Monday, March 17, 2014

सुबह की कालिमा



  सुबह की कालिमा

अंकिता आज थोड़ा उलझन में है। वो जल्द से जल्द अपने रूम पर पहुँच जाना चाहती है। न जाने क्यूँ उसे लग रहा है, ऑटो काफी धीमे चल रहा है। वो ऑटो ड्राइवर को तेज़ चलाने के लिए बोलना चाहती है, पर कुछ सोच कर चुप रह जाती है। आज उसे निर्णय लेना है। जिसके लिए उसे शांति चाहिए, शांत जगह। इस समय उसे अपने कमरे से ज्यादा कोई और जगह मुनासिब नहीं लग रही है। पर आज न जाने क्यूँ यह रास्ता उसे कुछ ज्यादा ही लम्बा लग रहा है। वैसे तो वो रोज़ ही इन रास्तों से गुजरती है। यूनिवर्सिटी से उसके घर का रास्ता।
चाय का एक कप लेकर वो विंडो का पर्दा खिसका कर खड़ी हो जाती है। चाय का एक घूंट ले कर वो विंडो से नीचे नज़र दौड़ाती है। इस विंडो से वो एक पतली काली कोल तार की सड़क देख सकती है। रोज़ ही देखती है। इसमें अधिकतर पैदल राहगीर ही गुजरते है। कुछ दुपहिया वाहन भी। कभी कभार इक्का दुक्का लाइट मोटर व्हीकल भी। बड़े वहां गुजर नहीं सकते। सड़क के दोनों मुहाने पर जड़े वाहनों का प्रवेश निषेध का साइन बोर्ड भी लगा है।
वो चाय का वापस घूंट लेती है। इस वक़्त सड़क लगभग सून-सान है। इक्का-दुक्का लोग गुजर रहे है। तभी उसकी नज़र आ रहे तीन लोगों पर पड़ती है। एक लड़की, दो लड़के। अंकिता उन्हें तब तक देखती रहती है, जब तक वे उसकी खिड़की के नीचे से गुजर कर सड़क के दूसरे मुहाने से टर्न लेकर दिखना बंद नहीं हो पाते।
अंकिता उन तीनों को आखिरी बिंदु तक देखती है। उनकी परछाई के छिप जाने तक। उसके होठों पर मुस्कान तैर जाती है, कप चाय से खली हो चूका है, अंकिता किचन में जा कर खली कप वाशबेसिन में रखती है। वापस आ कर बीएड पर लेट जाती है। सर के नीचे तकिया रख कर आँखे मीच लेती है।
- आज उसे निर्णय लेना है।
- किसी और के लिए नहीं, खुद के लिए।
उसकी आँखों में एक के बाद एक, दो आते है।
- पहला चित्र है, समीर का। जो इसी गली के मुहाने पर बसे एक घर में किराये पर रहता है। पिछले छह-सात महीने से वो उसे जानती है। समीर, स्थानीय स्तर पर नाट्य संस्था से जुड़ा है। नुक्कड़ नाटक का मंचन करता है। खुद ही लिखता भी है और निर्देशित भी। पर अब तक उसको कोई विशेष सफलता नहीं मिली है।
अंकिता एक नुक्कड़ नाटक देखने के समय समीर से मिली थी।
- पहली मुलाकात
- पहली मुलाक़ात में ही समीर, अंकिता को अलमस्त और खिल्दुंड नज़र आता है। हमेशा हँसता चेहरा, हमेशा मजाक के मूड में। पहली मुलाकात में ही समीर अंकिता से यू मिलता है ज्यों पहले कई बार मिल चूका हो।
उसका बेझिझक अंकिता को यार कह कर बुलाना, टाइम जानने के लिए बिना उसको पूछे, उसकी कलाई पकड़ कर घड़ी से टाइम देख लेना।सब कुछ इतनी आसानी से समीर ने किया मानो वो काफी पुराने दोस्त हो।
उसी दिन समीर उसे बाइक पर उसके काम तक छोड़ता है। अंकिता जब बाइक से उतर कर जब उसे थैंक्स बोलना चाहती है। तो वह हंसने लगता है दीवानावार, काफी देर बाद वो खुद को संयत करके ऊँगली से इशारा करके गली के दूसरे छोर को दिखा कर बोलता है, वहां है मेरा रूम। इतना करीब रह कर भी इतनी देर से मुलाकात, अंकिता भी हंस पड़ती है।
फिर वो अक्सर मिलने लगते है। दोस्ती प्रगाढ़ हो जाती है। पर उनके बीच प्यार जैसा कुछ नहीं। अंकिता ने कभी उसकी अनुमति भी नहीं दी।
आज सुबह समीर उसे प्रपोज करता है। जब वो यूनिवर्सिटी के लिए निकलती है, तो गली के दूसरे छोर पर समीर अपनी बाइक पर बैठा हुआ है, अंकिता को देख कर मुस्कराता है।
अंकिता उसकी बाइक पर बैठ जाती है। लगभग रोज़ का नियम है। समीर, अंकिता को चौराहे तक छोड़ता है, जहाँ से उसे यूनिवर्सिटी जाने के लिए ऑटो मिल जाता है। और समीर वहां से नाट्य मंडली की तरफ चला जाता है।
आज अंकिता जब बाइक से उतर कर बाय करके जाने लगी, तो दो मिनट प्लीज बोल कर समीर उसे रोक लेता है। अंकिता उस के पास आकर खड़ी हो जाती है।
बाइक से उतर कर समीर, अंकिता के करीब आता है और होंठो पर मुस्कान लाकर बिखेर कर कहता है- यार रोज़ खाना-नास्ता बनाने में और बर्तन धुलने में काफी टाइम निकल जाता है। इस वजह से मेरा काम में पूरा ध्यान नहीं लगता है।
