Saturday, March 15, 2014

एक छोटी सी कहानी-- बॉडीगार्ड Hindi Story


एक छोटी  सी कहानी--

 बॉडीगार्ड 

“साहब, यहाँ दो लाशें मिली है” हवलदार ने बोला तो इनस्पेक्टर विक्रांत वॉकी टॉकी रख कर दौड़ा दौड़ा उस जगह पर पहुँच गया. “पानी में रहने के कारण शरीर इतना फूल गया है के शिनाख्त करना मुश्किल है अभी” विक्रांत के वहाँ पहुँचते ही हवलदार बोला. यह सॉफ पता चल रहा था के एक लाश लड़की की है और दूसरी किसी आदमी की. 

“ह्म्म..एक लाश तो इनस्पेक्टर विक्रम की लग रही है. हाथ के टॅटू से पता चलता है. लगता है विक्रम के केस से इस का कुछ लेना देना है. ले चलो इससे मुर्दाघर में. देखते हैं के इसका क्या कर सकते हैं.” विक्रांत बोला और फिर अपनी जीप में बैठ कर पोलीस स्टेशन चला गया. 

2 दिन पहले 

“सुन बे.. तू कोमिशनर होगा अपने घर का. तेरे को एक बार बोला के कल पप्पू को एक जैल में से दूसरी में शिफ्ट करना है, तो मान जा.” 

“यह धमकी तुम किसी और को देना. अगर मैं ऐसी गीदड़ धमकियों से डरने वाला होता तो कभी पोलीस फोर्स जाय्न नही करता. मैं जानता हूँ के पप्पू को तुम इसलिए शिफ्ट करवाना चाहते हो ताकि उसको रास्ते में से उठा सको. मेरे जीते जी यह मुमकिन नही होगा” 

“अपना नहीं तो अपनी 19 साल की बच्ची का तो कुछ सोच कमिशनर. महानगर जैसी जगह पर तूने उससे भेज तो दिया है, लेकिन उसस्की हिफ़ाज़त कैसे करेगा? चल सौदा कर लेते हैं. तेरी बेटी की जान के बदले में पप्पू की जैल बदली का ऑर्डर. मंज़ूर है?” 

“मुझे कुछ भी मंज़ूर नही है. और जहाँ तक मेरी बेटी का सवाल है, वो बिल्कुल सुरक्षित है. मैने भी कोई कच्ची गोलियाँ नही खेली हैं.” 

“ठीक है.. तो फिर कल सुबह 10 बजे तुझे कॉल करूँगा. उम्मरर्द करता हूँ के तब तक तू सारे पेपर्स तय्यार रखेगा पप्पू की रिहाई के लिए” और फोन कट गया 

कमिशनर ने फटाफट एक और फोन घुमाया. “विक्रम.... सब कुछ ठीक है ना वहाँ... आज हमला हो सकता है. मेरी बेटी को मेरे तक पहुँचाना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है” 

“सब कुछ बिल्कुल ठीक है. वो मेरी नज़रों के सामने ही है सर. मैं उससे लेकर वापस मुंबई आता हूँ” विक्रम ने बोला और फोन काट दिया. कमिशनर ने फिर से एक फोन घुमाया. 

“हेलो बेटी.. कैसी हो.. और यह शोर कैसा है” 

“पापा मैं दोस्त की पार्टी में हूँ. बाद में बात करते हैं” 

“बेटी मेरी बात ध्यान से सुनो. तुम्हारी जान को ख़तरा है. मेरा एक इनस्पेक्टर तुम्हारे पास आएगा और जल्द ही तुम्हें ले कर वापस यहाँ आएगा. इनस्पेक्टर का नाम विक्रम है. ध्यान से रहना” 

“क्या पापा आप भी. छ्होटी छ्होटी बातों पर चिंतित हो जाते हैं.. कुछ नही होगा मुझे..” 

“जैसा मैं कहता हूँ, वैसा करो बस. मुझे आगे कुछ नही सुनना” कमिशनर ने कहा और फोन काट दिया. “यह आज कल के बच्चे.. यह सोचते हैं के इनके मा बाप बस पागल ही हैं. इतनी इंपॉर्टेंट बात है और साहबज़ादी को पार्टी की पड़ी है” उसने अपनी पत्नी से कहा. 

दूसरी तरफ महानगर के एक बहुत ही पॉपुलर डिस्को में निशा का पारा चढ़ा हुआ तहा. “यार यह तो हद ही हो गयी है. किसी भी छ्होटे-मोटे क्रिमिनल की धमकियों से डर कर पापा पता नही मेरी ज़िंदगी में क्यूँ अड़चने डालते हैं. कभी यहाँ शिफ्ट करते हैं तो कभी वहाँ. यही कारण है के इस उमर में आज तक मेरा कोई बॉय फ्रेंड नही बना” अपने बालों को पीछे करते हुए और वोड्का का शॉर्ट लेते हुए निशा ने अंजलि से कहा 

“अर्रे कह रहे हैं तो कुछ इंपॉर्टेंट ही होगा. चिंता मत कर सब कुछ ठीक हो जाएगा.. वो देख वो हॅंडसम घूम रहा है जो काई दिन से तेरा पीछा कर रहा है” अंजलि ने बोला तो निशा ने उसके इशारे की ओर देखा जहाँ वो आदमी खड़ा हुआ था. एक दम कसा हुआ शरीर, छ्होटे छ्होटे बॉल, आँखों पे इतनी रात में भी काला चश्मा और हल्की मूँछे. उसको अपने पास आते देखते ही निशा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. 

