माँगे तो आप उसे पसंद करने लगते हैं। आप हर बात में अपनी पसंद का ख्याल रखते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने को संतुष्ट करने के बारे में सावधान रहते हैं। आप आसानी से बोर हो जाते हैं इसलिए आपको चीजों में लगातार परिवर्तन चाहिए। आप संवेदनशील और सेक्सी हैं लेकिन कभी-कभी आप निराश महसूस करते हैं।
जे- आप हर तरह से लाजवाब हैं!
के- आप बेहद रोमांटिक हो सकते हैं और प्यार में ग्लैमर पसंद करते हैं। पार्टनर का होना आपके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। आपको प्रेम के प्रदर्शन में कोई संकोच नहीं है आप हमेशा बाजी खेलने को तैयार रहते हैं। नए पार्टनर्स के साथ संबंधों में आप सकुचाते नहीं। पर आपको बुद्धिमान लोग भाते हैं। यदि आपका पार्टनर समझदार नहीं है तो आप उसके साथ अधिक समय तक नहीं निभा सकते। आप प्यार और पार्टी मनाना इसलिए पसंद करते हैं कि लोग आपकी प्रशंसा करें।
एल- आप बेहद रोमांटिक हैं। साथ ही आदर्शवादी भी हैं और यह सोचते हैं कि प्यार तकलीफ ही देता है। आपको किसी तकलीफ में पड़े व्यक्ति से सहानुभूति होती है जो प्यार में बदल जाती है। अपने प्रेमी को मुसीबत से उबारने में आप सुकून महसूस करते हैं। आप गंभीर, आकर्षक और सपने देखने वाले हैं। आप जानबूझकर अपने आपको कल्पना से बहलाए रखना पसंद करते हैं। आपकी काल्पनिक दुनिया फिल्मों और किताबों से प्रेरित होती है। आप अपनी इस सपनीली दुनिया के बारे में किसी को नहीं बताते, अपने साथी को भी नहीं।
एम- आप भावुक और गहरे डूबे हुए व्यक्ति हैं। जब आप रिश्ते में पड़ते हैं तो उससे पूरी तरह जुड़ जाते हैं। फिर आपको कोई नहीं रोक सकता। आपको ऐसे ही साथ की तलाश रहती है जो आपको इसी तरह टूटकर प्यार करे। आप हर काम में हाथ डालकर अपने आपको आज़माना पसंद करते हैं। आपमें गज़ब की ऊर्जा है और आप सामाजिक व संवेदनशील हैं। कभी-कभी आपको फ्लर्ट करना अच्छा लगता है और आप अपने प्रेमी की देखभाल एक बड़े बुजुर्ग की तरह करते हैं।
एन- आपको प्रेरणा की लगातार जरुरत है क्यांकि आप बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं। आप एक साथ कई संबंधों को निभाने में सक्षम हैं। पूरी आजादी में आपका विश्वास है। आप हर काम में हाथ डालकर अपने आपको आज़माना पसंद करते हैं। आपमें गज़ब की ऊर्जा है। आप कभी-कभी फ्लर्ट करते हैं लेकिन किसी से वादा करने के बाद उसके प्रति पूरी तरह से वफादारी निभाते हैं। वैसे तो आप संवेदनशील, सेक्सी और आकर्षक हैं लेकिन दुनिया के सामने अपना प्रदर्शन करने में पीछे नहीं रहते हैं। नाटकीय तरीके से प्रेम करने में आपको बहुत आनंद आता है। आप जन्मजात रोमांटिक हैं। आप बेहद अच्छे प्रेमी साबित हो सकते हैं।
ओ- आप बहुत शर्मीले लगते हैं लेकिन प्यार संबंधी बातों में आप छुपे रुस्तम हैं। आप अपनी इस ऊर्जा का उपयोग पैसे कमाने में और पद प्राप्त करने में पसंद करते हैं। आपके पास प्रेम संबंधी कई अवसर आएँगे। आप आकर्षक, डूबकर प्यार करने वाले हैं और अपने साथी में भी यही बात चाहते हैं। आपके लिए प्रेम एक गहरी भावना है और हर किसी से नहीं हो सकता। लेकिन आपको कोई बाँधकर रखे यह आपको मंजूर नहीं।
पी- आपको समाज का बहुत ख्याल रहता है। आप ऐसा कोई काम करना पसंद नहीं करते जो आपकी छवि को नुकसान पहुँचाए। आपके लिए बाहरी सुंदरता बहुत मायने रखती है इसलिए आपको सुंदर साथी की तलाश है। बुद्धिमान लोग भी आपको आकर्षित करते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आप अपने साथी को ही अपना शत्रु समझते हैं और प्यार के दौरान लड़ना-झगड़ना भी चलता रहता है। आपको नई-नई चीजें आज़माने का शौक है। आपको फ्लर्ट करने में भी बहुत मज़ा आता है।
क्यू- आपको कुछ न कुछ करते रहने में मज़ा आता है। आपके पास बहुत ऊर्जा है। आपके साथी के लिए आपके कदम से कदम मिलाकर चल पाना थोड़ा कठिन होता है। आप बहुत जोशीले किस्म के प्रेमी हैं और लोग आपके प्रति सहज ही आकर्षित हो जाते हैं। आपको रोमांस, फूल और दिल ये सभी चीजें पसंद हैं। आपको बातें करने वाले लोग भी विशेष रूप से पसंद हैं।
आर- आपको फालतू बातों के बजाय सिर्फ काम की बातों में ही दिल लगाना अच्छा लगता है।
आपको अपने स्तर के लोग ही पसंद आते हैं और यदि आपका साथी आपसे भी ज्यादा ऊँचे स्तर का हो तो और भी अच्छा है। आपको हमेशा दिमागदार लोग ही पसंद आते हैं। लेकन शारीरिक सुंदरता भी आपके लिए बहुत मायने रखती है। आपको गर्व करने लायक पार्टनर की तलाश रहती है। आप बाहर से गंभीर नजर आते हैं लेकिन अंदर से आप प्रेम की भावना से जुड़े हुए हैं। आपको टीचर बनने में बहुत मज़ा आता है। आप अपने साथी से बहुत कुछ चाहते हैं।
एस- आप रहस्यमयी, अपने आप में रहने वाले और शर्मीले हैं। मगर आप प्रेम की भावना से ओत-प्रोत, संवेदनशील और जुनूनी हैं पर यह बात आप जाहिर नहीं होने देते हैं। जब कोई आपके बेहद करीब आता है तब ही उसे यह बात पता चलती है। आप किसी विशेष काम के विशेषज्ञ हैं लेकिन आप हर काम बखूबी कर सकते हैं। अपने प्यार को आप बेहद गंभीर मामले की तरह लेते हैं। आपमें सही व्यक्ति के मिलने तक इंतजार और सब्र करने की प्रवृत्ति ह
टी- आप बहुत संवेदनशील, बातों को गुप्त रखने वाले और प्रेम के मामले में निष्क्रिय से हैं। आपको ऐसे पार्टनर की जरूरत है जो आपको प्रेरणा देता रहे। संगीत, रोमांस और हल्का प्रकाश आपको जगाने के लिए काफी है। आप प्यार में मुश्किल से पड़ते हैं लेकिन जब पड़ जाते हैं तो आपका उससे बाहर निकलना मुश्किल है। प्यार में आप रोमांटिक, आदर्शवादी व बहुत गहरे उतरने वालों में से हैं। आपकी भावनाओं को लगातार प्रेरणा की जरूरत पड़ती है। आप ऐसे रिश्ते में यकीन करते हैं जो आप सपनों में देखते हैं।
यू- आप जोशीले और आदर्शवादी हैं। जब आप अपने प्रेमी के साथ नहीं होते तब भी उसकी यादों में खो रहते हैं। आपको हमेशा सबकी प्रशंसा पाना पसंद है। आप रोमांस को चुनौती की तरह देखते हैं। रोमांच, नई खोज और आज़ादी आपको प्रिय है। अपने प्रेमी/प्रेमिका को उपहार देना आपको पसंद है। आप यह भी चाहते हैं कि आपका प्रिय हमेशा सबसे अच्छा लगे। आप स्वयं से ज्यादा अपने साथी की खुशी चाहते हैं।
वी- आप स्वयं के लिए जीने वाले हैं। आपको अ़ाजादी, जोश और अपना अलग स्थान चाहिए। आप तब तक इंतज़ार करते हैं जब तक कोई आकर आपसे प्यार का इज़हार न कर दे। आपके लिए किसी को जानने का मतलब उसकी साइकोलोजी को समझना है। आप छोटी बातों का भी गहरा अर्थ निकालते हैं। खुले दिल वाले लोग आपको प्रभावित करते हैं। आपके प्रेमी और आपमें हमेशा उम्र का अंतर रहेगा। खतरों से खेलना आपका शौक है।
डब्ल्यू- आप कुछ गर्वीले, दृढ़ विचारों वाले और प्यार के मामले में ना-ना करने वाले हैं। आपका ईगो आपको आगे बढ़ने से रोकता है। रोमांटिक और आदर्शवादी होने के साथ आप अपने प्रेमी को वैसे ही पसंद करते हैं जैसा वह है यानी आपको बनावट पसंद नहीं है। आपके हिसाब से कोई भी चीज बहुत अच्छी नहीं होती। आपको प्यार का खेल खेलने में आनंद आता है।
एक्स- आपको लगातार प्रेरणा की जरुरत है क्योंकि आप बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं। पर आप एक साथ कई प्रेम संबंधों को निभाने की ताकत रखते हैं। आपको लगातार बोलते रहने में भी मजा आता है। आपके अपनी तरफ से कई प्रेम संबंध होते हैं यानी उनमें से कई काल्पनिक होते हैं।
वाय- आप संवेदनशील और आत्म निर्भर हैं। यदि कोई काम आप स्वयं नहीं कर सकते तो उसे छोड़ना पसंद करते हैं। आप संबंधों ज्यादा हक जताते हैं जिससे आपका रिश्ता लंबे समय तक नहीं टिकता। प्रेम में आपको स्पर्श में बहुत आनंद आता है जैसे हाथ पकड़कर बैठना, कंधे पर हाथ रखकर चलना। जब आप काम में मशगूल रहते हैं तब आपको प्रेम प्यार की बातें बिल्कुल याद नहीं रहती। आप अपने प्रेमी को बारबार जताते हैं कि आप कितने अच्छे प्रेमी हैं। आपको उनकी प्रतिक्रिया भी चाहिए। आप खुले दिल के और रोमांटिक हैं।
जेड- आप सामान्य रूप से रोमांटिक हैं। जीवन में चीजों आसानी से लेना आपका शौक है और प्यार में भी यही बात आपको सच लगती है। आपको कहीं भी किसी से भी प्रेम हो सकता है। हर शख्स में आप खूबी तलाश लेते हैं। इसी कारण से लोग आपसे प्रभावित हो जाते हैं। अपने प्यार को आप कभी जुनून की तरह प्यार करते हैं तो कभी बिल्कुल महत्व नहीं देते। आप प्रेम के मामले में खिलाड़ी हैं।
आखिर पुरुष प्रेम में क्या चाहते हैं?
क्या आप जानती हैं- पुरुष जब प्रेम करते हैं तो वे स्त्री से क्या चाहते हैं? बहुत सारे लोग शायद उसकी चाहत का अर्थ शारीरिक संबंधों से आगे न लगा पाएँ। यह सही है कि बहुत से पुरुष संबंधों के मामले में संकोची होते हैं और वे चाहते हैं कि जो कुछ हो वह स्त्री की तरफ से ही किया जाए। यह सिर्फ इसलिए होता है कि इससे पुरुष को स्त्री के साथ अपने संबंध मजबूत और ईमानदार बनाने में मदद मिलती है। जो बातें वह स्त्री से कर सकता है वह किसी और से शायद नहीं कर सकता। खासतौर से जब पुरुष किसी स्त्री से प्यार करता है या शुरुआत करता है तो वह चाहता है कि स्त्री बिना कुछ कहे ही उसकी भावनाओं और विचारों को जान और समझ ले ताकि पुरुष भविष्य में उससे अपने मन की अनकही बातें भी कह सके। आखिर प्रेम में पड़े पुरुष क्या सोचते हैं और वे क्या बन जाते हैं? मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इसे समझना एक टेढ़ी खीर है पर कोशिश की जाए तो कुछ हद तक प्रेम के प्रति पुरुषों का नजरिया समझा जा सकता है।
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक गीतिका कपूर कहती हैं- जब कोई व्यक्ति प्रेम में पड़ता है तो संबंधों को लेकर उसमें एक अलग तरह का आत्मविश्वास आ जाता है। वह खुद को दूसरों से प्रेम करने वाला और संयमी महसूस करने लगता है। तब दरअसल पुरुष जिस स्त्री से विवाह करता है वह उससे कई मुलाकातों, डेटिंग और दूसरों से सर्वश्रेष्ठ मानने के बाद ही जुड़ता है। इस तरह की भावनाएँ उसे जीवन के प्रति नजरिए को बदलने और विभिन्न आयामों को समझने में भी मददगार साबित होती हैं। इसलिए वह अपने आपको इस तरह तैयार करता है कि दूसरे भी उससे प्रेरणा लें। छः माह पहले ही प्रेम विवाह करने वाले विनीत चोपड़ा कहते हैं- यह प्रेम का सकारात्मक पहलू है जो पुरुष दूसरों को बता सकता है। कुछ लोगों के लिए प्रेम जीवन में अहंकार को बढ़ाने वाला भी साबित होता है। वरिष्ठ मनोचिकित्सक संदीप वोरा मानते हैं कि यह रवैया दरअसल पुरुष में स्वयं को बेहतर मानने के कारण पैदा होता है, जैसा कि मशहूर फिल्म एज गुड एज इट गैट्स में जैक निकोल्सन का चरित्र। वे अपनी सहयोगी पात्र से कहते हैं- तुम मुझे दुनिया का सबसे बेहतर आदमी बनाना चाहती हो, ताकि मैं सब कुछ भूल जाऊँ। यह एक तरह की सूचना या प्रशंसा से भरे आदमी की चेतावनी भी मानी जा सकती है।
बहुत से लोग संबंधों को सिर्फ मौज-मस्ती और समय काटने का रास्ता मानते हैं लेकिन कई पुरुष इन्हीं संबंधों के जरिए अपने जीवन में खुशी और उल्लास भी समेट लेते हैं। उनके लिए अपनी पत्नी या महिला मित्र की मुस्कान या आवाज ही उनके लिए सम्मान और पुरस्कार की तरह होती है। एक कंपनी में व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाली शाहना कहती हैं- 'इसलिए मैं हमेशा अपने पुरुष मित्र के साथ मुस्कराकर मिलती हूँ। वे मानती हैं कि इससे जीवन में ताजगी बनी रहती है। वह रोज खुद में एक नयापन ढूंढता है।'
एक युवा प्रेमी विकास चतुर्वेदी कहते हैं- दुनिया में मेरे लिए 'उसका' मुस्कराता चेहरा ही सब कुछ है। मैं जानता हूँ कि वह मुझे बहुत चाहती है इसलिए मैं उसे खुश रखने के लिए कुछ भी कर सकता हूं। जब वह मुझसे अपनी कोई समस्या साझा करती है तो वह मेरे लिए अद्भुत पल होता है।'
गीतिका कहती हैं- करियर संबंधी मामलों में भी पुरुष चाहते हैं कि कोई योग्य महिला उनकी सहयोगी बने। उनमें अपनी योग्यता को उनसे बाँटने की चाह होती है। ऐसा होने पर पुरुष खुद को गौरवान्वित और अलग महसूस करते हैं। लेकिन आमतौर पर महिलाएँ इस नजरिए को जानते हुए भी अनजान बनी रहती हैं जिससे पुरुष अक्सर खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। खासतौर से यौन संबंधों में भी महिलाएँ अपनी इच्छाओं का खुलासा नहीं करतीं जबकि पुरुष चाहते हैं कि स्त्री उनके साथ की गई शारीरिक प्रक्रियाओं की आवश्यक प्रतिक्रिया करे। सेक्स, संबंधों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संदीप वोरा कहते हैं- इससे संबंध मजबूत और नए बने रहते हैं, लेकिन कुछ पुरुषों के लिए सिर्फ यही प्रेम का अर्थ होता है। हालाँकि शारीरिक संबंधों के बगैर भी प्रेम का अर्थ अधूरा ही होता है।
गौर से देखा जाए तो पुरुषों में तीव्र इच्छा रहती है कि वे जो कुछ अपने जीवन में या दिनभर में करते हैं उसे उनकी सहयोगी मित्र, गर्लफ्रेंड या पत्नी देखे और सराहे। यही नहीं बल्कि उन्हें सहयोग भी करे। घटनाओं पर ध्यान देना पुरुषों के लिए जीवन को आसान बना देता है। गीतिका कपूर कहती हैं- ऐसे किसी का होना पुरुष को हौसला देता है। वह ढंग से विकसित होता है। यह जीवन को संतुलित और मजबूत बनाता है। लेकिन जहां पुरुष अकेले होते हैं वहाँ संबंधों में ही नहीं उनके करियर में भी असंतुलन आ जाता है। इसलिए बहुत से पुरुष कभी-कभी बहुत ही आत्मकेंद्रित और प्रतिस्पर्धी पाए जाते हैं। संदीप वोरा कहते हैं- इसलिए पुरुष हमेशा किसी ऐसी महिला की तलाश में रहते हैं जो उन्हें मानसिक और संवेदनात्मक सुरक्षा के साथ-साथ भावनात्मक सुरक्षा भी दे सके। समझदार महिलाओं को इसमें पुरुषों की मदद करनी चाहिए।
बाहों में चले आओ..