- अंकिता चुप रहती है, उसे समीर की बात का कोई जवाब नहीं सूझता है।
- समीर आगे कहता है- मैं सोचता हूँ, ये काम तुम्हारे हवाले कर दूँ।
- अंकिता चौक पड़ती है- 'व्हाट' मैं लखनऊ में क्या आयागिरी करने आई हूँ, अरे मैं यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म की स्टूडेंट हूँ। आप ने ये कैसे सोच लिया।
खिलखिला कर हंस पड़ता है समीर, कई पलों तक निश्छल हंसी। फिर सांसे संयत करके कहता है- अरे समझी नहीं आप- अरे मैं ये काम आपको आया समझकर नहीं बल्कि अपनी बीवी की हैसियत से देना चाहता हूँ।
''मुझसे शादी करोगी'' - अंकिता जी।
- अचम्भित रह गयी थी अंकिता, समीर के प्रपोज के इस अंदाज पर। प्यार के रस्ते को पार करके सीधे शादी। चुप रह गयी वो। आँखे नीचे करके वहां से जाने लगी तो पीछे से समीर बोला- जवाब नहीं दिया अपने।
- वो रुकी नहीं चलते-चलते बोली इस टॉपिक पर फिर कभी बात करेंगे, अभी क्लास को देर हो रही है।
- अंकिता क्लास रूम में आ के बैठ गयी। उसने कभी समीर को इस नज़र से नहीं देखा, न कभी सोचा। पर उसके प्रपोज का ये अंदाज उसे गुदगुदा गया।
अंकिता उठती है, वापस अपने लिए चाय बनाती है। चाय के हल्के-हल्के सिप लेते हुए उसकी आँखों में दूसरा चित्र आता है।
यूनिवर्सिटी में उसका एक साल सीनियर- 'अतुल' उसके गीतों और कविताओं की साडी यूनिवर्सिटी दीवानी है। सांवले और सौम्य अतुल को इस वर्ष उभरते हुए युवा कवि के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उसके लेखन से अंकिता भी प्रभावित है और शायद उसकी तरफ आकर्षित भी है। कई बात उन दोनों की मुलाकात यूनिवर्सिटी के एकांत में होती है, और उस वक़्त अतुल, अंकिता को अपनी प्रेम कवितायें सुनाता है। जो अंकिता के दिल में गुदगुदी पैदा करती है।
आज लंच टाइम के बाद जब वो लाइब्रेरी में बैठी थी, तभी वहां अतुल आ जाता है। और कई कवितायें सुनाने के बाद झिझकते-शर्माते अंकिता को प्रपोज करता है।
- एक ही दिन में अंकिता को दो लोग प्रपोज करते है, जिन्हें वो आजतक अपना मित्र मानती आई है। पर उनमें से न जाने क्यूँ उसे अतुल ज्यादा भाता है। सौम्य और शांत। देश का सबसे ज्यादा उभरता हुआ कवि। जब वो बिस्तर पर लेट कर अतुल और समीर की तुलना करती है, तो खुद को अतुल के ज्यादा करीब पाती है। उसका भविष्य यकीनन अतुल के साथ सुरक्षित है, क्यूँ की वो एक स्थापित साहित्यकार हो चूका है। जबकि समीर एक स्ट्रगलर है और उसके खुद के भविष्य का ठिकाना नहीं है। सो वो फैसला करती है,अतुल के प्रपोज को स्वीकार करने का। अंकिता बिस्तर पर करवट लेती है वैसे ही उसके दीमाग में विचार भी करवट लेते है।
अंकिता एक बार उन दोनों को करीब से जानना चाहती है, कोई अंतिम फैसला करने से पहले। परसों उसका बर्थडे है। उस दिन वो अपने दोनों प्रेमियों में से किसी एक से मिलने का प्लान करती है।
पर इस बार वो समीर को प्राथमिकता देती है। क्यूँ की उसने उसे पहले प्रपोज किया है। अंकिता फ़ोन उठती है और कांपते हाथों से समीर का नंबर डायल करती है।
- हैल्लो ! समीर बोलता है, अरे इतनी रात को अंकिता क्या कुछ प्रोब्लम तो नहीं हुई।
- नहीं-नहीं समीर सब ठीक है, बस मैंने आपको इनवाइट् करने के लिए फ़ोन किया था। और फिर अंकिता उसे अपने बर्थ डे के लिए आमंत्रित करती है। जिसे समीर हँसते हुए कबूल कर लेता है।
- अंकिता मोबाइल डिसकनेक्ट करने से पहले बोलिती है तो फिर ठीक शार्प ग्यारह बजे आप पहुँच रहे है।
- रात के ग्यारह बजे न, समीर कन्फर्म करता है।
- हाँ यार क्यूँ की मैं रात ग्यारह बजे ही पैदा हुई थी, अंकिता थोड़ी शोखी से बोलती है।
उस दिन समीर, अंकिता को फ़ोन करता है दोपहर को, पूछता है- बर्थडे की सब तैयारी हो गयी और क्या सब लोग इनवाइट् हो गए है।
- हाँ सब तैयारी हो गयी है- अंकिता बोलती है पर मेरे इस बर्थडे पर सिर्फ आप इनवाइट् है।
- सिर्फ मैं - समीर थोडा चौकता है।
- हाँ, अंकिता इतना ही बोल पाती है, की नेटवर्क प्रोब्लम की वजह से फ़ोन कट जाता है। थोड़ी देर ट्राई करने के बाद अंकिता अन्य कामों में व्यस्त हो जाती है।