“निशा.. आइ एम इनस्पेक्टर विक्रम. हमारे पास टाइम बहुत कम है. जल्दी से मेरे साथ चलो” 

“मुझे कहीं नही जाना” निशा उसको बोली 

“टाइम नही है निशा.. मुझे मजबूर मत करो” वो उसके थोड़ा और पास होते हुए बोला. तभी एक गोली चली जो विक्रम के कान के पास से होकर गुज़री और पीछे रखी बॉटल्स से टकराई. पूरे डिस्को में अफ़रा तफ़री मच गयी. “देखा.. जल्दी उठो” विक्रम ने कहा और निशा का हाथ पक्कड़ के उसको पीछे वाले दरवाज़े की तरफ खींचने लगा. उसने अपनी जॅकेट में से एक पिस्टल भी निकाल ली थी. जैसे ही वो बाहर आए तो विक्रम उसे ले कर अपनी वहाँ पर पहले से रखी लॅंड रोवर की तरफ चलने लगा. तभी कदमों की आहट हुई और विक्रम ने निशा को चाबी पकड़ाते हुए बोला, “यह लो चाबी. गाड़ी को बॅक कर के यहाँ ले कर आओ. मैं इन लोगों को रोकता हूँ” निशा चाबी ले कर गाड़ी की तरफ भागने लगी और विक्रम पास में पड़े एक लोहे के बोर्ड के पीछे चुप गया. तभी उसने देखा के सामने से दो लोग भागे भागे आ रहे हैं. निशानेबाज़ी में तो विक्रम चॅंपियन ही था. उससने निशाना साधा और ठीक उनके माथे के बीच एक एक गोली मार दी. दोनो वहीं पस्त हो गये. तब तक निशा भी गाड़ी ले कर आ गयी तही. उसने जल्दी से निशा को पर्सेंजर सीट पर जाने का इशारा किया और उसके शिफ्ट होते ही खुद ड्राइवर सीट में बैठ गया और गाड़ी भगा दी. 

वो थोड़ी ही दूर गये थे के विक्रम ने अपना फोन उठाया और एक नंबर मिला दिया. “निशा मेरे साथ ही है. हम जल्द ही पहुँच जाएँगे.” उससने बोला और फोन काट दिया. फिर गाड़ी में रखे वॉकी टॉकी को ट्यून करने लगा. “उन्न गुण्डों ने मोबाइल्स की जगह वॉकी टॉकी का यूज़ करना उचित समझा हैं क्यूंकी महानगर का एरिया ज़्यादा नही है. किस्मत से उनकी फ्रीक्वेन्सी मैं कॅच कर लूँगा और पता चल जाएगा के वो कहीं छुप के हमारा इंतेज़ार तो नही कर रहे.” उसका इतना कहना ही था के सिग्नल रिसेव होने लग गये. 

“ब्रिड्ज के पास गाड़ियाँ खड़ी कर दो. कोई भी गाड़ी ना निकल पाए. हमे हर हाल में निशा चाहिए” एक गरजती हुई आवाज़ सुनाई पड़ी. 

“ओह्ह नो. लगता है हम फँस गये हैं. मुझे गाड़ी कच्चे रास्ते पर उतारनी पड़ेगी. क्यूंकी हम इस हिल के एंड पर ही हैं, इस लिए ड्रॉप ज़्यादा नहीं होगा, लेकिन वो जगह पक्का उबड़ खाबड़ होगी. कस के पकड़ना. तुम्हें कोई चोट लग गयी तो मेरी नौकरी जाएगी” विक्रम ने कहा 

निशा इतनी देर से बस विक्रम को ही देखे जा रही थी. वो सोच रही थी के जिस आदमी को मॉडेल होना चाहिए, वो पोलीस की नौकरी कर रहा है. देखकर ही लगता था के विक्रम को जाइम्मिंग का बहुत शौक था. उसके बड़े बड़े डॉल देख कर तो कोई भी लड़की उस पर एक पल में ही फिदा हो जाए, तो निशा क्यूँ ना हो. उसने अपनी सीट बेल्ट पहनी और बोली, “आप इतनी रात में भी काला चश्मा क्यूँ लगाते हैं?” 

“मेडम यह दुनिया बड़ी खराब है. कुछ पता नही होता के किसका दिल गोरा है और किसका काला. किसी से धोखा खाने से अच्छा है सब काले ही नज़र आयें. कम से कम आदमी संभाल के तो रहेगा” 

“ अच्छा.. तो मैं भी तुम्हें काली ही अच्छी लगती हूँ क्या..” 

“ऐसी क्या बात है मेडम.. लो उतार देता हूँ अपना चश्मा” उसने कहा और चश्मा उतार दिया. “और यह मूचे और दादी और मेकप मास्क भी” उसने कहा और यह सब भी उतार दिया. 

“यह सही शकल ना दिखाना भी कोई फंडा है क्या?” 