चाँदनी रात हो, सावन की रिमझिम फुहारें बरस रही हों, किसी शांत जगह पर एकदम मद्धिम स्वरों में कोई रोमांटिक धुन बज रही हो और आपके साथ आपकी प्रियतमा गलबहियाँ किए इस वातावरण का लुत्फ उठा रहे हों... वाह क्या रोमांटिक सीन होगा ये?
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने प्रियतम या प्रेयसी को बाहों में लेना भी एक कला है और इसे आप जितने अच्छे से करेंगे, आपके रोमांस में उतनी ही सरसता आएगी। आइए जरा गौर करें कि इसके लिए क्या किया जाए।
सबसे पहली बात, जब आप उनके साथ बाहर घूमने निकलें हों या डेट पर गए हों तो बातों-बातों में उनके पास सरकें, फिर आँखों में आँखें डालकर उनका हाथ अपने हाथों में लें। कुछ देर इसी तरह बातें करने के बाद उन्हें अपनी बाहों के घेरे में लेकर अपनी ओर खींचें। हो सकता है आपकी ये हरकत उन्हें नागवार गुजरे लेकिन फिक्र की कोई बात नहीं क्योंकि मन ही मन वे बहुत खुश हैं।
बाहों में लेने के बाद कुछ देर आँखों ही आँखों में बातें करें फिर आँखें बंद करके इस मीठे अहसास को महसूस करें और उनके कानों में हौले से बुदबुदाएँ।
और आखिर में उनके बालों में अपनी ऊँगलियाँ घुमाएँ या उनके गालों और गले को सहलाएँ या फिर उनका चुंबन लें। चाहे आप कुछ भी करें लेकिन इतना जरूर ध्यान में रखें कि आपकी किसी हरकत से उन्हें कोई परेशानी न हो। और यदि उन्होंने आपका पूरा साथ दिया तो फिर समझ लीजिए की आपके दामन में खुशियाँ ही खुशियां होंगी।
ये तो हुई उन्हें बाहों में लेने की बात। अब देखें कि कहाँ और किस तरह आप उन्हें अपनी बाहों में भरने का मौका पा सकते हैं -
जब आप कहीं दूर डेटिंग पर गए हों तो मौका देखकर अचानक उन्हें बाहों में लेकर कुछ देर इसी तरह खड़े रहें और फिर हौले से उन्हें चूमकर छोड़ दें।
किसी ऐसे थियेटर में, जहाँ कोई डरावनी या रोमांटिक फिल्म लगी हो अपनी टिकट बुक कराएँ। कोशिश करें कि सबसे पीछे की कोने वाली सीट आपको मिले। फिल्म शुरू होने के कुछ देर बाद उनका हाथ अपने हाथों में लें और उसे सहलाएँ कुछ देर बाद उनके गले में बाहें डालकर अपनी ओर खींचें।
एक और सबसे अच्छा मौका है उन्हें गले लगाने का और वो है, जब वो किसी कारण से आपसे नाराज हों या उनका मूड ऑफ हो। उनका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचें और अपनी बाहों के शिकंजे में उन्हें कस लें। लाजिमी है कि वो अपने को छुड़ाने की कोशिश करेंगी लेकिन क्या आप छोड़ देंगे... नहीं ना?
अरे-अरे क्या बात है, आप तो बिल्कुल तैयार हो गए इन टिप्स को आजमाने के लिए...! ठीक है कोई बात नहीं जाइए..
जानिए इश्क के बारे में इश्क क्या है?
ND ND
दो दिलों के धड़कने का नाम है इश्क, जज्बातों की आंधी है इश्क, एक-दूसरे की चाहत में कुछ कर गुजरने का जज्बा है इश्क। इश्क सिर्फ इश्क है और जब इश्क हो जाता है तो आशिक इसके बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं रखते सिवाय इश्क के। क्योंकि मोहब्बत ऐसे भावनात्मक जुड़ाव का नाम है जो दो दिलों के बीच पैदा होता है। यह वो जज्बा है जो आशिकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है, जहाँ ऊँच-नीच, अमीर-गरीब या किसी और के लिए कोई जगह नहीं होती, यहाँ अगर कुछ है तो सिर्फ प्रेम, प्रेम और प्रेम...।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हसीन दुनिया में कदम रखने के पहले आपको किन स्तरों से गुजरना होता है। चाहे आप इस बारे में जानें या न जानें लेकिन इतना जरूर है कि इस खूबसूरत एहसास को महसूस करने के लिए हर वो रास्ता हसीन होगा, जहाँ से गुजरकर प्रेम की दुनिया में जाया जाए। आइए हम यहां बात करते हैं उन स्थितियों के बारे में, जो आपके प्यार को स्थायित्व देने आपकी मददगार होंगी।
आकर्षण : प्यार में सबसे पहली स्थिति होती है आकर्षण और ये आकर्षण दो तरीकों से हो सकता है, शारीरिक या फिर भावनात्मक। हमारे रोजमर्रा के जीवन में या अचानक मिलने वाले लोगों में कोई एक ऐसा होता है, जिससे मिलने, बात करने और दोस्ती करने के लिए आपका दिल हमेशा बेताब रहता है। आप हमेशा इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि किसी तरह से उनसे बातचीत का सिलसिला शुरू हो। और जब आप उनसे दोस्ती कर चुके होते हैं तो धीरे-धीरे आपके बीच भावनात्मक लगाव पैदा होने लगता है। आपकी रुचियां, आपके विचार आदि मिलने लगते हैं। आपके बीच होने वाली बातचीत, बहस का मुद्दा भी अक्सर समान ही रहता है। इस तरह आप उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ने लगते हैं, जिसकी परिणति प्यार के रूप में होती है।
रोमांस : जब दो लोगों के बीच पैदा हुआ आकर्षण प्यार में तब्दील हो जाता है तो एक-दूसरे के लिए कुछ कर गुजरने की चाह उत्पन्न हो जाती है। आप हरदम उन्हें प्रभावित करने की कोई न कोई जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं। हो सकता है आप उनसे कुछ पाने के लिए उन्हें प्रभावित करना चाहते हों, जैसे कोई गिफ्ट या कुछ और लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आप उन्हें खुश करने के लिए, उन्हें इस बात का अहसास कराने के लिए कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं, उनके पसंदीदा कार्य करने लगते हैं। इसके पीछे आपकी कुछ पाने की लालसा नहीं होती, आप जो कुछ करते हैं, सिर्फ उनके लिए, उनकी खुशी की खातिर करते हैं।
धैर्य : प्यार हुआ, इकरार हुआ, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल...। शायद इसलिए कि हो सकता है भावनाओं की रौ में बहकर आप वो सब
जब दो लोगों के बीच पैदा हुआ आकर्षण प्यार में तब्दील हो जाता है तो एक-दूसरे के लिए कुछ कर गुजरने की चाह उत्पन्न हो जाती है। आप हरदम उन्हें प्रभावित करने की कोई न कोई जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं
कर जाएँ, जो उचित नहीं है। इन्हीं भावनाओं को वश में करने के लिए आवश्यकता है धैर्य की। क्योंकि धैर्य से काम लेकर ही आप अपने प्यार को एक लंबी जिंदगी दे सकते हैं।
अंतरंगता : यह वो स्थिति है, जब आप अपने प्रिय के इतने करीब होते हैं कि आप दोनों के बीच एक विशिष्ट प्रकार का सामंजस्य पैदा हो जाता है। ऐसा सामंजस्य या कहें कि ऐसा रिश्ता जिसमें आप अपना सोच, अपने विचार, अपनी अनुभूतियां एक-दूसरे के साथ बांटते हैं और कई बार तो बिना कुछ कहे ही एक-दूसरे के दिल की बात जान जाते हैं। अंतरंगता एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और जैसे-जैसे आपका रिश्ता प्रगाढ़ होता जाता है, ये बढ़ती जाती है।
वादा : यदि आप अपने प्यार की लंबी जिंदगी चाहते हैं तो कभी भी ऐसा वादा न करें, जो आप पूरा न कर पाएँ अन्यथा ये आपके संबंधों में दरार डाल सकता है। जब आपका समय अच्छा हो तो आप किसी भी तरह का कोई वादा कर लेते हैं लेकिन हो सकता है कि आप जो वादा अपने प्रिय से कर रहे हैं, किसी कारण से उसे पूरा न कर पाएँ। इसलिए जहां तक हो सके वादा न ही करें।
और फिर प्यार तो प्यार है, खुदा की सबसे बड़ी नेमत...यहाँ कहाँ किसी वादे या वादाखिलाफी के लिए कोई जगह है। अगर यहाँ कुछ है तो सिर्फ मोहब्बत....।
डेटिंग...सगाई के बाद
चलिए, लंबे समय से चले प्यार पर आखिर सगाई की मोहर लग ही गई। लेकिन शादी होने में अभी समय है और डेटिंग करने के लिए काफी समय है। प्यार की डेटिंग अलग होती है लेकिन सगाई होते ही इस डेटिंग में कुछ अलग बात आ जाती है। इस संदर्भ में मँगेतर की आशाएँ बढ़ जाती हैं। लेकिन सगाई के बाद जब भी डेट पर जाएँ तो कुछ बातें अवश्य ध्यान में रखें-
-मँगेतर के बुलाने पर एकदम से तैयार न हो जाएँ।
-घर में किसी बड़े व्यक्ति को अवश्य बता कर जाएँ कि आप कहाँ जा रही हैं।
-ब्लाइंड डेटिंग पर न जाएँ।
-किसी अनजान और सुनसान जगह पर जाने से बचें।
-अँधेरा होने तक घर जरूर लौट आएँ।
-गाड़ी में बैठें तो शीशे कभी पूरे न चढ़ाएँ।
-पारदर्शी, भड़काऊ या तंग वस्त्रों का प्रयोग न करें।
-डिस्को व क्लब में रात को दर तक न रुकें और पब की ओर तो कदापि रुख न करें।
-अपने अन्य युवक मित्रों से परिचय को ज्यादा उतावली होने का प्रयास न करें।
-मँगेतर की दैहिक तृप्ति के लिए कभी हाँ न करें और हँसी-मजाक सीमा में रह कर
करें।
- अश्लील भाषा या अश्लीलता पर न उतरें।
डेटिंग पर अगर गई हैं तो आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
प्यार की डेटिंग अलग होती है लेकिन सगाई होते ही इस डेटिंग में कुछ अलग बात आ जाती है। इस संदर्भ में मँगेतर की आशाएँ बढ़ जाती हैं
- किसी अच्छे से पार्क या रेस्तराँ में बैठें।
- दिन के वक्त मिलना ज्यादा ठीक रहता है।
- शिष्टता बनाए रखें चाहे मँगेतर कितना भी उतावला हो।
- आपका चरित्र बनाए रखना आपके हाथ में हैं, इसलिए अपनी दृढ़ता बनाए रखें।
- रीति-रिवाजों को सम्मानजनक शब्दों में परिभाषित करें।
- आपसी समझदारी की बातें करें।
- सेक्स जैसे मामलों में कुछ अनभिज्ञता दिखाएँ।
-मँगेतर के बुलाने पर एकदम से तैयार न हो जाएँ।
-घर में किसी बड़े व्यक्ति को अवश्य बता कर जाएँ कि आप कहाँ जा रही हैं।
-ब्लाइंड डेटिंग पर न जाएँ।
-किसी अनजान और सुनसान जगह पर जाने से बचें।
-अँधेरा होने तक घर जरूर लौट आएँ।
-गाड़ी में बैठें तो शीशे कभी पूरे न चढ़ाएँ।
-पारदर्शी, भड़काऊ या तंग वस्त्रों का प्रयोग न करें।
-डिस्को व क्लब में रात को दर तक न रुकें और पब की ओर तो कदापि रुख न करें।
-अपने अन्य युवक मित्रों से परिचय को ज्यादा उतावली होने का प्रयास न करें।
-मँगेतर की दैहिक तृप्ति के लिए कभी हाँ न करें और हँसी-मजाक सीमा में रह कर
करें।
- अश्लील भाषा या अश्लीलता पर न उतरें।
डेटिंग पर अगर गई हैं तो आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
प्यार की डेटिंग अलग होती है लेकिन सगाई होते ही इस डेटिंग में कुछ अलग बात आ जाती है। इस संदर्भ में मँगेतर की आशाएँ बढ़ जाती हैं
- किसी अच्छे से पार्क या रेस्तराँ में बैठें।
- दिन के वक्त मिलना ज्यादा ठीक रहता है।
- शिष्टता बनाए रखें चाहे मँगेतर कितना भी उतावला हो।
- आपका चरित्र बनाए रखना आपके हाथ में हैं, इसलिए अपनी दृढ़ता बनाए रखें।
- रीति-रिवाजों को सम्मानजनक शब्दों में परिभाषित करें।
- आपसी समझदारी की बातें करें।
- सेक्स जैसे मामलों में कुछ अनभिज्ञता दिखाएँ।
धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है
इस दुनिया में शायद ही ऐसा कोई शख्स हो, जिसने कभी किसी से प्यार न किया हो। प्यार करना मानव का प्राकृतिक गुण है, लेकिन कभी-कभी प्रेम संबंधों में एकरसता आ जाती है और कुछ समय के लिए प्यार नीरस लगने लगता है।
यह भी सच्चाई है कि प्रेमी-प्रेमिका के दूर रहने पर ही उन्हें एक-दूसरे के प्रति प्यार का अहसास होता है, वे जान पाते हैं, कि जुदाई में वे एक-दूसरे को कितना याद करते हैं।
आमतौर पर देखा जाता है कि प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार पूरी तरह व्यक्त नहीं कर पाते, या फिर करते भी हैं तो जो तरीके वे अपनाते हैं, वह पुराना होता है।
प्यार की तीव्रता हमेशा बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए जा रहे हैं, जिनसे आप अपने प्यार को हमेशा जवाँ रख सकते हैं।
* अपने साथी के साथ सूरज को डूबता हुआ देखिए, ये मनोरम दृश्य आपके संबंधों को प्रगाढ़ करने में मदद करता है।
* बारिश के मौसम में हाथों में हाथ लेकर साथ-साथ भीगिए।
* धीरे से अपने साथी का गाल सहलाइए, उनकी आँखों में देखिए, इसके बाद उनकी तारीफ में एक-दो वाक्य कहिए और अगर मौका हो तो धीरे से एक चुंबन भी ले ही लीजिए।
* साथ में गीत गाएं और दस्तूर हो तो थोड़ा नाचें भी।
* भविष्य के लिए आपने जो सपने सजोए हैं, उनके बारे में बातें कीजिए और आपकी जिन्दगी में उनका महत्व बताइए।
*अपने साथी की पसंदीदा फिल्म उसके साथ देखें और फिल्म के वे दृश्य याद रखें, जो आपके साथी को पसंद हो।
* आपकी किसी लत का अपने साथी के लिए त्याग करें, जैसे धूम्रपान इत्यादि को आप उनके कहने से छोड़ सकते हैं।
* बिना किसी खास अवसर के भी उपहार देते रहिए, सरप्राइज देने पर निश्चित ही उन्हें खुशी होगी।
इन टिप्स को अपनाकर आपको लगेगा कि आपके बीच का प्यार बढ़ गया है और आप एक अनोखी दुनिया में जी रहें हैं, जहाँ चारों तरफ प्यार ही प्यार है।
यह भी सच्चाई है कि प्रेमी-प्रेमिका के दूर रहने पर ही उन्हें एक-दूसरे के प्रति प्यार का अहसास होता है, वे जान पाते हैं, कि जुदाई में वे एक-दूसरे को कितना याद करते हैं।
आमतौर पर देखा जाता है कि प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार पूरी तरह व्यक्त नहीं कर पाते, या फिर करते भी हैं तो जो तरीके वे अपनाते हैं, वह पुराना होता है।
प्यार की तीव्रता हमेशा बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए जा रहे हैं, जिनसे आप अपने प्यार को हमेशा जवाँ रख सकते हैं।
* अपने साथी के साथ सूरज को डूबता हुआ देखिए, ये मनोरम दृश्य आपके संबंधों को प्रगाढ़ करने में मदद करता है।
* बारिश के मौसम में हाथों में हाथ लेकर साथ-साथ भीगिए।
* धीरे से अपने साथी का गाल सहलाइए, उनकी आँखों में देखिए, इसके बाद उनकी तारीफ में एक-दो वाक्य कहिए और अगर मौका हो तो धीरे से एक चुंबन भी ले ही लीजिए।
* साथ में गीत गाएं और दस्तूर हो तो थोड़ा नाचें भी।
* भविष्य के लिए आपने जो सपने सजोए हैं, उनके बारे में बातें कीजिए और आपकी जिन्दगी में उनका महत्व बताइए।
*अपने साथी की पसंदीदा फिल्म उसके साथ देखें और फिल्म के वे दृश्य याद रखें, जो आपके साथी को पसंद हो।
* आपकी किसी लत का अपने साथी के लिए त्याग करें, जैसे धूम्रपान इत्यादि को आप उनके कहने से छोड़ सकते हैं।
* बिना किसी खास अवसर के भी उपहार देते रहिए, सरप्राइज देने पर निश्चित ही उन्हें खुशी होगी।
इन टिप्स को अपनाकर आपको लगेगा कि आपके बीच का प्यार बढ़ गया है और आप एक अनोखी दुनिया में जी रहें हैं, जहाँ चारों तरफ प्यार ही प्यार है।