आज अंकिता ने टी-शर्ट और स्कर्ट पहनी है, घुटने के उपर स्कर्ट। उसने एक दिन नाटक में समीर की नायिका को ऐसी ही ड्रेस में देखा था। वह आज समीर को अच्छी तरह से समझना चाहती है। टेबल पर उसने केक सजा दिया है, वहां सिर्फ दो चेहरे है। अंकिता की गोरी कलाई में बंधी घडी की सुइयां अब ग्यारह बजाना चाहती है।
अंकिता, समीर को याद दिलाने की गर्ज से उसे फ़ोन करती है, उधर से समीर कहता है, बस डियर पहुँच रहा हूँ, थोडा ट्राफिक में हूँ।
घडी की सुइयां ग्यारह क्रॉस कर चुकी है। समीर का फ़ोन नॉट रिचेबल है। अंकिता बेचैनी से टहलती है फिर बैठ जाती है।
अंकिता की आँख खुलती है, वो टेबल पर ही सर रख कर सो गयी थी। घडी पर नज़र डालती है तो तीन बज चुका है। समीर का फ़ोन अब भी नॉट रिचेबल है। अंकिता के चेहरे पर गुस्सा झलक पड़ता है। वो पैर पटक कर उठती है। और तेज़ क़दमों से टहलने लगती है। उसे समीर की इस अदा पर नफरत होने लगती है, और वो गुस्से में अतुल का नंबर डायल करती है।
केक खिलने के वक़्त अतुल के हाथ से केक फिसल कर अंकिता की शर्ट पर गिर जाता है। अंकिता अभी आती हूँ, कह कर वाश रूम की तरफ चली जाती है।
टी-शर्ट उतार कर वो उस पर लगे केक को साफ़ कर रही है, तभी वहां अतुल आ जाता है। सी एफ एल की रौशनी में अंकिता की नंगी पीठ और कंधे दूध की तरह चमक रहे है।
अतुल आगे बढ़ कर अपने होंठ अंकिता के कंधे पर रख देता है। अंकिता चिहुंक कर पलटती है तो बेलिबास उरोज अतुल के सीने में दुबक जाते है। अतुल उसे भींचते हुए आई लव यू अंकिता कहता है।
- आई लव यू टू - अंकिता के होंठो से सिसकारी के साथ निकलता है।
अतुल, अंकिता को गोद में उठा कर उसे बिस्तर पर लाकर लिटा देता है। इस वक़्त उसकी आखें बंद है और सांसे तेज़ है। वो अतुल को अपने बगल में महसूस करती है। कोई विरोध नहीं। अतुल के हाथों की हरकतों के आगे वह समर्पित हो जाती है। और अपने कौमार्य को उसके हवाले कर देती है।
किसी कवि सम्मलेन में जाने के लिए अतुल सवेरे छ: बजे अंकिता के रूम से निकलता है, दरवाज़े पर वो पानी नयी-नवेली प्रियतमा के होंठो को आधुनिक किस करता है।
अतुल को विदा करके, अंकिता वापस निढाल शरीर के साथ बिस्तर पर सो जाती है।
कई बार डोर बेल बजने के बाद उसकी आँख खुलती है। कोई बदस्तूर डोर बेल बजा रहा है। अंकिता झुंझुला कर उठती है। डोर खोलती है तो सामने समीर है। हाथ में फूलोंके गुलदस्ते के साथ।
अंकिता तंज लहजे में कहती है, अब क्या लेने आये हो, मेरा बर्थडे रात के ग्यारह बजे था, दिन के नहीं। इतना बोल कर वो वापस दरवाज़ा बंद करने को होती है पर समीर उसे के तरफ करके अन्दर आ जाता है।
टेबल पर रखे केक को समीर ऊँगली में लेके चखता है। फिर अंकिता के सामने घुटनों पर बैठ जाता है।
हाथ का गुलदस्ता उसकी तरफ बढ़ा के समीर कहता है- हैप्पी बर्थडे डियर।
- 'डोन्ट काल मी डियर '- इतना कह कर अंकिता घूम कर खड़ी हो जाती है।
उसके पीछे खड़े होकर समीर कहता है- मैं जनता हूँ आप नाराज़ है, मेरी वजह से आपका बर्थडे सेलिब्रेट न हो पाया।
पर मैं क्या करूँ अंकिता रात बहुत काली होती है। इतनी की इसमें जिंदगियां काली हो जाती है। जरा सोचो जब लोगों को मालूम पड़ता सारी रात हम साथ थे बंद कमरे में तो लोग न जाने क्या-क्या तुम्हारी पवित्रता के बारे में अफवाहें फैलाते। मैं कैसे सुन पाता ये सब तुम्हारे बारे में जिसे मैं प्यार करता हूँ।
- कुछ पलों बाद वो बोली - समीर तुम तो रात में चमकते सूरज की तरह, मैं तुम्हें जान ही न पाई। अब मैं तुम्हारे लायक नहीं क्यूँ की मैं रात में नहीं सुबह लुटी हूँ। सुबह की कालिमा में। इतना कह कर वो वहीं ज़मीन पर रोते-रोते गिर पड़ी। उसने एक महान इंसान को पहचानने में गलती कर दी थी।
कुछ लम्हों बाद समीर ने उसे उठा कर चेयर पर बैठाया और बोल- मैं अब भी अपने प्रपोज का जवाब मांगता हूँ, क्या मुझसे शादी करोगी तुम ?
कुछ बोल न सकी वो। उसे चुप देख समीर बोला- ठीक है तुम आराम से सोच के बताना कल या फिर ओर कभी, अभी मैं चलता हूँ। और वो पलट कर चल दिया।
अंकिता जाते हुए देवता को देख रही थी और फिर भाग कर वो समीर की पीठ से चिपट गयी और उसके होठ बार-बार यही दोहरा रहे थे-
'' हाँ मैं तुमसे शादी करुँगी’’,’’ हाँ मैं तुमसे शादी करुँगी ''