“मेडम हर आदमी की अपनी भी एक ज़िंदगी होती है. पोलीस वालों की 3/4थ ज़िंदगी तो ऐसे ही ड्यूटी में ख़तम हो जाती है. मैं नही चाहता के गुंडे मुझे मेरी बची हुई ज़िंदगी में भी तंग करें. एक बार कोई चेहरा पहचान ले तो फिर कहीं भी छुप जाओ, आ ही जाते हैं दरवाज़े पे दस्तक देने.” उसने कहा तो निशा हस्ने लग गयी 

“वैसे आदमी बड़े दिलचस्प हो ...” अभी वो अपना वाक्य ख़तम भी नही कर पाई थी के विक्रम ने गाड़ी कच्चे रास्ते पर उतार दी. बहुत ही झटके लग रहे थे और निशा ने कस के खिड़की के उपर वाला हॅंडल पक्कड़ा हुआ तहा. कुछ दूर जा कर जब समतल ज़मीन आई तो विक्रम ने गाड़ी रोक दी और हेडलाइट्स बंद कर दी. 

“बाहर आ जाओ मेडम. लगता है आज की रात यहीं बितानी पड़ेगी.” 

“क्यूँ... हम यहाँ से जा क्यूँ नही सकते...” 

“जा तो सकते हैं लेकिन सिर्फ़ उल्टा. यह जो नदी यहाँ पे बह रही है, इसको पार करने के लिए उस ब्रिड्ज से जाना ज़रूरी है. वहाँ पे वो हमारा इंतेज़ार कर रहे हैं. रात यहीं काटनी पड़ेगी.” 

“चलो अच्छा है.. खुल्ले में ही रहेंगे. लेकिन यहाँ ठंड बड़ी है. चलो आग जला लेते हैं” 

“आग जला के उसको अपनी पोज़िशन और बता दे क्या.. आप आराम कीजिए. यह सोचने समझने का काम मुझ पर छ्चोड़ दीजिए. मैं कर लूँगा जो करना है.” 

“पर इस ठंड का क्या करें” निशा को बस बहाना चाहिए तहा विक्रम से लिपटने का 

“गाड़ी में एक कंबल है और आपकी पसंदीदा वोड्का. उसको पी लो और कंबल में सिमट जाओ. ठंड भाग जाएगी” 

“और आप ??” 

“हमारा क्या है मेडम.. सरकारी नौकर है. ठंड में ही पड़े रहेंगे. वैसे मुझे तो सोना भी नही है रात भर. यहाँ मेरी आँख लगी, वहाँ वो गुंडे आ कर कोई खेल खेल देंगे और पता भी नही चलेगा” 

“तुम किसी पर विश्वास नही करते ना...” 

“बिल्कुल भी नहीं. ज़माना ही ऐसा है. जिस पर विश्वास करो, वो ही गोली मारता है” विक्रम ने कंबल अंदर से निकाल लिया और वोड्का की बॉटल भी. फिर नाइट विषन बीनोकुलर्स से इधर उधर देखने लग गया. “अभी तो रास्ता सॉफ है. दूर दूर तक कोई नही है. बस चंद घंटों की बात है. उमीद करता हूँ के कोई रुकावट नही आएगी” फिर उसने फोन उठाया और फिर से मिला दिया. “हम ब्रिड्ज से दूर हैं. मेरे को-ओर्डीनटेस नोट करो. पिकप चाहिए मुझे जल्द से जल्द” और कुछ नंबर्स बताने लगा. “हां. दिन का इंतेज़ार करना ही ठीक रहेगा” और फोन काट दिया. 

“तो सुबह तक हम दोनो यहीं रहेंगे क्या इस जंगल में... अकेले??” 

“बिल्कुल.. और कोई चारा नहीं है. तुम्हें डर तो नही लग रहा ना..” 

“बिल्कुल भी नहीं. मुझे विश्वास है के तुम मेरी रक्षा करोगे. आख़िर पापा ने कुछ सोच कर ही तुम्हें मेरा बॉडी गार्ड रखा होगा” 

“हां हां. बॉडी गार्ड बना दो अब मुझे. चलो अब यह कंबल ओढ़ लो. अगर तुम्हें ज़ुकाम भी हो गया तो मेरी खैर नही होगी” विक्रम ने बोला 

“तुम कब तक ऐसे ही पहरा देते रहोगे. आ कर मेरे पास बैठ जाओ. घुस जाओ तुम भी कंबल में.” वोड्का के सीप लेते हुए निशा ने बोला 

“अगर आपके पापा को पता चल गया ना मेडम.. तो मुझे हमेशा के लिए ठंडा करवा देंगे. मैं यहीं ठीक हूँ” 

“अर्रे आओ ना.. कौन बताएगा पापा को? तुम या यहाँ की खामोशी? मैं तो नही बताउन्गि” निशा के काई बार आग्रह करने पर विक्रम उसस्के साथ संबल में घुस गया. उन दोनो ने अपनी पीठ एक पेड़ से सटाई हुई थी और कंबल ओढ़े नदी की तरफ देख रहे थे. नदी का बहाव काफ़ी तेज़ था. 

“तुम्हें कभी डर नही लगता इस नौकरी से?” उसस्के जिस्म का स्पर्श पा कर निशा को मज़ा आने लग गया था.. 