मजनूँ भाइयों एवं लैला देवीयों
हमारे मजनूँ भाइयों एवं लैला दिेवयों के लिए प्रस्तुत हैं प्रेम में पगी कुछ मीठी-मीठी शेर-शायरीः
हर इक मोड़ पर किसी ने पुकारा मुझको
इक आवाज तेरी जब से मेरे साथ हुई।
**
हम लबों से कह न पाए तुमसे हाले दिल कभी
और तुम समझे नहीं ये खामोशी क्या चीज है।
**
निगाहों से जान लीजिए मेरी ख्वाहिशें
हर बात लबों से कही नहीं जाती।
**
दिल है किसका जिसमें अरमाँ आपका रहता नहीं
फर्क इतना है कि सब कहते हैं मैं कहता नहीं।
**
थक गया मैं करते-करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ।
**
मैंने तो यूँ ही फेरी थी रेत पर अँगुलियाँ
गौर से देखा तो बन गई थी तेरी तस्वीर।
**
कौन कहता है मुहब्बत की जुबाँ होती है
ये हकीकत तो निगाहों से बयाँ होती है।
**
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं।
**
अपनी यादों के उजाले मेरे साथ रहने दो
न जाने जिंदगी की किस गली में शाम हो जाए।
**
तुमने किया न याद कभी भूलकर हमें
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया।
**
जिसके खयाल में हूँ गुम उसको भी कुछ खयाल है
मेरे लिए यही सवाल सबसे बड़ा सवाल है।
हर इक मोड़ पर किसी ने पुकारा मुझको
इक आवाज तेरी जब से मेरे साथ हुई।
**
हम लबों से कह न पाए तुमसे हाले दिल कभी
और तुम समझे नहीं ये खामोशी क्या चीज है।
**
निगाहों से जान लीजिए मेरी ख्वाहिशें
हर बात लबों से कही नहीं जाती।
**
दिल है किसका जिसमें अरमाँ आपका रहता नहीं
फर्क इतना है कि सब कहते हैं मैं कहता नहीं।
**
थक गया मैं करते-करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ।
**
मैंने तो यूँ ही फेरी थी रेत पर अँगुलियाँ
गौर से देखा तो बन गई थी तेरी तस्वीर।
**
कौन कहता है मुहब्बत की जुबाँ होती है
ये हकीकत तो निगाहों से बयाँ होती है।
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तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं।
**
अपनी यादों के उजाले मेरे साथ रहने दो
न जाने जिंदगी की किस गली में शाम हो जाए।
**
तुमने किया न याद कभी भूलकर हमें
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया।
**
जिसके खयाल में हूँ गुम उसको भी कुछ खयाल है
मेरे लिए यही सवाल सबसे बड़ा सवाल है।
Monday, March 24, 2008
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए।
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बँधा हुआ
वो ग़ज़ल का लहजा नया-नया न कहा हुआ न सुना हुआ
(1)
न जी भर के देखा, न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनायी ख़यालात की
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की
मुक़द्दर मिरी चश्म-ए-पुरआब1 का,
बरसती हुई रात बरसात की
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं,
कहाँ दिन गुज़ारा, कहाँ रात की
--------------------------------------------------------------------------------
1.आँसुओं से भरी आँख।
(2)
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा
मैं खुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जायेगा
सब उसी के हैं हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जायेगा
(3)
मुझसे बिछुड़ के खुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
उजले-उजले फूल खिले थे
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
मुझको शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
दिल का हाल पढ़ा चेहरे से
साहिल से लहरें गिनते हो
तुम तनहा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों-सी बातें करते हो
(4)
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
और जाम टूटेंगे इस शराबख़ाने में
मौसमों के आने में मौसमों के जाने में
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में
फ़ाख़्ता की मजबूरी ये भी कह नहीं सकती
कौन साँप रखता है उसके आशियाने में
दूसरी कोई लड़की ज़िन्दगी में आयेगी
कितनी देर लगती है उसको भूल जाने में
(5)
आँखों में रहा दिल में न उतरकर देखा,
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
(6)
जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे,
हज़ारों तरफ से निशाने लगे
हुई शाम, यादों के इक गाँव से,
परिन्दे उदासी के आने लगे
घड़ी-दो घड़ी मुझको पलकों पे रख,
यहाँ आते-आते ज़माने लगे
कभी बस्तियाँ दिल की यूँ भी बसीं,
दुकानें खुली, कारख़ाने लगे
वहीं ज़र्द पत्तों का क़ालीन है,
गुलों के जहाँ शामियाने लगे
पढ़ाई-लिखाई का मौसम कहाँ,
किताबों में ख़त आने-जाने लगे
(7)
हर जनम में उसी की चाहत थे
हम किसी और की अमानत थे
उसकी आँखों में झिलमिलाती हुई,
हम ग़ज़ल की कोई अलामत1 थे
तेरी चादर में तन समेट लिया,
हम कहाँ के दराज़क़ामत2 थे
जैसे जंगल में आग लग जाये,
हम कभी इतने ख़ूबसूरत थे
पास रहकर भी दूर-दूर रहे,
हम नये दौर की मोहब्बत थे
इस ख़ुशी में मुझे ख़याल आया,
ग़म के दिन कितने ख़ूबसूरत थे
दिन में इन जुगनुओं से क्या लेना,
ये दिये रात की ज़रूरत थे
----------------------------------------------------------------------------------
1.चिह्न, लक्षण। 2.दीर्घकाय।
(8)
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है,
बहुत अज़ीज़ हमें है, मगर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीनों से,
तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है
उसे किसी की मोहब्बत का एतबार नहीं,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से,
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कराया है
कहाँ से आयी ये ख़शुबू, ये घर की ख़ुशबू है,
इस अजनबी के अँधेरे में कौन आया है
तमाम उम्र मिरा दम उसी धुएँ में घुटा
वो इक चिराग़ था मैंने उसे बुझाया है
(9)
यूँ ही बेसबब न फिरा करो,कोई शाम घर भी रहा करो,
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो
कोई हाथ भी न मिलायेगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नये मिज़ाज का शहर है, ज़रा फ़ासले से मिला करो
अभी राह में कई मोड़ हैं, कोई आयेगा कोई जायेगा,
तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो
मुझे इश्तिहार-सी लगती हैं, ये मोहब्बतों की कहानियाँ,
जो कहा नहीं वो सुना करो, जो सुना नहीं वो कहा करो
ये ख़िज़ाँ1 की ज़र्द2-सी शाल में, जो उदास पेड़ के पास है,
ये तुम्हारे घर की बहार है, इसे आँसुओं से हरा करो
-------------------------------------------------------------------------------
1.पतझड़। 2.पीली।
(10)
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ने मिला,
अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे,
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला
तमाम रिश्तों को मैं, घर में छोड़ आया था,
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
ख़ुदा की इतनी बड़ी कायनात1 में मैंने,
बस एक शख़्स को माँगा, मुझे वही न मिला
बहुत अजीब है यें कुर्बतों2 की दूरी भी,
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला
-------------------------------------------------------------------------------
1.ब्रह्माण्ड, संसार। 2.समीपताओं।
(11)
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं
माँगा ख़ुदा से रात-दिन, तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा तुझे, देखा तुझे, चाहा तुझे, पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भार,
भेजा वही काग़ज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं
इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक,
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं
दो-चार दिन की बात है, दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा, बाक़ी, बचा कुछ भी नहीं
एहसास की ख़शुबू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँ,
ख़ामोश यादों के सिवा, घर में रहा कुछ भी नहीं
(12)
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में, कि मिरी नज़र को ख़बर न हो,
मुझे एक रात नवाज़1 दे, मगर उसके बाद सहर2 न हो
वो बड़ा रहीम-ओ-करीम3 है, मुझे ये सिफ़त4 भी अता5 करे,
तुझे भूलने की दुआ करूँ, तो मिरी दुआ में असर न हो
मिरे बाजुओं में थकी-थकी, अभी महव-ए-ख़्वाब6 है चाँदनी,
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो
ये ग़ज़ल कि जैसे हिरन की आँखों में, पिछली रात की चाँदनी,
न बुझे ख़राबे7 की रोशनी, कभी बेचिराग़ ये घर में न हो
कभी दिन की धूप में झूम के, कभी शब8 के फूल को चूम के,
यूँ ही साथ-साथ चलें सदा, कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो
मिरे पास मेरे हबीब9 आ ज़रा और दिल से क़रीब आ,
तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं कि बिछड़ने का कोई डर न हो
---------------------------------------------------------------------------------------
1.कृपा करना। 2.प्रातःकाल। 3.दयालु और कृपालु। 4.गुण, प्रभाव। 5.प्रदान करना। 6. स्वप्न देखने में रत। 7.निर्जन, खँडहर। 8.रात्रि। 9.मित्र।
न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए।
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बँधा हुआ
वो ग़ज़ल का लहजा नया-नया न कहा हुआ न सुना हुआ
(1)
न जी भर के देखा, न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनायी ख़यालात की
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की
मुक़द्दर मिरी चश्म-ए-पुरआब1 का,
बरसती हुई रात बरसात की
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं,
कहाँ दिन गुज़ारा, कहाँ रात की
--------------------------------------------------------------------------------
1.आँसुओं से भरी आँख।
(2)
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा
मैं खुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जायेगा
सब उसी के हैं हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जायेगा
(3)
मुझसे बिछुड़ के खुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
उजले-उजले फूल खिले थे
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
मुझको शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
दिल का हाल पढ़ा चेहरे से
साहिल से लहरें गिनते हो
तुम तनहा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों-सी बातें करते हो
(4)
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
और जाम टूटेंगे इस शराबख़ाने में
मौसमों के आने में मौसमों के जाने में
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में
फ़ाख़्ता की मजबूरी ये भी कह नहीं सकती
कौन साँप रखता है उसके आशियाने में
दूसरी कोई लड़की ज़िन्दगी में आयेगी
कितनी देर लगती है उसको भूल जाने में
(5)
आँखों में रहा दिल में न उतरकर देखा,
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
(6)
जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे,
हज़ारों तरफ से निशाने लगे
हुई शाम, यादों के इक गाँव से,
परिन्दे उदासी के आने लगे
घड़ी-दो घड़ी मुझको पलकों पे रख,
यहाँ आते-आते ज़माने लगे
कभी बस्तियाँ दिल की यूँ भी बसीं,
दुकानें खुली, कारख़ाने लगे
वहीं ज़र्द पत्तों का क़ालीन है,
गुलों के जहाँ शामियाने लगे
पढ़ाई-लिखाई का मौसम कहाँ,
किताबों में ख़त आने-जाने लगे
(7)
हर जनम में उसी की चाहत थे
हम किसी और की अमानत थे
उसकी आँखों में झिलमिलाती हुई,
हम ग़ज़ल की कोई अलामत1 थे
तेरी चादर में तन समेट लिया,
हम कहाँ के दराज़क़ामत2 थे
जैसे जंगल में आग लग जाये,
हम कभी इतने ख़ूबसूरत थे
पास रहकर भी दूर-दूर रहे,
हम नये दौर की मोहब्बत थे
इस ख़ुशी में मुझे ख़याल आया,
ग़म के दिन कितने ख़ूबसूरत थे
दिन में इन जुगनुओं से क्या लेना,
ये दिये रात की ज़रूरत थे
----------------------------------------------------------------------------------
1.चिह्न, लक्षण। 2.दीर्घकाय।
(8)
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है,
बहुत अज़ीज़ हमें है, मगर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीनों से,
तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है
उसे किसी की मोहब्बत का एतबार नहीं,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से,
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कराया है
कहाँ से आयी ये ख़शुबू, ये घर की ख़ुशबू है,
इस अजनबी के अँधेरे में कौन आया है
तमाम उम्र मिरा दम उसी धुएँ में घुटा
वो इक चिराग़ था मैंने उसे बुझाया है
(9)
यूँ ही बेसबब न फिरा करो,कोई शाम घर भी रहा करो,
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो
कोई हाथ भी न मिलायेगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नये मिज़ाज का शहर है, ज़रा फ़ासले से मिला करो
अभी राह में कई मोड़ हैं, कोई आयेगा कोई जायेगा,
तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो
मुझे इश्तिहार-सी लगती हैं, ये मोहब्बतों की कहानियाँ,
जो कहा नहीं वो सुना करो, जो सुना नहीं वो कहा करो
ये ख़िज़ाँ1 की ज़र्द2-सी शाल में, जो उदास पेड़ के पास है,
ये तुम्हारे घर की बहार है, इसे आँसुओं से हरा करो
-------------------------------------------------------------------------------
1.पतझड़। 2.पीली।
(10)
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ने मिला,
अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे,
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला
तमाम रिश्तों को मैं, घर में छोड़ आया था,
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
ख़ुदा की इतनी बड़ी कायनात1 में मैंने,