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Saturday, March 15, 2014

तेरे इश्क़ में पार्ट--4 Hindi Love Story

   तेरे इश्क़ में पार्ट--4  Hindi Love Story

 गतान्क से आगे................. 
"हां" आदित्य उसका हाथ पकड़ता हुआ बोला "मेरा बड़ा मंन था बचपन से के अँग्रेज़ी स्टाइल में शादी करूँ. तो कल हम चर्च में शादी कर लेते हैं और उसके बाद जब तुम अच्छी हो जाओगी तो मेरे पापा को बताकर निकाह पढ़ा लेंगे और धूम धाम वाली शादी करेंगे" 

"तुम पागल हो आदिल" तहज़ीब हंस पड़ी. 

"मैं जो भी हूँ तुम्हारे लिए हूँ" आदित्य उसका माथा चूमते हुए बोला. 




उसी शाम आदित्य और निखिल साथ बैठे आदित्य के फ्लॅट पर विस्की के पेग लगा रहे थे. 

"तूने अब तक उसको नही बताया के तू हिंदू है?" निखिल ने पुछा 

"नही वो अब तक समझती है के मैं आदिल रहमान ही हूँ" 

"एक तो तेरा बाप वैसे ही तुझपर भड़का हुआ है उस दिन की हरकत को लेकर. उसपर अगर उसे पता चला के तूने एक मुस्लिम लड़की के चक्कर में ये सब किया तो पता नही वो क्या करेगा" 

"शायद उसकी नौबत ही ना आए" आदित्य ने धीरे से कहा 

"मतलब?" 

"मतलब ये के उस बेचारी के पास इतना वक़्त है ही नही" और आदित्य ने निखिल को डॉक्टर से हुई अपनी बात के बारे में बताना शुरू कर दिया. 

"ओह मॅन" बात ख़तम होने पर निखिल बोला "तो क्या सोचा है अब?" 

"उस बेचारी को तो ये पता भी नही के वो मरने वाली है और मैं उसको बताना भी नही चाहता. कल उससे शादी कर रहा हूँ?" 

"शादी" निखिल जैसे उच्छल पड़ा 

"हां. वो मुस्लिम है और मैं हिंदू इसलिए मैने मंदिर मस्जिद, दोनो को एक तरफ रख दिया. हम एक तीसरे धरम के हिसाब से शादी करेंगे. चर्च में" 

"और तू ये मुझे अब बता रहा है?" 

"सुन ना यार. कल चर्च पहुँच जाना विटनेस बनने के लिए" 

"तू कर क्या रहा है आदि?" 