“डरते वो हैं जिनको अपने उपर विश्वास नही होता. मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं है. ड्यूटी करता हूँ और अपना घर चलाता हूँ” 

“कौन कौन है तुम्हारे घर में” 

“कोई नही है और. अकेला हूँ. खुश हूँ” निशा के बार बार वोड्का उसके आगे करने से अब उसका भी मॅन बन गया था और उसने भी एक बड़ा घूंठ मार ही लिया 

“कैसी बीवी चाहिए तुम्हें” निशा उसस्के और करीब होते हुए बोली. अब वो एकदम उससे चिपक ही गयी थी. 

“कभी सोचा नहीं मेडम. और प्लीज़ थोड़ा सास लेने के लिए तो जगह दीजिए. पता है के ठंड है, लेकिन इतना करीब होना अच्छा नही लगता पराई लड़की के” 

“हा हा हा.. बॉल ब्रह्मचारी टाइप्स हो तुम मतलब. अर्रे कभी तो ऐसा करोगे ही... मुझमें क्या बुराई है...” 

“बुराई कोई नहीं है, रिस्क बहुत है यहाँ. मेरी नौकरी का रिस्क, हमारी जान को रिस्क. बस चुप चाप यह गटक जाओ और सो जाओ” विक्रम ने बॉटल वापस उसकी तरफ करते हुए कहा. निशा तो पहले से ही सुरूर में थी. और पी कर कब उसकी आँख लग गयी, उससे पता भी नहीं चला. जब सुबह उसकी नींद खुली तो उसने पाया के कंबल के साथ साथ विक्रम का जॅकेट भी उसके उपर पड़ा हुआ है, लेकिन फिर भी उसकी ठंड नही रुक रही थी. विक्रम भी उसके साथ नही था. उसने नज़र इधर उधर दौड़ाई तो पाया के दूर विक्रम खड़ा हुआ है और बीनोकुलर्स से कुछ देख रहा है. वो खड़ी हुई और अपने कपड़े झाड़ने लगी. कुछ ही पलों में विक्रम उसके पास आ गया था. 

“आप तो बड़ा ज़्यादा गहरा सोती हो मेडम जी. 11 बज गये हैं. मुझे दूर से एक बोट आती दिख रही है. शायद आपको लेने के लिए ही भेजी है. लगता है काम बन गया” 

“चलो अच्छा हुआ. वैसे यह इतनी गंदी बदबू कहाँ से आ रही है?” 

“पता नहीं.. शायद आस पास कोई जुंगली जानवर मर गया होगा. उससी की होगी.. जा कर नदी पे अपना मूह हाथ धो लो...” 

“वैसे हम निकले क्यूँ नही अभी तक.. हम गाड़ी में बैठ कर भी तो जा सकते थे..” 

“गाड़ी का टाइयर पंक्चर हो गया है. जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो प्ल्ज़. ज़्यादा टाइम नही है” विक्रम ने कहा तो निशा भाग के जा कर अपना मूह धोने लगी. तभी उससने देखा के एक बोट उनकी तरफ आ रही है. देखने में तो मोटरबोट जैसी लग रही थी पर आवाज़ बिल्कुल नही थी. उसने थोड़ा इंतेज़ार किया और जैसे जैसे मोटरबोट पास आती गयी, उसके अंदर डर बढ़ता गया. उस मोटरबोट के सामने काले कपड़े पहने कुछ गुंडे टाइप के लोग खड़े थे जिनके हाथ में बड़ी बड़ी बंदूके थी. वो दौड़ कर वापस आई और सब कुछ विक्रम को बता दिया. 

“डरो मत. मैं हूँ ना. बस मेरे साथ रहना. सब ठीक हो जाएगा” उसने कहा और अपनी पिस्टल निकाल ली. दोनो पेड़ों के बीच छिप कर मोटरबोट के आने का इंतेज़ार करने लगे. “मेरे पीछे पीछे आओ. मेरे कंधे पे अपना हाथ रख लो ताकि तुम मुझसे अलग ना हो” उसने कहा और धीरे धीरे पेड़ों की आड़ में निशा को नदी की तरफ ले जाने लगा. अब मोटरबोट पहुँच चुकी थी. उसमे से वो लंबे चौड़े 4 आदमी निकले और उनके साथ एक सफेद कपड़े पहना आदमी भी निकला. निशा और विक्रम उन लोगों के काफ़ी पास आ गये थे. विक्रम ने निशा का हाथ पकड़ा और उससे खींचते हुए जल्दी से उन आदमियों के पास ले गया. 

“वेलकम अमर. हमे पूरा यकीन था के तुम हमारा काम ज़रूर करोगे.” 

“काम हो गया है. पैसे कहाँ है” विक्रम बोला. निशा का दिल उसके गले में आ कर अटक गया. 

“यह रहे पैसे. पूरे 5 लाख हैं. जैसा के तय हुआ था” उस आदमी ने नोटों से भरा बॅग विक्रम को देते हुए कहा. 