बस एक शख़्स को माँगा, मुझे वही न मिला
बहुत अजीब है यें कुर्बतों2 की दूरी भी,
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला
-------------------------------------------------------------------------------
1.ब्रह्माण्ड, संसार। 2.समीपताओं।
(11)
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं
माँगा ख़ुदा से रात-दिन, तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा तुझे, देखा तुझे, चाहा तुझे, पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भार,
भेजा वही काग़ज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं
इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक,
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं
दो-चार दिन की बात है, दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा, बाक़ी, बचा कुछ भी नहीं
एहसास की ख़शुबू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँ,
ख़ामोश यादों के सिवा, घर में रहा कुछ भी नहीं
(12)
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में, कि मिरी नज़र को ख़बर न हो,
मुझे एक रात नवाज़1 दे, मगर उसके बाद सहर2 न हो
वो बड़ा रहीम-ओ-करीम3 है, मुझे ये सिफ़त4 भी अता5 करे,
तुझे भूलने की दुआ करूँ, तो मिरी दुआ में असर न हो
मिरे बाजुओं में थकी-थकी, अभी महव-ए-ख़्वाब6 है चाँदनी,
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो
ये ग़ज़ल कि जैसे हिरन की आँखों में, पिछली रात की चाँदनी,
न बुझे ख़राबे7 की रोशनी, कभी बेचिराग़ ये घर में न हो
कभी दिन की धूप में झूम के, कभी शब8 के फूल को चूम के,
यूँ ही साथ-साथ चलें सदा, कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो
मिरे पास मेरे हबीब9 आ ज़रा और दिल से क़रीब आ,
तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं कि बिछड़ने का कोई डर न हो
---------------------------------------------------------------------------------------
1.कृपा करना। 2.प्रातःकाल। 3.दयालु और कृपालु। 4.गुण, प्रभाव। 5.प्रदान करना। 6. स्वप्न देखने में रत। 7.निर्जन, खँडहर। 8.रात्रि। 9.मित्र।
एक लड़का मिलने आता है
अजब सी एक
बचकानी-सी ख़्वाहिश है
मुहब्बत की कोई इक नज़्म लिक्खूँ
किसी माशूक़ की जुल्फों के साए
लबों1 की नर्मियों की थरथराहट
लरज़ते काँपते क़दमों की आहट
किसी मासूम सीने में छुपी बेबाक धड़कन
कोई सहसा-सा कमरा, कोई वीरान आँगन
कहीं बाँहों में सिमटी कोई आग़ोश2 की हसरत
किसी एक ख़ास लम्हे में छुपी मासूम लज़्ज़त3
मगर क्यूँ नज़्म लिक्खूँ
कि नज़्में इस तरह लिक्खी नहीं जातीं
वो आती हैं दबे पाँवों, बहुत आहिस्ता
कि जैसे कोई बच्चा
दम साधे हुए
किसी एक फूल पर बैठी हुई
तितली पकड़ने को
बढ़ा आता हो ख़ामोश क़दमों से
इधर कितने महीनों से
ज़िन्दगी के सख़्त लम्हों को
दाँतों से पकड़े
थक गया हूँ
मुन्तज़िर4 हूँ उस मासूम बच्चे का
जो नाज़ुक उँगलियों से
पकड़ कर हौले-से मुझको
ज़िन्दगी के सख़्त लम्हों से
जुदा कर दे
परों पे हैं अगर कुछ रंग मेरे
उसे वो
चुटकियों में अपनी भर ले
मगर कोई नहीं आया
मगर कोई नहीं आया
मैं खिड़की खोल कर
राहों पे कब से देखता हूँ
अजब सूखे से मौसम में
वही एक गुलमोहर का पेड़
धूप की ज़द पर
सुर्ख़ फूलों को सहेजे
बहुत तनहा खड़ा है
1.होठों, 2.आलिंगन 3.आनंद 4.प्रतीक्षारत
भेड़िए
आज का दिन अजब-सा गुज़रा है
इस तरह
जैसे दिन के दाँतों में
गोश्त का कोई मुख़्तसर रेशा
बेसबब आ के
फँस गया-सा हो
एक मौजूदगी हो अनचाही
एक मेहमान नाख़रूश जिसे
चाहकर भी निकाल ना पाएँ
और जबरन जो तवज्जों1 माँगे
आप भी मसनुई2 तकल्लुफ़3 से
देखकर उसको मुस्कराते रहें
भेड़िए आदमी की सूरत में
इस क़दर क्यों क़रीब होते हैं
--------------------------------------------
1.ध्यान, 2.कृत्रिम, 3.औपचारिकता।
सरमाया दिन-भर का
एक धुन को सुना
और बेख़ुद हुआ
जिस्म के हर बुने-मू1
में बजती रही
एक बच्चे को देखा
ज़रा हँस दिया
उसके चेहरे से
टकरा के मेरी हँसी
उम्र के कितने सालों
से तनहा हुई
एक मासूमियत
गर्म, वहशी हवाओं
में घुल-सी गई
एक लड़की हँसी
खनखनाती हुई
शोख़, अल्हड़ हँसी
सख़्त दिल में कहीं कुछ
चटख-सा गया
चन्द बूँदें गिरीं
घास की सब्ज नोकें-सी
उगने लगीं
झुर्रियों से भरा
एक चेहरा दिखा
एक शफ़क़त2-भरा सायबां3
मिल गया
शाम लौटा हूँ घर
जेब ख़ाली लिये
फिर भी दामन भरा है
ये एहसास है
एक सरमाया4
दिन भर का हासिल है जो
मेरे जज़्बों की मेहनत
मेरे पास है
-------------------------------------------------------
1.रोम, 2.स्नेह, 3.छत, 4.सम्पत्ति
कि बेसबब ही सही
उदास लम्हे
ज़रा-सा चटख ही जाते हैं
कि उनमें चुपके से
ठहरे ज़रा ही देर सही
कोई मसरूफ़1 ख़ुशी
और फिर उठ के
अपनी राह चले
सियाह रात
मुकम्मिल2 कभी नहीं होती
वो जब भी आती है
अपने शबाब3 पर
कि वहीं
रोशनी चुपके से,
अपने चमकते ख़ंजर से
क़त्ल कर देती है
शब4 की जवाँ उमंगों का
ये फूल, चाँद सितारे
ये कहकशाँ5, बादल
और परिन्दों की
ये कमबख़्त जाँगुसल आवाज़
राह के कोने पे
बैठा वो फ़रिश्ता नन्हा
और रिक्शे पे वो
चढ़ती हुई कमसिन लड़की
आह, ये गुलमोहर के
सुर्ख़-से फूल
उदास लम्हों की तस्वीर
कैसे पूरी हो
कोई तारीकी6
क्यूँ मुकम्मिल हो
उदास लम्हे कहाँ तक
उदास रह पाएँ
कि बेसबब7 ही सही
मुस्करा दें हम दोनों
---------------------------------------
1.व्यस्त, 2.पूर्ण, 3.यौवन, 4.रात्रि, 5.आकाशगंगा 6.अँधेरा, 7.बिना कारण।
एक लड़का मिलने आता है...
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
कुछ ऐसी कशिश1 इस शाम में है
इस फितरत2 के इनआम3 में है
ये हल्का अँधेरा, हल्की ख़लिश
जिसमें जज़्बों का राज़ पले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
वो बन्द कमरे में होते हैं
वो हँसते हैं या रोते हैं
उनकी बातों की शाहिद4 है
जो एक लरज़ती5 शम्अ जले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
बातें करते खो जाता है
लड़का ग़मगीं हो जाता है
लड़की डरती है मुस्तक़बिल6
शायद गहरी इक चाल चले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
क़स्बे के शरीफ़ इन हल्क़ों में
ग़ुस्सा है मगर इन लोगों में
इनके भी घर में लड़की है
क्यूँ इश्क़ का ये व्योपार चले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
अब कैसे कहूँ इन दोनों से
एक प्यार में डूबे पगलों से
बस्ती से बाहर इश्क़ करें
बस्ती के दिल में खोट पले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
जो कुछ भी है दुनिया का है
फिर दिल का क्यूँ ये धंधा है
क्यूँ सदियों से मिलते हैं दिल
दुनिया में जब-जब शाम ढले
क्यूँ लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
----------------------------------------------------------
1.आकर्षण, 2.प्रकृति, 3.पुरस्कार, 4.गवाह, 5.काँपती, 6.भविष्य।
बचकानी-सी ख़्वाहिश है
मुहब्बत की कोई इक नज़्म लिक्खूँ
किसी माशूक़ की जुल्फों के साए
लबों1 की नर्मियों की थरथराहट
लरज़ते काँपते क़दमों की आहट
किसी मासूम सीने में छुपी बेबाक धड़कन
कोई सहसा-सा कमरा, कोई वीरान आँगन
कहीं बाँहों में सिमटी कोई आग़ोश2 की हसरत
किसी एक ख़ास लम्हे में छुपी मासूम लज़्ज़त3
मगर क्यूँ नज़्म लिक्खूँ
कि नज़्में इस तरह लिक्खी नहीं जातीं
वो आती हैं दबे पाँवों, बहुत आहिस्ता
कि जैसे कोई बच्चा
दम साधे हुए
किसी एक फूल पर बैठी हुई
तितली पकड़ने को
बढ़ा आता हो ख़ामोश क़दमों से
इधर कितने महीनों से
ज़िन्दगी के सख़्त लम्हों को
दाँतों से पकड़े
थक गया हूँ
मुन्तज़िर4 हूँ उस मासूम बच्चे का
जो नाज़ुक उँगलियों से
पकड़ कर हौले-से मुझको
ज़िन्दगी के सख़्त लम्हों से
जुदा कर दे
परों पे हैं अगर कुछ रंग मेरे
उसे वो
चुटकियों में अपनी भर ले
मगर कोई नहीं आया
मगर कोई नहीं आया
मैं खिड़की खोल कर
राहों पे कब से देखता हूँ
अजब सूखे से मौसम में
वही एक गुलमोहर का पेड़
धूप की ज़द पर
सुर्ख़ फूलों को सहेजे
बहुत तनहा खड़ा है
1.होठों, 2.आलिंगन 3.आनंद 4.प्रतीक्षारत
भेड़िए
आज का दिन अजब-सा गुज़रा है
इस तरह
जैसे दिन के दाँतों में
गोश्त का कोई मुख़्तसर रेशा
बेसबब आ के
फँस गया-सा हो
एक मौजूदगी हो अनचाही
एक मेहमान नाख़रूश जिसे
चाहकर भी निकाल ना पाएँ
और जबरन जो तवज्जों1 माँगे
आप भी मसनुई2 तकल्लुफ़3 से
देखकर उसको मुस्कराते रहें
भेड़िए आदमी की सूरत में
इस क़दर क्यों क़रीब होते हैं
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1.ध्यान, 2.कृत्रिम, 3.औपचारिकता।
सरमाया दिन-भर का
एक धुन को सुना
और बेख़ुद हुआ
जिस्म के हर बुने-मू1
में बजती रही
एक बच्चे को देखा
ज़रा हँस दिया
उसके चेहरे से
टकरा के मेरी हँसी
उम्र के कितने सालों
से तनहा हुई
एक मासूमियत
गर्म, वहशी हवाओं
में घुल-सी गई
एक लड़की हँसी
खनखनाती हुई
शोख़, अल्हड़ हँसी
सख़्त दिल में कहीं कुछ
चटख-सा गया
चन्द बूँदें गिरीं
घास की सब्ज नोकें-सी
उगने लगीं
झुर्रियों से भरा
एक चेहरा दिखा
एक शफ़क़त2-भरा सायबां3
मिल गया
शाम लौटा हूँ घर
जेब ख़ाली लिये
फिर भी दामन भरा है
ये एहसास है
एक सरमाया4
दिन भर का हासिल है जो
मेरे जज़्बों की मेहनत
मेरे पास है
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1.रोम, 2.स्नेह, 3.छत, 4.सम्पत्ति
कि बेसबब ही सही
उदास लम्हे
ज़रा-सा चटख ही जाते हैं
कि उनमें चुपके से
ठहरे ज़रा ही देर सही
कोई मसरूफ़1 ख़ुशी
और फिर उठ के
अपनी राह चले
सियाह रात
मुकम्मिल2 कभी नहीं होती
वो जब भी आती है
अपने शबाब3 पर
कि वहीं
रोशनी चुपके से,
अपने चमकते ख़ंजर से
क़त्ल कर देती है
शब4 की जवाँ उमंगों का
ये फूल, चाँद सितारे
ये कहकशाँ5, बादल
और परिन्दों की
ये कमबख़्त जाँगुसल आवाज़
राह के कोने पे
बैठा वो फ़रिश्ता नन्हा
और रिक्शे पे वो
चढ़ती हुई कमसिन लड़की
आह, ये गुलमोहर के
सुर्ख़-से फूल
उदास लम्हों की तस्वीर
कैसे पूरी हो
कोई तारीकी6
क्यूँ मुकम्मिल हो
उदास लम्हे कहाँ तक
उदास रह पाएँ
कि बेसबब7 ही सही
मुस्करा दें हम दोनों
---------------------------------------
1.व्यस्त, 2.पूर्ण, 3.यौवन, 4.रात्रि, 5.आकाशगंगा 6.अँधेरा, 7.बिना कारण।
एक लड़का मिलने आता है...
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
कुछ ऐसी कशिश1 इस शाम में है
इस फितरत2 के इनआम3 में है
ये हल्का अँधेरा, हल्की ख़लिश
जिसमें जज़्बों का राज़ पले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
वो बन्द कमरे में होते हैं
वो हँसते हैं या रोते हैं
उनकी बातों की शाहिद4 है
जो एक लरज़ती5 शम्अ जले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
बातें करते खो जाता है
लड़का ग़मगीं हो जाता है
लड़की डरती है मुस्तक़बिल6
शायद गहरी इक चाल चले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
क़स्बे के शरीफ़ इन हल्क़ों में
ग़ुस्सा है मगर इन लोगों में
इनके भी घर में लड़की है
क्यूँ इश्क़ का ये व्योपार चले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
अब कैसे कहूँ इन दोनों से
एक प्यार में डूबे पगलों से
बस्ती से बाहर इश्क़ करें
बस्ती के दिल में खोट पले
एक लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
जो कुछ भी है दुनिया का है
फिर दिल का क्यूँ ये धंधा है
क्यूँ सदियों से मिलते हैं दिल
दुनिया में जब-जब शाम ढले
क्यूँ लड़का मिलने आता है
उस लड़की से कुछ शाम ढले
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1.आकर्षण, 2.प्रकृति, 3.पुरस्कार, 4.गवाह, 5.काँपती, 6.भविष्य।
पाकिस्तान की शायरी-1
दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शबे-ग़म1 गुज़ार के
वीराँ है मैकदा ख़ुमो-सागर2 उदास है
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
इक फ़ुर्सते-गुनाह मिली, वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझसे भी दिलफ़रेब3 हैं, ग़म रोज़गार के4
भूले से मुस्करा तो दिए थे वो आज ‘फ़ैज़’
मत पूछ वलवले5 दिले नाकर्दाकार6 के
1. दुख की रात
2. शराब का मटका और प्याला
3. दिल को धोखा देने वाले
4. रोजी-रोटी की चिन्ता
5. उमंग हौसले
6. नातजुर्बेकार हृदय
दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं
जैसे बिछड़े हुए काबे में सनम आते हैं
एक-इक करके हुए जाते हैं तारे रौशन
मेरी मज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते हैं
रक़्से-मैं1 तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो
सूए-मैख़ाना2 सफ़ीराने-हरम3 आते हैं
कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग
वो तो जब आते हैं माइल-ब-करम4 आते हैं
1. मदिरा-नृत्य
2. शराबखाने की ओर
3. मस्जिद के प्रतिनिधि
4. मेहरबानी करते हुए
5. जुदाई की रात
बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते
तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा1 क्यों नहीं देते
दर्दे-शबे-हिज्राँ2 की जज़ा3 क्यों नहीं देते
ख़ूने दिले बहशी4 का सिला5 क्यों नहीं देते
मिट जाएगी मख़लूक़6 तो इंसाफ़ करोगे
मुन्सिफ़7 हो तो अब हश्र उठा क्यों नहीं देते
हाँ नुक्ता-वरो8 लाओ लबो-दिल की गवाही
हाँ नग़मागरो साज़े-सदा क्यों नहीं देते
पैमाने-जुनूँ9 हाथों को शरमाएगा कब तक
दिलवालों गिरेबाँ का पता क्यों नहीं देते
बरबादिए-दिल जब्र नहीं ‘फ़ैज़’ किसी का
वो दुश्मने-जाँ है तो भुला क्यों नहीं देते
1. रोग से छुटकारा
2. जुदाई की रात का दर्द
3. बदला
4. सिरफिरे या पागल व्यक्ति द्वारा किया गया खूनख़राबा
5. बदला या प्रतिकार
6. जीव, दुनिया
7. न्यायकर्ता
8. मीन-मेख निकालने वाले
9. पागलपन की प्रतिज्ञा
सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम1 दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता
गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल2 में
मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा3, ऐसे नहीं होता
जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें4
यहाँ पैमाने-तललीमो-रज़ा5 ऐसे नहीं होता
हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा6, ऐसे नहीं होता
रवाँ है नब्ज़े-दौराँ7, गार्दिशों में आसमाँ सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता
1. मूर्ति, पत्थर
2. हत्यास्थल
3. ख़ून के बदले का हिसाब
4. न युक्तियाँ, न सज़ाएँ
5. स्वीकृति की प्रतिज्ञा
6. प्रलय का दिन
7. युग की धड़कन
8. संकटों
हमने सब शेर में सँवारे थे
हमसे जितने सुख़न1 तुम्हारे थे
रंगों ख़ुश्बू के, हुस्नो-ख़ूबी के
तुमसे थे जितने इस्तिआरे2 थे
तेरे क़ौलो-क़रार3 से पहले
अपने कुछ और भी सहारे थे
जब वो लालो-गुहर4 हिसाब किए
जो तरे ग़म ने दिल पे वारे थे
मेरे दामन में आ गिरे सारे
जितने तश्ते-फ़लक5 में तारे थे
उम्रे-जाविदे6 की दुआ करते थे
‘फ़ैज़’ इतने वो कब हमारे थे
1. संवाद
2. रूपक
3. वचन-स्वीकृति
4. हीरे-मोती
5. आसमान की तश्तरी
6. उम्रदराज़ होने
कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हात में तेरा हात नहीं
सद-शुक्र कि अपनी रातों में, अब हिज्र1 की कोई रात नहीं
मुश्किल हैं अगर हालात वहां, दिल बेच आएँ, जाँ दे आएँ
दिल वालों कूचा-ए-जानाँ2 में क्या ऐसे भी हालात नहीं
जिस धज से कोई मक़तल में गया, वो शान सलामत रहती है
ये जान तो आनी-जानी है, इस जाँ की तो कोई बात नहीं
मैदान-वफ़ा दरबार नहीं, याँ नामो नसब3 की पूछ कहाँ
आशिक़ तो किसी का नाम नहीं, कुछ इश्क़ किसी की ज़ात नहीं
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
1. वियोग
2. प्रेमी की गली
3. नाम व वंशावली
वो जा रहा है कोई शबे-ग़म1 गुज़ार के
वीराँ है मैकदा ख़ुमो-सागर2 उदास है
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
इक फ़ुर्सते-गुनाह मिली, वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझसे भी दिलफ़रेब3 हैं, ग़म रोज़गार के4
भूले से मुस्करा तो दिए थे वो आज ‘फ़ैज़’
मत पूछ वलवले5 दिले नाकर्दाकार6 के
1. दुख की रात
2. शराब का मटका और प्याला
3. दिल को धोखा देने वाले
4. रोजी-रोटी की चिन्ता
5. उमंग हौसले
6. नातजुर्बेकार हृदय
दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं
जैसे बिछड़े हुए काबे में सनम आते हैं
एक-इक करके हुए जाते हैं तारे रौशन
मेरी मज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते हैं
रक़्से-मैं1 तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो
सूए-मैख़ाना2 सफ़ीराने-हरम3 आते हैं
कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग
वो तो जब आते हैं माइल-ब-करम4 आते हैं
1. मदिरा-नृत्य
2. शराबखाने की ओर
3. मस्जिद के प्रतिनिधि
4. मेहरबानी करते हुए
5. जुदाई की रात
बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते
तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा1 क्यों नहीं देते
दर्दे-शबे-हिज्राँ2 की जज़ा3 क्यों नहीं देते
ख़ूने दिले बहशी4 का सिला5 क्यों नहीं देते
मिट जाएगी मख़लूक़6 तो इंसाफ़ करोगे
मुन्सिफ़7 हो तो अब हश्र उठा क्यों नहीं देते
हाँ नुक्ता-वरो8 लाओ लबो-दिल की गवाही
हाँ नग़मागरो साज़े-सदा क्यों नहीं देते
पैमाने-जुनूँ9 हाथों को शरमाएगा कब तक
दिलवालों गिरेबाँ का पता क्यों नहीं देते
बरबादिए-दिल जब्र नहीं ‘फ़ैज़’ किसी का
वो दुश्मने-जाँ है तो भुला क्यों नहीं देते
1. रोग से छुटकारा
2. जुदाई की रात का दर्द
3. बदला
4. सिरफिरे या पागल व्यक्ति द्वारा किया गया खूनख़राबा
5. बदला या प्रतिकार
6. जीव, दुनिया
7. न्यायकर्ता
8. मीन-मेख निकालने वाले
9. पागलपन की प्रतिज्ञा
सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम1 दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता
गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल2 में
मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा3, ऐसे नहीं होता
जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें4
यहाँ पैमाने-तललीमो-रज़ा5 ऐसे नहीं होता
हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा6, ऐसे नहीं होता
रवाँ है नब्ज़े-दौराँ7, गार्दिशों में आसमाँ सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता
1. मूर्ति, पत्थर
2. हत्यास्थल
3. ख़ून के बदले का हिसाब
4. न युक्तियाँ, न सज़ाएँ
5. स्वीकृति की प्रतिज्ञा
6. प्रलय का दिन
7. युग की धड़कन
8. संकटों
हमने सब शेर में सँवारे थे
हमसे जितने सुख़न1 तुम्हारे थे
रंगों ख़ुश्बू के, हुस्नो-ख़ूबी के
तुमसे थे जितने इस्तिआरे2 थे
तेरे क़ौलो-क़रार3 से पहले
अपने कुछ और भी सहारे थे
जब वो लालो-गुहर4 हिसाब किए
जो तरे ग़म ने दिल पे वारे थे
मेरे दामन में आ गिरे सारे
जितने तश्ते-फ़लक5 में तारे थे
उम्रे-जाविदे6 की दुआ करते थे
‘फ़ैज़’ इतने वो कब हमारे थे
1. संवाद
2. रूपक
3. वचन-स्वीकृति
4. हीरे-मोती
5. आसमान की तश्तरी
6. उम्रदराज़ होने
कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हात में तेरा हात नहीं
सद-शुक्र कि अपनी रातों में, अब हिज्र1 की कोई रात नहीं
मुश्किल हैं अगर हालात वहां, दिल बेच आएँ, जाँ दे आएँ
दिल वालों कूचा-ए-जानाँ2 में क्या ऐसे भी हालात नहीं
जिस धज से कोई मक़तल में गया, वो शान सलामत रहती है
ये जान तो आनी-जानी है, इस जाँ की तो कोई बात नहीं
मैदान-वफ़ा दरबार नहीं, याँ नामो नसब3 की पूछ कहाँ
आशिक़ तो किसी का नाम नहीं, कुछ इश्क़ किसी की ज़ात नहीं
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
1. वियोग
2. प्रेमी की गली
3. नाम व वंशावली
पाकिस्तान की शायरी
गुलों में रंग भरे बादे-नौबहार1 चले
चले भी आओ कि गुलशन2 का कारोबार चले
क़फ़स3 उदास है यारो सबा4 से कुछ तो कहो
कहीं तो बहरे-ख़ुदा5 आज ज़िक्रे-यार चले
कभी तो सुबह तेरे कुंजे-लब6 से हो आग़ाज7
कभी तो शब सरे-काकुल से मुश्कबार8 चले
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़मगुसार9 चले
जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शबे-हिज्राँ10
हमारे अश्क तेरी आक़बत11 सँवार चले
हुज़ूरे-यार हुई दफ़्तरे-जुनूँ की तलब
गिरह में लेके गिरेबाँ का तार-तार चले
मुक़ाम ‘फ़ैज़’ कोई राह में जँचा ही नहीं
जो कू-ए-यार12 से निकले तो सू-ए-यार13 चले
2-तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।
हदीसे-यार1 के उन्वाँ2 निखरने लगते हैं
तो हर हरीम3 में गेसू सँवरने लगते हैं
हर अजनबी हमें मजरम4 दिखाई देता है
जो अब भी तेरी गली से गुज़रने लगते हैं
सबा से करते हैं ग़ुरबत-नसीब5 ज़िक्रे-वतन
वो चश्मे-सुबह में आँसू उभरने लगते हैं
वो जब भी करते हैं इस नुत्क़ो-लब6 की बख़ियागरी7
फ़िज़ा में और भी नग़मे बिखरने लगते हैं
दरे-क़फ़स8 पे अँधेरे की मुहर लगती है
तो ‘फ़ैज़’ दिल में सितारे उतरने लगते हैं
चले भी आओ कि गुलशन2 का कारोबार चले
क़फ़स3 उदास है यारो सबा4 से कुछ तो कहो
कहीं तो बहरे-ख़ुदा5 आज ज़िक्रे-यार चले
कभी तो सुबह तेरे कुंजे-लब6 से हो आग़ाज7
कभी तो शब सरे-काकुल से मुश्कबार8 चले
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़मगुसार9 चले
जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शबे-हिज्राँ10
हमारे अश्क तेरी आक़बत11 सँवार चले
हुज़ूरे-यार हुई दफ़्तरे-जुनूँ की तलब
गिरह में लेके गिरेबाँ का तार-तार चले
मुक़ाम ‘फ़ैज़’ कोई राह में जँचा ही नहीं
जो कू-ए-यार12 से निकले तो सू-ए-यार13 चले
2-तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।
हदीसे-यार1 के उन्वाँ2 निखरने लगते हैं
तो हर हरीम3 में गेसू सँवरने लगते हैं
हर अजनबी हमें मजरम4 दिखाई देता है
जो अब भी तेरी गली से गुज़रने लगते हैं
सबा से करते हैं ग़ुरबत-नसीब5 ज़िक्रे-वतन
वो चश्मे-सुबह में आँसू उभरने लगते हैं
वो जब भी करते हैं इस नुत्क़ो-लब6 की बख़ियागरी7
फ़िज़ा में और भी नग़मे बिखरने लगते हैं
दरे-क़फ़स8 पे अँधेरे की मुहर लगती है
तो ‘फ़ैज़’ दिल में सितारे उतरने लगते हैं
उजाले
अँधेरों में उजाले चाहते हैं
पेट भूखे निवाले चाहते हैं।
प्यास से छटपटाती रूह तन्हा
साथ के पीने वाले चाहते हैं।
सर्द रातों के झेलते नश्तर
गर्म मोटे दुशाले चाहते हैं।
बहुत भारी हैं दर्द के किस्से
हल्के-फुल्के रिसाले चाहते हैं।
झुठ के रंग में रंगी दुनिया
सच्चाई की मिसालें चाहते हैं।
बड़ी कमजोर नस्ल आई है
मौत वाले जियाले चाहते हैं।
यह तरक्की पसंद महफिल है
दिल की जुबाँ पे ताले चाहते हैं।
बेजुबान
सोचता था कर नहीं पाया।
चैन से वह मर नहीं पाया।
जेब खाली उधारी बेइन्तेहा
देनदारी भर नहीं पाया।
महीनों से कुछ उदास उदास था
कुछ दिलासा पर नहीं पाया।
सालोंसाल भटकती उसकी ख्वाहिशें
एक का भी घर नहीं पाया।
पसीने से खून से जिसको गढ़ा
उस सड़क गुजर नहीं पाया।
भूख से रोते हुए कमजोर को
मेहनती नौकर नहीं पाया।
उम्रभर कपड़े फटे पहना रहा
मौत पर चादर नहीं पाया।
तोहमतें झूठी लगाते रहे सब
बेजुबान मुकर नहीं पाया।
सोने का हिरन
सोने का हिरन लुभाया है
बेचारा दौड़ लगाया है।
हर बार निशाना चूक गया
उसने फिर तीर चलाया है।
शहरी आवारागर्दी को
देहाती मन ललचाया है।
एड़ी चोटी का जोर लगा
भूखे को पसीना आया है।
दो रोटी रोज जुटाने तक
वह क्या क्या स्वांग रचाया है।
यह आग नहीं बुझ पाएगी
कुदरत ने इसे जलाया है।
खोते खोते खो डालोगे
पाते पाते जो पाया है।
वह ढूँढ़ रहा कब से उसको
जो उसका ही हमसाया है।
देखो देखो सच्चाई को
सच में ही झूठ समाया है।
नई आग
आग लगी है पानी लाओ
कुसमय घोर नहीं चिल्लाओ।
चिड़िया चारा चुगने बैठी
छत से उसको नहीं उड़ाओ।
आने जाने वाले दर्शक
मत इनसे उम्मीद लगाओ।
जिसका दर्द वही जाने है
खुद का घाव स्वयं सहलाओ।
हवा बदल जाती है अक्सर
जैसी राग उसी में गाओ ।
लोग दोमुँहे साँप हो गए
ठोंक बजा कर बात उठाओ
खलनायक नायक बन बैठे
कोई नया मसीहा लाओ।
अँधियारे की आदत डालो
या फिर नई आग धधकाओ।
खजाने
जब जब भी नाव डूबी थे सामने किनारे।
वक्त की ये गर्दिश, कि तुमने तीर मारे।
खूबियाँ उसी को उसको ही क्या गिनाना
मसीहा को अक्सर मिलते नहीं सहारे।
इर्द-गिर्द के कुछ हैं क्षण दगा दिया करते
बदनाम हुआ करते हैं मुफ्त में सितारे।
असलियत को हमने इस नजर कहाँ देखा
मीठी छुरी से हँसकर वह खाल भी उतारे।
दुनिया की बादशाहत मजूर नहीं हमको
गलियों की खाक जन्नत के कुदरती नजारे।
रातदिन बराबर दौलत की गुलामी में
है फलसफा पुराना जहरों को जहर मारे।
जिसकी सदाएँ सुनकर आता है मस्त मौसम
उसके लिए उतरती हैं मौसमी बहारें।
उस रास्ते पर चलकर देखो जो जिंदगानी
लाती है क्या खजाने करती है क्या इशारे।
झमेले
खत्म ही होते नहीं हैं झमेले संसार के
रोज कोई नई आफत झेलते मन मार के।
चाहते तो थे हँसती खिलखिलाती हर नजर
पर झुलसने लग पड़े हैं हाथ-पैर बहार के।
दाँत काटी रोटियों का एक सपना और था
क्या पता था और ही दस्तूर हैं व्यापार के
ढह गए हैं ख्वाब ऊँचे जख्म गहरा लाजिमी
वक्त लगता है सुधरने में गिरी मीनार के
चंद बातें काम की बकवास है बाकी अदब
आपसी रंजिश जगाते फलसफे बेकार के।
कोई सिर मुंडवा रहा है कोई रखता है जटा
रास्ते सबके अलग उस एक दर-दरबार के।
एक अंधा और बहरा खुद है तो सामने़
दरिन्दों की हिफाजत में फैसले सरकार के।
लुट रही कलियों की अस्मत बागवाँ के सामने
कमीनो ने कर लिए सौदे गुलो-गुलजार के।
माहौल
होश में दुनिया नहीं काबिल है रहने के।
दो घूँट पिला कुछ तो बहाने बनें सहने के।
हर आदमी अच्छा, तो बुरा कैसे जमाना है
बेदर्दियों के किस्से लाखों तो हैं कहने के।
इंसानियत की बातें लगने लगीं पुरानी
माकूल हैं मौसम भी ईमान के ढहने के।
धुआँ उगल रहा है नदियों का पानी पीकर
माहौल ना रहे अब दरियाओं के बहने के।
बिकने लगी मोहब्बत जलने लगीं दुलहिनें
करने लगे इशारे अब ठूँठ भी गहने के।
मक्कारियाँ हमारी हम फिर न मानेंगे
है वक़्त अभी बाकी इंसानों के ठहने के।
करतबों का पुलिंदा चमका तो दिया सब कुछ
कुछ ख़्वाब अधूरे रहे इस सदी के चहने के।
साकी
साकी ने जाम भर दिया और मैंने पी लिया
खुशहाल था, उसका करम कुछ और जी लिया।
गुलशन सजा दिए मेरे आने की खुशी में
जश्नेबहार करके मेरा नाम ही लिया।।
मनमानियों के दौर से बेकार हुई किस्मत
राहेसुकून भी किया इलजाम भी लिया।
दरवेश मौसमों के इखलाक में खड़े हैं
होम की खुशबू लिए जंगल की तीलियाँ।
जर्रे को चमन करने का हुनर आसमानी
सन्नाटे बना डाले और होंठ सी लिया।
परबत की चोटियों से लहराते समुन्दर तक
रंगीन रोशनियाँ कमाल की लिया।
फुटे बदन के जादू जब हुस्न कसमसाया
गुज़री थीं निगाहों के कमसिन छबीलियाँ।
जारी है
फर्जी सेना नकली सैनिक और लड़ाई जारी है
चोरी सीनाजोरी की बेशर्म ढिठाई है।
देखो-देखो कितनी मोहक नीति बनाई राजा ने
भोगविलास और अय्याशी की अगुआई जारी है।
विद्वानों की सभा सजी है मोटे ग्रंथ विचारों के
सच का कुछ अनुमान नहीं है कलम घिसाई जारी है।
मानवहित पर बहस चल रही संसद पखवाड़े से
और सदन में मारामारी-हाथापाई जारी है।
मंत्र नहीं जाने बिच्छू का हाँथ साँप के बिल में दे
जहर उगलती राजनीति की क्या कुटिलाई जारी है।
लड्डू खाकर जनता खुश है राजा खुश है सत्ता से
घूँस दलाली वाली रबड़ी और मलाई जारी है।
चोर फैसला लिखने वाले डाकू की निगरानी में
मौत किसी की भी लिखवा लो सुलह सफाई जारी है।
गधा पंजीरी खाए जमकर बैलों के दरबार सजे
भूखी लड़पे गाय बेचारी घास चराई जारी है।
कुर्सी नहीं बपौती लेकिन कितनी अच्छी लगती है
छँटे हुए मक्कारों वाली टाँग खिंचाई जारी है।
पेट भूखे निवाले चाहते हैं।
प्यास से छटपटाती रूह तन्हा
साथ के पीने वाले चाहते हैं।
सर्द रातों के झेलते नश्तर
गर्म मोटे दुशाले चाहते हैं।
बहुत भारी हैं दर्द के किस्से
हल्के-फुल्के रिसाले चाहते हैं।
झुठ के रंग में रंगी दुनिया
सच्चाई की मिसालें चाहते हैं।