"मैं उसके जीते जी उसका हर ख्वाब पूरा करना चाहता हूँ. शादी के बाद जब तक वो ज़िंदा है मैं उसको लेकर दूर निकल जाऊँगा और तब तक सिर्फ़ उसके साथ रहूँगा जब तक के वो ज़िंदा है. मैं उसका हर सपना पूरा करना 
चाहता हूँ, हर वो ख्वाब सच करना चाहता हूँ जो उसने देखा है" 
"कौन सा ख्वाब?" निखिल ने पुछा तो आदित्य ने उसको तहज़ीब के सपने के बारे में बताया. 

"बीच हाउस? वो भी बड़ा सा वित आ प्राइवेट बीच? पैसा कहाँ से लाओगे इतना के जब तक वो ज़िंदा है तब तक उसकी हर बात पूरी करते रहो?" 

आदित्य चुप चाप उठा और ड्रॉयर से कुच्छ पेपर्स, कुच्छ मॅप्स निकाल कर निखिल को थमा दिए जिन्हें निखिल एक एक करके खोलने और देखने लगा. 

"तू साले पागल हो गया है? बॅंक लूटेगा?" पेपर्स देख कर वो हैरत से चिल्लाया 

"मेरे पास वक़्त नही है यार. इतना पैसा इतनी जल्दी बस एक ही जगह से आ सकता है" आदित्य शराब का ग्लास हाथ में लिए सोफे पर पसर गया 

"बॅंक लूटने की क्या ज़रूरत है बेवकूफ़. तू एक बार मुझसे कहता. मैं कहीं ना कहीं से पैसा दिलवा देता तुझे. बहुत कनेक्षन्स हैं मेरे" निखिल उसके साथ आकर बैठ गया. 

"और वापिस कहाँ से करता? इतना बड़ा क़र्ज़ ले लेता तो सारी ज़िंदगी चुका ना पाता" 

"तो सीधा रास्ता निकाला आपने? के बॅंक लूट लो ताकि कभी फिर पैसे वापिस ही ना करने पड़ें किसी को? तुझे क्या लगता है के पोलीस वाले चुप बैठेंगे?" 

"सारा प्लान सेट है. मैने आदमी भी उठा लिए हैं साथ देने को. अब सोचने का वक़्त निकल गया है. कल बॅंक लुटूगा, उसके बाद सीधा तहज़ीब से शादी करने जाऊँगा और उसको लेकर गायब" आदित्य ने कहा 

"मैं तुझे ऐसा करने नही दूँगा" निखिल भी ज़िद पर अड़ा था "ऐसा करने के लिए तुझे मेरी लाश के उपेर से जाना होगा. साले इस वक़्त तुझे अपने बाप के साथ होना चाहिए. गठन ने पहली बार इतना बड़ा कुच्छ प्लान किया है. इस वक़्त हम ऐसी कोई हरकत अफोर्ड नही कर सकते जिससे पोलीस का ध्यान हमारी तरफ आए" 

"बड़ा?" आदित्य ने चौंकते हुए निखिल की तरफ देखा "क्या बड़ा प्लान हो रहा है?" 
अगले दिन तहज़ीब उठी तो जैसे वो दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे खुश-नुमा दिन था. वो बीमार थी और कमज़ोर थी पर उस दिन कमज़ोरी तो सारी जैसे हवा हो गयी थी. 

आदित्य ने उसको ठीक 2 बजे सीधा चर्च पहुँचे को कहा था. तहज़ीब तो चाहती थी के वो उसे घर पर मिले पर वो इसी बात पर अड़ा रहा के तैय्यार होकर चर्च ही पहुँच जाएगा. 

उसने सुबह सुबह अपनी एक दोस्त को फोन किया और ब्यूटी पार्लर पहुँची. सज धज कर जब वो निकली तो बीमारी के बाद भी उसका हुस्न बस देखते ही बनता था. सड़क चलता हर आदमी पलट कर उसी को देख रहा था. 

आदित्य के कहे अनुसार उसने हिन्दूसनी दुल्हन वाले कपड़े नही पहने बल्कि एक क्रिस्चियन ब्राइड की तरह सफेद कपड़े पहने चर्च पहुँची. 

आदित्य के कहने पर ही वो चर्च अकेली आई थी. अपनी दोस्त को उसने लड़ लड़कर घर भेज दिया था. 

घड़ी में 2 बज चुके थे पर अब तक आदित्य का कहीं आता पता नही था. 

"तहज़ीब?" आवाज़ आई तो उसने सर उठाकर देखा. सामने फादर खड़े थे. 

"जी हां" वो भी फ़ौरन उठकर खड़ी हो गयी "आपको कैसे पता?" 