“और यह रही लड़की, जैसा के तय हुआ था” 

निशा निशब्ध वहाँ खड़ी हुई थी. रह रह कर उसके ज़हेन में विक्रम की कही बातें आ रही तही. “यह दुनिया बड़ी खराब है. कुछ पता नही होता के किसका दिल गोरा है और किसका काला. किसी से धोखा खाने से अच्छा है सब काले ही नज़र आयें. कम से कम आदमी संभाल के तो रहेगा” 

“इसका बाप तो जितना सोचा था, उससे कहीं ज़्यादा फटतू निकला. पप्पू को सुबह 9 बजे ही ट्रान्स्फर करने का प्लान बना लिया. ठीक 10.30 पर हमने उसको अगुवा भी कर लिया. अब इसकी हमे कोई ज़रूरत नही है. इसको वापस छ्चोड़ आओ” वो आदमी बोला. उसके साथ के गुंडे विक्रम की कार में से कुछ निकाल रहे थे. 

“वापस तो नही छ्चोड़ सकता इसे. आज तक पोलीस से बचा हुआ हूँ क्यूंकी यह चेहरा किसी ने नही देखा. लेकिन यह लड़की तो सारा खेल बिगाड़ सकती है” 

“तो इसका जो करना है करो.” 

“प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो. मैं किसी को कुछ नही बताउन्गी. प्लीज़. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ” 

“मैने पहले ही कहा था के मैं किसी पर विश्वास नही करता” निशा के दिमाग़ में फिर उसके वो शब्द गूँजे “ज़माना ही ऐसा है. जिस पर विश्वास करो, वो ही गोली मारता है” और इससे पहले वो कुछ कह या कर पाती, एक तेज़ आवाज़ हुई और उसकी आँखों के बीच में आ के एक गोली लगी. वो वहीं गिर के मर गयी. “तुम्हारे गुण्डों ने मेरी गाड़ी से विक्रम की लाश भी निकाल ली होगी. दोनों लाशों को नदी के बीच में फेंक देना. जब तक कोने पे आएँगी, मैं इस देश से बाहर होऊँगा” अमर ने कहा और पैसों का बॅग ले कर अपनी कार की तरफ चल पड़ा. 

समाप्त 






Bodyguard

“Sahab, yahan do laashein mili hai” hawaldar ne bola to inspector vikrant walky talky rakh kar dauda dauda uss jagah par pahunch gaya. “paani mein rehne ke karan shareer itna phool gaya hai ke shinaakht karna mushkil hai abhi” vikrant ke wahan pahunchte hi hawaldar bola. Yeh saaf pata chal raha thha ke ek laash ladki ki hai aur doosri kisi aadmi ki.

“hmm..ek laash to inspector vikram ki lag rahi hai. Haath ke tatoo se pata chalta hai. lagta hai Vikram ke case se iss ka kuch lena dena hai. Le chalo isse murdaghar mein. Dekhte hain ke isska kya kar sakte hain.” Vikrant bola aur fir apni jeep mein baith kar police station chala gaya.

2 Din Pehle

“Sun be.. tu comissioner hoga apne ghar ka. Tere ko ek bar bola ke kal pappu ko ek jail mein se doosri mein shift karna hai, to maan jaa.”

“yeh dhamki tum kisi aur ko dena. Agar main aisi geedad dhamkiyon se darne waala hota to kabhi police force join nahi karta. Main jaanta hoon ke pappu ko tum isliye shift karwana chahte ho taaki ussko raste mein se utha sako. Mere jeete ji yeh mumkin nahi hoga”

“apna nahin to apni 19 saal ki bachchi ka to kuch soch commissioner. Mahanagr jaisi jagah par tune usse bhej to diya hai, lekin usski hifazat kaise karega? Chal sauda kar lete hain. Teri beti ki jaan ke badle mein pappu ki jail badli ka order. Manzoor hai?”

“mujhe kuch bhi manzoor nahi hai. Aur jahan tak meri beti ka sawaal hai, wo bilkul surakshit hai. Maine bhi koi kachchi goliyan nahi kheli hain.”

“theek hai.. to fir kal subah 10 baje tujhe call karunga. Umeed karta hoon ke tab tak tu saare papers tayyar rakhega pappu ki rihai ke liye” aur phone kat gaya

Commissioner ne phatafat ek aur phone ghumaya. “Vikram.... sab kuch theek hai na wahan... aaj hamla ho sakta hai. Meri beti ko mere tak pahunchaana tumhaari zimmedari hai”

“sab kuch bilkul theek hai. Wo meri nazaron ke saamne hi hai sir. Main usse lekar waapas Mumbai aata hoon” vikram ne bola aur phone kaat diya. Commissioner ne phir se ek phone ghumaya.

“hello beti.. kaisi ho.. aur yeh shor kaisa hai”

“papa main dost ki party mein hoon. Baad mein baat karte hain”

“beti meri baat dhyaan se suno. Tumhaari jaan ko khatra hai. Mera ek inspector tumhaare paas aayega aur jald hi tumhein le kar waapas yahan aayega. Inspector ka naam Vikram hai. Dhyaan se rehna”

“kya papa aap bhi. Chhoti chhoti baaton par chintit ho jaate hain.. kuch nahi hoga mujhe..”

“jaisa main kehta hoon, waisa karo bas. Mujhe aage kuch nahi sunna” commissioner ne kaha aur phone kaat diya. “yeh aaj kal ke bachche.. yeh sochte hain ke inke maa baap bas pagal hi hain. Itni important baat hai aur sahabzaadi ko party ki padi hai” ussne apni patni se kaha.