बड़ी कमजोर नस्ल आई है
मौत वाले जियाले चाहते हैं।
यह तरक्की पसंद महफिल है
दिल की जुबाँ पे ताले चाहते हैं।
बेजुबान
सोचता था कर नहीं पाया।
चैन से वह मर नहीं पाया।
जेब खाली उधारी बेइन्तेहा
देनदारी भर नहीं पाया।
महीनों से कुछ उदास उदास था
कुछ दिलासा पर नहीं पाया।
सालोंसाल भटकती उसकी ख्वाहिशें
एक का भी घर नहीं पाया।
पसीने से खून से जिसको गढ़ा
उस सड़क गुजर नहीं पाया।
भूख से रोते हुए कमजोर को
मेहनती नौकर नहीं पाया।
उम्रभर कपड़े फटे पहना रहा
मौत पर चादर नहीं पाया।
तोहमतें झूठी लगाते रहे सब
बेजुबान मुकर नहीं पाया।
सोने का हिरन
सोने का हिरन लुभाया है
बेचारा दौड़ लगाया है।
हर बार निशाना चूक गया
उसने फिर तीर चलाया है।
शहरी आवारागर्दी को
देहाती मन ललचाया है।
एड़ी चोटी का जोर लगा
भूखे को पसीना आया है।
दो रोटी रोज जुटाने तक
वह क्या क्या स्वांग रचाया है।
यह आग नहीं बुझ पाएगी
कुदरत ने इसे जलाया है।
खोते खोते खो डालोगे
पाते पाते जो पाया है।
वह ढूँढ़ रहा कब से उसको
जो उसका ही हमसाया है।
देखो देखो सच्चाई को
सच में ही झूठ समाया है।
नई आग
आग लगी है पानी लाओ
कुसमय घोर नहीं चिल्लाओ।
चिड़िया चारा चुगने बैठी
छत से उसको नहीं उड़ाओ।
आने जाने वाले दर्शक
मत इनसे उम्मीद लगाओ।
जिसका दर्द वही जाने है
खुद का घाव स्वयं सहलाओ।
हवा बदल जाती है अक्सर
जैसी राग उसी में गाओ ।
लोग दोमुँहे साँप हो गए
ठोंक बजा कर बात उठाओ
खलनायक नायक बन बैठे
कोई नया मसीहा लाओ।
अँधियारे की आदत डालो
या फिर नई आग धधकाओ।
खजाने
जब जब भी नाव डूबी थे सामने किनारे।
वक्त की ये गर्दिश, कि तुमने तीर मारे।
खूबियाँ उसी को उसको ही क्या गिनाना
मसीहा को अक्सर मिलते नहीं सहारे।
इर्द-गिर्द के कुछ हैं क्षण दगा दिया करते
बदनाम हुआ करते हैं मुफ्त में सितारे।
असलियत को हमने इस नजर कहाँ देखा
मीठी छुरी से हँसकर वह खाल भी उतारे।
दुनिया की बादशाहत मजूर नहीं हमको
गलियों की खाक जन्नत के कुदरती नजारे।
रातदिन बराबर दौलत की गुलामी में
है फलसफा पुराना जहरों को जहर मारे।
जिसकी सदाएँ सुनकर आता है मस्त मौसम
उसके लिए उतरती हैं मौसमी बहारें।
उस रास्ते पर चलकर देखो जो जिंदगानी
लाती है क्या खजाने करती है क्या इशारे।
झमेले
खत्म ही होते नहीं हैं झमेले संसार के
रोज कोई नई आफत झेलते मन मार के।
चाहते तो थे हँसती खिलखिलाती हर नजर
पर झुलसने लग पड़े हैं हाथ-पैर बहार के।
दाँत काटी रोटियों का एक सपना और था
क्या पता था और ही दस्तूर हैं व्यापार के
ढह गए हैं ख्वाब ऊँचे जख्म गहरा लाजिमी
वक्त लगता है सुधरने में गिरी मीनार के
चंद बातें काम की बकवास है बाकी अदब
आपसी रंजिश जगाते फलसफे बेकार के।
कोई सिर मुंडवा रहा है कोई रखता है जटा
रास्ते सबके अलग उस एक दर-दरबार के।
एक अंधा और बहरा खुद है तो सामने़
दरिन्दों की हिफाजत में फैसले सरकार के।
लुट रही कलियों की अस्मत बागवाँ के सामने
कमीनो ने कर लिए सौदे गुलो-गुलजार के।
माहौल
होश में दुनिया नहीं काबिल है रहने के।
दो घूँट पिला कुछ तो बहाने बनें सहने के।
हर आदमी अच्छा, तो बुरा कैसे जमाना है
बेदर्दियों के किस्से लाखों तो हैं कहने के।
इंसानियत की बातें लगने लगीं पुरानी
माकूल हैं मौसम भी ईमान के ढहने के।
धुआँ उगल रहा है नदियों का पानी पीकर
माहौल ना रहे अब दरियाओं के बहने के।
बिकने लगी मोहब्बत जलने लगीं दुलहिनें
करने लगे इशारे अब ठूँठ भी गहने के।
मक्कारियाँ हमारी हम फिर न मानेंगे
है वक़्त अभी बाकी इंसानों के ठहने के।
करतबों का पुलिंदा चमका तो दिया सब कुछ
कुछ ख़्वाब अधूरे रहे इस सदी के चहने के।
साकी
साकी ने जाम भर दिया और मैंने पी लिया
खुशहाल था, उसका करम कुछ और जी लिया।
गुलशन सजा दिए मेरे आने की खुशी में
जश्नेबहार करके मेरा नाम ही लिया।।
मनमानियों के दौर से बेकार हुई किस्मत
राहेसुकून भी किया इलजाम भी लिया।
दरवेश मौसमों के इखलाक में खड़े हैं
होम की खुशबू लिए जंगल की तीलियाँ।
जर्रे को चमन करने का हुनर आसमानी
सन्नाटे बना डाले और होंठ सी लिया।
परबत की चोटियों से लहराते समुन्दर तक
रंगीन रोशनियाँ कमाल की लिया।
फुटे बदन के जादू जब हुस्न कसमसाया
गुज़री थीं निगाहों के कमसिन छबीलियाँ।
जारी है
फर्जी सेना नकली सैनिक और लड़ाई जारी है
चोरी सीनाजोरी की बेशर्म ढिठाई है।
देखो-देखो कितनी मोहक नीति बनाई राजा ने
भोगविलास और अय्याशी की अगुआई जारी है।
विद्वानों की सभा सजी है मोटे ग्रंथ विचारों के
सच का कुछ अनुमान नहीं है कलम घिसाई जारी है।
मानवहित पर बहस चल रही संसद पखवाड़े से
और सदन में मारामारी-हाथापाई जारी है।
मंत्र नहीं जाने बिच्छू का हाँथ साँप के बिल में दे
जहर उगलती राजनीति की क्या कुटिलाई जारी है।
लड्डू खाकर जनता खुश है राजा खुश है सत्ता से
घूँस दलाली वाली रबड़ी और मलाई जारी है।
चोर फैसला लिखने वाले डाकू की निगरानी में
मौत किसी की भी लिखवा लो सुलह सफाई जारी है।
गधा पंजीरी खाए जमकर बैलों के दरबार सजे
भूखी लड़पे गाय बेचारी घास चराई जारी है।
कुर्सी नहीं बपौती लेकिन कितनी अच्छी लगती है
छँटे हुए मक्कारों वाली टाँग खिंचाई जारी है।
ऐ समन्दर कभी उतर मुझमें
धड़कने डूब गईं सब्र का सन्नाटा है
ज़िन्दगानी थी जहाँ कब्र का सन्नाटा है
शोर बरपा है सुनाई नहीं देता कुछ भी
शोर भी गोया मेरे अस्र का सन्नाटा है
घुंघरुओं की वो सदाऐं तो कहीं डूब गईं
दिल में एक उजड़े हुए क़स्र का सन्नाटा है
लोग दुबके हुए बैठे हैं घरों में ‘‘शाहिद’’
आने वाले यह किसी हश्र का सन्नाटा है।
लेकिन शाहिद मीर का सबसे बड़ा वस्फ़ बयान की नुदरत है
यह रमज़िया इज़हार, इसतआरों, पैकरों और अलामतों में नज़र आता है :
‘चिलमन सी मोतियों की अन्धेरों पे डाल कर
गुज़री है रात ओस सवेरों पे डाल कर’
‘आख़िर तमाम सांप बिलों में समा गए
बद हालियों का ज़हर सपेरों पे डाल कर’’
‘उस अब्र ने लिखा लिया दरिया दिलों में नाम
क़तरे सुलगती रेत के ढैरों पे डाल कर’
या
‘उजले मोती हमने मांगे थे किसी से थाल भर
और उसने दे दिए आंसू हमें रुमाल भर’
‘बदकारियों के शहर में अपनी अना का हाल
एक बदहवाश शेर मचानों के दरमियां’
‘रोशनी सी कर गई कुरबत किसी के जिस्म की
रूह में खुलता हुआ मशरिक़ का दरवाज़ा लगा’
‘‘एक पल ठहरा न उड़ते बादलों का क़ाफ़िला
तिशना लब जंगल खड़े थे हाथ फैलाए हुए’’
‘जब से मौसम ने रंग बदला है
जी उठा है कोई शजर मुझमें’
‘ज़ख़्मे-जां खिल के आफ़ताब हुआ
दूर तक हो गई सहर मुझ में’
ज़िन्दगानी थी जहाँ कब्र का सन्नाटा है
शोर बरपा है सुनाई नहीं देता कुछ भी
शोर भी गोया मेरे अस्र का सन्नाटा है
घुंघरुओं की वो सदाऐं तो कहीं डूब गईं
दिल में एक उजड़े हुए क़स्र का सन्नाटा है
लोग दुबके हुए बैठे हैं घरों में ‘‘शाहिद’’
आने वाले यह किसी हश्र का सन्नाटा है।
लेकिन शाहिद मीर का सबसे बड़ा वस्फ़ बयान की नुदरत है
यह रमज़िया इज़हार, इसतआरों, पैकरों और अलामतों में नज़र आता है :
‘चिलमन सी मोतियों की अन्धेरों पे डाल कर
गुज़री है रात ओस सवेरों पे डाल कर’
‘आख़िर तमाम सांप बिलों में समा गए
बद हालियों का ज़हर सपेरों पे डाल कर’’
‘उस अब्र ने लिखा लिया दरिया दिलों में नाम
क़तरे सुलगती रेत के ढैरों पे डाल कर’
या
‘उजले मोती हमने मांगे थे किसी से थाल भर
और उसने दे दिए आंसू हमें रुमाल भर’
‘बदकारियों के शहर में अपनी अना का हाल
एक बदहवाश शेर मचानों के दरमियां’
‘रोशनी सी कर गई कुरबत किसी के जिस्म की
रूह में खुलता हुआ मशरिक़ का दरवाज़ा लगा’
‘‘एक पल ठहरा न उड़ते बादलों का क़ाफ़िला
तिशना लब जंगल खड़े थे हाथ फैलाए हुए’’
‘जब से मौसम ने रंग बदला है
जी उठा है कोई शजर मुझमें’
‘ज़ख़्मे-जां खिल के आफ़ताब हुआ
दूर तक हो गई सहर मुझ में’
दर्द की कतरन
दर्द भी कोई किसी का, लय में कभी उठता है क्या
मात्राएं गिनकर कोई गीत कभी लिखता है क्या
दर्द पहले आया यहां या पहले व्याकरण आई
ज़ख्म जिसने न गिने हों, वो शब्दों को गिनता है क्या
जो लिखते हैं सलीके से, उनको भी मिलता है क्या
तारीफ और कुछ तालियों से, दुख कभी मिटता है क्या
छोड़िये क्या बात करनी कायदे और कानून की
काग़ज़ों के फूल पर भंवरा कोई मिलता है क्या
दिल की बात सीधी ही दिल तक पहुंचनी चाहिए
इनाम और ये नाम कभी, जग में कहीं टिकता है क्या
गीत-ग़ज़ल के पारखी कुछ कह कर दम लेंगे
प्यासे के दिल से पूछिए, उसे पानी में दिखता है क्या
*****************
लोग कहते हैं हमें लिखना नहीं आता
ग़ज़ल उठाने का, सलीका नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
माना कि दर्द कहना भी होती है एक कला
हूं नहीं कलाकार मैं, मुझे अभिनय नहीं आता
कहीं रदीफ गड़बड़ है, तो कहीं काफिया गुम है
छांट कर खुद को लुगत में लिखना नहीं आता
बात तर्क की नहीं, खुद से वफ़ा की है
महफिल में अपने दर्द को गाना नहीं आता
न उतरती हो खरी, ये कायदे की नज़र में
काग़ज़ों में सिमटने का हमें हुनर नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
*****************
दर्द को दफनाने की मोहलत नहीं मिली
चैन से मरने की भी फुर्सत नहीं मिली
आंखों में मेरे इस कदर छाए रहे आंसू
कि आईने में अपनी ही सूरत नहीं मिली
हर मोड़ पर ली जिंदगी ने इतनी तलाशी
कि इम्तहान देने की फुर्सत नहीं मिली
अपनों के लगते रहे मुझ पर इल्जाम इतने
कि खुद को जिंदा रखने की वजह नहीं मिली
सुकून से लेते रहे सांसें मेरे आंसू
मेरे ही जिस्म से मुझे राहत नहीं मिली
*****************
तुझे अपना न मैं कहूं तो और क्या कहूं
एक साथ इतने गम कोई गैर नहीं देता
तुझसे न मैं पूछूं, तो फिर किससे मैं पूछूं
तू ही तो है जो बातों के उत्तर नहीं देता
हो सके तो भूलकर न आना तू सामने
देखकर फेरूं नजर, मुझे शोभा नहीं देता
कितना भला तू वास्ता दे अपनी शराफत का
पीछे का मेरा वक्त आगे बढ़ने नहीं देता
*****************
आएगी जब भी बात कभी इंसाफ की देखना
कर ना पाओगे अलग, सही गलत को देखना
बातें जो करनी पड़े कभी अपने आप से
ये एक शब्द भी न निकलेगा होंठों से देखना
सच-झूठ को गिनोगे जिस दिन हाथों से अपने
अफसोस हाथ आएगा उंगलियों को देखना
किसका था कसूर और, था कौन जिम्मेदार
सब समझ आ जाएगा, किसी का होकर देखना
आसान सी बातें सभी, बन जाएंगी मुश्किल
मेरी जगह खुद को कभी तुम रखकर देखना
*****************
कौन है जो साथ उसके रहता है सदा
फिरता है अकेला पर लगता नहीं तन्हा
खोया है किसकी याद में, इतनी बुरी तरह
गर बैठ जाए एक बार तो उठना नहीं जरा
किसकी फिक्र में हुई है उसकी ये हालत
कि जल रहा है याद में, बुझता नहीं जरा
आ रहा है क्या मजा उसे ऐसे जीने में
सीने में उसके सांस है पर लेता नहीं जरा
*****************
किसी को तन्हा रहने का दुख है
हमको साथ सहने का दुख है
सोचा था साथ में बंट जाएंगे दुख
पर हमको खुद के बंटने का दुख है
होती हैं यूं तो बातें, रोज बीच में हमारे
पर बातें ही बची हैं, इस बात का दुख है
ऐसा नहीं वो पूछते हों, मुझसे मेरा हाल
ये हाल है उनकी वजह से, इस बात का दुख है
है पता, उसको मुझे क्या चाहिए उससे
करता है पर अपने मन की, इस बात का दुख है
****************
लौटकर आती रहीं तारीखें बारी-बारी
पर आज तक वापस कभी, वो वक्त नहीं आया
दबे पांव आती रहीं यादे सब तुम्हारी
एक बार भी यादों के संग, तू नहीं आया
उगता रहा हर रोज सूरज अपने ठिकाने से
एक बार भी पर रोशनी लेकर नहीं आया
कई बार सरकी है नमी, दिल की दरारों से
पर आज तक इन आंखों में, पानी नहीं आया
वक्त ने भी करके देखी मेहरबानी हम पे
पर तुमको ही मुझ पर कभी तरस नहीं आया
प्यार में होता है सबका हाल एक सा
क्यों हाल उसको मेरे दिल का समझ नहीं आया
*****************
दुनिया समझती है इसे दुख नहीं होता
रोने का एक सपना है वो सच नहीं होता
बस एक ही मलाल है, इस उम्र से हमें
क्यों आंखों का खुलकर कभी बहना नहीं होता
पूछते हैं अपने दिल से, हम भी यही सवाल
क्यों दिल की बात करके दिल हलका नहीं होता
आंखों की एक जिद है जो पूरी नहीं होती
वक्त पर रोएंगे, रोज का रोना नहीं होता
करती है खर्च जिंदगी, मुझ पर कई सांसें
इन सांसों का मुझ पर कोई असर नहीं होता
यह सोचकर सपनों को, नहीं होने दी खबर
कि देखा हुआ सपना हमेशा, सच नहीं होता
*****************
गीत गाती पंक्तियों का हर शब्द गूंगा हो गया
भेजा हुआ हर खत तुम्हारा, आज काग़ज हो गया
संभालने थे कागज तो, रद्दी ही क्या बुरी थी
बेवजह कोने में दिल के, तू भी जमा हो गया
किताबों में छुपाकर, रखा था जिसे उम्र भर
वक्त की तह में वो खुद, पु्र्जा-पुर्जा हो गया
अब कतरनों को जोड़ कर, तुम्हें इसमें क्या खोजूं
सामने है सब नतीजा, जो होना था हो गया
गिन के तेरे खतों को अब एहसास होता है
कैसे तेरे काग़ज़ों पर एतबार मुझे हो गया
हो गई क्यों आंखें गीली, इन सूखे शब्दों से
कैसे कहूं एक जख्म था, पढ़कर हरा हो गया
खाते में तो खत ही आए, हमको तो उसके
लिखने वाला इन खतों को कब का अक्षर हो गया
*****************
मैं देखने की चीज हूं मेरी आरजू न कर
बदनाम हूं बहुत मैं बरबाद यूं न कर
किसकी नहीं टिकी है इन आंखों पर निगाहें
आंखों को आंख रहने दे इन्हें झील यूं न कर
जी भर के देख मुझको और तन्हा छोड़ दे
होगा क्या उसके बाद इसकी फिक्र तू न कर
मत पूछ तू मर्जी मेरी न सुकून के ठिकाने
जो आज तक नहीं उठा वो सवाल तू न कर
तू भी तो रुक जाएगा साथ दो कदम चल के
दुनिया के इस रिवाज पे एतराज तू न कर
दे कोई इल्जाम मुझको, बन जाने दे तमाशा
बना के अपनी आबरू, नीलाम यूं न कर
तू नहीं तो और कोई, मुझे तोड़ ही देगा
मांग कर दुआ में अपनी, मेरा कत्ल यूं न कर
कतरन ही रहने दे मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दे
जोड़कर इन कतरनों को, अखबार यूं न कर
मुझको तो अपना इल्म है, जग का भी है पता
फिर बेवजह झूठी मेरी तारीफ यूं न कर
जीने नहीं देगी तुझे दुनिया ‘शशि’ के संग
खुद को अगर-मगर में, जाया तो यूं न कर
*****************
वो मिल गया है फिर भी क्यों राहत नहीं मिलती