"मुझे कल फोन आ गया था के आप लोग आज शादी के लिए आओगे. आदित्य नही आए अब तक?" फादर ने कहा 

"आदित्य? जी नही उनका नाम आदिल है" 

"आदिल?" फादर ने आँखें सिकोडते हुए कहा "मुझे तो फोन किसी आदित्य ने किया था" 

"नही नही उनका नाम आदिल रहमान है" तहज़ीब हंसते हुए बोली "बस आते ही होंगे" 

"गॉड ब्लेस्स यू बोथ. मैं वहाँ अपने कमरे में हूँ. आ जाए तो मुझे आवाज़ दे देना" 

"नाम ही ठीक सुनाई नही देता, शादी कैसे कराओगे आप? मालूम पड़ा शादी करनी थी आदिल से, हो गयी आदित्य से" फादर के जाने के बाद तहज़ीब ने दिल ही दिल में सोचा और हँस पड़ी. 

3 बज गये पर आदित्य नही आया. 

फिर 4 

फिर 5 

फिर 6 पर आदित्य का कोई निशान नही था. 

जब रात के 9 बजे फादर ने चर्च से निकले तो तहज़ीब दुल्हन के लिबास में अब भी चर्च के बाहर बनी एक बेंच पर बैठी थी. 

"माइ चाइल्ड" फादर उसके करीब आते हुए बोले "तुम्हें अब घर चले जाना चाहिए. वो शायद कहीं काम से अटक गया होगा" 

जब तहज़ीब ने जवाब नही दिया और वैसे ही सर झुकाए बैठी रही तो उन्होने उसके कंधे पर हाथ रखा. 

"बेटी?" 

हाथ रखते ही उसका जिस्म एक और लुढ़का और बेंच से नीचे जा गिरा. 

"ओह लॉर्ड" फादर ने फ़ौरन नीचे झुक कर उसका सर उठाया. 

"माइ चाइल्ड. आर यू ओके?" 

कोई जवाब नही. नब्ज़ देखी तो लड़की मर चुकी थी. 


अगले दिन के न्यूसपेपर की हेडलाइन्स कुच्छ इस तरह थी. 



देश की बड़ी मज़हबी जगहों पर हमले का प्लान नाकाम 

पोलीस ने कल एक हिंदू गठन नाम के गिरोह का परदा फ़ाश करते हुए कई लोगों का गिरफ्तार किया. एक अंजान फोन कॉल के बताने पर जब पोलीस ने गठन के अड्डे पर छापा मारा तो कई लोगों के साथ कुच्छ ज़रूरी काग़ज़ात बरामद किए हैं जिनसे साफ ज़ाहिर है के गठन मुंबई में हाजी अली और अजमेर में दरगाह शरीफ पर हमले का प्लान 
बना रहा था. गिरफ्तारी का सिलसिला अब भी जारी है और तकरीबन 75 लोग........ 


देवराज चतुर्वेदी की हत्या. लाश उनके घर से बरामद 

शहर के नामी बिज़्नेसमॅन की कल रात उन्ही के घर में गोली मारकर हत्या कर दी गयी. कहा जा रहा है के देवराज ही वो इंसान थे जिन्होने हिंदू गठन की स्थापना की थी. यही वो गठन है जिसका ...... 



बॅंक लूटने की कोशिश नाकाम 

कल सवेरे बॅंक ऑफ .... को लूटने की एक कोशिश को पोलीस ने नाकाम कर दिया. एनकाउंटर में 4 लोग मारे गये जिनमें देवराज चतुर्वेदी का बेटा आदित्य चतुर्वेदी भी शामिल है. माना जा रहा है के आदित्य ही वो शक्ष था 
जिसने कल रात अपने पिता की हत्या की और फिर पोलीस को फोन पर हिंदू गठन की सूचना दी. बॅंक लूटने की कोशिश करते हुए आदित्य मारा तो गया पर पिछे कई सवाल छ्चोड़ गया ..... 

युवक की गोली मारकर हत्या 

निखिल शर्मा नाम के एक शाकस की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. उसकी लाश आदित्य चतुर्वेदी के फ्लॅट से बरामद हुई जो कल सवेरे बॅंक लूटने की कोशिश में मारा गया ...... 


और दूसरे पेज पर एक छ्होटे से कॉलम में एक और खबर छपी थी. 


चर्च के सामने से लड़की की लाश बरामद 

कल शहर के स्ट्रीट ... चर्च के सामने से एक लड़की की लाश बरामद की गयी. डॉक्टर्स का मानना है के मौत की वजह ब्रेन ट्यूमर थी जिसने लड़की की जान ली. ये भी माना जा रहा है के ये लड़की आदित्य चतुर्वेदी नाम के आदमी से शादी करने के लिए चर्च पहुँची थी ....... 

और नीचे एक छ्होटा सा और कॉलम भी था .... 


आज की शायरी 


"इल्म वालो को इल्म दे मौला, 
अकल वालो को अकल दे मौला, 


धरम वालो को धरम दे मौला, 
और थोड़ी सी शरम दे मौला" 

समाप्त 



TERE ISHQ MEIN paart--4

gataank se aage.................
"Haan" Aditya uska haath pakadta hua bola "Mera bada mann tha bachpan se ke angrezi style mein shaadi karun. Toh kal ham church mein shaadi kar lete hain aur uske baad jab tum achhi ho jaogi toh mere papa ko batakar nikah padha lenge aur dhoom dhaam wali shaadi karenge"

"Tum pagal ho Adil" Tehzeeb has padi.