Doosri taraf mahanagar ke ek bahut hi popular disco mein nisha ka paara chadha hua thha. “yaar yeh to hadh hi ho gayi hai. Kisi bhi chhote-mote criminal ki dhamkiyon se darr kar papa pata nahi meri zindagi mein kyun adchane daalte hain. Kabhi yahan shift karte hain to kabhi wahan. Yehi karan hai ke iss umar mein aaj tak mera koi boy friend nahi bana” apne baalon ko peeche karte hue aur vodka ka short lete hue nisha ne anjali se kaha

“arrey keh rahe hain to kuch important hi hoga. Chinta mat kar sab kuch theek ho jayega.. wo dekh wo handsome ghoom raha hai jo kayi din se tera peecha kar raha hai” anjali ne bola to nisha ne usske ishaare ki ore dekha jahan wo aadmi khada hua thha. Ek dum kasaa hua shareer, chhote chhote baal, aankhon pe itni raat mein bhi kala chashma aur halki moonchien. Ussko apne paas aate dekhte hi nisha ka dil zor zor se dhadakne laga.

“nisha.. i m inspector vikram. Humaare paas time bahut kam hai. Jaldi se mere saath chalo”

“mujhe kahin nahi jaana” nisha ussko boli

“time nahi hai nisha.. mujhe majboor mat karo” wo usske thoda aur paas hote hue bola. Tabhi ek goli chali jo vikram ke kaan ke paas se hokar guzari aur peeche rakhi bottles se takrayi. Poore disco mein afra tafri mach gayi. “dekha.. jaldi utho” vikram ne kaha aur nisha ka haath pakkad ke ussko peeche waale darwaaze ki taraf kheenchne laga. Ussne apni jacket mein se ek pistol bhi nikal li thhi. Jaise hi wo bahar aaye to vikram usse le kar apni wahan par pehle se rakhi land rover ki taraf chalne laga. Tabhi kadmon ki aahat hui aur vikram ne nisha ko chaabi pakdaate hue bola, “yeh lo chaabi. Gaadi ko back kar ke yahan le kar aao. Main in logon ko rokta hoon” nisha chaabi le kar gaadi ki taraf bhaagne lagi aur vikram paas mein pade ek lohe ke board ke peeche chup gaya. Tabhi ussne dekha ke saamne se do log bhaage bhaage aa rahe hain. Nishaanebaazi mein to vikram champion hi thha. Ussne nishaana saadha aur theek unke maathe ke beech ek ek goli maar di. Dono wahin past ho gaye. Tab tak nisha bhi gaadi le kar aa gayi thhi. Ussne jaldi se nisha ko pessenger seat par jaane ka ishaara kiya aur usske shift hote hi khud driver seat mein baith gaya aur gaadi bhaga di.

Wo thodi hi door gaye thhe ke vikram ne apna phone uthaya aur ek number mila diya. “nisha mere saath hi hai. Hum jald hi pahunch jayenge.” Ussne bola aur phone kaat diya. Fir gaadi mein rakhe walky talky ko tune karne laga. “unn gundon ne mobiles ki jagah walky talky ka use karna uchit samjha hain kyunki mahanagar ka area zyaada nahi hai. Kismat se unki frequency main catch kar lunga aur pata chal jayega ke wo kahin chhup ke humara intezaar to nahi kar rahe.” Usska itna khena hi thha ke signal recieve hone lag gaye.

“bridge ke paas gaadiyan khadi kar do. Koi bhi gaadi na nikal paye. Humein har haal mein nisha chahiye” ek garajti hui awaaz sunayi padi.

“ohh no. Lagta hai hum fans gaye hain. Mujhe gaadi kachche raaste par utaarni padegi. Kyunki hum iss hill ke end par hi hain, issliye drop zyaada nahin hoga, lekin wo jagah pakka ubad khaabad hogi. Kas ke pakkadna. Tumhein koi chot lag gayi to meri naukari jayegi” vikram ne kaha

Nisha itni der se bas vikram ko hi dekhe jaa rahi thhi. Wo soch rahi thhi ke jiss aadmi ko model hona chahiye, wo police ki naukari kar raha hai. Dekhkar hi lagta thha ke vikram ko gymming ka bahut shauk thha. Usske bade bade daule dekh kar to koi bhi ladki usspar ek pal mein hi fida ho jaye, to nisha kyun na ho. Ussne apni seat belt pehni aur boli, “aap itni raat mein bhi kaala chashma kyun lagate hain?”

“madam yeh duniya badi kharab hai. Kuch pata nahi hota ke kisska dil gora hai aur kisska kaala. Kisi se dhokha khaane se achcha hai sab kaale hi nazar aayein. Kam se kam aadmi sambhal ke to rahega”

“ achcha.. to main bhi tumhein kaali hi achchi lagti hoon kya..”

“aisi kya baat hai madam.. lo utaar deta hoon apna chashma” ussne kaha aur chashma utar diya. “aur yeh mooche aur daadi aur makeup mask bhi” ussne kaha aur yeh sab bhhi utaar diya.

“yeh sahi shakal na dikhana bhi koi funda hai kya?”