क्या चाहिए इस दिल को तसल्ली नहीं मिलती
कहने को जितना पास है, वो है करीब उतना
मौजूदगी में उसके वो हकीकत नहीं मिलती
कहता है लौटकर आया हूं, मैं छोड़कर सबको
उसके ही चेहरे से उसी की शक्ल नहीं मिलती
अजीब सी एक जिद है जो परखती है उसी को
धूप में जिसकी उसे छाया नहीं मिलती
होते ही जिसका जिक्र महक उठती थी सांसें
आज उसके नाम से ही खुशी नहीं मिलती
किस्सा ही कुछ ऐसा है दोनों के बीच का
साथ रहकर भी कोई कहानी नहीं मिलती
*****************
मेरा दर्द मेरा सिर्फ खुदा जानता है
फिर तुझे कैसे कह दूं, तू खुदा तो नहीं
माना तू बंदा है मेरे खुदा का
तू हिस्सा है उसका, पर उस सा नहीं
*****************
मुझको भी हंसना पड़ता है
साथ लोगों के चलना पड़ता है
मुश्किल और तब बढ़ जाती है
जब ‘खुश हूं मैं’ कहना पड़ता है।
***
छोटा समझ के किसी को यूं नकारा नहीं करते
बीज को आकार से उसके नापा नहीं करते
हो हकीकत कितनी भी किताब में किसी की
आंख से पढ़ने को ही पढ़ना नहीं कहते
***
लगा के इल्ज़ाम कोई वो मुझको छोड़ जाता
तन्हाई काटने का कोई इंतजाम कर जाता
चुभते ही रहते भले, मुझे अल्फाज ही उसके
पर मुझसे थी उम्मीद उसको, ये अंदाजा लग जाता
***
उलझें रहेंगे आप सदा, एक सवाल में
छिड़ेगी जब भी बात कभी मेरे बारे में
दिल भी बहुत दुखेगा, आंखें भी रोएंगी
जब भी करोगे फैसला, तुम अपने बारे में
***
साथ देने को मन करता है, उसको तन्हा देखकर
रुलाने को जी करता है, उसकी आंखें देखकर
बह जाए गर खुलके तो, इस जी को तसल्ली हो
कैसे खुले में घूमता है, वो खुद को समेटकर
शाख में कांटे कितने भी हों
पर छांव कभी चुभती नहीं है
कोशिश जारी कितनी भी हो
आरी से पानी कटता नहीं है
***
मुश्किल नहीं है जवाब देना, बातों का उसकी
पर होंठों पर उसके कोई सवाल भी तो हो
तोड़ दूं रिवाज में उसकी तन्हाई का
कम्बख्त को मुझसे कोई शिकायत भी तो हो
***
कुछ इस कदर वो मुझे निहारता रहा
बोले बिना एक शब्द के पुकारता रहा
देता रहा दावत मुझे वो आंखों से अपनी
थी खता उसकी सजा मैं भोगता रहा
***
पीठ करके बैठा रहा, मुझे निहारने वाला
उखड़ा हुआ बैठा रहा, मुझे जोड़ने वाला
खंगालता रहा मैं अपनी, यादों के पुलिंदे
फारिग वो बैठा रहा, मसरूफ करने वाला
***
तारीफ कर रहे हैं सब, मेरी इस जहान में
क्या जानते नहीं हैं वो, अभी मैं नहीं मरा
निभा रहे हैं सब रिवाज जीते जी मेरे
जिंदा दफन करके क्या उनका, दिल नहीं भरा
***
तिनके को बहाना बनाया है
कभी आँखों में पानी मारकर
कभी रोने का शोर छुपाया है
नहाते में नलका खोलकर
***
आज लौटा है तो, वो मांगने सामान अपना
हाल पूछा भी तो, सुना के फैसला अपना
बात भी क्या हुई सिर्फ सवाल हुए
सफाई देने में किस्सा तमाम हुआ अपना
***
कतरन ही रहने दो मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दो
ऐसा न हो जुड़ने से मैं, कहीं पढ़ने में आ जाऊं
मत बिछाओ पलकों को तुम इंतजार में मेरी
ऐसा न हो मैं आंसू बनकर, आंखों में आ जाऊं
***
ज्यादा लिखा मैंने अगर, तो बनकर किताब रह जाऊंगा
आया नहीं हूं हाथ अब तक, फिर एक बार में आ जाऊंगा
रख देगा फिर गुलाब कोई सूखने को मुझमें
या बनके मैं संग्रह किसी का, अलमारी में रह जाऊंगा
***
अपने बारे में कहूंगा तो कईयों का जिक्र हो जाएगा
मानते हो जिनको भला वो भी बुरा हो जाएगा
छोड़िये क्या छेड़नी बातें मेरे जहन की
मेरे बयां से मेरा कोई अपना खफा हो जाएगा
मात्राएं गिनकर कोई गीत कभी लिखता है क्या
दर्द पहले आया यहां या पहले व्याकरण आई
ज़ख्म जिसने न गिने हों, वो शब्दों को गिनता है क्या
जो लिखते हैं सलीके से, उनको भी मिलता है क्या
तारीफ और कुछ तालियों से, दुख कभी मिटता है क्या
छोड़िये क्या बात करनी कायदे और कानून की
काग़ज़ों के फूल पर भंवरा कोई मिलता है क्या
दिल की बात सीधी ही दिल तक पहुंचनी चाहिए
इनाम और ये नाम कभी, जग में कहीं टिकता है क्या
गीत-ग़ज़ल के पारखी कुछ कह कर दम लेंगे
प्यासे के दिल से पूछिए, उसे पानी में दिखता है क्या
*****************
लोग कहते हैं हमें लिखना नहीं आता
ग़ज़ल उठाने का, सलीका नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
माना कि दर्द कहना भी होती है एक कला
हूं नहीं कलाकार मैं, मुझे अभिनय नहीं आता
कहीं रदीफ गड़बड़ है, तो कहीं काफिया गुम है
छांट कर खुद को लुगत में लिखना नहीं आता
बात तर्क की नहीं, खुद से वफ़ा की है
महफिल में अपने दर्द को गाना नहीं आता
न उतरती हो खरी, ये कायदे की नज़र में
काग़ज़ों में सिमटने का हमें हुनर नहीं आता
दर्द तो बस दर्द है, हमें इसे सजाना नहीं आता
*****************
दर्द को दफनाने की मोहलत नहीं मिली
चैन से मरने की भी फुर्सत नहीं मिली
आंखों में मेरे इस कदर छाए रहे आंसू
कि आईने में अपनी ही सूरत नहीं मिली
हर मोड़ पर ली जिंदगी ने इतनी तलाशी
कि इम्तहान देने की फुर्सत नहीं मिली
अपनों के लगते रहे मुझ पर इल्जाम इतने
कि खुद को जिंदा रखने की वजह नहीं मिली
सुकून से लेते रहे सांसें मेरे आंसू
मेरे ही जिस्म से मुझे राहत नहीं मिली
*****************
तुझे अपना न मैं कहूं तो और क्या कहूं
एक साथ इतने गम कोई गैर नहीं देता
तुझसे न मैं पूछूं, तो फिर किससे मैं पूछूं
तू ही तो है जो बातों के उत्तर नहीं देता
हो सके तो भूलकर न आना तू सामने
देखकर फेरूं नजर, मुझे शोभा नहीं देता
कितना भला तू वास्ता दे अपनी शराफत का
पीछे का मेरा वक्त आगे बढ़ने नहीं देता
*****************
आएगी जब भी बात कभी इंसाफ की देखना
कर ना पाओगे अलग, सही गलत को देखना
बातें जो करनी पड़े कभी अपने आप से
ये एक शब्द भी न निकलेगा होंठों से देखना
सच-झूठ को गिनोगे जिस दिन हाथों से अपने
अफसोस हाथ आएगा उंगलियों को देखना
किसका था कसूर और, था कौन जिम्मेदार
सब समझ आ जाएगा, किसी का होकर देखना
आसान सी बातें सभी, बन जाएंगी मुश्किल
मेरी जगह खुद को कभी तुम रखकर देखना
*****************
कौन है जो साथ उसके रहता है सदा
फिरता है अकेला पर लगता नहीं तन्हा
खोया है किसकी याद में, इतनी बुरी तरह
गर बैठ जाए एक बार तो उठना नहीं जरा
किसकी फिक्र में हुई है उसकी ये हालत
कि जल रहा है याद में, बुझता नहीं जरा
आ रहा है क्या मजा उसे ऐसे जीने में
सीने में उसके सांस है पर लेता नहीं जरा
*****************
किसी को तन्हा रहने का दुख है
हमको साथ सहने का दुख है
सोचा था साथ में बंट जाएंगे दुख
पर हमको खुद के बंटने का दुख है
होती हैं यूं तो बातें, रोज बीच में हमारे
पर बातें ही बची हैं, इस बात का दुख है
ऐसा नहीं वो पूछते हों, मुझसे मेरा हाल
ये हाल है उनकी वजह से, इस बात का दुख है
है पता, उसको मुझे क्या चाहिए उससे
करता है पर अपने मन की, इस बात का दुख है
****************
लौटकर आती रहीं तारीखें बारी-बारी
पर आज तक वापस कभी, वो वक्त नहीं आया
दबे पांव आती रहीं यादे सब तुम्हारी
एक बार भी यादों के संग, तू नहीं आया
उगता रहा हर रोज सूरज अपने ठिकाने से
एक बार भी पर रोशनी लेकर नहीं आया
कई बार सरकी है नमी, दिल की दरारों से
पर आज तक इन आंखों में, पानी नहीं आया
वक्त ने भी करके देखी मेहरबानी हम पे
पर तुमको ही मुझ पर कभी तरस नहीं आया
प्यार में होता है सबका हाल एक सा
क्यों हाल उसको मेरे दिल का समझ नहीं आया
*****************
दुनिया समझती है इसे दुख नहीं होता
रोने का एक सपना है वो सच नहीं होता
बस एक ही मलाल है, इस उम्र से हमें
क्यों आंखों का खुलकर कभी बहना नहीं होता
पूछते हैं अपने दिल से, हम भी यही सवाल
क्यों दिल की बात करके दिल हलका नहीं होता
आंखों की एक जिद है जो पूरी नहीं होती
वक्त पर रोएंगे, रोज का रोना नहीं होता
करती है खर्च जिंदगी, मुझ पर कई सांसें
इन सांसों का मुझ पर कोई असर नहीं होता
यह सोचकर सपनों को, नहीं होने दी खबर
कि देखा हुआ सपना हमेशा, सच नहीं होता
*****************
गीत गाती पंक्तियों का हर शब्द गूंगा हो गया
भेजा हुआ हर खत तुम्हारा, आज काग़ज हो गया
संभालने थे कागज तो, रद्दी ही क्या बुरी थी
बेवजह कोने में दिल के, तू भी जमा हो गया
किताबों में छुपाकर, रखा था जिसे उम्र भर
वक्त की तह में वो खुद, पु्र्जा-पुर्जा हो गया
अब कतरनों को जोड़ कर, तुम्हें इसमें क्या खोजूं
सामने है सब नतीजा, जो होना था हो गया
गिन के तेरे खतों को अब एहसास होता है
कैसे तेरे काग़ज़ों पर एतबार मुझे हो गया
हो गई क्यों आंखें गीली, इन सूखे शब्दों से
कैसे कहूं एक जख्म था, पढ़कर हरा हो गया
खाते में तो खत ही आए, हमको तो उसके
लिखने वाला इन खतों को कब का अक्षर हो गया
*****************
मैं देखने की चीज हूं मेरी आरजू न कर
बदनाम हूं बहुत मैं बरबाद यूं न कर
किसकी नहीं टिकी है इन आंखों पर निगाहें
आंखों को आंख रहने दे इन्हें झील यूं न कर
जी भर के देख मुझको और तन्हा छोड़ दे
होगा क्या उसके बाद इसकी फिक्र तू न कर
मत पूछ तू मर्जी मेरी न सुकून के ठिकाने
जो आज तक नहीं उठा वो सवाल तू न कर
तू भी तो रुक जाएगा साथ दो कदम चल के
दुनिया के इस रिवाज पे एतराज तू न कर
दे कोई इल्जाम मुझको, बन जाने दे तमाशा
बना के अपनी आबरू, नीलाम यूं न कर
तू नहीं तो और कोई, मुझे तोड़ ही देगा
मांग कर दुआ में अपनी, मेरा कत्ल यूं न कर
कतरन ही रहने दे मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दे
जोड़कर इन कतरनों को, अखबार यूं न कर
मुझको तो अपना इल्म है, जग का भी है पता
फिर बेवजह झूठी मेरी तारीफ यूं न कर
जीने नहीं देगी तुझे दुनिया ‘शशि’ के संग
खुद को अगर-मगर में, जाया तो यूं न कर
*****************
वो मिल गया है फिर भी क्यों राहत नहीं मिलती
क्या चाहिए इस दिल को तसल्ली नहीं मिलती
कहने को जितना पास है, वो है करीब उतना
मौजूदगी में उसके वो हकीकत नहीं मिलती
कहता है लौटकर आया हूं, मैं छोड़कर सबको
उसके ही चेहरे से उसी की शक्ल नहीं मिलती
अजीब सी एक जिद है जो परखती है उसी को
धूप में जिसकी उसे छाया नहीं मिलती
होते ही जिसका जिक्र महक उठती थी सांसें
आज उसके नाम से ही खुशी नहीं मिलती
किस्सा ही कुछ ऐसा है दोनों के बीच का
साथ रहकर भी कोई कहानी नहीं मिलती
*****************
मेरा दर्द मेरा सिर्फ खुदा जानता है
फिर तुझे कैसे कह दूं, तू खुदा तो नहीं
माना तू बंदा है मेरे खुदा का
तू हिस्सा है उसका, पर उस सा नहीं
*****************
मुझको भी हंसना पड़ता है
साथ लोगों के चलना पड़ता है
मुश्किल और तब बढ़ जाती है
जब ‘खुश हूं मैं’ कहना पड़ता है।
***
छोटा समझ के किसी को यूं नकारा नहीं करते
बीज को आकार से उसके नापा नहीं करते
हो हकीकत कितनी भी किताब में किसी की
आंख से पढ़ने को ही पढ़ना नहीं कहते
***
लगा के इल्ज़ाम कोई वो मुझको छोड़ जाता
तन्हाई काटने का कोई इंतजाम कर जाता
चुभते ही रहते भले, मुझे अल्फाज ही उसके
पर मुझसे थी उम्मीद उसको, ये अंदाजा लग जाता
***
उलझें रहेंगे आप सदा, एक सवाल में
छिड़ेगी जब भी बात कभी मेरे बारे में
दिल भी बहुत दुखेगा, आंखें भी रोएंगी
जब भी करोगे फैसला, तुम अपने बारे में
***
साथ देने को मन करता है, उसको तन्हा देखकर
रुलाने को जी करता है, उसकी आंखें देखकर
बह जाए गर खुलके तो, इस जी को तसल्ली हो
कैसे खुले में घूमता है, वो खुद को समेटकर
शाख में कांटे कितने भी हों
पर छांव कभी चुभती नहीं है
कोशिश जारी कितनी भी हो
आरी से पानी कटता नहीं है
***
मुश्किल नहीं है जवाब देना, बातों का उसकी
पर होंठों पर उसके कोई सवाल भी तो हो
तोड़ दूं रिवाज में उसकी तन्हाई का
कम्बख्त को मुझसे कोई शिकायत भी तो हो
***
कुछ इस कदर वो मुझे निहारता रहा
बोले बिना एक शब्द के पुकारता रहा
देता रहा दावत मुझे वो आंखों से अपनी
थी खता उसकी सजा मैं भोगता रहा
***
पीठ करके बैठा रहा, मुझे निहारने वाला
उखड़ा हुआ बैठा रहा, मुझे जोड़ने वाला
खंगालता रहा मैं अपनी, यादों के पुलिंदे
फारिग वो बैठा रहा, मसरूफ करने वाला
***
तारीफ कर रहे हैं सब, मेरी इस जहान में
क्या जानते नहीं हैं वो, अभी मैं नहीं मरा
निभा रहे हैं सब रिवाज जीते जी मेरे
जिंदा दफन करके क्या उनका, दिल नहीं भरा
***
तिनके को बहाना बनाया है
कभी आँखों में पानी मारकर
कभी रोने का शोर छुपाया है
नहाते में नलका खोलकर
***
आज लौटा है तो, वो मांगने सामान अपना
हाल पूछा भी तो, सुना के फैसला अपना
बात भी क्या हुई सिर्फ सवाल हुए
सफाई देने में किस्सा तमाम हुआ अपना
***
कतरन ही रहने दो मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दो
ऐसा न हो जुड़ने से मैं, कहीं पढ़ने में आ जाऊं
मत बिछाओ पलकों को तुम इंतजार में मेरी
ऐसा न हो मैं आंसू बनकर, आंखों में आ जाऊं
***
ज्यादा लिखा मैंने अगर, तो बनकर किताब रह जाऊंगा
आया नहीं हूं हाथ अब तक, फिर एक बार में आ जाऊंगा
रख देगा फिर गुलाब कोई सूखने को मुझमें
या बनके मैं संग्रह किसी का, अलमारी में रह जाऊंगा
***
अपने बारे में कहूंगा तो कईयों का जिक्र हो जाएगा
मानते हो जिनको भला वो भी बुरा हो जाएगा
छोड़िये क्या छेड़नी बातें मेरे जहन की
मेरे बयां से मेरा कोई अपना खफा हो जाएगा
Saturday, March 15, 2008
shayaria sms
- Roshani ki chah mein, aah nikal jati haiKoshishein laakh karein, pakad na aati hai;Bahut unchayee per pahunch kar, na chchoo sakaJab bhi chchuna chaha, jindagi bhag jati hai.Yeh mohabbat, sari yadein, mahkti mulaquateinNikhari baaton ko, jindagi jod lati hai;Judane ke daur mein na tootne ki, lee gayi kasmeinPakdane ke khwahish mein, roshani toot jati hain.Roshan tumhare chehre ka, bana main muridTumhari roshani se, syah duniya badal jati hai;Jindagi rail ki patri si, chalti nahin kayon sidheAndhere ke hain kayee rang, ek roshani na pakad aati hai. Roshani khwab hai ya ki, haquiquat hai jamane kiRoshani sath na ho to, Duniya so jati hai;Yun hi karte raho roshan, andhera darata haiTumhari yaad se ho roshan, jindagi Ro jati hai.