"Main jo tumhare liye hoon" Aditya uska matha choomte hue bola.




Usi shaam Aditya aur Nikhil saath bethe Aditya ke flat par whiskey ke peg laga rahe the.

"Tune ab tak usko nahi bataya ke tu Hindu hai?" Nikhil ne puchha

"Nahi vo ab tak samajhti hai ke main Adil Rehman hi hoon"

"Ek toh tera baap vaise hi tujhpar bhadka hua hai us din ki harkat ko lekar. Uspar agar use pata chala ke tune ek muslim ladki ke chakkar mein ye sab kiya toh pata nahi vo kya karega"

"Shayad uski naubat hi na aaye" Aditya ne dheere se kaha

"Matlab?"

"Matalab ye ke us bechari ke paas itna waqt hai hi nahi" aur Aditya ne Nikhil ko Doctor se hui apni baat ke baare mein batana shuru kar diya.

"Oh man" Baat khatam hone par Nikhil bola "Toh kya socha hai ab?"

"Us bechari ko toh ye pata bhi nahi ke vo marne wali hai aur main usko batana bhi nahi chahta. Kal usse shaadi kar raha hoon?"

"Shaadi" Nikhil jaise uchhal pada

"Haan. Vo muslim hai aur main hindu isliye maine mandir masjid, dono ko ek taraf rakh diya. Ham ek teesre dharam ke hisab se shaadi karenge. Church mein"

"Aur tu ye mujhe ab bata raha hai?"

"Sun na yaar. Kal church pahunch jana witness banne ke liye"

"Tu kar kya raha hai Adi?"

"Main uske jeete jee uska har khwaab poora karna chahta hoon. Shaadi ke baad jab tak vo zinda hai main usko lekar door nikal jaoonga aur tab tak sirf uske saath rahunga jab tak ke vo zinda hai. Main uska har sapna poora karna
chahta hoon, har vo khwaab sach karna chahta hoon jo usne dekha hai"
"Kaun sa khwaab?" Nikhil ne puchha toh Aditya ne usko Tehzeeb ke sapne ke baare mein bataya.

"Beach house? Vo bhi bada sa with a private beach? Paisa kahan se laoge itna ke jab tak vo zinda hai tab tak uski har baat poori karte raho?"

Aditya chup chap utha aur drawer se kuchh papers, kuchh maps nikal kar Nikhil ko thama diye jinhen Nikhil ek ek karke kholne aur dekhne laga.

"Tu saale pagal ho gaya hai? Bank lootega?" Papers dekh kar vo hairat se chillaya

"Mere paas waqt nahi hai yaar. Itna paisa itni jaldi bas ek hi jagah se aa sakta hai" Aditya sharab ka glass haath mein liye sofe par pasar gaya

"Bank lootne ki kya zaroorat hai bevakoof. Tu ek baar mujhse kehta. Main kahin na kahin se paisa dilva deta tujhe. Bahut connections hain mere" Nikhil uske saath aakar beth gaya.

"Aur vaapis kahan se karta? Itna bada karz le leta toh saari zindagi chuka na pata"

"Toh sidha rasta nikala aapne? Ke bank loot lo taaki kabhi phir paise vaapis hi na karne paden kisi ko? Tujhe kya lagta hai ke police wale chup bethenge?"

"Saara plan set hai. Maine aadmi bhi utha liye hain saath dene ko. Ab sochne ka waqt nikal gaya hai. Kal bank lootunga, uske baad sidha Tehzeeb se shaadi karne jaoonga aur usko lekar gayab" Aditya ne kaha

"Main tujhe aisa karne nahi doonga" Nikhil bhi zid par ada tha "Aisa karne ke liye tujhe meri laash ke uper se jana hoga. Saale is waqt tujhe apne baap ke saath hona chahiye. Gathan ne pehli baar itna bada kuchh plan kiya hai. Is waqt ham aisi koi harkat afford nahi kar sakte jisse police ka dhyaan hamari taraf aaye"

"Bada?" Aditya ne chaunkte hue Nikhil ki taraf dekha "Kya bada plan ho raha hai?"
Agle din Tehzeeb uthi toh jaise vo din uski zindagi ka sabse khush-numa din tha. Vo bimar thi aur kamzor thi par us din kamzori toh saari jaise hawa ho gayi thi.

Aditya ne usko theek 2 baje sidha church pahunche ko kaha tha. Tehzeeb to chahti thi ke vo use ghar par mile par vo isi baat par ada raha ke taiyyar hokar church hi pahunch jaayega.

Usne subah subah apni ek dost ko phone kiya aur beauty parlour pahunchi. Saj dhaj kar jab vo nikli toh bimari ke baad bhi uska husn bas dekhte hi banta tha. Sadak chalta har aadmi palat kar usi ko dekh raha tha.