“madam har aadmi ki apni bhi ek zindagi hoti hai. Police waalon ki 3/4th zindagi to aise hi duty mein khatam ho jaati hai. Main nahi chahta ke gunde mujhe meri bachi hui zindagi mein bhi tang karein. Ek baar koi chehra pehchaan le to fir kahin bhi chup jao, aa hi jaate hain darwaze pe dastak dene.” Ussne kaha to nisha hasne lag gayi

“waise aadmi bade dilchasp ho ...” abhi wo apna vaakya khatam bhi nahi kar payi thi ke vikram ne gaadi kachche raaste par utaar di. Bahut hi jhatke lag rahe thhe aur nisha ne kas ke khidki ke upar waala handle pakkada hua thha. Kuch door jaa kar jab samtal zameen aayi to vikram ne gaadi rok di aur headlights band kar di.

“bahar aa jao madam. Lagta hai aaj ki raat yahin bitani padegi.”

“kyun... hum yahan se jaa kyun nahi sakte...”

“jaa to sakte hain lekin sirf ulta. Yeh jo nadi yahan pe beh rahi hai, issko paar karne ke liye uss bridge se jaana zaruri hai. Wahan pe wo humaara intezaar kar rahe hain. Raat yahin kaatni padegi.”

“chalo achcha hai.. khulle mein hi rahenge. Lekin yahan thand badi hai. Chalon aag jala lete hain”

“aag jala ke usko apni position aur bata de kya.. aap aaram kijiye. Yeh sochne samajhne ka kaam mujh par chhod dijiye. Main kar lunga jo karna hai.”

“par iss thand ka kya karein” nisha ko bas bahana chahiye thha vikram se lipatne ka

“gaadi mein ek kambal hai aur aapki pasandida vodka. Ussko pee lo aur kambal mein simat jao. Thand bhaag jayegi”

“aur aap ??”

“humaara kya hai madam.. sarkaari naukar hai. Thand mein hi pade rahenge. Waise mujhe to sona bhi nahi hai raat bhar. Yahan meri aankh lagi, wahan wo gunde aa kar koi khel khel denge aur pata bhi nahi chalega”

“tum kisi par vishwas nahi karte na...”

“bilkul bhi nahin. Zamana hi aisa hai. Jisspar vishwas karo, wo hi goli maarta hai” vikram ne kambal andar se nikal liya aur vodka ki bottle bhi. Fir night vision binoculars se idhar udhar dekhne lag gaya. “abhi to rasta saaf hai. Door door tak koyi nahi hai. Bas chand ghanton ki baat hai. Umeed karta hoon ke koi rukawat nahi aayegi” fir ussne phone uthaya aur fir se mila diya. “hum bridge se door hain. Mere co-ordinates note karo. Pickup chahiye mujhe jald se jald” aur kuch numbers batane laga. “haan. Din ka intezaar karna hi theek rahega” aur phone kaat diya.

“to subah tak hum dono yahin rahenge kya iss jungle mein... akele??”

“bilkul.. aur koi chaara nahin hai. Tumhein darr to nahi lag raha na..”

“bilkul bhi nahin. Mujhe vishwaas hai ke tum meri raksha karoge. Aakhir papa ne kuch soch kar hi tumhein mera body guard rakha hoga”

“haan haan. Body guard bana do ab mujhe. Chalo ab yeh kambal odh lo. Agar tumhein zukaam bhi ho gaya to meri khair nahi hogi” vikram ne bola

“tum kab tak aise hi pehra dete rahoge. Aa kar mere paas baith jao. Ghus jao tum bhi kambal mein.” Vodka ke sip lete hue nisha ne bola

“agar aapke papa ko pata chal gaya na madam.. to mujhe hamesha ke liye thanda karwa denge. Main yahin theek hoon”

“arrey aao na.. kaun batayega papa ko? Tum ya yahan ki khamoshi? Main to nahi bataungi” nisha ke kayi baar agrah karne par vikram usske saath sambal mein ghus gaya. Un dono ne apni peeth ek ped se satayi hui thi aur kambal odhe nadi ki taraf dekh rahe thhe. Nadi ka bahav kaafi tez thha.

“tumhein kabhi darr nahi lagta iss naukari se?” usske jism ka sparsh paa kar nisha ko mazaa aane lag gaya thaa..

“darrte wo hain jinko apne upar vishwas nahi hota. Mere saath aisa kuch nahin hai. Duty karta hoon aur apna ghar chalata hoon”

“kaun kaun hai tumhaare ghar mein”

“koi nahi hai aur. Akela hoon. Khush hoon” nisha ke baar baar vodka usske aage karne se ab usska bhi mann ban gaya thha aur ussne bhi ek bada ghoonth maar hi liya

“kaisi biwi chahiye tumhein” nisha usske aur kareeb hote hue boli. Ab wo ekdum usse chipak hi gayi thhi.

“kabhi socha nahin madam. Aur please thoda saas lene ke liye to jagah dijiye. Pata hai ke thand hai, lekin itna kareeb hona achcha nahi lagta parayi ladki ke”

“haa haa haa.. baal brahmachari types ho tum matlab. Arrey kabhi to aisa karoge hi... mujhmein kya burai hai...”