Khali bartanon ke samanKhali ho raha insaan, akdta hai;Aapas mein takra kar, macha raha shorAkele mein lekin, khud se darta hai.Bahut kuchch paa lene ke, baad bhiBahut kuchch ka, man karta hai;Bahut ranginion se, gujar gayi jindagiBahut safed sa kyon, tan-man lagta hai.Bhagte-daudate thake paon, na rukna chaheJamane ke raftar per apna, bus kahan chalta hai;Make up se chchupane ka, sab sikh rahe salikaBefikr jindagi mein aub, insaan kahan dhalta hai.Her kadam per karna padta hai, samjhuta sabkoHer koi dohari jindagi ka, sabak padhta hai;Her lamhe mein chchupa hai, koi na koi dhokhaHer kadam ladkhadate, jindagi thame chalta hai.
Daur-e-waqt mein alfaz kathin lagte hainBahut kam log, shairy ki samjh rakhte hain;Bahut gahre mein utarne se dar lagta haiWahan jyadatar log matlab na samjhte hain.Faiz jaise ko samjhne wale hain, bahut kamAaj ke log to gazlon ko, kam samjhte hain;Hake-fulke likh kar, shairy naye logon tak layeinApni tahjeeb aur tamaddun ki, kam log samjh rakhte hain.Aapne jo kaha wo thik baatein hain, khushi jiGaharayee liye lafzon se, jyadatar bachte hain;Group ke sab poet, padh chuke aapka mailDekhiye aub we aage, kaisa-kaya likhte hain.
Aankh ban jati hai sawan ki ghata shaam ke baad Laut aata hai agar koyee khafa shaam key baad Wo jo tal jati rahi sar se balaa shaam ke baad Koi to tha ke jo detaa thaa duaa sham ke baad Aahen bharti hai shabe hijr yateemo ki tarah Sard ho jati hai har roz hawa shaam ke baad Log thak haar ke so jate hain lekin jaana Hum ne khush ho ke tera dard saha sham ke baad Shaam se pehle talak lakh sulaayen rakkhen Jaag uth ti muhabbat ki ana shaam ke baad Din ajab mutthi mai jakdey huye rakhta hai mujhe Mujh ko is baat ka ahsaas huaa shaam ke baad
Bewafa sanam se to cigarette achhi hai,Bewafa sanam se to cigarette achhi hai,Dil jalati hai, par hoto se to lagti hai.Voh Sadak Ke Us Paar Thi Hum Sadak Ke Is Paar TheKuch Hum Aage Badhe, Kuch Voh Aage BadhiHum Kuch Aur Aage Badhe, Voh Bhi Kuch Aur Aage BadhiHum Aur Bhi Aage Badhe, Voh Bhi Aur Aage BadhiAb Hum Sadak Ke Us Paar Hein, Aur Voh Sadak Ke Is PaarHein.Tum aa gaye ho ; Noor aa gaya haiChalo teeno picture challe.....Door se dekha to kuchh dikha nahi......Dooor se dekhaaa.. to kuchh dikha nahi....Paas jake dekhaa to kuchh tha hi nahi.
Mere Dil Ki Khushabu
Mujhe koyi Deewana kahata Hai
Koyi pagal samjhata hai
Magar dharti ki bechaini ko
Sirf badal samjhata hai
Tu mujhse door kaisi hai
Mai tere se door kaisa hu
Ye mera dil samjhata hai ya
Tera dil samjhata hai
Mohabbat
Ek ehsaso ka dariya hai
Kabhi shayam deewana tha
To aaj Meera deewani hai
Yaha sab log kahte hai
Teri aankho me aansu hai
Meri jaan jo tu samjhe to ye Moti hai
Na samjhe to paani hai !!!
Hai Naaaaaaaaaaa ?
Aap Kya Jaano Hum aapko Kitna Yaad Karte Hai! Mano Yaa NA Mano Har Pal Faryad Karte Hai, Roz Khat Likhte Hai Cartoon Netwrok Ko, Aur Bas Aapko Hi Dekhne Ki Maang Karte Hai!!! koi kahe bevafa yaar se, tujhse vafa ki ummid laga baithetujhse judai ke aalam main, milne ki ummid laga baithe ek jaan niklene ki der hai, tere didar ki ummid laga baithetu na sahi teri yaad to hai ankahikis dil se ishq ki ummid laga baithe Ghaayal Kiya Jab Apnno Neghaayal kiya jab apnno ne,to gairon se gilla kiya kerna uthaye hai khanjer jab apno ne,to zindgi ki tammna kiya kerna dil tha aik kanch ka gher ,so aakhir wo bhi toot gyia qismat main likhye hain jb gum,to khuda se gila kiya kernatersti rahi zindagi bher jin sacchey rishton ke liye jab unhon ne hi thukera diya, to garon se tawqo kiya kernajis ko smjha tha apna, jis ko bnaya tha apna razdan osi ne jb dil torr diya, to gaer ko apna ker kiya kernamuskerana jo bhool gaye hont shazi,to kiya hua gum ko bna liya hye apna, to muskera ke ab kiya kerna "KOI HUM SEY PUCHEY" Tanhaiyon Ka Zehar Peena Kesa Lagta Hai Koi Hum Sey puchey Kisi Ki Yadoon Main Khoyey Rehna Kesa Lagta Hai Koi Hum sey Puchey Kabhi Akeley Main Apnay Aap Hi Hans Dena Kesa Lagta Hai Koi Hum sey puchey Kabhi Tanha Bethe Bethe Khud Hi RoLena Kesa Lagta Hai Koi Hum Sey Puchey Kissi Ke Intizar Ki Bechaini Main Taraptey Rehna Kesa Lagta Hai Koi Hum Sey Puchey Yeh Jaan Kar Bhi ke Aanay Wala Aye Ga Nahin Us Ki Rahoon Main Palken Bichaey Baithna Kesa Lagta Hai Koi Hum sey puchey Neend To Ankhon Se Koson Meel Door Hai Yeh Soch Kar Raton Ko Tarey Ginna Kesa Lagta Hai Koi Hum Sey puchey Kiya Pata Agli Subha "UN" Ka Deedar Naseeb Ho Yeh Sooch Kar Khuda Sey Dua Mangtey Rehna Ke Abhi Din Ka Ujala Ho Jaey Kesa Lagta Hai Koi Hum Sey Puchey....!
Kuch Masoom Say Jazbey Hain,Kuch Un-dekhay Sapney Hain,Mager Woh Naheen Janta Shayad...!!!Meri bhi Zindagi To ............ .Hai..!!! !!!
Tufan mein kashti ko kinare bhi milte hainjahaan mein logon ko sahare bhi milte hainduniya mein sabse pyari hai zindagikuch log zindagi se pyare bhi milte hain.
Har kadam pe imtihaan leti hai ZindagiHer waqt naye sadme deti hai ZindagiHum Zindagi se shikwa kaise kare?Aap Jaise Pyaare Dost Bi tho deti hai Zindagi.Zindagi mein hamesha naye log milengeKahi Zyaada tho kahi kam milengeAitbaar zara sochkar karnaMumkin nahi her jagah tumhe manzal hii milegi.
rajsharmaKal fir yehi sama hoga ham me se kaun na jane kaha hoga. murzaye ful to mil jaynge kitabo me, par bichade hue dost ka shayad hi koi pata hoga
Apki Dosti Ki ek Nazar Chahiye, Dil hai beghar use ek ghar Chahiye, Bas yuhi sath chalte raho aie dost, Ye dosti hame umar bhar Chahiye.
Dosti gazal hai gungunane ke liye,dosti nagma hai sunane ke liye. Yeh woh jazba hai jo sabko milta nahin, kyunki dil chahiya ise nibhane ke liye
Raate Gumnaam Hoti Hai, Din Kisi Ke Naam Hota Hai, Hum Zindagi Kuch Is Tarah Jite Hai Ki Har Lamha Dosto Ke Naam Hota Hai...!
Lafz aap do geet hum banayenge. Manzil aap pao rasta hum banayenge. Khushi aap do hasi hum banayenge. Sacche dost aap bano Dosti hum nibhAYE
Kahi andhera kahi sham hogi, meri har khusi tere naam hogi, ek baar ae dost kuch mang ke to dekh, hoto pe hasi aur ye jindagi tere naam hogi
CHAND ADHURA HAI SITARO KE BINA. GULSAN ADHURA HAI BAHARO KE BINA. SAMUNDAR ADHURA HAI KINARO KE BINA. JEENA ADHURA HAI TUM JAISE YARO KE BINA
Apni dosti phulon ki tarah na ho, Ek baar khile aur murjha jaye! Dosti ho to kanto ki tarah ho! Jo ek bar chube to baar baar YAAD aaye!
Dosti ko dil se nibhayenge hum, tum bhul jao bhi to yaad dilayenge hum.. aaisi shararat Karenge hum ki na chahte hue bhi tumhe yaad Aayenge hum....
Kafi hai sapne dil ko behlane ke liye,mohabat karlo dil ko dukhane ke liye,chahe bhale pade gum se vasta,ek hamare jaisa dost rakhna sub gamo ko bhulane ke liye
Shukriya karo uus khuda ka ki usne hume banaya hai. kyonki ek pyara, accha smart,cute & beautiful sa dost humne na sahi tumne to paya hai
Aasman se utari he,Taron se Sjayi he,chand ki chandni se Nehlayi he. Smbhal ke Rkhna,Ye 'DOSTI' Meri Zindgi bhar ki kmayi he.
Jo pal pal chale wo hai zindagi jo pal pal jalti rahe wo hai roshani jo har pal khilti rahe wo hai Mohabbat jo kisi bhi pal saath na chhode wo hai dosti
Wo dosti kya jisme duriya na ho,wo apnapan hi kya jisme ladai na ho,wo dil hi kya jisme Jalan na ho, aur wo hum hi kya jisme tum na ho.
Sawal pani ka nahi pyaas ka hai,sawal maut ka nahi saans ka hai,dost to duniya me bahut hain magar, sawal dosti ka nahi VISHWAS ka hai
Aye kalam zara dhire dhire chal. Gazab ka mukam aya hai, thehar ja kuch pal ke liye. Teri nok ke neeche mere DOST ka naam aya hai.
Rahi badal jate he,Par raste nahi badalte, Tufaan aye fir bhi mousam nahi badalte,gile shikve bhale kitne ho magar sache dost nahi badalte
Dosti ko bhulna galat bat hai unhi ka zindagi bhar ka sath hai agar bhul gaye to khali hath hai aur agar sath rahe to zamana kahega WAH KYA BAT HAI
Meri dosti ka hisab lagaoge, To meri dosti ko behisab paoge, Pani ke bulbule si hai meri dosti, Jara si thes lagi to dhoondte reh jaoge
Apni jindgi mein mujhe sharik samjna,koi gam ayeto karib samjna,de saku muskrahat ansuon ke badle mein,hazaron dosto mein thoda aziz samjna.
Hawa me taash ka Ghar nahi banta,rone se bigda muqaddar nahi banta,duniya jitne ka hausla rakh e dost,1 jeet se koi sikandandar nahi banta.
Saathi sirf woh nahi hota jo jeevan bhar saath nibhaye; Saathi to woh bhi hai jo jivan ke kuch palon mein bhi jeevan bhar ka saath de jaaye
Mith intazar te intazar nalo yaar mitha, Mitha yar te yar nalo pyar mitha, Mitha pyar te pyar nalo mithi sadi yaari, Es to mitha kuj na milna lab layi duniya sari.
Akhan di benuri changi nahin hundi, Dostan ton duri changi nahin hundi, Kade kade milya vi kar yaara, Har vele SMS naal gal puri nahin hundi
Gulshan me gul khilte hai,Tabhi to aap jaise log milte hai.Humse kabhi khafa na hona e mere DOST,Suna hai apni DOSTI par log jalte hai
Duniya kaheti hai hum jiske dost hai vo chand ka 1 tukda hai, par hum kehete hai hamare jo dost hai chand uska 1 tukda hai
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