Aditya ke kahe anusaar usne hindusni dulhan wale kapde nahi pehne balki ek christian bride ki tarah safed kapde pehne church pahunchi.

Aditya ke kehne par hi vo church akeli aayi thi. Apni dost ko usne lad ladkar ghar bhej diya tha.

Ghadi mein 2 baj chuke the par ab tak Aditya ka kahin ata pata nahi tha.

"Tehzeeb?" Aawaz aayi toh usne sar uthakar dekha. Saamne father khade the.

"Ji haan" Vo bhi fauran uthkar khadi ho gayi "Aapko kaise pata?"

"Mujhe kal phone aa gaya tha ke aap log aaj shaadi ke liye aaoge. Aditya nahi aaye ab tak?" Father ne kaha

"Aditya? Ji nahi unka naam Adil hai"

"Adil?" Father ne aankhen sikodte hue kaha "Mujhe toh phone kisi Aditya ne kiya tha"

"Nahi nahi unka naam Adil Rehman hai" Tehzeeb haste hue boli "Bas aate hi honge"

"God bless you both. Main vahan apne kamre mein hoon. Aa jaaye toh mujhe aawaz de dena"

"Naam hi theek sunai nahi deta, shaadi kaise karaoge aap? Malum pada shaadi karni thi Adil se, ho gayi Aditya se" Father ke jaane ke baad Tehzeeb ne dil hi dil mein socha aur has padi.

3 baj gaye par Aditya nahi aaya.

Phir 4

Phir 5

Phir 6 par Aditya ka koi nishan nahi tha.

Jab raat ke 9 baje father ne church se nikle toh Tehzeeb dulhan ke libaas mein ab bhi Church ke bahar bani ek bench par bethi thi.

"My child" Father uske kareeb aate hue bole "Tumhein ab ghar chale jana chahiye. Vo shayad kahin kaam se atak gaya hoga"

Jab Tehzeeb ne jawab nahi diya aur vaise hi sar jhukaye bethi rahi toh unhone uske kandhe par haath rakha.

"Beti?"

Haath rakhte hi uska jism ek aur ludhka aur bench se neeche ja gira.

"Oh lord" Father ne fauran neeche jhuk kar uska sar uthaya.

"My child. Are you ok?"

Koi jawab nahi. Nabz dekhi toh ladki mar chuki thi.


Agle din ke newspaper ki headlines kuchh is tarah thi.



DESH KI BADI MAZHABI JAGAHON PAR HAMLE KA PLAN NAKAM

Police ne kal ek Hindu gathan naam ke giroh ka parda faash karte hue kai logon ka giraftar kiya. Ek anjaan phone call ke batane par jab police ne gathan ke adde par chhapa mara toh kai logon ke saath kuchh zaroori kaagzat baramad kiye hain jinse saaf zaahir hai ke gathan Mumbai mein haaji ali aur Ajmer mein Dargah Shariff par hamle ka plan
bana raha tha. Giraftari ka silsila ab bhi jaari hai aur takreeban 75 log........


DEVRAJ CHATURVEDI KI HATYA. LAASH UNKE GHAR SE BARAMAD

Shehar ke naami businessman ki kal raat unhi ke ghar mein goli maarkar hatya kar di gayi. Kaha ja raha hai ke Devraj hi vo insaan the jinhone Hindu Gathan ki isthapna ki thi. Yahi vo gathan hai jiska ......



BANK LOOTNE KI KOSHISH NAKAAM

Kal sawere Bank Of .... ko lootne ki ek koshish ko police ne nakaam kar diya. Encounter mein 4 log maare gaye jinmein Devraj Chaturvedi ka beta Adtiya Chaturvedi bhi shaamil hai. Mana ja raha hai ke Aditya hi vo shaksh tha
jisne kal raat apne pita ki hatya ki aur phir police ko phone par Hindu Gathan ki soochna di. Bank lootne ki koshish karte hue Aditya mara toh gaya par pichhe kai sawal chhod gaya .....

YUVAK KI GOLI MARKAR HATYA

Nikhil Sharma naam ke ek shaks ki goli maarkar hatya kar di gayi. Uski laash Aditya Chaturvedi ke flat se baramad hui jo kal sawere bank lootne ki koshish mein mara gaya ......


Aur doosre page par ek chhote se column mein ek aur khabar chhapi thi.


CHURCH KE SAAMNE SE LADKI KI LAASH BARAMAD

Kal shehar ke St ... Church ke saamne se ek ladki ki laash baramad ki gayi. Doctors ka maanna hai ke maut ki vajah Brain Tumor thi jisne ladki ki jaan li. Ye bhi mana ja raha hai ke ye ladki Aditya Chaturveri naam ke aadmi se shaadi karne ke liye church pahunchi thi .......

Aur neeche ek chhota sa aur column bhi tha ....


AAJ KI SHAYRI


"Ilm walo ko ilm de maula,
Akal walo ko akal de maula,


Dharam walo ko dharam de maula,
Aur thodi si sharam de maula"

samaapt









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