“burai koi nahin hai, risk bahut hai yahan. Meri naukari ka risk, humaari jaan ko risk. Bas chup chaap yeh gatak jaao aur so jaao” vikram ne bottle waapas usski taraf karte hue kaha. Nisha to pehle se hi suroor mein thi. Aur pee kar kab usski aankh lag gayi, usse pata bhi nahin chala. Jab subah usski neend khuli to ussne paya ke kambal ke saath saath vikram ka jacket bhi usske upar pada hua hai, lekin fir bhi usski thand nahi ruk rahi thhi. Vikram bhi usske saath nahi thha. Ussne nazar idhar udhar daudayi to paaya ke door vikram khada hua hai aur binoculars se kuch dekh raha hai. Wo khadi hui aur apne kapde jhaadne lagi. Kuch hi palon mein vikram usske paas aa gaya thha.

“aap to bada zyaada gehraa soti ho madam ji. 11 baj gaye hain. Mujhe door se ek boat aati dikh rahi hai. Shayad aapko lene ke liye hi bheji hai. Lagta hai kaam ban gaya”

“chalo achcha hua. Waise yeh itni gandi badboo kahan se aa rahi hai?”

“pata nahin.. shayad aas paas koi jungali janwar mar gaya hoga. Ussi ki hogi.. jaa kar nadi pe apna muh haath dho lo...”

“waise hum nikle kyun nahi abhi tak.. hum gaadi mein baith kar bhi to jaa sakte thhe..”

“gaadi ka tyre puncture ho gaya hai. Jaisa main kehta hoon waisa karo plz. Zyaada time nahi hai” vikram ne kaha to nisha bhaag ke jaa kar apna muh dhone lagi. Tabhi ussne dekha ke ek boat unnki taraf aa rahi hai. Dekhne mein to motorboat jaisi lag rahi thhi par awaaz bilkul nahi thhi. Ussne thoda intezaar kiya aur jaise jaise motorboat paas aati gayi, usske andar darr badhta gaya. Uss motorboat ke saamne kaale kapde pehne kuch gunde type ke log khade thhe jinke haath mein badi badi bandooke thhi. Wo daud kar waapas aayi aur sab kuch vikram ko bata diya.

“darro mat. Main hoon na. Bas mere saath rehna. Sab theek ho jayega” ussne kaha aur apni pistol nikal li. Dono pedon ke beech chhip kar motorboat ke aane ka intezaar karne lage. “mere peeche peeche aao. Mere kandhe pe apna haath rakh lo taaki tum mujhse alag na ho” ussne kaha aur dheere dheere pedon ki aad mein nisha ko nadi ki taraf le jaane laga. Ab motorboat pahunch chuki thhi. Ussmein se wo lambe chaude 4 aadmi nikle aur unnke saath ek safed kapde pehna aadmi bhi nikla. Nisha aur vikram unn logon ke kaafi paas aa gaye thhe. Vikram ne nisha ka haath pakda aur usse kheenchte hue jaldi se un aadmiyon ke paas le gaya.

“welcome amar. Humein poora yakeen thha ke tum humaara kaam zarur karoge.”

“kaam ho gaya hai. Paise kahan hai” vikram bola. Nisha ka dil usske gale mein aa kar atak gaya.

“yeh rahe paise. Poore 5 lakh hain. Jaisa ke tay hua thha” uss aadmi ne noton se bhara bag vikram ko dete hue kaha.

“aur yeh rahi ladki, jaisa ke tayy hua thha”

Nisha nishabdh wahan khadi hui thhi. Reh reh kar usske zehen mein vikram ki kahi baatein aa rahi thhi. “yeh duniya badi kharab hai. Kuch pata nahi hota ke kisska dil gora hai aur kisska kaala. Kisi se dhokha khaane se achcha hai sab kaale hi nazar aayein. Kam se kam aadmi sambhal ke to rahega”

“isska baap to jitna socha thha, usse kahin zyaada phattu nikla. Pappu ko subah 9 baje hi transfer karne ka plan bana liya. Theek 10.30 par humne ussko aguva bhi kar liya. Ab isski humein koi zarurat nahi hai. Issko waapas chhod aao” wo aadmi bola. Usske saath ke gunde vikram ki car mein se kuch nikal rahe thhe.

“vaapas to nahi chhod sakta isse. Aaj tak police se bacha hua hoon kyunki yeh chehra kisi ne nahi dekha. Lekin yeh ladki to saara khel bigad sakti hai”

“to isska jo karna hai karo.”

“please mujhe chhod do. Main kisi ko kuch nahi bataungi. Please. Main tumhaare aage haath jodti hoon”

“maine pehle hi kaha thha ke main kisi par vishwas nahi karta” nisha ke dimag mein fir usske woh shabd goonje “Zamana hi aisa hai. Jisspar vishwas karo, wo hi goli maarta hai” aur isse pehle wo kuch keh ya kar paati, ek tez aawaaz hui aur usski aankhon ke beech mein aa ke ek goli lagi. Wo wahin gir ke mar gayi. “tumhaare gundon ne meri gaadi se vikram ki laash bhi nikal li hogi. Donon laashon ko nadi ke beech mein phenk dena. Jab tak kone pe aayengi, main iss desh se bahar hounga” amar ne kaha aur paison ka bag le kar apni car ki taraf chal pada.

end







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