मेरी ख़ामोशीओं की गुंज सदा देती है।
तू सुने या ना सुने तुज़को दुआ देती है।
मैंने पलकों में छुपा रख्खे थे आँसू अपने।(2)
रोकना चाहा मगर फ़िर भी बहा देती है।
मैंने पाला था बड़े नाज़-मुहब्बत से तुझे(2)
क्या ख़बर जिंदगी ये उसकी सज़ा देती है।
तूँ ज़माने की फ़िज़ाओं में कहीं गुम हो चला(2)
तेरे अहसास की खुशबू ये हवा देती है।
तूँ कहीं भी रहे”अय लाल मेरे” दूरी पर(2)
दिल की आहट ही मुझे तेरा पता देती है।
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